दोस्तों मन के बारे मे तो बहुत से लोग जानते होंगे । अक्सर मन को लोग mind के रूप मे देखते हैं। जबकि यह बात जब किसी धर्म गुरू से आप पूछेंगे तो वह आपको बताएगा कि मन का कनेक्सन हमारी आत्मा के साथ होता है। विकिपिडिया के अनुसार मन कल्पना करने ,समझने की शक्ति का नाम है। लेकिन विकिपिडया और भी बहुत से लेखक और वैज्ञानिक अभी भी पूरी तरह से मन को डिफाइन नहीं कर सके हैं। दोस्तों मनोविज्ञान आज भी मन को दिमाग का एक दूसरा नाम मानता है। लेकिन वास्तव मे यह सच नहीं है। कल्पना करने की ताकत दिमाग के पास होती है। सीखने की क्षमता दिमाग के पास होती है।
सूचनाओं को प्रोसेस करने की क्षमता भी दिमाग के पास ही होती है। लेकिन मन और दिमाग के अंदर काफी बड़ भेद होता है। सबसे अच्छे शब्दों के अंदर यह जाने की मन क्या होता है ? तो हम आपको बतादें कि अपके कम्पयूटर के अंदर दो चीजे होती हैं। एक हार्डवयर और दूसरा होता है software । हार्डवेयर के अंदर हार्डडिस्क सीडी रोम रैम वैगरह आते हैं। जबकि software एक प्रोग्राम होता है। या कह सकते हैं कि वह एक सूचनाओं का संग्रह होंता है।
कम्प्यूटर को गलत और सही के बारे मे एक प्रोग्राम ही बताता है। आप प्रोग्राम और हार्डवेयर दोनों को एक ही शब्द के अंदर नहीं रख सकते हैं। ठीक उसी तरह से इंसान के दिमाग के अंदर होता है। लेकिन यहां पर कोई अच्छी थ्योरी नहीं होने की वजह से कन्फूजन बढ़ जाता है। आपके दिमाग के विभिन्न भाग कम्यूटर के हार्डवेयर की भांति होते हैं। जो सूचनाओं का प्रोसेस करते हैं। और सुचनाएं software की तरह होती है। कहने का मतलब है। मन हमारे दिमाग के अंदर मौजूद सूचनाएं होती हैं। न की हमारा दिमाग ही मन होता है। हमारे दिमाग के पास जो इलेक्ट्रीक सिग्नल भेजा जाता है। वह ही हमारा मन होता है।
वैसे नेट पर आप यह सर्च करेंगे कि मन क्या होता है ? तो आपको अनेक तरह की बाते मिल जाएगी । लेकिन उनमे से कोई भी बात आपको समझ मे नहीं आएगी । जिसका उपयोग करके आप मन को अच्छे से जान सके । नीचे हम मन से जुड़ी कुछ बाते बता रहे हैं।
मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते हैं जोकि इंसान को चिंतन शक्ति, स्मरण-शक्ति, निर्णय शक्ति, बुद्धि, भाव, इंद्रियाग्राह्यता, एकाग्रता, व्यवहार, परिज्ञान (अंतर्दृष्टि), आदि के अंदर सक्षम बनाने का काम करता है।
मन के कई प्रकार बताए गए हैं। जिसके बारे मे भी हम आपको बताने का प्रयास करते हैं।
सचेतन: यह मन का लगभग दसवां हिस्सा होता है, इसके अंदर देनिक कार्यो के बारे मे जानकारी रहती है। जैसे कि आज आपने क्या किया कल आप क्या करेंगे । मतलब सारी वर्तमान की बातें याद रहती हैं।
अचेतन: यह मन का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके कार्य के बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं रहती। यह मन का वह हिस्सा होता है , जोकि इंसान की स्वस्थ और अस्वस्थ चीजों पर प्रभाव डालता है। जैसे कि इंसान की यौन इच्छाएं अंदर दबी रहती हैं। और बाद मे यह किसी ना किसी रूप मे प्रकट होती हैं। यदि यह लंबे समय तक दबी रहती हैं । तो मनोरोग का रूप ले सकती हैं।
अर्धचेतन या पूर्वचेतन: यह मन के सचेतन तथा अचेतन के बीच का हिस्सा है, मतलब ऐसी कोई याद जो आपके अंदर छुपी हुई है। मगर आपको अभी याद नहीं आ रही है। कुछ समय बाद यह यादें आपके दिमाग के अंदर आ जाएगी ।
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1.man kya hota hai मन भागता क्यों है ?
आपके दिमाग के अंदर यह प्रश्न कई बार आया होगा कि मन भागता क्यों है ? वह एक जगह पर टिकता क्यों नहीं है ? बहुत से लोगों को यह समझ मे नहीं आता है कि यह सब क्यों होता है ? बस इसी वजह से वे अपने मन को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं।
दोस्तों हमारा मन पॉवर फुल मन के सिद्वांत पर कार्य करता है। यह ठीक उसी तरह से होता है। जैसे बहुत से लोग एक तरफ और कुछ पॉवर फुल लोग एक तरह तो जीत हमेशा से ही पॉवर फुल लोगो की ही होती है। ठीक उसी तरीके से हमारे दिमाग मे दो तरह की सूचनाएं हो जाती हैं। एक वे जो एक तरफ होती हैं और दूसरी वे जो दूसरी तरफ होती हैं। जो सूचनाएं ज्यादा पॉवर फुल होती हैं। मतलब ज्यादा पॉजिटिव प्रभाव देने की क्षमता रखती हैं। मन उन्हीं की तरफ चला जाता है। यह नैचुरल है मतलब हमारी बोड़ी को बनाने वाले ने इस प्रकार से सेट किया है कि वह पॉजिटिव चीजों की तरफ जाए ।
यदि ऐसा नहीं होता तो इंसान का अस्तित्व खत्म हो जाता । आइए इन चीजों को एक सरल उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लिजिए आप अपने कमरे के अंदर आराम से बैठे हैं। अचानक से आपके दिमाग के अंदर विचार आता है कि ऐसे बैठे रहने से अच्छा है पढ़ लेते हैं। उसके बाद आप पढ़ने लग जाते हैं। उसके कुछ समय बाद आपके दिमाग मे विचार आता है कि पढ़ना बोरिंग है चलो फेसबुक चला लेते हैं। उसके कुछ समय बाद आपकी गर्लफ्रेंड का फोन आ जाता है तो आप उससे मिलने चले जाते हैं।
इस उदाहरण के अंदर आपने देखा कि जैसे जैसे पॉजिटिव प्रभाव अधिक हो रहा है वैसे वैसे आपका मन उस काम को करने का करता है। मतलब की आपका मन पॉजिटिव प्रभावों की अधिकता को पाने के लिए दौड़ता है।
यह एक कंडिशन है जब आपका मन अधिक पॉजिटिव प्रभावों की वजह से दौड़ता है। वहीं दूसरी ऐसी कंडीशन भी होती हैं जब वह नगेटिव प्रभावों को कम करने के लिए और पॉजिटिव प्रभावों को बढ़ाने के लिए दौड़ता है।
उदाहरण के लिए एक लड़का अपनी किसी गर्लफ्रेंड के साथ है और उसे यहां पर सबसे ज्यादा आनन्द आ रहा है। अचानक उसे उसके घरवालों का फोन आता है और उसे बोला जाता है कि उसके पिता बिमार हैं। ऐसी स्थिति के अंदर गर्लफ्रेंड का पॉजिटिव प्रभाव नगेटिव प्रभाव को दबा देता है तो लड़का तुरन्त घर को जाता है।
2. मन क्या होता है ? कभी कभी दिमाग मे एक ही विचार बार बार क्यों आने लगता है ?
कभी कभी क्या होता है कि एक ही विचार बार बार आता है। और हम चाह कर भी उसे कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। यह ठीक वैसा ही है यदि आप गाड़ी सड़क पर चला रहे हैं और अचानक से गाड़ी के ब्रेक फैल हो जाएं तो क्या आप गाड़ी को रोक पाएंगे ? ठीक उसी तरीके से जो विचार बार बार आता है उसको नियंत्रित करने वाले दूसरे विचार अनुपलब्ध होते हैं या फिर वे उतने पॉवर फुल नहीं होते हैं। इस वजह से ऐसा होता है।
3.एक इंसान के पास कितने मन होते हैं ?
दोस्तों यह बताना मुश्किल है कि एक इंसान के पास कितने मन होते हैं। लेकिन ऐसा का जा सकता है कि सूचनाओं का एक समूह जो एक दिशा के अंदर कार्य करता है वह एक मन होता है। ध्यानदें हम मन का अर्थ यहां पर सूचनाओं से ले रहे हैं दिमाग से नहीं । सूचनाओं के इन समूहों के अंदर बदलाव होते रहते हैं। और इन बदलाओं के अंदर कुछ सूचनाओं का जुड़ जाना और कुछ सूचनाओं का कम हो जाना । जैसे राजनीति के अंदर पार्टी का बदलना होता है।
4.मन को शुद्व करने का मतलब क्या है ?
दोस्तों मन को शुद्व करने के लिए वैसे तो लोग कई तरीके अपनाते हैं। जैसे सतसंग जाते हैं। अच्छे काम करते हैं। अच्छा सीखते हैं। लेकिन इन सब का एक ही मतलब होता है हमारे दिमाग के अंदर जो बूरी सूचनाएं प्रभावी होती हैं उनको किसी तरीके से दबादें । जिससे वे हमारे दिमाग के अंदर प्रभावी नहीं होगी और हम कुछ गलत करने से बचे रहेंगे । मन शुद्व करने का यह अर्थ नहीं है कि आप उन सूचनाओं को दिमाग से निकालदें । क्योंकि सूचनाओं को दिमाग से कोई नहीं निकाल सकता है।
जैसे एक अपराधी को रस्सी से इसलिए बांधा जाता है कि वह भाग न सके ठीक उसी तरह से बुरे मन को अच्छे मन की मदद से मतलब अच्छे विचारों की मदद से बुरे विचारों को दबाया जाता है। यही मन को शुद्व करना होता है।
5.क्या रूचि क्या होती है ? क्या इसे पैदा किया जा सकता है
दोस्तों रूचि एक ऐसी चीज है जिसकी मदद से इंसान सफल हो सकता है। बहुत से लोग पढ़ना चाहते हैं लेकिन रूचि नहीं है। क्या आप जानते हैं रूचि का मतलब क्या होता है। रूचि का अर्थ है कि किसी मन के प्रभाव की अधिकता का अधिकतम समय तक टिकना । मतलब आपके दिमाग के अंदर विचार जो काम करने से जुड़ा हो या काम करने का विचार हो उसका टिकना आपकी रूचि है। एक तरह से कहें तो आपके मन की किसी काम पर स्थिरता आपकी रूचि होती है। यदि आप मन की स्थिरता को बढ़ा देते हैं तो आप रूचि को पैदा कर सकते हैं। यदि आपका मन कम समय तक किसी वर्क पर टिकता है तो आपकी रूचि कम होगी और अधिक समय तक टिकता है तो आपकी रूचि अधिक होगी ।
6. मन क्या होता है ? मन की एकाग्रता कैसे बढ़ा सकते हैं
दोस्तों मन की एकाग्रता का मतलब है दिमाग का एक ही कार्य पर स्थिर रहना । आप मन की एकाग्रता बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप जिस वर्क के अंदर मन की एकाग्रता को बढ़ाना चाहते हैं। उसके पॉजिटिव प्रभावों को बढ़ाएं और जो दूसरे प्रभाव इसमे बाधा पैदा कर रहे हैं। उनके अंदर नगेटिव प्रभावों के अंश जोड़े । उदाहरण के लिए एक लड़के का मन पढ़ने मे नहीं लग रहा था। उसे खेलना और टीवी देखना ज्यादा पसंद था। उसे अपने कैरियर की चिंता थी । मन को लगाने के लिए उसने टीवी को बेच दिया और खेलना बंद करने के लिए वह उस जगह को छोड़कर ऐसी जगह पर चला गया जहां पर उसके कोई दोस्त नहीं थे । इस तरह से उसने दोनों ही विचारों को खत्म कर दिया ।
7.इंसान के मन की मदद से हर बुराई को खत्म किया जा सकता है ?
दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसी भी बुराई का कारण इंसान का मन होता है। यदि आपके दिमाग के अंदर बुरे विचार प्रभावी हैं तो आप 100 प्रतिशत बुरा करेंगे । आपने क्या कभी इस बात पर सोचा है । आप रोज टीवी के अंदर अखबारों के अंदर पढ़ते हैं कि अमुख व्यक्ति ने किसी को मार दिया या काट दिया । लेकिन क्या आपने यह नहीं सोचा की कुछ लोग ही बुरे क्यों होते हैं ? तो दोस्तों इसका एक ही उत्तर है उनके अंदर बुरे प्रभाव प्रभावी होते हैं। इस वजह से वे बुरा करते हैं।
जबकि अच्छे लोगों के अंदर अच्छे प्रभाव प्रभावी होते हैं जोकि उन्हें कुछ हदतक बुरा करने से रोकते हैं। यदि किसी तरह से बुरे लोगों के अंदर अच्छे प्रभावों को प्रभावी कर दिया जाए और समय समय पर हर इंसान के दिमाग को चैक किया जाए तो दुनिया के अंदर इतनी अमन और शांति कायम हो जाएगी कि हमने वैसा आज तक कहीं पर नहीं देखा होगा ।
मतलब इंसान के बुरे विचार जो प्रभावी होते हैं वो बुरा काम करवाते हैं । यदि वे नष्ट हो जाएं तो इंसान बुरा कर ही नहीं सकता ।
8.इंसान का मन नैचुरल तरीके से ऑपरेट होता है इसमे ऐरर संभव है
बहुत से लोगों को यह लगता है कि हम बुद्विमान इंसान हैं और हम कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन सच तो यह है कि इंसान एक बॉयलोजिकल मसीन है। जोकि नैचुरल तरीके से प्रोग्राम किये गए डेटा से ऑपरेट होती है। और निरंतर डेटा के अंदर बदलाव आते रहतें। सही बदलाव जहां एक अच्छा इंसान बनाते हैं। वहीं गलत बदलाव एक बुरे इंसान को बनाते हैं। जाहिर तौर पर ऐसे उपकरणों का विकास किया जाना चाहिए जो गलत बदलावों से लड़सके और दिमाग को सही कर सके ।
9.पॉजिटिव प्रभाव अच्छे और बुरे होते हैं
इंसान के दिमाग को बनाने वाले ने इस प्रकार से बनाया है कि काटने पर दर्द हो । ऐसा इसलिए क्योंकि यह उसके जिंदा रहने के लिए आवश्यक है। पॉजिटिव प्रभावों के ज्यादा पाने की प्रव्रति ने इंसान का काफी विकास किया है। बिना इन प्रभावों के इंसान का जिंदा रहना भी मुश्किल हो जाता है। क्योंकि इनकी वजह से ही वह सब कुछ करता है।
लेकिन इनके बड़े नुकसान भी हैं आज दुनिया के अंदर जोभी गलत काम होता है। वह पॉजिटिव प्रभावों को ज्यादा पाने के लिए होता है। एक चोर चोरी करता है । हत्या , रेप , और हमला यह सब कुछ इसी की वजह से होता है। अब आप ही बताएं बनाने वाला क्या करता ? यदि नहीं बनाता तो उसकी इच्छा पूरी नहीं होती और बना दिया तो नुकसान भी हैं।
10.समय के साथ इंसान की पॉजिटिव प्रभावों को पाने की इच्छा तेजी से बढ़ रही है
दोस्तों आप खुद भी दिन मे एक बार अवश्य ही सोचते हैं कि आपके पास अच्छा खासा पैसा होता और एक अच्छी गर्लफ्रेंड होती । मतलब यह सब सोचने वाले आप अकेले ही नहीं हैं। 1880 के अंदर भारत के लोग इन सब चीजों के बारे मे ना के बराबर सोचते थे । लेकिन अब तेजी से उनकी सोच बढ़ती जा रही है। जिसका मतलब है कि आगे आगे इंसान और अधिक बेईमान होते चले जाएंगे क्योंकि नगेटिव प्रभाव अधिक प्रभावी होते जो जा रहे हैं।
11.मन इंसान को काबू मे कर रहा है
दोस्तों बड़े बड़े संत महात्मा कहा करते थे कि अपने मन को काबू करना सीखों ।लेकिन अब यह सब फीक पड़ चुका है। आजकल तो मन इंसान को काबू मे कर रहा है। जो मन बोलता है इंसान वही करता है। अब वो चाहे गलत हो या सही हो । अब हम आपको कैसे समझाएं की इंसान का मन एक नासमझ चीज है उसका अपना ओपरेटिंग तरीका होता है। जोकि नैचुरली रूप से दिया गया है। बस आपको इसका सही तरीके से यूज किया जाना चाहिए।
12.एक इंसान कुछ भी कर सकता है
दोस्तों आपने सुना होगा कि सब कुछ इंसान के बस मे होता है। यह बात बिल्कुल सही है। यदि आप अपने मन को सही तरीके से सेट करना जानते हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं। आपके लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं है। लेकिन बहुत से लोगों के साथ यह समस्या है कि वे अपने मन को सही तरीके से नहीं जानते हैं । बस इसी वजह से उनको निराश होना पड़ता है। जिस तरह से एक गाड़ी को चलाने के लिए जगह के हिसाब से गियर को सेट करना होता है। उसी तरीके से मन को भी अलग अलग काम के लिए सेट करना पड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात तो यह है कि बना वैज्ञानिक उपकरणों के यह सब आसान नहीं है। संभव है भविष्य मे ऐसा हो सकेगा ।
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