खारे पानी का मगरमच्छ या एस्टूएराइन क्रोकोडाइल के काफी बड़े सिरिसप्र हैं। यह भारत ऐशिया और उत्तरी आस्ट्रेलिया के अंदर पाया जाता है। मगरमच्छ दुनिया काफी खतरनाख जानवर है। हम आपको मगरमच्छ की रोचक जानकारी और उसकी पुरी हिस्ट्री बताने वाले हैं। यदि आप मगरमच्छ के बारे मे अच्छे से जानना चाहते हैं तो इस लेख पूरा पढ़ें ।
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार मगरमच्छ 24 करोड़ साल पहले भी धरती पर पाये जाते थे । इतने साल बीत जाने के बाद भी मगरमच्छों की प्रजाति धरती से गायब नहीं हुए हैं।
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मगरमच्छ की शारिरिक संरचना
Body structure of Alligator
खारे पानी के अंदर रहने वाले मगरमच्छ की थुथन अधिक लंबी होती है। खारे पानी के मगरमच्छ के गर्दन पर प्लेटों की संख्या कम होती है। जो इस मान्यता को जन्म देता है कि मगरमच्छ ऐलिगेटर होता है।खारे पानी के अंदर रहने वाले मगरमच्छ का वजन 800 से 1000 किलोग्राम होता है। इनकी लम्बाई 4 मिटर से 5 मिटर होती है। लेकिन कुछ मगर मच्छ की लम्बाई 6 मिटर तक होती है। और वजन 1300 किलोग्राम होता है।इस प्रजाति के अंदर मादा छोटे आकार की होती है। 7 से 11 फीट तक हो सकती है।
अब तक सबसे बड़ी मादा 4.2 मिटर और 450 किलोग्राम वजन की दर्ज की गई है।मगर मच्छ कें शिकार को कम किये जाने की वजह से आज भी 7 मिटर की लम्बाई वाले मगरमच्छ आज भी जीवित हैं। यह मगरमच्छ भारत के उड़ीसा राज्य में भीतरकनिका पार्क में रहता है हालांकि इनकी लम्बाई का सटीकता से अनुमान नहीं लगाया जा सकता ।
मगरमच्छ के शरीर पर वैसे कोई खाल नहीं होती है। वरन इनके शरीर पर एक विशेष किस्म की कठोर परत होती है। जो इनकी सुरक्षा करने मे मददगार होती है। इस कठोर परत पर किसी भी तरह का हमला आसानी से बे असर हो जाता है। मगरमच्छ के जबड़े के अंदर 80 दांत होते हैं। और उनकी आंखे रात के अंदर चमकती रहती हैं।वे अपनी जीभ को कभी बाहर नहीं निकाल सकते ।
कहां कहां पाये जाते हैं मगरमच्छ Where are the Alligator found
भारत के अंदर खारे पानी के मगरमच्छ भी पाये जाते हैं। यह भारत के अंदर इनकी तीन प्रजातियों के अतिरिक्त हैं।यह भारत के पूर्वी तट और भारतिय उपमहाद्विप के अंदर भी पाये जाते हैं।उड़ीसा के भीतरकनिका अभियारण के अंदर व कुछ बंग्लादेस के अंदर भी पाये जाते हैं। उत्तर क्षेत्री तट में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ब्रूम से लेकर क्वीन्सलैंड में नीचे रॉकहैम्प्टन तक रहते है।ताजे पानी के मगरमच्छ उतरी क्षेत्र के अंदर भी पाये जाते हैं।इसके अलावा मगरमच्छ कई सारे बिस्मार्क द्वीपसमूह, काई द्वीप, और तिमोरआरू द्वीप, मालुकु द्वीप क्षेत्र में आने वाले द्वीपों और टोरेस स्ट्रेट द्वीपसमूह के अंदर भी पाये जाते हैं। दक्षिण पूर्व ऐसिया के अंदर यह विलुपप्त हो चुके हैं।
म्यांमार इंडोचाइना एक ऐसी जगह है जहां पर काफी संख्या के अंदर मगरमच्छ पाये जाते हैं।
मगरमच्छ लंबी दूरी की यात्रा करने के शौकीन Alligator travels long distance
मगरमच्छ लम्बी दूरी की यात्रा करते हैं। यह 1000 मील की यात्रा करते हुए कई बार ऐसे स्थान पर देखे गए हैं जहां के यह स्थानिय निवासी नहीं हैं। जापान के उदासीन समुद्र के अंदर भी इनको देखा गया है। सन 2009 के अंदर । खारे पानी के मगरमच्छ दलदल और नम मोसम के अंदर रहते हैं। इनको साफ पानी के अंदर जाने के लिए वहां के मगरमच्छों से खूब प्रतिस्पर्धा करनी होती है। कुछ छोटे मगरमच्छ बड़े मगरमच्छों के डर की वजह से कई बार अपना स्थान छोड़ने को भी विवश हो जाते हैं।
मगरमच्छ का शिकार Crocodile hunting
यह इनके क्षेत्र के अंदर प्रवेश करने वाले किसी भी जानवर को शिकार बना सकते हैं। यह मनुष्य तक पर हमला कर सकते हैं। हालांकि छोटे मोटे जानवर का यह शिकार नहीं करते हैं। मनुष्य, पानी की भैंस, गौर, चमगादड़ और यहां तक कि शार्क बन्दर, कंगारू, जंगली सूअर, डिंगो, गोआना, पक्षी, घरेलू पशु, पालतू जानवर, को यह अपने दांतों के बीच दबाकर मार डालते हैं। कितना भी ताकतवर जानवर क्यों ना हो यह उसे आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं। वैसे मगरमच्छ ठंडे खून वाले जानवर हैं। वै शिकार को निगलते हैं। उसे चबाते नहीं हैं। उनके शरीर के अंदर पाचन शक्ति भी काफी तेज होती है।जो किसी भी जानवर की हडियों तक को आसानी से पचा लेती है।
मगरमच्छ शिकार कैसे करते हैं ? How do crocodile hunting?
खारे पानी के मगरमच्छ दिन के अंदर मटरगस्ती करते हैं धूप सेकते हैं और रात के अंदर शिकार करते हैं। यह कई दिनों तक भोजन किये बिना भी जीवित रह सकते हैं। यह आमतौर पर इंतजार करते हैं ताकि जानवर पानी के अंदर आ जाए । उसके बाद अपनी पूरी ताकत लगाकर शिकार पर हमला कर
कर देते हैं। अधिकतर जानवर इनके जबड़े के दबाव मे आकर ही मर जाते हैं। इनकी शिकार तकनीक को डेथ रोल कहा जाता है। इस तकीनक का प्रयोग यह चमड़ी को फाड़ने के लिए भी करते हैं। हालांकि छोटे खारे पानी के मगर मच्छ शिकारी मच्छली और अन्य जानवरों के शिकार हो सकते हैं।
मगरमच्छ की उम्र Age of crocodile
मगरमच्छ की उम्र मापना अविश्वसनीय है, हालांकि उचित अनुमान प्राप्त करने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। सबसे आम तरीका हड्डियों और दांतों में लैमेलर विकास के छल्ले को मापना हैसभी मगरमच्छ प्रजातियों में कम से कम 30-40 साल की औसत आयु होती है, और 60-70 साल की बड़ी प्रजातियों के मामले में। सबसे पुराना मगरमच्छ सी। पोरोसस औसत पर लगभग 70 वर्षों तक रहने का अनुमान है, जिसमें कुछ मगरमच्छ के 100 साल से अधिक सीमित सबूत हैं येकाटरिनबर्ग में एक रूसी चिड़ियाघर में 110-115 साल की अनुमानित आयु में एक पुरुष मगरमच्छ रहता था।
मगरमच्छ के अंड़े Crocodile eggs
मगरमच्छ बच्चे नहीं देता है। वरन अंडे देता है। आमतौर पर मादा रेत के अंदर एक बिल मे अंडे देती है। मादा लगभग 95 अंडे देती है। लेकिन बहुत कम अंडे सुरक्षित बच पाते हैं। अधिकतर अंड़ों को दूसरे जानवर नष्ट कर देते हैं।मगरमच्छ संभोग पानी के अंदर ही करते हैं। इनकी एक और खास बात है कि मगरमच्छ का लिंग तापमान से निर्धारित होता है। 30 डिग्री से कम तापमान होने पर बच्चे मादा होते हैं।31 डिग्री सैल्सिियस पर बच्चा दोनों लिंगो के अंदर हो सकता है।32 से 33 डिग्री के उपर बच्चा नर होता है।
इंसानों पर हमला Attack on humans
19फरवरी 1945 को जब जापानी सेनिक रामरी द्वीप की लड़ाई से लौट रहे थे उस समय मगरमच्छों ने उनपर हमला कर दिया और हजारों की संख्या के अंदर सैनिक मारे गए थे । ब्रिटिस सैना ने उनको घेर रखा था। यह घटना मैग्रोव के अंदर हुई थी । जिसको गीनज बुक के अंदर दर्ज किया द ग्रेटेस्ट डिसास्टर सफर्ड फ्रॉम एनिमल्स नाम से
मगरमच्छ का जबड़े Crocodile jaw
मगरमच्छ के जबड़े भी काफी कमाल के होते हैं। वे शेर की तुलना मे काफी तेज से काट सकता है। कोई भी जीव जो बड़े से बड़ा हो मगरमच्छ के जबड़े के नीचे आ जाने से तुरन्त ही लुढ़क जाता है। इतना बड़ा जबड़ा होने के बाद भी मगरमच्छ अपने जबड़े के अंदर छोटी से छोटी चीजों को महसूस कर सकता है। मगरमच्छ के जबड़े के अंदर हजारों की तादाद के अंदर नसें होती हैं। जो उसके दिमाग से निकलती हैं। और वे जबड़े के अंदर क्या है। इसकी सूचना दिमाग तक पहुंचाते हैं। इसी वजह से मादा मगरमच्छ अपने बच्चों को सुरक्षित रखती है।
मगरमच्छ आंसू क्यों बहाते हैं ? Why do crocodile tears shed?
बहुत से लोगों को नहीं पता की मगरमच्छ वास्तव मे आंसू क्यों बहाते हैं। उनको लगता है कि मगरमच्छ रोतें हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। जब मगरमच्छ किसी जीव को खाते हैं तो शरीर के अंदर से किसी द्रव्यों का स्त्राव होता है। अतिरिक्त लवणों को बाहर निकालना भी जरूरी होता है। जिनको वे आंखों से बाहर निकालते हैं।