कई बार हम सोचते हैं कि जिंदगी हमारे साथ बहुत बुरा मजाक कर रही है। ऐसा लगता है। सारी मुश्बितों को अडडा केवल हम ही बन गए हैं। और ऐसी स्थिति के अंदर हिम्मत से काम लेने वाले इंसान ही सक्सेसफुल बन पाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक इंसान कि सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं। जिसको पहले देखकर कोई यह कह ही नहीं सकता कि वह आने वाले दिनों के अंदर एक सुपर सक्सेस फुंल सिंगर बन जाएगा । लेकिन कहते हैं कि इंसान की हिम्मत के आगे कोई भी मुश्बित आए तो वह अधिक देर तक टिक नहीं पाती है।
यह स्टोरी है अमर मुच्छल की । वे बचपन से ही हकलाते थे । जिसको उन्होंने बचपन मे तो कभी महसूस नहीं किया क्योंकि माता पिता के लाड प्यार की वजह से अपनी इस कमी को वे समझ नहीं पाए लेकिन जैसे ही स्कूल जाने लगे । उनको हकला होने की कमी महसूस हुई।
अमर बताते हैं कि उन्हें स्कूल के अंदर बात करने मे शर्म महसूस होती थी । वे दूसरे बच्चों के साथ मिल जुलकर रह नहीं पाते थे । और दूसरे बच्चे भी उनसे कम ही बातें करते थे ।उनको हर साल अपना परिचय देने के लिए आगे बुलाया जाता था । जो उनके लिए काफी कठिन था ।
अमर किसी भी खेल मे भाग भी नहीं ले सकते थे क्योंकि वे काफी मोटे थे । मोटापा तो उनको वरदान मे ही मिला था । इस वजह से दूसरे बच्चे खेलते रहते और अमर अपना ध्यान पढ़ाई के अंदर लगाते थे । उसके साथ तो उन्हें बेवकूफ तक समझते थे । लेकिन उन्हें तब तक किसी ने तंग नहीं किया था ।
जब वे 10वीं क्लाश के अंदर पहुंचे तो उनके माता पिता ने उनको स्पीच थैरेपी के लिए भेजना शूरू किया तब तक वे अपना नाम भी सही से नहीं बोल पाते थे ।
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स्पीच थैरेपी से कम हुआ हकलाना
अमर बताते हैं कि उनकी स्पीच थैरेपी काफी अच्छी थी। वे तेजी से हर लेसन का पूरा का पूरा अभियास करते थे । ताकि हकलाना कम हो सके । उनका हकलाना तयसुदा पैर्टन पर नहीं होता था । वरन वह कभी भी किसी भी अक्षर पर होने लगता था । जिसका किसी को कोई पता नहीं था । अमर बताते हैं कि निरंतर अभियास करने की वजह से धीरे धीरे बदलाव आने शूरू हो गए । और अब उनके अंदर हकलाने की समस्या भी काफी कम हो गई थी । उनको स्पीच थैरेपी का अच्छा फायदा हुआ था।
कभी लोग उन पर हंसते थे
अमर मुंबई के अंदर जमनाबाई स्कूल के अंदर पढ़ते थे । उनके हकलाने की वजह से अन्य स्टूडेंट उनको जोकर समझते थे । लेकिन उस स्कूल के टीचर काफी अच्छे थे । वे अमर की काफी मदद करते थे । अमर की एक खास बात यह थी की वे केवल बोलने मे ही हकलाते थे । गाने मे वे कभी नहीं हकलाते थे । मतलब उनके अंदर यह प्रतिभा थी । लेकिन स्टेज पर अपना परिचय देना उनको बहुत डरा देता था ।
लंदन से सीखा म्यूजिक
अमर स्नातक की पढ़ाई करने के लिए अमरीका गए । वहां पर पहले पहले तो उनको बोलने मे डर लगता था । लेकिन वहां पर हमारे यहां की तरह बोलने की आदत नहीं थी। लोग उनकी पूरी बात सुनने के बाद ही अपनी बात बोलते थे । जिसकी वजह से उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ा उसके बाद अमर ने वहीं पर वेस्टर्न म्यूजिक सीखने का निश्चय किया ।फ्रैंकलिन ऑफ मार्शल कॉलेज से शूरू की ।वहां पर उन्हें संगीत को पूरी तरह से समझा और उसके बाद वे गाना सीख गए । टीचर ने उनकी आवाज को अच्छी तरह से पहचाना और अब उनका हकलाना भी बंद हो गया । लेकिन वे अब भी कभी कभी हकलाते हैं।
2013 के अंदर अमर ने रॉयल हाउस के अंदर अपना पहला प्रोग्राम दिया । उसके बाद उनकी पर्सनलटी के अंदर और बोलने सुनने की स्थिति के अंदर काफी सुधार हुआ । आज वे एक सफल सिंगर हैं। यह सब संभव हो पाया । उनको मिले अच्छे शिक्षकों की वजह से । जिन्होंने अमर का आत्मविश्वास बढ़ाकर उसे कामयाब बना दिया ।
कामयाब बनना है तो अपनी कमजोरी को हथियार की तरह इस्तेमाल करो