पारे जहर की जानकारी और पारे के प्रभाव mercury effect on body

पारे की खोज किसने की इस बात के तो कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसका प्रयोग काफी सालों पहले  मिस्त्र के मकबरों के अंदर की कई होगी। इसको चीन और हिंदुओं ने खोजा होगा ‌‌‌ऐसा माना जाता है कि जब यह लोग सोने और चांदी की खोज करने मे लगे थे तब इन्हें पारा धातु मिली थी।हांलाकि पारा धातु प्रक्रति के अंदर मुक्त रूप मे नहीं पाया जाता है।

‌‌‌वैसे पारा काफी जहरीला होता है लेकिन इसका प्रयोग ओषधियों को बनाने मे किया जाता है।ऐसी स्थिति के अदर यह शरीर के रोगों को दूर करने के काम आता है।

पारे जहर की जानकारी

By Bionerd – अपना काम, CC BY 3.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=4972709

‌‌‌यह तो थी पारे से जुड़ी कुछ बेसिक जानकारी। अब आते हैं कि प्राचिन समय मे किस तरह से पारे की वजह से अनेक लोग मौत के मुंह के अंदर चले गए।

‌‌‌और किस तरह से लोग पारे का प्रयोग अपने शत्रूओं का नाश करने मे करते थे

‌‌‌16 वीं शताब्दी के अंदर सम्राट एरिक 14 को उसके ही भाई ने ही पारा देकर मार डाला था।उसने ऐसा इतनी सफाई से किया की किसी को पता नहीं चल पाया ।हांलाकि उस समय के इतिहास कारों ने इस बात की शंका व्यक्त की थी।कि एरिक की हत्या पारे नामक जहर से हुई है।जिसकी पुष्टि अब के वैज्ञानिक शोधों के ‌‌‌अंदर हो चुकी है।

‌‌‌एक अन्य घटना के अनुसार रूस का एक राजा जार ईवान अपने अंतिम दिनों केअंदर काफी पागल हो गया था।इसकी वजह थी कि वह अपने जोड़ों के दर्द से नीजात  ‌‌‌पाने  लिए निरंतर पारे की मालिस करता था।वह इतना अधिक क्रोधित हो जाता था कि एक दिन तो क्रोधके अंदर आकर उसनेंअपने बेटे तक को मार दिया था ।

‌‌‌17 वी शताब्दी काराजा चार्ल्स 2 ने अपने महल केअंदर एक प्रयोग शाला बना रखी थी। उसके बारे मे यह कहा जाता है कि वह अपनी प्रयोगशाला के अंदर पारे से जुड़े प्रयोग करता था। लम्बे समय तक पारे के पास रहने से उसे अनेक रोगोंने  घेर लिया ।किंतु उसने अपना उपचार करवाने की काफी कोशिश की किंतु सफलता  ‌‌‌नहीं मिली और अंत मे उसे भी मरना पड़ा।

‌‌‌इतिहास के अंदर उल्लेख मिलता है कि चीन के सम्राट शीहुआंग ने काफी सालों पहले एक नगर बसाया था जिसके निरूपण मे पारे का बहुत अधिक प्रयोग हुआ था ।इस काम को करने मे लगभग 70 हजार मजदूरों की मौत पारे की विषाक्तता से हो गई थी।और चीन के सम्राट की मौत पारे की गोली सेवन करने से हो गई थी। यहां पर ‌‌‌तो आज भी खुदाई केअंदर पारे की अधिकता का पता चलता है।

‌‌‌पारे जहर से मौत की एक अन्य घटना सन 1956 के अंदर जापान केअंदर घटी थी। यहां पर एक कम्पनी ने प्लास्टिक सामग्री बनाने के लिए पारे के यौगिक का प्रयोग किया था ।और उसके कचरे को समुद्र केअंदर फेंक दिया गया। यह तब अकार्बनिक अवस्था केअंदर था लेकिन कुछ सूक्ष्म जीवों ने इसे कार्बनिक योगिक ‌‌‌के अंदर बदल दिया। यह पारा मछलियों से होते हुए इंसानों के शरीर तक पहुंच गए ।जिससे अनके लोग मारे गए ।और कई घम्भीर बिमारियों के शिकार हो गए।

‌‌‌पारे की खानों मे बिखरे रहते हैं नर कंकाल

सिनोबार एक पारेका अयस्क होता है।1550 ई केअंदर एक चिकित्सक ने  सिनोबार की खानों से जुड़े सच को उजागर किया था ।उसने बताया की पारे की खाने विनाशकारी विष पैदा करती हैं।और इसमे काम करने वाले मजदूर कम समय मे ही कालकलवित होजाते हैं।

‌‌‌उसने बताया कि सिनेबार की खानों केअंदर काम करने वाले कर्मचारी बुढापा ‌‌‌देख ही नहीं पाते हैं औरयदि कोई बुढापा देख भी लेता है तो वह गम्भीरबिमारियों की वजह से मरने की इच्छा करता है।इनके साथ ही कांच बनाने वाले मजदूरों का भी यही हाल होता है। वे लोग कांच बनाते बनाते या तोजवानी केअंदर ही मर जाते हैं। ‌‌‌और उनमे सेअधिकतर तो दमा और लकवा जैसे गम्भीर रोगों के शिकार हो जाते हैं।

पारे का प्रमुख अयस्क सिनोबार होता है।जिसका खनन चीन अमेरिका सर्बिया आदि देस करते हैं। हांलाकि अब तो काफी सेफटी उपलब्ध है लेकिन प्राचीन काल मे खनन काफी डेजर माना  जाता था।

‌‌‌इन खानों केअंदर काम करने वाले मजदूरों को काफी तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था ।उनके दांत धीरे धीरे गिरने लगते थे ।बाल झड़ने लग जाते थे। और मजदूर वहीं पर मौत के मुंह के अंदर चले जाते थे ।इन मरे हुए मजदूरों के कंकालआज भी जेराब शान की पहाड़ियों  के अंदर पाये जाते हैं।यह पहाड़िया‌‌‌ कजाकिस्तान के अंदर हैं।

‌‌‌कैसे इंसानों के शरीर के अंदर पहुंच रहा है पारा जहर

समुद्री मछली केअंदर पारा पाया जाताहै। इसको आहार के रूप मे ग्रहण करने वाले इंसानों के शरीर के अंदर पारा पहुंच जाता है।और नुकसान पहुंचाता है।

हांलाकि मछली केअतिरिक्त अन्य जीवों केअंदर भी पारा पाया जाता है।‌‌‌इन के अलावा दंत चिकित्सा के अंदर प्रयोग किये जाने वाली दवाओं की वजह से पारा इंसानों के शरीर मे पहुंच जाता है। और टूटे हुए थर्मोमिटर टयूबलाईट आदि के संपर्क मे आने से भी पारा हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है। पारा युक्त हवा के अंदर सांस लेने पर भी पारा शरीर मे पहुंच जाता है।

‌‌‌जापानी लोग व्हेल डाल्फिन जैसी मछली के अंदर पारे की मात्रा 20 प्रतिशत स्वीकार्य मात्रा से अधिक पाई जाती है। जब जापानी लोग इन मछलियों का सेवन करते हैं तो पारा इनके शरीर मे जाता है। और नुकसान पहुंचाता है।

‌‌‌इनके अलावा कल कारखानों के अंदर  से निकलने वाले धुंए की वजह से पारा वातावरण के अंदर मिल जाता है।

‌‌‌सोने की खानों मे काम करने वाले मजदूर भी पारे जैसे जहर के प्रभाव से ग्रस्ति होने का अधिक खतरा रहता है। इन खानों के अंदर काम करने वाले लोग दमा जैसे गम्भीर रोग से ग्रस्ति हो जाते हैं और अंत मे अकालन मौत का शिकार होना पड़ता है।

कितना पारा एक मानव को मारता है

कितना पारा एक मानव को मारता है

दोस्तों पारा मानव के शरीर के अंदर चला जाता है तो मानव की मौत हो सकती है। हम आपको उपर मर्करी का सैफ लेवल बता चुके हैं। लेकिन यदि कोई इंसान एक थर्मामिटर के पूरे पारे को खा जाता है तो उसकी मौत हो सकती है। या मौत होने के चांस बढ़ जाते हैं। ‌‌‌लेकिन यदि उसको समय पर उपचार मिल जाए या वह उल्टी करदे तो बच सकता है। आमतौर पर यदि कुछ पारा बोड़ी के अंदर बच जाता है तो उसको हमारी बोड़ी अवशोषित कर लेती है। लेकिन जब पारे की मात्रा अधिक हो जाती है तो फिर यह भयंकर नुकसान करती है। ‌‌‌और अधिकतर केस के अंदर थर्मामिटर के अंदर मौजूद पारे का सेवन करने से लोगों की मौत हो जाती है। कुछ लोग गलती से पारे का सेवन कर लेते हैं। उनको भी मौत के मुंह के अंदर जाना पड़ता है।

‌‌‌पारे की विषाक्तता

खाद्य के अंदर पारे की मात्रा होती है। और ही खाद्य पदार्थ जब हम खाते हैं तो पारा हमारे शरीर के अंदर पारा चला जाता है। जोकि गम्भीर लक्षण पैदा कर सकता है।‌‌‌आपको बतादें कि पारा एक खतरनाख धातु होती है। और जोकि थोड़ी थोड़ी लगभग रह पदार्थों के अंदर पाई जाती है। वैसे इस मात्रा का सुरक्षित माना जाता है।पारा कमरे के तापमान ‌‌‌एक तरल के रूप मे रहता है‌‌‌।यह आसानी से इसके चारों ओर हवा में वाष्पीकृत हो जाता है। ‌‌‌मर्करी या पारा औद्योगिक प्रक्रियाओं का एक उप-उत्पाद होता है, जैसे कि बिजली के लिए कोयला जलाना। वाष्पीकृत पारा बारिश मिट्टी और पानी में अपना रास्ता बना सकता है, जहां यह पौधों, जानवरों और मनुष्यों के लिए ‌‌‌बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

‌‌‌पारे की विषाक्तता
  • घबराहट या चिंता ‌‌‌हो सकती है।
  • चिड़चिड़ापन या मूड में बदलाव
  • सुन्न होना
  • याददाश्त की समस्या
  • डिप्रेशन
  • शारीरिक झटके ‌‌‌भी हो सकता है

‌‌‌उपर दिये गए लक्षण सबसे आम लक्षण हैं। और यदि पारे की मात्रा शरीर के अंदर अधिक हो जाती है तो फिर और अधिक लक्षण दिखाई देने लगते हैं। उनमे से कुछ लक्षण निम्न लिखित हैं।

  • मांसपेशी में कमज़ोरी ‌‌‌महसूस करना
  • मुंह में धातु का स्वाद ‌‌‌मतलब मुंह का स्वाद बिगड़ जाना।
  • मतली और उल्टी
  • हाथ, चेहरे या अन्य क्षेत्रों में महसूस करने में असमर्थता
  • दृष्टि, श्रवण, या भाषण में परिवर्तन
  • सांस लेने मे तकलीफ
  • चलने या सीधे खड़े होने में कठिनाई ‌‌‌का अनुभव करना

‌‌‌इसके अलावा यदि कोई बच्चा पारे का सेवन कर लेता है तो फिर उसके अंदर कुछ निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।

  • बिगड़ा हुआ मोटर कौशल
  • समस्याएँ सोचना या समस्या-समाधान ‌‌‌करने मे कठिनाई का अनुभव करना
  • भाषा बोलने या समझने में कठिनाई
  • हाथ से आँख समन्वय ‌‌‌की समस्या
  • शारीरिक रूप से अपने परिवेश ‌‌‌से अनजान बन जाना

‌‌‌मर्करी की विषाक्तता धीरे धीरे विकसित होती है। और यदि कोई इंसान लंबे समय तक पारे के संपर्क मे आता है । तो उसके बाद मर्करी उसके शरीर पर इफेक्ट करने लग जाती है। और अंत मे कई भयंकर बीमारियां उसे हो जाती हैं।

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अधिक पारा खाने से क्या होता है? मर्करी खाने के नुकसान

‌‌‌दोस्तों यदि कोई अधिक मात्रा के अंदर पारे का सेवन कर लेता है तो उसके साथ कई  गम्भीर समस्याएं हो सकती हैं। और इनकी वजह से उसकी मौत तक हो सकती है।

न्यूरोलॉजिकल क्षति होना

दोस्तों मर्करी यदि आप गलती से खा जाते हैं। और यदि मर्करी की मात्रा काफी अधिक होती है तो कई प्रकार के डेंजर प्रभाव हो सकते हैं। ‌‌‌पारे या मर्करी खाने से आपको दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल क्षति का सामना करना पड़ सकता है। और खास कर इसका असर उन बच्चों पर अधिक होता है जोकि अभी विकसित हो रहे हैं। जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ में एक अध्ययन में कहा गया है कि पारा की विषाक्तता की वजह से कई ऐसे लोग भी सामने आएं हैं। जिनको दीर्घकालिक तंत्रिका क्षति हुई है। ‌‌‌दीर्घकालिक क्षति के अंदर निम्न लिखित समस्याएं हो सकती हैं।

  • कम बुद्धि मतलब बुद्वि सही तरीके से काम ना कर पाना
  • धीमी सजगता
  • क्षतिग्रस्त मोटर कौशल
  • पक्षाघात भी हो सकता है।
  • सुन्न होने की समस्या
  • स्मृति और एकाग्रता के साथ समस्याएं हो सकती हैं।
  • एडीएचडी के लक्षण पैदा हो सकते हैं।

‌‌‌प्रजनन क्षमता पर बुरा असर

‌‌‌मर्करी के सेवन से प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।इससे स्पर्म काउंट कम हो सकता है और भ्रूण समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।इसके अलावा संभावनाओं के अंदर भ्रूण की विकृति  हो जाना और जन्म के बाद नवजात शिशु के विकास और आकार में समस्या होना आदि।

‌‌‌हर्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं

‌‌‌मर्करी शरीर के अंदर मुक्त कणों को बढ़ावा देने का काम करता है।ऐसा करने से कोशिकाओं के अंदर नुकसान होता है।जिससे दिल का दौरा और कोरोनरी रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

What is safe level of mercury

0.47micro gram/kg/day ‌‌‌मर्करीया पारे का हूमेनबोड़ी केअंदर सबसे अधिक सैफ लेवल है।हांलाकि 1996  रिसर्च के अनुसार  0.1 microgram बोड़ी के पर किलों केहिसाब से होना चाहिए। यदि इस लेवल से अधिक पारा हमारी बोड़ी केअंदर जाता है तो वह हमे किसी न किसी प्रकार से नुकसान ही पहुंचाता है।

थर्मामीटर का पारा मृत्यु हो सकती है

हां पारा वाले थर्मामीटर से मौत हो सकती है। आपको बतादें कि पारा वाला थर्मामीटर 140 से अधिक देशों के अंदर बैन है। यदि आप भी पारे वाले थर्मामीटर का यूज कर रहे हैं , तो फिर आपको और अधिक सावधान हो जाने की जरूरत हो सकती है। क्योंकि मान लिजिए यह आप से गलती से टूट जाता है , तो फिर क्या होगा ? असल मे पारा आपकी सांसों के साथ फेफड़ो के अंदर जा सकता है। और उसके बाद आपकी मौत हो सकती है। इसलिए आपको सावधानी बरतने की जरूरत हो सकती है।

थर्मामीटर वाले पारे का प्रयोग कुछ लोग सुसाइड के रूप मे भी करने का काम करते हैं। वे इसको खा लेते हैं। जिसकी वजह से उनकी मौत होना तय होती है।यदि पारा किसी इंसान के पेट के अंदर चला जाता है , तो उसके बाद उल्टी होना शूरू हो जाती है। और पेट दर्द होने लग जाता है।

पारा खाने पर उपचार

यदि कोई इंसान पारा को खा लेता है। तो इसके लिए कुछ उपचार को किया जा सकता है। यदि हम पारे के लक्षणों के बारे मे बात करें , तो इसका पता लगाना काफी कठिन होता है। उपर पारा के जो लक्षण दिये गए हैं । वह किसी और बीमारी की वजह से भी विकसित हो सकते हैं। फिर भी यदि आप पारा के संपर्क मे आएं हैं

,तो फिर आपको एक बार अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए । ताकि आपका डॉक्टर आपका कुछ उपचार कर सके ।

जब पारा विषाक्तता होती है , तो सबसे पहले आपका ब्लड टेस्ट किया जाता है। और उसकी मदद से यह पता चल जाता है , कि आपके शरीर के अंदर किसी भी तरह की पारा विषाक्तता तो नहीं है। क्योंकि पारा लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर जमने लग जाता है। और रक्त जांच से इसका पता चल सकता है।

स्टूल टेस्ट की मदद से भी पारे की विषाक्तता का पता लगाया जा सकता है। क्योंकि पारा जो होता है , वह आपके मल मे आ सकता है। यह सबसे अधिक पाचनतंत्र को प्रभावित करता है।

एमआरआई स्कैन  की मदद से यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है , कि कहीं पारा दिमाग तक तो नहीं पहुंचा है। यदि यह दिमाग तक पहुंच गया है , तो इसकी वजह से आपके दिमाग को भी क्षति हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

इसके अलावा पारा का शरीर के अंदर होने के बारे मे पता लगाने के लिए एक्सरे का प्रयोग किया जाता है। और एक्सरे की मदद से पता चलता है। यदि बैट्री आदि के फटने या फिर थार्मा​मीटर के टूटने से यदि पारा शरीर के अंदर चला गया है , तो एक्सरे का प्रयोग करना चाहिए ।

पारा की विषाक्तता का इलाज करना

दोस्तों आपको बतादें कि पारा की विषाक्तता का इलाज करना इतना आसान कार्य नहीं होता है।यदि पारा की वजह से किसी शरीर के अंग की क्षति हुई है , तो उसके बाद उस अंग को फिर से सही नहीं किया जा सकता है।

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This Post Has 21 Comments

  1. Sachin

    Plz call me sir 9914631147

  2. Surya

    Sir para khane k bad yadi ulti ho jaye to Kya pare ka asar kam ho jata h ya Fir bilkul khatm ho jata h,,,, isse bachane k liye Kya krna chahiye….. Tell me soon sir

  3. Babllu

    Kya para peene Kae bad ASR hone m mahino or salon ka Samy bhi lgta h sir ji?

  4. Rajsingh

    Pansari ka para or tharmamiter ka para alg2 hota h kya

  5. shankar

    ‌‌‌पारे का असर गुप्त तरीके से होता है। लेकिन यदि पारा कम लिया है तो उसके असर का पता नहीं चलेगा । और यह लंबा समय ले सकता है लेकिन ऐसी स्थिति मे वैसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

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arif khan

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