पूतना के बारे मे वैसे कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। फिर भी यह माना जाता है कि पूतना कंस की दासी थी । पूतना को कृष्ण को मारने के लिए गोकुल भेजा गया था । कहीं पर उसके बारे मे यह उल्लेख मिलता है कि वह कंस की बहन है तो कहीं पर उसे घटोदर राक्षस की पत्नी बताया गया है। एक अन्य पुराण के अनुसार पूतना को कंस की पत्नी की सखी भी बताया गया है।
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कौन थी पूतना ?
एक अन्य कथा के अनुसार कालीभीरू तपस्वी की पुत्री चारूमती थी । उसके पिता ने उसका विवाह काक्षिवन तपस्वी के साथ कर दिया । एक बार जब काक्षिवन कहीं गए थे । तो उसने किसी शुद्र के साथ संबंध स्थापित कर लिया जब तपस्वी पति को पता चला तो उसे राक्षसी बन जाने का शाप दे दिया । उसके बाद बहुत विनय करने के बाद तपस्वी ने उसे कृष्ण के द्वारा मुक्त होने का आश्वासन दिया ।
पूतना के जन्म का रहस्य
पूतना के एक पूर्व जन्म की कथा के अनुसार पूतना कोई साधारण महिला नहीं थी । वह एक राजा की पुत्री थी जिसका नाम रत्नमाला था । यह बात उस समय की है। जब राजाबली का वैभव चरम पर था । रत्नमाला उसकी पुत्री थी ।जब राजा बली यज्ञ करवा रहे थे । तो भगवान वामन ने बालक के रूप मे प्रवेश किया जिसको देखकर रत्नमाला के मन मैं विचार पैदा हुआ कि काश उनका ऐसा पुत्र होता तो वह उसे दूध पिलाकर ममता का आनन्द लेती । भगवान ने तथास्तु कह दिया ।
जब वामन ने उसक पिता को हरा दिया । तीन पैर भूमी मांग कर तो रत्नमाला को अच्छा नहीं लगा और उसके मन मे विचार आया कि ऐसे पुत्र को तो वह जहर देकर मार देती । भगवान ने उसको तथास्तु कह दिया और
द्वापर युग के अंदर उसका पूतना के रूप मे जन्म हुआ था। जो बाद मे भगवान के हाथों जन्म मरण के कुचक्र से मुक्त हो सकी ।
पूतना का ब्रज के अंदर भेजा जाना
कंस हर हाल के अंदर कंस को मार देना चाहता था । इसके लिए सबसे पहले उसने पूतना को भगवान कृष्ण को मारने के लिए भेंजा पूतना सिधे गोकुल पहुंच गई । और नन्द के महल मे प्रवेश कर गई ।उसे देखकर कोई यह कह नहीं सकता था कि वह राक्षसी है। वह काफी सुंदर रूप के अंदर थी ।उसने यशोदा और रोहिणी को मोहित कर लिया । और भगवान को दूध पिलाने लगी । इस दौरान यशोदा ने भी उसको टोका नहीं ।
पूतना का वध
पूतना के स्तनों के अंदर विष लगा हुआ था । अंतर्यामी भगवान सब कुछ जान चुके थे। उन्हें क्रोध आया और पूतना का कुच थाम कर दुग्ध पिने लगे । जिसकी वजह से पूतना को भयंकर पीड़ा होने लगी । और वह जोर जोर से चिल्लाने लगी । लेकिन भगवान ने उसकी एक भी नहीं सुनी । उसकी आंखे फट गई। और सारा शरीर पीने से लतफत हो गया । और वह दर्द से जोर जोर से चिल्लाने लगी । उसकी चिल्लाहट इतनी तेज थी की पूरा आकाश और पाताल भी गूंज उठा ।
पूतना के स्तनों के अंदर पीड़ा होने लगी तो वह अपने असली रूप के अंदर आ गई। उसके प्राण निकल गए । पूतना व्रज के समान जमीन पर गिर पड़ी । उसकी आंखे बाहर निकल चुकी थी । उसका शरीर बहुत बड़ा था । जब वह जमीन पर गिरी तो लगा जैसे आसमान टूट कर गिर रहा हो ।पूतना के स्तन काफी बड़े थे । जैसे पहाड़ के टूकड़े हों ।उसके नथुने पहाड़ की गुफा के समान थे ।
उसकी चिल्लाहट सुनकर ग्वाल और गोपी तो पहले ही डर चुके थे । जब गोपियों ने देखाकी बालक श्रीकृष्ण उनकी छाती पर निर्भय होकर खेल रहे हैं। तब वे तेजी से गई और श्रीकृष्ण को वहां से अलग किया ।
This post was last modified on November 4, 2018