लगभग 8,00,000 से 10,00,000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं पुरूषों कि तुलना मे महिलाओं की आत्महत्या की दर अधिक है। बहुत बार हम यह सोचते हैं कि अमुख व्यक्ति को मरना नहीं चाहिए । उसने सुसाइड करके बहुत ही गलत कर दिया ।
घरवालों को भी बदनाम कर दिया । और भी बहुत सी गलत बातें सुसाइड करने वाले के बारे मे लोग सोचते हैं। उसे गालियां तक मिलती हैं। जोकि बहुत ही गलत है।
सुसाइड कोई इंसान जानबूझ कर नहीं करता है। वरन उसके दिमाग के अंदर एक विशेष मनोवैज्ञानिक स्थिति बन जाती है। जो उसे सुसाइड करवाती है। इसलिए सुसाइड करने वाला सब कुछ जान बूझकर नहीं करता है। वरन वह मानसिक रोगी होता है। जिसका उचित ईलाज करवाया जाना जरूरी होता है। भारत जैसे देस के अंदर सुसाइड को जुर्म मना जाता है जो बहुत ही गलत बात है। ऐसा करने से सुसाइड रूकते नहीं है। वरन और बढ़ जाते हैं।
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क्यों करता है कोई इंसान सुसाइड
आइए अब जानते हैं कि इंसान के दिमाग के अंदर ऐसा क्या होता है कि वह सुसाइड करने की अपने आप ही सोचने लगता है। और कई बार सुसाइड कर भी लेता है। हम आपको यह सब कुछ सरल तरीके से समझाते हैं। जिसको समझने के बाद आपको सुसाइड का सारा माजरा समझ मे आ जाएगा ।
इंसान के दिमाग के अंदर वैसे तीन प्रभावों वाले विचार होते हैं।
- पॉजिटिव प्रभाव वाले विचार
- नगेटिव प्रभावों वाले विचार
- नो प्रभाव या उदासीन विचार
याद रखें सीधे नगेटिव विचार से कोई भी इंसान सुसाइड नहीं कर सकता । मेरे कहने का मतलब है कि जो नगेटिव विचार पड़े हैं और अक्रियाशील हैं उनकी वजह से कोई भी इंसान सुसाइड नहीं कर सकता । उदाहरण के तौर पर आपकी कार किसी गढे के अंदर गिर कर नष्ट हो गई ।वह एक महिने पहले की बात है और आप ने अब उसके बारे में सोचना बंद कर दिया । इस तरह की जो घटना हुई है उसके नगेटिव प्रभाव अक्रियाशील हो गए । आत्महत्या करने के सबसे ज्यादा चांस तब हो जाते हैं जब कोई हाई पॉजिटिव प्रभाव नगेटिव प्रभाव के अंदर बदल जाता है।
आइए इस बात को एक चित्र से समझने का काम करते हैं ।
आप नीचे चित्र को देख रहे हैं । उसके अंदर आपको कुछ गोले दिये गए है। एक गोला ए प्लस है। दूसरा गोला बी माइनस है। और तीसरा गोला सी कंटरोलर है। आप इन गोलों के बीच कनेक्सन देख सकते हैं। ठीक कुछ इस प्रकार का कनेक्सन सुसाइड करने से पहले इंसान के दिमाग के अंदर होता है।
वैसे जैसा कि आप उपर चित्र देख रहे हैं। दिमाग के अंदर उस चित्र का काफी जटिल रूप होता है। ए पल्स वह प्रभाव होता है जो पहले पॉजिटव प्रभाव के रूप मे होता है। लेकिन किसी वजह से यह नगेटिव बन जाता है। ध्यान दें ए पॉजिटिव प्रभाव बहुत ही ज्यादा पॉवर फुल होता है। मतलब इंसान के दिमाग के अंदर इससे ज्यादा पॉवरफुल कोई प्रभाव नहीं होता है। कुछ केसेज के अंदर इसके मुकाबले करने वाले प्रभाव होते हैं लेकिन उनको एक्टिवेट करने की आवश्यकता होती है जोकि आपके डॉक्टर करते हैं।
और ईसीडी नेटवर्क प्रभाव चेज का साधारण सा नियम यह है कि जो प्रभाव पॉजिटिव है और नगेटिव प्रभाव के अंदर बदल जाता है तो जितना ताकतवर वह पॉजिटिव होने पर था । अब उतना ही ताकतवर कुछ समय के लिए नगेटिव होने पर हो जाएगा । Ccवह प्रभाव है जो बी माइनस या आत्महत्या के विचार को दबाने की कोशिश करता है । लेकिन A- और B- Cc का विरोध करते हैं। यदि इनका B+A+<Cc
विरोध हो जाता है तो व्यक्ति सुसाइड कर लेता है। और B+A+<Cc
हो जाता है तो व्यक्ति बच जाता है।
आइए इस चीज को एक सरल उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। मान लिजिए एक लड़का एक लड़की से प्यार करता है। वह काफी ज्यादा उसके प्यार के अंदर डूब चुका है। वह इतना आगे जा चुका है कि वापस आना उसके लिए नामुमकिन है। मतलब लड़की का जो प्यार है वह A+ है
लेकिन अचानक से उसे पता चलता है कि लड़की ने उसको धोखा देदिया तो लड़की का प्यार उसे फरेब लगने लग जाता है। मतलब अब वह +A to -A मे बदल जाता है। इसी वजह से लड़के के मन मे सुसाइड का विचार आता है। यह विचार तब आता है जब लड़के के -A का मुकाबला करने वाला कोई दूसरा प्रभाव मतलब Cc कमजोर होता है। कंटोलर या Cc वे विचार या बाते होती हैं जो इंसान को सुसाइड करने से रोकती हैं लेकिन एक अन्य नैचुरल प्रभाव या विचार जैसे यदि वह सुसाइड करेगा तो दर्द होगा तड़पेगा । जैसे विचार व्यक्ति के Cc को प्रभावी बनाए रखते हैं । जिसकी वजह से इंसान सुसाइड करने से बच जाता है।
ऐसी कंडिशन हर इंसान के अंदर आती है तो हर इंसान सुसाइड क्यों नहीं करते
इसका उत्तर भी मेरे पास है नगेटिव प्रभावों का दो विभिन्न व्यक्तियों पर भिन्न भिन्न असर करता है। कुछ लोग चीजों को अधिक दिल से लगाकर रखते हैं जबकि कुछ केवल मजे के लिए जीते हैं। उन्हें किसी चीज से मोह नहीं होता ऐसे लोग कभी भी सुसाइड नहीं करते । क्योंकि उन्हें खोने या चीजों के नष्ट होने का कोई गम नहीं होता है। जबकि सुसाइड सबसे अधिक वे लोग करते हैं जो चीजों को अपने दिल से लगा लेते हैं। यही वजह है कि हर इंसान सुसाइड नहीं करता । जबकि कुछ इंसान के Cc काफी ज्यादा अच्छे होते हैं।
महिलाएं पुरूषों की तुलना मे अधिक सुसाइड क्यों करती हैं
यदि आंकड़ों पर नजर डाले तो यह पता चलता है कि महिलाएं दुनिया के अंदर पुरूषों की तुलना मे काफी अधिक सुसाइड करती हैं। इसके पीछे कई वजहे हैं। जिसमे से इंडिया की बात करें तो वहां पर हमारा कल्चर भी इसके लिए जिम्मेदार है। और दूसरी बात महिलाएं पुरूषों की तुलना मे मावनात्मक रूप से कमजोर होती हैं। उनके अंदर दर्द और दुख को सहन करने की क्षमता पुरूषों की तुलना मे कम होती है। यही वजह है कि महिलाएं पुरूषों की तुलना में अधिक सुसाइड करती हैं।
सुसाइड करने से पहले दिमाग मे चलता है संघर्ष
जब कोई इंसान सुसाइड करने की सोचने लगता है तों कुछ समय या दिनों तक उसके दिमाग के अंदर संघर्ष चलता है। यह उन व्यक्तियों के अंदर चलता है जो कुछ समझदार होते हैं। लेकिन जो व्यक्ति तुरन्त निणर्य लेने के आदी होते हैं। या गुस्स के अंदर कुछ भी कर कर देने के आदी होते हैं उनके अंदर ऐसा नहीं के बराबर होता है। दिमाग के अंदर चलने वाला संघर्ष दिमाग के आपस के तर्क वितर्क होते हैं। मतलब दिमाग तर्कवितर्क से निणर्य लेने की सोचता है। यह संघर्ष काफी समय चल सकता है। इस दौरान व्यक्ति की मानसिक स्थिति को पहचान कर उसका उपचार करवाया जाना चाहिए