कुछ लोग असफल होने पर अपनी किस्मत को दोष देते हैं और कहते हैं कि हमारी किस्मत के अंदर जो लिखा होता है वही मिलता है। लेकिन वास्तव मे यह बहुत कम सच्च है। इंसान के इरादों के अंदर अगर जान हो तो वह बहुत कुछ कर सकता है। ऐसा ही कर दिखाया एक सख्स ने। मध्यप्रदेश के सागर जिले के अंदर रहने वाले रईस मकरानी जोकि पैसे से कार मैकेनिक हैं। कार को ठीक करते करते वे इस बारे मे काफी कुछ जानने लगे थे । और उनके अंदर कार बनाने की क्षमता भी विकसित हो गई थी ।
और एक दिन उन्होने वो कर दिखाया जाकि बड़ी बड़ी सैलरी लेने वाले इंजिनियर भी नहीं कर पाते हैं। दरसअल मकरानी का परिवार पीछले कई सालों से कार रिपेयरिंग का काम करता आया है।उनका हिंद मोटर के नाम से एक कार गैराज चलता है। जब वे 12वीं के अंदर फेल हो गए तो उनके घरवालों ने गैराज संभालने का काम उनको सौंप दिया ।
कैसे आया दिमाग मे आइडिया
वे बताते हैं कि एक बार जब गैस वेल्डिंग से ईंजन का काम कर रहे थे तो अचानक उनके दिमाग के अंदर पानी से चलने वाली कार बनाने का विचार आया ।गाड़ी के इंजन के पिस्टन को चलाने के लिए करंट और आग की आवश्यकता होती है। बाद मे उन्होने गाड़ी के इंजन के अंदर थोड़ा बदलाव किया और इंजन मे तेल की जगह पर पानी और कैल्शिियम कार्बाइड डाल दिया । इस तकनीक को विकसित करने मे उनको 5 साल का समय लग गया । बाद मे पानी और कैल्शियम से तैयार मिश्रण से चलने लगी ।
20 लिटर पानी और 2 किलो कैल्शियम से उनकी कार 20 किलोमिटर चलती है।
बड़ी कम्पनियों से आया ऑफर
2013 के अंदर उन्होने बम्बई से अपने आविष्कार का पेटेंट करवाया । उसके बाद मिडिया के अंदर खबरे आने के बाद कई विदेसी कम्पनियों ने उनको अपने साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया । इसी सिलसिले मे चीन की इलेकट्रिक वहान बनाने वाली कम्पनी कोलियो ने उनको अपने साथ काम करने का ऑफर दिया । दुबुई की एक कम्पनी ने भी उनको साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया लेकिन बात नहीं बन सकी ।
यदि मकरानी चाहते तो अपने आविष्कार को किसी भी विदेशी कम्पनी के हाथो बेच सकते थे । लेकिन उनकी इच्छा यह है कि यह कार भारत के अंदर ही बने और जिससे मेकइन इंडिया जैसा सपना भी साकार हो सके । व यहां के लोगों को रोजगार भी मिल सके ।
इस कार की खास बात यह है कि इसके अंदर खराब पानी जोकि नहाने कपड़े धोने से निकलता है का प्रयोग भी किया जा सकता है। प्रति 10 किलोमिटर के अंदर प्रति 20 रूपये का खर्च आता है जोकि वर्तमान के अंदर चलने वाली सभी प्रकार के इंधन से बहुत सस्ता है।
सही है कि किसी काम को करने के लिए मजबूत इरादों की आवश्यकता होती है।
कई पुरूस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं मकरानी
वे अब तक 12 विभिन्न प्रकार के पुरूस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। मकरानी को 2013 के अंदर मध्यप्रदेस सरकार ने भी सम्मानित किया था । वे बताते हैं कि उनको सच्ची खुशी तब मिलेगी । जब उनके देस के लोग उनकी बनाई कार का प्रयोग करेंगे । वे सरकारी उदासीनता को लेकर भी दुखी हैं उनका कहना है कि भारत के अंदर टलेंट की कमी नहीं है लेकिन यहां पर किसी आविष्कारक को महत्व नहीं दिया जाता है कोई पैसे लगाने को तैयार नहीं है। इसी वजह से मजबूर होकर भारतिये आविष्कारक अपने आविष्कार को दूसरे देसों को बेच देते हैं
This post was last modified on November 1, 2018