संजीवनी बूटी की पहचान क्या है , संजीवनी बूटी की जानकारी sanjivani buti ki jankari संजीवनी बूंटी को हनुमान हिमालय पर्वत से लेकर आये थे। आज भी हिमालय पर अनेकों दुर्लभ जड़ी बूंटियां पाई जाती हैं।
आपको पता होगा रामायण की कथा के अनुसार जब लक्ष्मण मुर्छित हो गये थे तब हनुमान जी ने हिमालय से संजीवनी बूंटी को लाकर लक्ष्मण को बचाया था । लेकिन यह बात बहुत पूरानी हो चुकी है। आज के समय मे संजीवनी बूंटी पर विश्वास करना मुश्किल है। आइए जानते हैं
संजीवनी बूंटी से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में ।
बताया जाता है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हो गये थे तो सुषेण को बुलाया गया। उन्होने कहा कि इसको केवल संजीवनी बूंटी ही बचा सकती है। जोकि हिमालय के पहाड़ों के अंदर पाई जाती है। तब इस काम के लिए हनुमान को भेजा गया ।
हनुमान आकाश मार्ग से होते हुए गए । किंतु वे वहां पर संजीवनी बूंटी को पहचान नहीं पाए तो उन्होने सारे पहाड़ कोही अपनी हथेली पर उठा लिया और लक्ष्मण के पास आ गए ।
तब वैध ने संजीवनी बूंटी को पहचान कर लक्ष्मण का उपचार किया । और राम ने रावण को युद्व के अंदर पराजित कर दिया। उसके बाद हनुमान ने उस पर्वत को वही पर वापस रख दिया था। आज उस पर्वत को रूमास्सला के नाम से जाना जाता है।
अब यह पर्वत क्ष्रिलंका के अंदर है। यहां के बारे मे यह कहा जाता है कि हनुमान के लाये पर्वत के टुकड़े कई जगह पर गिरे थे । जहां पर यह टुकड़ें गिरे वहां वहां की जलवायु ही बदल गई ।
धरती पर कई ऐसी बूटियां पाई जाती हैं जोकि संजीवनी बूंटी के समान ही उपयोगी होती हैं।
संजीवनी बूंटी का प्रयोग आजकल चिकित्सा के अंदर किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राहपेर्सिस है। संजीवनी बूंटी नमी की कमी की वजह से सूख जाती है किंतु थोड़ी सी नमी उपलब्ध होने पर वापस हरी हो जाती है। इसकी खास बात है कि यह सतह पर फैलती है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि संजीवनी बूंटी के समान ही हिमालय के अंदर कई प्रकार के पौधे होते हैं जिसकी वहज से इसको पहचानना काफी मुश्किल होता है। संजीवनी बूंटी अनियमित मासिक धर्म और स्ट्रोक जैसी समस्याओं के ईलाज के अंदर भी उपयोगी है।
रीतिगाला एक ऐसा स्थान है जहां पर पहाड़ का एक टुकड़ा गिरा था । यहां पर कई प्रकार के ऐसे पैड़ पौधे हैं जोकि और कही पर नहीं हैं। यहां कई प्रकार की जड़ी बूंटियां पाई जाती हैं। जोकि सबसे अधिक खास हैं।
अभी हाल ही मे भारतिये वैज्ञानिकों ने हिमालय के उपरी इलाके के अंदर एक ऐसी बूंटी की खोज की थी जोकि हूमेन सिस्टम को रेगूलेट कर सकती है। वैज्ञानिको का यह दावा है कि हो सकता है यही संजीवनी बूंटी हो । रोडिओला नाम की इस बूंटी का प्रयोग लोग साग बनाने मे करते हैं।
इसको स्थानिय भाषा के अंदर सोलो कहा जाता है। वैसे इसके बारे मे ज्यादा जानकारी नहीं है।
संजीवनी बूंटी का रहस्य अब भी बरकरार है। क्योंकि वैज्ञानिक अभी भी यह पूरी तरह से तय नहीं कर पायें हैं कि लक्ष्मण की जान बचाने वाली संजीवनी बूंटी कौनसी है।
दोस्तों यह थी संजीवनी बूंटी से जुड़ी कुछ बातें हांलाकि वैज्ञानिक अभी भी इस पर शौध करने मे लगे हैं । उनको लगातार इस दिसा के अंदर काफी सफलता भी मिल रही है।अब देखना यह है कि वैज्ञानिक कब तक संजीवनी बूंटी की सही खोज करलेंगे ।
वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि हिमालय के अंदर
मिलने वाली संजीवनी बूंटी अब पहले वाली नहीं रही है। वरन इसमे समय के साथ बदलाव भी आ गये हैं।
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संजीवनी बूंटी पर रिसर्च sanjivani buti ki jankari
दोस्तों आपको पता ही है कि संजीवनी बूंटी जो होती है वह मरे हुए इंसान को जिंदा कर सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इस संजीवनी बूंटी के बारे मे उल्लेख रामायण के अंदर मिलता है कहा जाता है कि कौरव सेना के भयंकर अस्त्रों के प्रभाव की वजह से लक्ष्मण मरणासन्न होगए । उसके बाद तब हनुमानजी ने जामवंत के कहने पर वैद्यराज सुषेण को बुलाया और फिर सुषेण ने हनुमानजी से 4 बूंटी को लाने के लिए कहा गया । लेकिन हनुमानजी द्रोणाचार्य पर्वत पर तो गए लेकिन वे उनको पहचान नहीं पाए तो वे सारे पर्वत को ही उठाकर ले आए।
उसके बाद कहा जाता है कि लक्ष्मण को जीवनदान मिला था । आधुनिक युग के अंदर वैज्ञानिकों ने संजीवनी बूंटी पर काफी अधिक रिसर्च किया है।सिरसी के डॉ. केएन गणेशैया, डॉ. आर. वासुदेव तथा डॉ. आर. उमाशंकर ने इस संबंध मे दो पौधों के बारे मे यह कहा था कि वे संजीवनी बूंटी हो सकती है।
इसके लिए वैज्ञानिकों ने देश के अलग अलग भाषाओं के अंदर वर्णित बूंटियों को पहचाना और उसके बाद उनके उपर काफी अच्छे तरह से रिसर्च की गई तो इसके अंदर 80 जड़ी बूंटी आई और उसके बाद शेष 6 जड़ी बूंटी को चिन्हित किया गया ।और उनके बारे मे यह कहा गया है कि यह संजीवनी बूंटी हो सकती हैं। इसके बारे मे हम आपको यहां पर विस्तार से बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं वे कौनसी बूंटी हैं जिनके बारे मे यह कहा जाता है कि यह संजीवनी बूंटी हो सकती हैं।
क्रेटिका, सिलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस और डेस्मोट्रायकम फिम्ब्रिएटम के नाम से इनको जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इसके बारे मे विस्तार से आपको बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं इसके बारे मे ।
सिलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस sanjivani buti ke fayde
सिलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस को संजीवनी के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।कार्बोनिफेरस युग के अंदर इसकी उत्पति हुई थी। वैज्ञानिको में से एक डॉ॰ पी.एन. खरे के अनुसार संजीवनी का सम्बंध पौधों के टेरीडोफायटा समूह से है। और वैज्ञानिकों के अनुसार जब इसको नमी नहीं मिलती है तो यह सूख कर पपड़ी जैसी हो जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और उसके बाद इसको जैसे ही नमी मिल जाती है यह फिर से हरी भरी हो जाती है।वैज्ञानिक इसके उपर रिसर्च कर रहे हैं कि इसके अंदर ऐसा कौनसा जीन पाया जाता है जिसकी वजह से यह इस प्रकार का व्यवहार करती है। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार जंगल के अंदर इसकी पहचान करना काफी कठिन होता है क्योंकि जंगल के अंदर कोई एक पौधा तो होता नहीं है। इसके अलावा भी बहुत सारे पौधे ऐसे होते हैं जोकि इसके जैसे ही दिखाई देते हैं।चार इंच के आकार वाली संजीवनी लम्बाई में बढ़ने के बजाए सतह पर फैलती है। और यह भारत के कई सारे राज्यों के अंदर देखने को मिलती है।
यह उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और उड़ीसा सहित भारत के लगभग सभी राज्यों में पाई जाती है। इस बूंटी के औषधी लाभों के बारे मे पुराणों के अंदर भी उल्लेख मिलता है और यह कई तरह की समस्याओं को दूर करने का काम करती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस की जड़ प्रणाली पतली जड़ों के एक नेटवर्क से बनी होती है जो नीचे और बाहर की ओर बढ़ती है, मिट्टी को दो मीटर गहराई तक भेदती है। पौधे के तने पतले और लहरदार होते हैं, जिससे उन्हें दूर से देखना मुश्किल हो जाता है।
सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस देर से गर्मियों में छोटे सफेद फूल पैदा करता है, इसके बाद हरे जामुन आते हैं जो पतझड़ में लाल हो जाते हैं। यह पौधा परागणकों को अपने मीठे-महक वाले फूलों से आकर्षित करता है, जो तितलियों जैसे कीड़ों के लिए भी आकर्षक होते हैं।
डेस्मोट्रायकम फिम्ब्रिएटम
डेस्मोट्रायकम फिम्ब्रिएटम भी एक प्रकार की संजीवनी बूंटी हो सकती है। हालांकि इसके बारे मे अधिक जानकारी नहीं है।और इसके उपर अभी भी रिसर्च चल रहा है। डेंड्रोबियम प्लिकेटाइल एक एशियाई आर्किड प्रजाति है, जो डेंडोबियम जीनस का सदस्य है। इसे पूर्व में फ्लिकिंगरिया फ़िम्ब्रिआटा के रूप में वर्णित किया गया था।
आर्किड के मूल क्षेत्रों में दक्षिण पूर्व एशिया , हिमालय और मालेसिया शामिल हैं ।
यह बोर्नियो , कंबोडिया , दक्षिण और मध्य चीन , हैनान , हिमालय पूर्व, भारत (असम), जावा , लाओस , नुसा तेंगारा द्वीप समूह , मलाया , नेपाल , निकोबार द्वीप समूह , फिलीपींस , सुलावेसी , सुमातरा , थाईलैंड और वियतनाम में पाया जाता है ।
फैटी लिवर की बीमारी, ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने के लिए सिद्ध किया गया है, जो शराब से प्रेरित लिवर की चोट से बचाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इसके अलावा आपको बतादें कि हिमालय के अंदर इसके अलावा भी बहुत सारी संजीवनी बूंटी हैं जिसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यह बूंटी कई तरह की समस्याओं के उपर उपयोग मे आ सकती हैं। लेकिन इसके बारे मे अभी सही सही जानकारी नहीं है। और रिसर्च चल रहा है।
इसके अलावा भी हम आपको यहां पर कुछ बूंटी के नाम के बारे मे बता रहे हैं ताकि आपको इसके बारे मे जानकारी मिल सके ।
इफेड्रा
एफेड्रा एक पौधा है जिसका उपयोग सदियों से पारंपरिक चीनी चिकित्सा में किया जाता रहा है। इफेड्रा में सक्रिय तत्व इफेड्रिन और स्यूडोफेड्राइन हैं, जो वजन घटाने और ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी साबित हुए हैं। इफेड्रा के उपयोग के बारे में कई चिंताएँ हैं, जिनमें संभावित स्वास्थ्य जोखिम भी शामिल हैं। एफेड्रा का उपयोग केवल डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
क्या था सोमरस sanjivani buti plant
हालांकि भारतीय साहित्य और धार्मिक लेखों में सोम शब्द कई अर्थों में उपयोग किया गया है, लेकिन गार्डन वास्सन और अन्य शोधकर्ताओं के अनुसार सोमरस एक विशेष प्रकार का मशरूम था जो प्राचीन भारत में प्रयोग किया जाता था।
गार्डन वास्सन ने वेदों पर शोध के बाद लिखा है कि सोमरस में सोम और कुछ नहीं, बल्कि खास मशरूम था। सोम डिवाइन मशरूम ऑफ इमार्टेलिटी नामक पुस्तक में उन्होंने लिखा है सोम एक मशरूम था, जिसे लगभग 4000 वर्ष पहले यानी 2000 ईसा पूर्व उन लोगों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों में प्रयोग में लाया जाता था, जो खुद को आर्य कहते थे।
ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata)
ब्रह्म कमल एक प्रकार का फूल है जो भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। यह एक अत्यंत सुंदर फूल होता है जो जल में उगता है और जिसका आकार लंबवत और स्लेंडर होता है। इसकी पत्तियां भी बहुत सुंदर होती हैं और यह फूल अपने स्वर्णिम रंग के लिए भी प्रसिद्ध है।
ब्रह्म कमल एक पवित्र फूल माना जाता है जो धार्मिक आयोजनों में उपयोग किया जाता है। इसे लोग देवताओं के उपहार के रूप में भी देते हैं और धार्मिक कार्यक्रमों में इसका उपयोग भी किया जाता है। ब्रह्म कमल फूल की खेती भी की जाती है जो इसकी मांग को पूरा करती है। यह फूल अपनी अलग-अलग विशेषताओं के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है
उत्तराखंड के अंदर यह फूल काफी अधिक देखने को मिलता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । सबसे बड़ी बात यह है कि इस एक पौधे से ही कई सारी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। जिसकी वजह से इस पौधे को संजीवनी बूंटी के तौर पर देखा जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और आप इस बात को समझसकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ब्रह्रम कमल कई तरह के फायदे करता है। इसके बारे मे भी हम आपको बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं इसके फायदे के बारे मे विस्तार से
इसके कई लाभ डॉक्टरों ने बताएं हैं। और इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसकी मदद से कई तरह की दवाएं बनाई जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
ब्रह्म कमल एक फूलों की दुर्लभ प्रजाति होती है जोकि हिमालय क्षेत्रों के अंदर अधिकतर देखने को मिलती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यह आमतौर पर हिमालय के फूलों के राजा के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
और इसके बारे मे एक बात और भी कही जाती है कि यह सिर्फ भाग्यशाली लोगों को ही दिखाई देता है और इसके फूल को खिलने मे कम से कम 2 घंटे का समय लगता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।फूल मानसून के मध्य के महीनों के दौरान खिलता है। माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है।
ब्रह्म कमल के फायदे लिवर के लिए
दोस्तों यदि हम ब्रह्म कमल के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह लिवर के लिए काफी अच्छा होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपके लिवर के अंदर सूजन है तो यह फूल काफी फायदेमंद होता है।इस फूल से बनी सूप को यदि आप सेवन करते हैं तो इससे लिवर की सूजन दूर हो जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । लेकिन उसके बाद भी यदि लिवर की सूजन नहीं जा रही है तो फिर आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए ।
हृदय विकारों के इलाज में मदद करता है ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल के फायदे के बारे मे यदि हम बात करें तो आपको बतादें कि यह हर्ट के विकारों के अंदर मदद करने का काम करता है। यदि आपको हर्ट का विकार है तो इस समस्या को दूर करने के लिए भी ब्रह्म कमल काफी अधिक फायदेमंद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आपके अंदर हर्ट विकार की समस्या है तो ब्रह्रम कमल का उपयोग करने से पहले आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।
और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
ब्रह्म कमल शरीर में ब्लड प्यूरीफाई यानी खून साफ करने में
ब्रह्म कमल के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह खून को साफ करने मे भी काफी मदद करता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आप अपने खून को साफ करना चाहते हैं तो इसके अंदर ब्रह्म कमल काफी अधिक उपयोगी हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
लेकिन आपको बतादें कि इसका प्रयोग करने से पहले आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन भी करना चाहिए । नहीं तो आपको समस्याएं हो सकती हैं आप इस बात को समझ सकते हैं।
ब्रह्म कमल प्लेग के इलाज मे उपयोगी
दोस्तों आपको बतादें कि ब्रह्म कमल प्लेग के इलाज के अंदर भी काफी अधिक उपयोगी होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लेकिन इसका प्रयोग डॉक्टर के परामर्श के बाद ही करना चाहिए ।
प्लेग (Plague) एक जानलेवा इंफेक्शन है जो कीटाणु या बैक्टीरिया यानि यर्सीनिया पेस्टिस (Yersinia pestis) के कारण होता है। इस रोग की पहचान शुरूआती लक्षणों में किया जाता है जो ज्यादातर बुखार, थकान और अधिक पसीने आने के साथ होते हैं।
प्लेग आमतौर पर बुनियादी दो तरीकों में से फैलता है – बुभों दाने वाली प्लेग और फेफड़ों में प्लेग। बुभोंदाने वाली प्लेग में संक्रमण बुभों के क्षेत्र में होता है जो कि गांठों की तरह होते हैं जिनमें से श्वसन करने में दिक्कत होती है। फेफड़ों में प्लेग के मामले में संक्रमण फेफड़ों में होता है जिससे प्रदूषित वायु फैलती है।
ब्रह्म कमल के फायदे यौन संक्रमण के अंदर
दोस्तों यदि हम ब्रह्म कमल के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह यौन संक्रमण के अंदर काफी अधिक फायदेमंद होता है। मतलब यह है कि यह यौन संक्रमण की समस्याओं को दूर करने का काम करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। वैसे यदि आपको यौन संक्रमण काफी भयंकर है तो उसके बाद आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए ।
बुखार को दूर करने मे
दोस्तों आपको बतादें कि बुखार एक प्रकार की आम समस्या होती है। यदि आपको भी बुखार की समस्या रहती है तो इसके अंदर ब्रह्मकमल काफी अधिक फायदेमंद होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आपको बुखार की समस्या है तो फिर आपको ब्रह्मकमल के फूल का रस उपयोग मे लेना है उसके बाद आपको इसका सेवन करना है । यदि आप इसका सेवन करते हैं तो फिर आपके जो बुखार की समस्या है वह काफी अधिक दूर हो जाएगी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकत हैं।
काली खांसी के अंदर प्रयोग
दोस्तों आपको बतादें कि ब्रह्रम कमल का प्रयोग काली खांसी के अंदर किया जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा ।
काली खांसी की समस्या के अंदर ब्रह्रम कमल के पंखुड़ियों के रस को आपको सेवन करना चाहिए । यदि आप इसका सेवन करते हैं तो इससे काफी अधिक फायदा होगा । और आपकी समस्याएं दूर हो जाएंगी । मतलब आपकी काली खांसी दूर हो जाएगी ।
काली खांसी (पर्टुसिस) जीवाणु बोर्डेटेला पर्टुसिस के कारण होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन बीमारी है। रोग युवा शिशुओं और छोटे बच्चों में सबसे गंभीर है, लेकिन वयस्कों में भी हो सकता है। प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रमों से काली खांसी को अत्यधिक रोका जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, 6 से 11 महीने की आयु के शिशुओं और 1 से 4 वर्ष की आयु के बच्चों में काली खांसी का सबसे अधिक निदान किया जाता है।
ब्रह्मकमल के फायदे कपड़ों के लिए
दोस्तों आपको पता ही है कि कई बार क्या होता है कि लंबे समय तक हमारे कपड़े पड़े रहते हैं। और उसकी वजह से कपड़ों के अंदर कीड़े लग जाते हैं। यदि आपके यहां पर भी कपड़ों के अंदर कीड़े लग जाते हैं तो फिर आपको ब्रह्मकमल को कपड़ों के अंदर दबा कर रख देना चाहिए । ऐसा करने का फायदा यह होगा कि आपके कपड़ों के अंदर जो कीड़े लगने की जो समस्या है वह दूर हो जाएगी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
ब्रह्रम कमल को दरवाजे पर लटकाना
दोस्तों कुछ लोगों के यहां पर इस प्रकार की मान्यता है कि यदि आपके घर के अंदर कोई व्याधी ना हो इसके लिए ब्रह्रम कमल को अपने घर के दरवाजे पर लटकाया जाता है। असल मे यह आमतौर विश्वास होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
जले-कटे, घाव के अंदर ब्रह्रम कमल का प्रयोग
दोस्तों आपको बतादें कि जले और कटे एक आम समस्या होती है। यदि आपको कहीं पर जल गया है या फिर कट गया है तो फिर आप यह उपाय कर सकते हैं। यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । इसके राइज़ोम में एन्टिसेप्टिक होता है इसकी वजह से यह जले कटे आदि पर लगाने पर काफी अधिक फायदा होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
ब्रह्म कमल के पौधे को घर में लगाने से सुख समृद्धि बनी रहती है।
ब्रह्म कमल के पौधे को आप अपने घर के अंदर भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से काफी अधिक फायदा होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आपको बतादें कि ऐसा करने से आपके घर के अंदर सुख और समृद्धि आती है। यदि आप घर मे सुख और समृद्धि के लिए तरस रहे हैं तो आप यह उपाय कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको काफी अधिक फायदा होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। और आप इस बात को समझ सकत हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
आपके भाग्य को खुलने के लिए
दोस्तों आपको बतादें कि ब्रह्रम कमल का फूल आपके भाग्य को खुलने के लिए जाना जाता है। इसका मतलब यह है कि यदि आप इस फूल को खिलते हुए देख लेते हैं तो इसका मतलब यह है कि आपका भाग्य खुल चुका है। यह एक तरह से आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
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This post was last modified on February 26, 2023