दोस्तों आपने देखा होगा जब हम किसी को नीचा दिखाना चाहते हैं तो उसके काम के अंदर अपने आप ही कुछ कमियां निकालना चालू कर देते हैं । और वह व्यक्ति हमे आपने आपका सबसे बड़ा दुश्मन समझ बैठता है। लेकिन सही मायने के अंदर ऐसे व्यक्ति
कि कुछ जगहों पर बहुत अधिक जरूरत होती है। ताकि आप काम का बेहतर फर्मोमेंस दे सकें । इस तरह के व्यक्ति वैसे तो हम अच्छे नहीं मानते किंतु यदि इनका भी आप सही जगह पर प्रयोग करते हैं तो यह आपके फायदे का सौदा हो सकता है। आज हम बात करेंगे कि आप किस तरह से कमियों को निकालने वाले व्यक्तियों
का सही प्रयोग कर सकते हैं। और इनसे भी बड़ा लाभ उठा सकते हैं।
मान लिजिये आप किसी पार्टी शादी आदि की व्यवस्था का देख रखे का काम करते हैं। तो आप इस तरह के एक दो व्यक्तियों का वहां पर छोड़ दिजिये और उनको व्यवस्था के अंदर कमियां निकालनें को कहें । फिर देखिए वे व्यवस्था के अंदर कितनी सारी कमियां आपके पास लाते हैं। जबकि आपको कहा गया होता है कि व्यवस्था के अंदर कोई कमी नहीं रहनी चाहिये। बस उनमे सुधार कर दिजिये ।और फिर इन व्यक्तियों को कमियों की खोज के अंदर लगाये रखिये । यदि आप एक बार किसी समारोह के अंदर ऐसा करते हैं तो निश्चिय ही
आप अगले समारोह के अंदर प्रसंशा कें पात्र बन जाएंगे । क्योंकि आप को लोग इसलिये अधिक पसंद करेंगे आप ने वहां पर सबसे बेहतर तरीके से काम को किया और सम्हाला ।
यह कोई जरूरी नहीं है कि आप केवल किसी समारोह के अंदर ही इस ट्रिक का प्रयोग करें आप यदि कोई दुसरा काम जैसे दुकान चलाते हैं तो भी आप कुछ ऐसे व्यक्तियों को इस काम के अंदर लगा सकते हैं जोकि आपको आपकी गलतियों को बता सके और आप उनमे सुधार करते हुए अगले पायदान पर जा सकें।
सच है बुद्विमान लोग अपने दुश्मनों से भी फायदा उठा लेते हैं।
यहां पर हम एक कहानी का उल्लेख कर रहे हैं।
प्राचीन समय की बात है एक लड़के को एक चमकदार पत्थर मिला । लड़के को यह तो मालूम था कि यह पत्थर किमती है किंतु इसको तरासे बिना इसका कोई मूल्य नहीं है। एक जौहरी को जब इस बात का पता चला तो वह लड़के के पास गया और बोला
यह पत्थर मुझे देदो मैं तुमको काफी पैसा दूंगा तुम इसको तरास नहीं सकते । लेकिन लड़का इसका पूरा मूल्य वसूल करना चाहता था इसलिये वह इसके लिये तैयार नहीं था । उसने उचित अवसर देखकर जौहरी के सामने ही पत्थर को घिसना शूरू किया । किंतु जौहरी उसे गलत भाग को घंसता देख हंसने लगा ।
लड़का तुरंत ही समझ गया और पत्थर के घिसने वाले भाग को बदल दिया । किंतु अबकि बार जौहरी नहीं हंसा और वह पत्थर को सही तरह से घंस दिया । इस तरह से मूर्ख जौहरी उसे गलत भाग से घंसते देख हंसता और बुद्विमान लड़का इस बात को समझलेता । बस इस तरह से उसने पूरे पत्थर को सही सही घंस डाला और जौहरी देखता ही रह गया ।
किसी ने सही कहा है कि बुद्विमान व्यक्ति को भाष की नहीं संकेत की आवश्यकता होती है। फिर रस्ता तो वह अपने आप ही बना लेता है।
यदि आपकी भी कोई व्यक्ति जायज कमियां निकालता है तो आपको अपनी कमियों को स्वीकार करना चाहिये और उनको दूर करना चाहिये । तभी आप जिंदगी के अंदर उपर की सीढी पर चढ पायेंगे।