इंसानों का मांस खाने वाले लोग अभी भी इस दुनिया के अंदर मौजूद हैं। आज हम आपको ऐसे ही लोग इंडोनेसिया की कोरोवाई जनजाति से जुड़ी कुछ जानकारी इस लेख के अंदर दे रहे हैं। किस तरह से यह लोग रहते हैं। और कैसे इंसानों का मांस खाते हैं।पॉल राफेल नामक एक खोज कर्ता ने 2006 के अंदर इस नरभक्षण जनजाति के कई पहलुओं को उजागर किया था । रॉफेल कोरोवाई जनजाति के साथ काफी समय तक रहा । उन्होने बताया कि जब वे पहली बार उनसे मिले तो उनको एक इंसानी मांस को पैकेट दिया और बोले की यदि वे इस खा सकते हैं तो वे उनको अपने साथ
रख लेंगे । वे उसे खा गए तो कोरोवाई लोगों ने उनको अपने साथ रखलिया । जब वे लेटिन कबीले का दौरा करने निकले तो पहले तो वहां के लोगों ने उन पर हमला बोल दिया था । क्योंकि वे भी श्वेत आदमी को अपना दुश्मन मानते थे । और अपनी सीमाओं को पार कर श्वतों की बस्ती मे जाने से डरते थे ।
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इस वक्त वे लोग हम पर चिल्ला रहे थे और साथी तीर कमान हमारी और तान रखे थे । मैंने उनसे बचने के लिए नदी के अंदर कूदने की सोची ताकि जान बच सके लेकिन कोर्नेलियस कोरोईई ने चिल्लाकर हमसे सौदेबाजी कर डाली उसने कहा कि वे उन्हें इंडोनेशिया पैसे की मांग की और बोले की उसके बाद उपर की और आने देंगे
और कहा कि नदी के अंदर मत कूदना वरना यह अपवित्र हो जाएगी जुर्माना भरना पड़ेगा । हमने उनको पैसे देदिये।
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कैसे खाते हैं इंसानी मांस
उन लोगों का अपना कल्चर होता है। उनके यहां पर यदि कोई युद्व के अंदर मर जाता है तो उनके सामने स्पष्ट कारण रहता है किंतु यदि कोई किसी अन्य बिमारी से मर जाता है तो यह उनके लिए रहस्यमय होता है। तो वे समझते हैं कि यह खाखुआ की वजह से हुआ है। खाखुआ उनका एक रोग है। और ऐसे इंसान का वे मांस खाना अच्छा समझते हैं । उनकी यह परम्परा है। उनका मानना है कि ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
आगे खोजकर्ता ने बताया की एक रात जब हम उनके घरों के पास बैठे थे तो वहीं पर दो नंगी महिलाएं भी थी और कुछ पुरूष भी बैठे थे । एक भयंकर हत्यारे ने मेरे पास आकर कहा कि उसने एक इंसान का शिकार किया है । क्या आप देखना चाहेगे । मेरा देखने का मन नहीं था किंतु ऐसा किये बिना वे मेरा विश्वास नहीं करते सो मैंने हां करदी तो वह मेरे पास एक इंसानी खोपड़ी लेकर आया । उस पर मैंने हाथ लगाकर देखा । यह एक भंयकर हत्यारा था जिसको किल किल कहा जाता था । वहां के लोग उस को किल किल कहते हैं जोकि 23 लोगों को मार चुका हो और उनको काट कर खा गया हो ।
यह लोग खाना नहीं बनाते हैं। इंसानी मांस या सूअर के सर और आंत और पेट काट कर अलग कर देते हैं। ओर फिर कच्चे गोश को मजे से खाते हैं। इनलोगों के अंदर बाल नाखून और लिंग को खाने की ईजाजत नहीं होती है।
सेक्स कैसे करते हैं यह लोग
सेक्स भी यह लोग करते हैं। लेकिन यह घर के अंदर सेक्स नहीं करते वरन जब इनको सेक्स करने का मन होता है तो वे अपनी महिला के साथ घने वन के अंदर चले जाते हैं। और वहां पर सेक्स करते हैं। हालांकि यह लोग आधे नंगे ही रहते हैं। पर कुछ महिलाएं पेड़ों की छाल के कपड़े भी पहनती हैं।
रहन सहन
यह लोग कपड़े नहीं पहनते हैं और बांस की मदद से पेड़ों के उपर अपनी झोंपड़ी बनाते हैं। ताकि इनको जंगली जीवों से सुरक्षा मिल सके । झोंपड़ी तक पहुंचने के लिए इनको पेड़ पर चढ़ना होता है। पुरूष शिकार करने के लिए जाते हैं। वे ग्रुप के अंदर शिकार करते हैं। और शिकार के दौरान वे तीर और भाले का प्रयोग करते हैं। महिलांए अपने बच्चों को अपने पीठ पीछे बांध लेती हैं। और बच्चों के पालन के लिए उनको अपने स्तनों का दूध पिलाया जाता है। शिकार पर जाने से पहले बच्चों को शिकार करना भी यह लोग सीखाते हैं ताकि वह अच्छे से शिकार कर सके ।
धर्म कर्म
कोरोई लोग पूनर्जन्म मे विश्वास करते हैं। संकट के समय यह लोग अपने पूर्वजों की आत्मा के लिए पशुओं की बली भी दी जाती है। यह लोग अपने म्रत पूर्वज को अपने कबिले के अंदर जन्म लेने के लिए धार्मिक क्रियाएं करते हैं। इनलोगों के कबिले को सागो ग्रब त्यौहार भी मनाना पड़ता है।