दोस्तों भारतिय धर्म ग्रंथों के अंदर चार युग का जिक्र मिलता है। जिसमे सतयुग सबसे पहला युग है। उसके बाद द्वापर युग त्रेता युग और सबसे अंतिम युग कलयुग है। इस लेख के अंदर हम आपको सतयुग से जुड़ी कुछ खास बाते बताने वाले है । हम आपको बताएंगे कि सतयुग के अंदर क्या खास होता था। वैसे हर युग धर्म को लेकर विभाजित है। सतयुग के बारे मे यह कहा जाता है कि सतयुग मे धर्म के चार पैर थे । कहीं पर भी कुछ भी गलत नहीं होता था । सतयुग एक तरह से राम राज्य था । सतयुग के मनुष्य कलयुग से बहुत ही अलग प्रकार के होते थे ।
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1. चार युग एक चक्र की तरह काम करते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार चार युग एक चक्र की तरह काम करते हैं। मतलब पहले सतयुग आता है। उसके बाद त्रेता युग युग आता है। और फिर द्वापर युग और अंत मे कलयुग आता है। कलयुग सबसे अंतिम युग है। उसके बाद अब फिर से सतयुग आएगा ।
2. सतयुग कितनी साल का होता है?
दोस्तों सतयुग सबसे पहला युग है। और यह 17 लाख 28 हजार साल का होता है। इसी प्रकार से हर युग की उम्र अलग अलग होती है।
3. धर्म के चार पैर थे
सतयुग की सबसे बड़ी जो खास बात है। वह यह है कि इसमे धर्म के चार पैर थे । यानि सतयुग के अंदर ऐसे लोग रहते थे ।जो धर्म का पालन करते थे । और हमेशा ईश्वर का नाम जपते रहते थे । इस युग के अंदर कहीं पर भी कोई भी इंसान अधर्मी नहीं था । सारे इंसान सत्यवादी थे और हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे।
4. सब तरफ राम राज्य था
सतयुग के अंदर कोई भी इंसान पापी नहीं था । वे हर तरह से ईमानदार थे । कोई किसी का बुरा नहीं करता था । मतलब उस युग के अंदर किसी भी प्रकार की बुराई मौजूद नहीं थी । लोग स्वार्थी नहीं थे । वे सदा एक दूसरे की मदद करते थे और भगवान की भक्ति के अंदर लीन रहते थे ।
5. हर मनोकामना पूर्ण होती थी
सतयुग के इंसानों के अंदर बहुत ही अलौकिक पॉवर भी मौजूद था । उनकों किसी भी प्रकार की मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती थी । उन्हें जो कुछ चाहिए होता था । वह उनकी इच्छा शक्ति मात्र से ही पैदा हो जाता था । इस वजह से उनका काम सिर्फ भगवान का नाम जपना ही रह जाता था । वे मस्ती से अपनी जिंदगी बिताते थे और भगवान का नाम भी जपते थे ।
6. गलत काम करने पर स्वत हो जाती थी मौत
सतयुग के अंदर कोई भी इंसान अधर्म नहीं कर सकता था । यदि कोई इंसान गलत काम करता तो उसकी अपने आप ही मौत हो जाती थी । और वैसे भी उस युग के अंदर गलत काम करने की किसी को जरूरत ही क्या थी । जब उनकी मनोकामना इच्छा मात्र से ही पूर्ण हो जाया करती थी ।
7. सतयुग के अंदर व्यक्ति की आयु 1 लाख वर्ष होती थी
धर्मशास्त्र के अनुसार सतयुग के अंदर व्यक्ति की आयु 1 लाख वर्ष होती थी । कलयुग के अंदर तो व्यक्ति कि आयु 100 वर्ष है। द्वापर युग के अंदर व्यक्ति की आयु 1 हजार वर्ष होती थी ।और त्रेता युग के अंदर व्यक्ति की आयु 10 हजार वर्ष होती थी ।
8. भगवान को प्राप्त करने का मार्ग अलग अलग था
हर युग के अंदर भगवान को प्राप्त करने का मार्ग भी अलग अलग था । कलयुग के अंदर केवल भगवान का नाम लेने से ही भगवान की प्राप्ति हो सकती है। सतयुग मे भगवान को प्राप्त करने का मार्ग था । भगवान का ध्यान करना और त्रेता युग के अंदर भगवान को पाने का मार्ग यज्ञ था । भगवान रामचंद्र जी के समय बहुत सारे यज्ञ होते थे ।और द्वापर के अंदर मूर्ति पूजा को प्रमाण माना गया था ।
9. अलग होती थी इंसान की उंचाई
कल युग के अंदर आम इंसान की औसत उंचाई 5 से 6 फिट होती है। वहीं द्वापर युग मे यह 11फिट होती थी । और सतयुग के अंदर 32 फिट होती थी ।त्रेता युग मे 21 फिट लम्बाई थी।
10. हर युग मे था भगवान का अलग अवतार
कलयुग के अंदर भगवान कल्कि अवतार लेंगे । और द्वापर युग के अंदर भगवान राम ने अवतार लेकर धर्म की स्थापना की थी । सतयुग के अवतार के अंदर क्रुमअवतार मच्छय अवतार वराह अवतार नरसिसिंह अवतार
11. सतयुग के रहस्य को कोई नहीं जानता
बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनका कोई जवाब नहीं दे सकता सतयुग के अंदर व्यक्ति इतने लम्बें कैसे होते थे ? और क्या सत युग के अंदर इंसान अपने मन से मनचाही वस्तु पा सकता था ?
इन सवालों का जवाब मैं अपने नजरिये से दूं तो मेरा जवाब हां है
क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि एक पेड से चीनी मोठ मूंग बाजरा बरसना ? शायद नहीं लेकिन यह हकीकत है मेरी आंखों देखा है। यह पेड जिसको दूर दूर के लोग देखने आते हैं। लेकिन कैसे इस पर से अनाज बरसता है कोई नहीं जानता । यह सब इस समय हो सकता है तो उस समय तो अवश्य ही हुआ होगा ।
This post was last modified on November 4, 2018