kasturi mrig kya hota hai कस्तूरी मृग की जानकारी ,kasturi mrig ke bare mein jankari कस्तूरी मृग अत्यंत प्राचीन प्राणी है। इसको कस्तूरा और मुश्क आदि नामों से भी हम जान सकते हैं। कुछ जीव वैज्ञानिक कस्तूरी मृग एक अविकसित हिरन भी मानते हैं। कस्तूरी मृग सामान्य मृग से अलग होता है। क्योंकि इसकी नाभी से कस्तूरी की सुगंध निकलती है। यह मृग कस्तूरी की सुंगध और उपयोग की वजह से काफी प्रसिद्व है। कस्तूरी स्तनधारीयों का प्राणी है। और यह माशिंडे परिवार से है। इसकी चार जातियां पाई जाती है। कस्तूरी का प्रयोग अधिकतर दावई बनाने मे होता है। और इसके अन्य उपयोग भी हैं। जिसकी वजह से बाजार के अंदर कस्तूरी की काफी अधिक मांग बनी रहती है। यही वजह है कि कस्तूरी मृग का शिकार भी अधिक संख्या के अंदर किया जाता है।
उतराखंड के अंदर पाये जाने वाले कस्तूरी मृग 2 से 5 हजार मीटर उंचे हिम शिखरों के अंदर पाये जाते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम moschus Chrysogaster है। कस्तूरी मृग सुंदरता के लिए नहीं अपितु उसकी नाभी के अंदर पाई जाने वाली कस्तूरी की वजह से प्रसिद्व है।
एक शोध के अनुसार प्रतिवर्ष 200 किलो कस्तूरी विदेशों के अंदर बेची जाती है। इसके लिए शिकारी 20 से 40 हजार कस्तूरी मृग का शिकार करते हैं। इस वजह से कस्तूरी मृग की संख्या के अंदर दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है। हालांकि सरकार ने कस्तूरी मृग के शिकार पर प्रतिबंध लगा रखा है।
चमोली जिले के कांचुलाचखार्क में कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए अभियारण था । यहां पर सरकार का विचार था कि की कस्तूरी को निकाल कर बेच दिया जाएगा । और मृग को भी नहीं मारा जाएगा । लेकिन यह तरीका काम नहीं कर सका और अधिकतर कस्तूरी मृग खत्म हो गए।
Table of Contents
kasturi mrig kya hota hai कस्तूरी मृग तीन प्रकार के होते हैं।
- बौना कस्तूरी मृग
- साइबेरिया कस्तूरी मृग
- पहाड़ी कस्तूरी मृग
कस्तूरी मृग की जानकारी कहां पर पाए जाते हैं कस्तूरी मृग
यह मृग हर जगह पर नहीं पाया जाता है। वरन हिमालय तिब्बत और हिंद चीन साईबेरिया व कौरिया के अंदर पाया जाता है। कस्तूरी कस्तूरी मृग ज्यादातर ठंडे ईलाकों के अंदर रहना अधिक पसंद करते हैं। और उंचा स्थान भी इनकी पहली पसंद होता है। रूद्रप्रयाग जिले के अंदर तुगननाथ महादेव मंदिर के आस पास कस्तूरी मृग प्रजनन केन्द्र भी स्थित है।
कस्तूरी मृग की संरचना
कस्तूरी मृग के सींग नहीं होते हैं। वरन इनको अपनी सूरक्षा अपने बाहर निकले दो दांत से ही करनी होती है। इसकी पूंछ काफी छोटी सी नाम मात्र की ही होती है। उस पर घने बाल होते हैं। इसकी पीछली टांगे अगली टांगों की तुलना मे कुछ अधिक लम्बी होती हैं। इसकी खुरों की बनावट कुछ इस प्रकार से होती है कि अधिक से अधिक बर्फ के अंदर भी नहीं धंसते हैं। और वह छोटी से छोटी चटटानों पर भी तेज गति से जोड़ सकता है।
इसकी एक छलांग 15 मीटर से लेकर अठारह मीटर तग हो सकती है। इसके कान लम्बे और गौलाकार होते हैं। और इनकी क्ष्रावण ताकत बहुत अधिक तेज होती है। और इन कस्तूरी मृग का रंग अलग अलग हो सकता है। कमर के नीचले हिस्से का रंग सफेद होता है। और बाकी शरीर भूरे रंग का होता है। इन मृग के शरीर पर पीला और नारंगी रंग भी पाया जाता है। कस्तूरी मृग की सूंघने की क्षमता काफी तेज होती है। यह काफी तेज दौड़ता है। कस्तूरी सिर्फ नर के अंदर पाई जाती है मादा के अंदर कोई कस्तूरी नहीं होती है। इसका वजह 9 से 13 किलो ग्राम तक होता है।
कस्तूरी मृग के जो दो दांत बाहर कि ओर निकले हुए रहते हैं उनका स्थान परिर्वतनशील होता है। वह अपने जबड़े को एडजस्ट कर इनका स्थान बदल सकता है। इनके जननांग घने बालों से ढके रहते हैं। इनकी पूछें के नीचे एक ग्रंथी होती है जिससे एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है जिससे यह अपने क्षेत्र की सीमा का निर्धारण करते हैं।
कहां पर होती है कस्तूरी
कस्तूरी इसकी नाभी के अंदर जननांग के समीप एक ग्रंथी से स्त्रावित होती है। यह एक थैलीनुमा संरचना होती है। उसके अंदर कस्तूरी एकत्रित होती रहती है। कस्तूरी मृग की बार बार पीछे मुडकर देखने की आदत की वजह से ही यह शिकारी के हाथों मे आसानी से फंस जाता है। कस्तूरी मृग को संकट ग्रस्त प्राणियों के अंदर शामिल किया गया है। यह छोटा और शर्मिला जानवर होता है।
कस्तूरी मृग का रहन सहन और खाना
कस्तूरी मृग एकांत प्रिय जीव होता है। इसको अकेला रहना काफी पसंद है। यह चटटानों और छाडियों की आड के अंदर छिपा रहता है। और अंधेरा होते ही बाहर निकलता है। और अपने लिए भोजन की तलास करता है। यह भी अन्य हिरणों की तरह ही घास फूस आदि का सेवन करता है। कस्तूरी मृग को अपना स्थान बहुत प्रिय होता है। अधिक शरदी पड़ने पर भी वह अपना स्थान नहीं छोड़ता है।
मादा अल्प आयु भोगी होती है। वह एक साल की उम्र ही बच्चे देने लगती है। और हर साल एक से दो बच्चे पैदा करती है। यदि वह दो बच्चे पैदा करती है तो दोनों बच्चों को अलग अलग जगह पर रखती है। उसके बच्चे झाड़ियों के नीचे बने गढ़डे के अंदर रहते हैं।
इस गलती से मारे जाते हैं कस्तूरी मृग
कस्तूरी मृग जोकि एक सबसे बड़ी गलती करते हैं। वह यह है कि एक तो यह अपना निवास स्थान को आसानी से नहीं छोड़ते हैं दूसरी बात यह मल और मूत्र त्यागने के लिए और खाना खाने जाने के लिए व आने के लिए एक ही रस्ते का इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि अनुभवी शिकारी इनके पैरों के निशान को देखकर जाल
बिछाकर इनको पकड़ लेता है।
kasturi mrig ke bare mein jankari कस्तूरी मृग मे प्रजनन
कस्तूरी मृग का प्रजनन काल दिसम्बर से लेकर फरवरी तक चलता है। जोकि काफी रोचक होता है। इस दौरान नर कस्तूरी अपनी कस्तूरी की गंध को तेज कर देता है और अपनी एक अन्य ग्रंथी से एक विशेष प्रकार की गंध निकालता है। उस गंध को वह अपनी सीमा के अंदर पेड़ छोटे पौधों आदि पर छोड़कर यह साबित करता है कि यह उसकी सीमा है। कई बार मादा कस्तूरी अपने क्षेत्र के अंदर नर के आगे भागती भी रहती है। यह खेल काफी लम्बे समय तक चल सकता है। ऐसा तब तक होता है जब तक की मादा थक नहीं जाती हो ।
और नर कस्तूरी मादा कस्तूरी के क्षेत्र के अंदर निशान लगा देता है जिसके अंदर अन्य कोई कस्तूरी नर प्रवेश ना कर सके ।
मादा कस्तूरी ही अपने बच्चों की रक्षा करती है और वे 16 से 18 साल के हो जाते हैं तो प्रजनन योग्य हो जाते हैं।
मादा के लिए होता है झगड़ा
यदि किसी एक मादा के पास दो नर कस्तूरी पहुंच जाते हैं तो भयंकर झगड़ा होता है। कभी कभी तो ऐसा भी हो सकता है कि एक की मौत भी हो जाती है।
साइबेरियाई कस्तूरी मृग ( Moschus moschiferus )
कस्तूरी मृग के पहाड़ जंगलों में पाए उत्तर पूर्व एशिया । यह दक्षिणी साइबेरिया के टैगा में सबसे आम है , लेकिन मंगोलिया , भीतरी मंगोलिया , मंचूरिया और कोरियाई प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है ।इसका आकार छोटो होने की वजह से यह चट्टानों के पीछे काफी आसानी से छिप सकता है।
यह छोटे मृग शाकहारी होते हैं।और कस्तूरी की वजह से इनका शिकार काफी अधिक मात्रा मे किया जाता है। इसकी वजह से इनकी आबादी मे काफी कमी आई है।
साइबेरियाई कस्तूरी मृग का प्रजनन तक पहुंचने मे एक साल का समय लगता है और यह लगभग 15 साल तक ही जिंदा रहते हैं। संबंध बनाने के लिए बहुत सारे नरों के अंदर प्रतिस्पर्धा होती है। और इसके लिए कई बार वे लड़ते भी देखे जा सकते हैं।
एक बार जब नर और मादा हिरण पैदा हो जाते हैं, तो मादा 6 महीने से अधिक समय तक गर्भवती हो जाएगी। मादाएं 1-3 संतानों को जन्म दे सकती हैं, आमतौर पर मई से जून के बीच।
साइबेरियाई कस्तूरी मृग आमतौर पर दिन के अंदर कम ही विचरण करते हैं यह निशाचर होते हैं।चीड़ की सुइयां, पत्ते और पेड़ की छाल आदि का यह सेवन करते हैं। इनको अपना खाना काफी आसानी से मिल जाता है।यह 2,600 मीटर की उंचाई पर यह देखने को मिलते हैं। इनका वजन 7 से 17 किलो के आस पास होता है।
The Anhui musk deer (Moschus anhuiensis)
यह मृग मुख्य रूप से चीन के अंदर देखने को मिलता है हालांकि इसके बारे मे ज्यादा जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है।
dwarf musk deer or Chinese forest musk deer Moschus berezovskii
दक्षिणी और मध्य के मूल निवासी चीन और उत्तरी वियतनाम के अंदर यह देखने को मिलता है।इसकी कुछ मान्यता प्राप्त उप प्रजातियां भी मौजूद हैं
- मोस्कस बेरेज़ोव्स्की बेरेज़ोव्स्की फ़्लेरोव, 1929
- मोस्कस बेरेज़ोवस्की बिजियांगेंसिस वांग एंड ली, 1993
- मोस्कस बेरेज़ोव्स्की काओबैंगिस दाओ, 1969
- मोस्कस बेरेज़ोवस्की यांगुएन्सिस वांग एंड मा, 1993
Black musk deer
यह भूटान , चीन , भारत , म्यांमार और नेपाल में पाया जाता है ।इसके सामने के पैर काफी विकसित और मोटे होते हैं। इसके कोई भी सींग नहीं होता है।और इसके अंदर नर और मादा समान आकार की होती हैं। इनका वजन 15 से 17 किलो के बीच होता है। काला कस्तूरी मृग निशाचर है । और यह एक नर दूसरे नर पर अपने दांत और अपने खुरों से हमला कर सकते हैं।
काले कस्तूरी मृग की संभोग अवधि नवंबर के अंत से दिसंबर तक शुरू होती है, जो लगभग एक महीने तक चलती है। और इसके अंदर एक ही नर कई मादाओं के साथ संभोग कर सकता है। दोस्तों कस्तूरी मृग को कस्तूरी के लिए मार दिया जाता है। हालांकि कृत्रिम कस्तूरी का जन्म हो चुका है लेकिन यह नैचुरल जैसी नहीं है।
कस्तूर मादाएं दो बच्चों को आमतौर पर जन्म देती हैं।और जब बच्चे का जन्म होता है तो उनका वजन 500 ग्राम के आस पास होता है। जन्म के बाद बच्चे की देखभाल मादाएं ही करती हैं। जब तक की वे दूध पीना नहीं छोड़ देते हैं। उसके बाद 6 महिने के हो जाते हैं तो अपने आप खाना सीख जाते हैं।
Alpine musk deer
अल्पाइन कस्तूरी मृग ( Moschus chrysogaster ) एक है हिरण कस्तूरी पूर्वी करने के लिए देशी प्रजातियों हिमालय में नेपाल , भूटान और भारत के हाइलैंड्स को तिब्बत के अंदर देखने को मिलता है। यह आमतौर पर 40 से 60 सेंटीमीटर लंबा होता है।यह एक जुगाली करने वाला जानवर होता है जोकि पतियों टहनियों और घास फूस का सेवन करता है।बंदी और जंगली कस्तूरी मृग दोनों संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, आक्रामक बातचीत में प्रदर्शित होते हैं। और कई बार इस लड़ाई के अंदर मौत तक हो जाती है।
1958 में, चीन में कस्तूरी मृग फार्म शुरू किए गए थे। और 1980 तक यहां पर 3000 से अधिक कस्तूरी मृग थे लेकिन इनमे से अधिक तर फार्म सफल नहीं हो पाए थे । इसका कारण यह है कि यह एक शर्मिली प्रजाती है और कैद मे प्रजनन करवाना आसान कार्य नहीं है। कैद के अंदर यह मात्र 4 साल तक ही जिंदा रहती है। वैसे यह 8 साल तक आसानी से जिंदा रह सकती है।
Kashmir musk deer
कश्मीर कस्तूरी मृग ( Moschus cupreus )यह प्रजाति भारत पाकिस्तान और नेपाल के अंदर देखने को मिलती है।अब इसे एक अलग प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। हिरण 60 सेमी (2.0 फीट) लंबा खड़ा होता है, और केवल पुरुषों के पास दांत होते हैं और वे मादाओं के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए संभोग के मौसम के दौरान उनका इस्तेमाल करते हैं।।
White-bellied musk deer
सफेद पेट वाले कस्तूरी मृग या हिमालय कस्तूरी मृग नेपाल ,भूटान चीन पाकिस्तान भारत के अंदर पाई जाती है। अधिक शिकार किये जाने की वजह से यह काफी गम्भीर संकटग्रस्त हो चुकी है।सफेद पेट वाले कस्तूरी मृग उच्च ऊंचाई के लिए बहुत अच्छी तरह से अनुकूलित हैं। इनके पास एक लंबे बालों का मोटा कोट होता है। और इनके दांत 4 इंच तक के होते हैं।इन हिरणों के शरीर का आकार स्टॉकी होता है; उनके पिछले पैर भी उनके छोटे, पतले अग्रपादों की तुलना में काफी लंबे और अधिक मांसल होते हैं। आपको बतादें कि नर के अंदर ही कस्तूरी होता है।जिसका प्रयोग मादा को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। और इसकी मदद से दवाएं और इत्र बनाया जाता है।
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