उर्दू तारीख कितनी है आज ,आज इस्लामी तारीख कितनी है हिजरी कैलेंडर या चंद्र कलैंडर को इस्लामी कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है। हम जो अंग्रेजी कैलेंडर का यूज करते हैं। इससे यह पूरी तरह से भिन्न होता है।इसके अंदर 12 चंद्र महिने होते हैं और 355 या 354 दिन होते हैं।इसका उपयोग इस्लामी छुट्टियों और अनुष्ठानों के उचित दिनों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि उपवास की वार्षिक अवधि और हज के लिए उचित समय । लगभग सभी देशों में जहां प्रमुख धर्म इस्लाम है
, वहां पर इसी कैलेंडर का उपयोग किया जाता है।यह कैलेंडर हिजरी युग की गणना करता है , जिसका युग 622 ई . में इस्लामी नव वर्ष के रूप में स्थापित हुआ था । उस वर्ष के दौरान, मुहम्मद और उनके अनुयायी मक्का से मदीना चले गए और पहले मुस्लिम समुदाय ने उम्मा की स्थापना की थी।
दोस्तों वैसे यदि आप एक मुस्लमान हैं तो आपको इसके बारे मे पता ही होगा । और अधिकतर मुस्लिम लोग अपने कैलेंडर के अनुसार ही काम करना पसंद करते हैं और उनके जो उत्सव होते हैं वे इस कैलेंडर पर ही आधारित होते हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं तो हम आपको यहां पर उर्दू तारीख कितनी है आज ,आज इस्लामी तारीख कितनी है के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको यह सब पसंद आएगा ।
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आज इस्लामी तारीख कितनी है इस्लाम मे सप्ताह के दिन
दोस्तों दूसरे धर्म की तरह ही इस्लाम के अंदर सप्ताह के 7 दिन माने गए हैं। लेकिन शुक्रवार के दिन को विशेष माना गया है। यदि आप किसी मुस्लिम देश के अंदर जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि शुक्रवार को जुमा कहा जाता है और इस जुमे के दिन सब वर्कर की छूट की जाती है। ताकि वे आसानी से नमाज अदा कर सकें। इस तरह से दोस्तों शुक्रवार का दिन सबसे उपयोगी है। और भारत के अंदर भी शुक्रवार को छूट्टी करना चाहिए ।
नहीं। | नाम | अरबी | अर्थ | अंग्रेजी समकक्ष |
1 | अल-आददी | .لْأَحَد | एक | रविवार |
2 | अल-इथनैनी | सोमवार | द्वितीय | सोमवार |
3 | अथ-थुलथानी | .لثََاثَاء | तीसरा | मंगलवार |
4 | अल-अरबिशानी | .لْأَرْبِعَاء | चौथा | बुधवार |
5 | अल-खामसी | .لْخَمِيس | पांचवा | गुरूवार |
6 | अल-जुमाह | शुक्रवार | भीड़ | शुक्रवार |
7 | अस-सब्ती | एल्सेबेथ | बाकी का | शनिवार |
आज इस्लामी तारीख कितनी है इस्लामिक तिथि जानिए
दोस्तों आपको बतादें कि इस्लामिक तिथि जानने का तरीका बहुत ही सरल है।05 मार्च 2022 को शाबान (1443) है। और इस्लाम के अनुसार अब यह 1443 का साल है। आपको पता होना चाहिए कि इस्लाम के अनुसार साल अलग अलग होता है। और अंग्रेजी मे तो सन 2022 चल ही रहा है।
इस्लामिक तारीख (शाबान) | अंग्रेजी तारीख |
1 | 05 मार्च |
2 | 06 |
3 | 07 |
4 | 08 |
5 | 09 |
6 | 10 |
7 | 11 |
8 | 12 |
9 | 13 |
10 | 14 |
11 | 15 |
12 | 16 |
13 | 17 |
14 | 18 |
15 | 19 |
16 | 20 |
17 | 21 |
18 | 22 |
19 | 23 |
20 | 24 |
21 | 25 |
22 | 26 |
23 | 27 |
24 | 28 |
25 | 29 |
26 | 30 |
उर्दू तारीख कितनी है आज इस्लाम के महिनों के नाम
दोस्तों इस्लाम मे भी अंग्रेजी की तरह 12 महिने होते हैं। लेकिन उनके नाम काफी अलग अलग होते हैं। जिनके बारे मे आप शायद नहीं जानते होंगे तो हम आपको उनके नाम के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं। उम्मीद करते हैं कि यह हमारा प्रयास आपको पसंद आएगा । वैसे आपको बतादें कि इस्लाम के अंदर अधिकतर महिने 29 या फिर 30 के होते हैं। जैसे कि 29 वे दिन चांद दिख गया है तो यह महिना 29 वां होगा । और यदि चांद नहीं दिखता है तो फिर यह महिना 30 वां होगा । इस तरह से देखा जाए तो यह कोई फिक्स नहीं होता है। और चांद पर ही निर्भर करता है।
इसका मतलब तो यही समझें कि कोई यह नहीं बता सकता है कि यह महिना 29 वां है या फिर 30 वां कारण यह है कि यह बस चांद के उपर निर्भर करता है। हालांकि कई लोग इसके अंदर अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह हर बार सच नहीं होता है।
हिजरी कैलेंडर को भारत में उर्दू कैलेंडर या मुस्लिम कैलेंडर भी कहते हैं। वैसे यदि हम अंग्रेजी और मुस्लिम कैंलेंडर की तुलना करें तो सीधा अंतर जो हमे पता चलता है वह यह है कि अंग्रेजी कैलेंडर सूर्य पर आधारित है। यह सूर्य के अनुसार अपनी तिथियों को बदलने का काम करता है। लेकिन जो इस्लामिक कैलेंडर होता है वह सूर्य के अनुसार अपनी तिथियों को नहीं बदलता है वरन यह चंद्रमा के अनुसार अपनी तिथियों को बदलता है। यही करण है कि इस्लामिक त्यौंहारों के अंदर कई दिनों का फर्क आ जाता है। यह आमतौर पर 10 से 11 दिनों का भी हो सकता है।
दोस्तों हर इंसान को इस्लामिक कैलेंडर को अपने घर के अंदर रखना चाहिए । और इसके हिसाब से ही काम करना चाहिए। सूर्य के चारों ओर चंद्रमा परिक्रमा लगाता है और उसको इसके अंदर 29 से 30 दिन का समय लग जाता है उसके हिसाब से यह कैलेंडर बनाया गया है।
हर इंसान को इस्लामिक कैलेंडर के 12 महिनों के बारे मे पूरे विस्तार से जान लेना चाहिए । यह वास्तव मे काफी फायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं। इस्लमिक कैलेंडर के 12 महिने के नाम और उनके बारे मे पूरे विस्तार से ।
अल-मुशर्रम
अल-मुशर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महिना होता है जोकि हिजरी कैलेंडर के नए साल के तौर पर भी जाना जाता है। इसके बारे मे आपको भी अच्छी तरह से पता ही होगा ।
एक पवित्र महीना, इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस महीने के दौरान युद्ध और सभी प्रकार की लड़ाई ( साराम ) वर्जित हैं।
यह जो महिना है वह चार पवित्र महिनों मे से एक होता है।और इसके अंदर युद्ध करने की मनाहि होती है।यह रमजान के बाद दूसरा सबसे अधिक पवित्र महिना माना जाता है।मुहर्रम के दसवें दिन को आशूरा के नाम से जाना जाता है शिया मुसलमान उसैन इब्न अली के परिवार की त्रासदी का शोक मनाते हैं , और सुन्नी मुसलमान आशूरा पर उपवास करते हैं।
मुहर्रम के इस महीने में अल्लाह की खूब इबादत करनी चाहिए । आपको बतादें कि अल्लाह की इबादत रात को सोते या जागते समय करनी चाहिए । इसके लिए वैसे तो कोई दिन और महिना नहीं होता है।पैगंबर मुहम्मद ने कभी नहीं कहा कि किसी को अल्लाह के लिए खून बहाना चाहिए या खुद को चोट पहुंचानी चाहिए। न ही मुस्लिम धर्मग्रंथों (कुरान, इंजिल, जबूर आदि) के पवित्र ग्रंथों में इसका कोई प्रमाण है।
- इस महीने के दौरान हुई घटनाओं के बारे मे जानें तो यह घटनाएं कुछ इस प्रकार से होती हैं। जिनका जिक्र करना जरूरी होता है तो आइए जानते हैं
- 1 मुहर्रम: 1400 एएच (1979 ईस्वी) में भव्य मस्जिद पर कब्जा।
- 3 मुहर्रम को हुसैन अलि एक शिविर की स्थापना करते हैं।
- 5 मुहर्रम: 665 एएच (1266 ईस्वी) में एक पंजाबी सूफी संत बाबा फरीद की पुण्यतिथि है। जिसको पाकिस्तान के अंदर मनाया जाता है।
- 10 मुहर्रम: अशूरा के दिन के रूप में संदर्भित है जिस दिन हुसैन इब्न अली कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए थे । शिया मुसलमान शोक में दिन बिताते हैं
15 मुहर्रम: मुहम्मद सिराजुद्दीन नक्शबंदी का जन्म 1297 एएच (1879 ईस्वी) में हुआ था।
इस तरह से हमने इस महिने की कुछ खास घटनाओं के बारे मे उल्लेख कर दिया है। इस तरह से आपको इसके बारे मे चीजें अच्छी तरह से समझ आ गई होगी तो अब चलते हैं इस्लामिक दूसरे महिने की तरफ
शफ़ार
शफ़ार इस्लाम का दूसरा महिना माना जाता है।माना जाता है कि इसका नाम इसलिए रखा गया क्योंकि पूर्व-इस्लामिक अरब घर साल के इस समय खाली थे, जबकि उनके रहने वाले भोजन इकट्ठा करते थे।
इस महिने के अंदर होने वाली कुछ घटनाओं के बारे मे हम आपको बताते हैं जिससे कि इसके बारे मे आपको पता चल जाएगा कि इस महिने के अंदर इस्लामिक इतिहास के अंदर क्या क्या घटित हुआ था।
- 01 Safar 61 AH, कर्बला के कैदी सीरिया में यज़ीद के महल में दाखिल हुए
- 13 Safar 61 AH सकीना बिन्त हुसैन की मृत्यु, हुसैन इब्न अली की सबसे छोटी बेटी को कैद कर लिया गया ।
- 17 सफ़र 202 एएच अलि अल रिधा की शहादत हुई ।
- 18, 19 और 20 सफर, अली हजवेरी की पुण्यतिथि को लाहौर के अंदर बनाया जाता है।
- 27 Safar 1 AH, अबू बक्र के साथ मुहम्मद द्वारा मक्का से मदीना में प्रवास
- 27 सफ़र 589 एएच, सलाहुद्दीन अल-अय्यूबिक की मृत्यु
- 28 सफ़र 11 आह, मुहम्मद घातक रूप से बीमार पड़ गए थे ।
- 28 सफर 50 आह, मुहम्मद के पोते इमाम हसन इब्न ‘अली की शहादत हुई
रबी अल अव्वल Rabi’ al-awwal
रबी अल अव्वल इस्लाम का तीसरा महिना होता है।यह महिना मुस्लमानों के लिए काफी पवित्र महिना है और यही वह समय था जिसके अंदर कि मुहम्मद का जन्म हुआ था। जोकि एक तरह से देखा जाए तो काफी खुशी का मौका था।
यह एक तरह से वसंत की शुरूआत भी है।इस्लामी अरब कैलेंडर के अंदर भी इसका जिक्र मिलता है। इस महीने के दौरान, अधिकांश मुसलमान मौलिद मनाते हैं – इस्लामी पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन के रूप मे इसे मनाते हैं।
सुन्नी मुसलमान मुहम्मद के जन्म की तारीख को इस महीने की बारहवीं तारीख को मानते हैं, जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि उनका जन्म सत्रहवें दिन हुआ था।
इस महिने के अंदर रबी नाम आता है और रबी का मतलब होता है वसंत ।हालांकि इतिहासकार और विद्वान मुहम्मद के जन्म की सही तारीख पर असहमत हैं लेकिन कुछ मुस्लमान इसको 12 से 17 तारिख के बीच मानते हैं। इसके अलावा मुहम्मद के जन्म दिन को भी अधिकांश लोग नहीं मानते हैं। इसके पीछे का जो कारण है वह यह है कि इसका कारण यह है कि खुद पैगंबर और उनके साथी ने भी उनके समय मे उनका जन्म दिन मनाया था। इसके अलावा इसके बारे मे कुरान के अंदर भी किसी तरह का कोई भी उल्लेख नहीं मिलता है।
लेकिन कुछ जगहों पर पैंगंबर मोहम्मद के जन्म दिन को मनाया जाता है वहां पर आमतौर पर महिने के पहले ही दिन यह उत्सव शूरू हो जाता है। जहां पर कि यह लोग अपने मकानो और गलियों को अच्छी तरह से सजाने का काम करते हैं। और यह सजावट पूरे महिने जारी रहती है। इसके अलावा मकान और गलियों के अंदर हरे झंडे को भी लगाया जाता है।
कई देशों में रात और दिन रबी अल-अव्वल की 12 या 17 तारीख को एक जुलूस भी निकाला जाता है। इन अवसरों पर घर-घर और आम जनता को मिठाई और पेय भी व्यापक रूप से वितरित किए जाते हैं। कुछ क्षेत्रों में मुसलमान उपहारों का आदान-प्रदान भी करते हैं।
- 01 रबी अल-अव्वल 897 एएच, ग्रेनेडा के अमीरात का पतन इसी महिने के अंदर हुआ था।
- 08 रबी अल-अव्वल, इमाम हसन अल-अस्करी ट्वेल्वर इमाम की मृत्यु ।
- 12 रबी अल-अव्वल को मोहम्मद का जन्म दिन मानते हैं।
- 17 रबी अल-अव्वल, शिया इमाम जाफ़र अल-सादिक का जन्मदिन मनाते हैं ।
- 26 रबी अल-अव्वल 1333 एएच, ख्वाजा सिराजुद्दीन नक्शबंदी की मृत्यु
रबी अत-थानी Rabi’ al-Thani
रबी अल-थानी इस्लामी कैलेंडर का यह चौथा महिना होता है।तुर्क साम्राज्य के दिनों में मे इस महिने को रबी अल-थानी के नाम से भी जाना जाता था।इस महिने के अंदर जो चीजें खास इतिहास मे घटित हुई थी उनके बारे मे हम जान लेते हैं।
- 08 या 10 रबी अल-थानी, ग्यारहवें इमाम हसन अल-अस्करी का जन्म
- 10 या 12 रबी अल-थानी, फातिमा बिन्त मूसा की मृत्यु।
- रबी अल-थानी के 15, हबीब अबू बक्र अल-हद्दादी की मृत्यु
- रबी अल-थानी के 27, अहमद सरहिंदी की मृत्यु
इस्लामिक कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर होता है। जिसके अंदर महीने तब शुरू होते हैं जब एक अमावस्या का पहला अर्धचंद्र देखा जाता है। और इसके अंदर आम अंग्रेजी वर्ष से 12 से 11 दिन कम होते हैं।
जुमादा अल-इलाह Jumada al-awwal
जुमादा अल-इलाह इस्लाम के अनुसार 5 महिना है।जुमादा का मतलब होता फ्रीज करना ।इस नाम की उत्पति अरबी से हुई है। जिसका मतलब शुष्क हो सकता है।इस महिने के अंदर 29 से 30 दिन हो सकते हैं।जुमादा अल-इला का अर्थ संभवतः “शुष्क या ठंडे महीने के दौरान प्रभार लेना, प्रशंसा करना, सौंपना, प्रतिबद्ध करना या देखभाल करना” हो सकता है।
इस महिने के अंदर कई सारी इस्लामिक घटनाएं हुई जिसके बारे मे आपको जान लेना चाहिए । ताकि आपको स्मरण रहें।
- 5 जुमादा अल-अव्वल को ज़ैनब बिन्त अली का जन्म हुआ।
- 10 जुमादा अल-अव्वल 11 एएच, पैगंबर मुहम्मद की प्यारी बेटी फातिमा बिंत मुहम्मद की मौत हो गई ।
- 13 जुमादा अल-अव्वल 11 एएच पर, फातिमा बिन्त मुहम्मद को उनके पति अली ने दफनाया था।
- 20 जुमादा अल-अव्वल 857 पर, तुर्क सुल्तान मेहमेद द्वितीय ने कॉन्स्टेंटिनोपल पर विजय प्राप्त करली थी।
Jumada al-Thani
जुमादा अल-थानी हिजरी कलैंडर का 6 वां महिना होता है।और इस महिने के अंदर जो कुछ खास घटनाएं घटित हुई थी। उनके बारे मे भी हम अच्छी तरह से जान लते हैं तो आइए जानते हैं कि इन खास तरह की घटनाओं के बारे मे ।
- 03 जुमादा अल-थानियाह, 11 एएच में मुहम्मद की बेटी फातिमा की मृत्यु।
- 03 जुमादा अल-थानियाह, हारून अल रशीद की मृत्यु , पांचवें अब्बासिद खलीफा।
- 10 जुमादा अल-थानियाह, बसोरा (जमाल) की लड़ाई में अली की जीत।
- 25 जुमादा अल-थानियाह, 564, सलाह अल-दीन मिस्र का अमीर बन गया ।
राजाबी Rajab
राजाबी हिजरी कलैंडर का 7 वां महिना है।यह दूसरा पवित्र महीना है जिसमें लड़ाई करना मना है। रजब एक क्रिया से भी संबंधित हो सकता है जिसका अर्थ है “हटाना”। इस महीने को इस्लाम में चार पवित्र महीनों ( मुहर्रम , धू अल-क़दाह और धू अल -हिज्जाह सहित) में से एक माना जाता है जिसमें लड़ाई निषिद्ध है। पूर्व-इस्लामी अरब भी चार महीनों के दौरान युद्ध को ईशनिंदा मानते थे।और इस महिने के अंदर यह माना जाता है कि रजब वह महीना है जिसमें शिया मुसलमानों के पहले इमाम और सुन्नी मुसलमानों के चौथे खलीफा अली इब्न अबू तालिब का जन्म हुआ था।
- यदि हम इस महिने की कुछ खास घटनाओं पर नजर डालें तो वे इस प्रकार से होती हैं।
- तबूक की लड़ाई रजब, 9 एएच (अक्टूबर 630) में हुई थी।
- अल-अकाबा में दूसरी प्रतिज्ञा रजब में हुई।
- 6 रजब: चिश्ती तारिक (पथ) के कई सूफी अनुयायी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जयंती को मनाया जाता है।
- 27 रजब, इसरा और मिराज की घटना ।
- 27 रजब 583 एएच, अय्युबिड्स द्वारा यरूशलेम की विजय
Sha’ban
शाबान वर्ष के उस समय को चिह्नित किया जब अरब जनजातियाँ पानी खोजने के लिए तितर-बितर हो गईं। शाबान भी एक क्रिया से संबंधित हो सकता है जिसका अर्थ है “दो चीजों के बीच में होना”।
इस्लामी पैगंबर मुहम्मद की विभिन्न परंपराओं में शाबान के गुणों का उल्लेख किया गया है ।इस महिने के अंदर भी कुछ खास इतिहासिक घटनाएं हुई जिनके बारे मे हम नजर डाल लेते हैं तो आइए जानते हैं।
- 01 शाबान, ज़ैनब बिन्त अली का जन्म ।
- 03 शाबान, हुसैन इब्न अली का जन्म ।
- 04 शाबान, अब्बास इब्न अली का जन्म ।
- 05 शाबान, अली इब्न हुसैन का जन्म ।
- 05 शाबान, फ़ातिमा की दासी (क़ानीज़) फ़िज़ा की मृत्यु ।
- 07 शाबान, कासिम इब्न हसन का जन्म ।
- 11 शाबान, अली अल-अकबर इब्न हुसैन का जन्म ।
- 11 शाबान 1293 एएच, अब्दुलहमीद द्वितीय तुर्क साम्राज्य का सुल्तान बन गया था।
- 21 शाबान, लाल शाहबाज कलंदर का निधन हो गया था।
इस तरह की कुछ खास घटनाएं । इस महिने के अंदर हुई थी जिनके बारे मे आपको जानने की जरूरत है।
Ramadan रमजान
रमजान के महिने के बारे मे तो आप सभी अच्छी तरह से जानते ही होंगे । यह एक पवित्र महिना होता है।रमजान हिजरी कैलेंडर का सबसे सम्मानित महीना है। इस समय के दौरान, मुसलमानों को सुबह से सूर्यास्त तक उपवास करना चाहिए और गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए ।
यह इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है , और वह महीना जिसमें माना जाता है कि कुरान इस्लामी पैगंबर मुहम्मद को प्रकट किया गया था ।कई मुसलमान रमजान की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए चांद के भौतिक दर्शन पर जोर देने का काम करते हैं। जबकि कुछ मुस्लमान अमावस्या के अनुसार रमजान को मानते हैं। हालांकि देश के लोग साउदी अरेबिया की घोसणा के उपर विश्वास रखते हैं। इस तरह से दोस्तों चांद जब दिखाई देता है तब से ही रमजान महिने की शूरूआत मानी जाती है। अब आइए एक नजर डाल लेते हैं कि रमजान के महिने के अंदर क्या क्या खास चीजें हुई थी तो इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । रमजान पूरे चंद्र महीने के दौरान इसी नाम से मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों के महीने में उपवास और अतिरिक्त प्रार्थनाएं होती हैं।
- 1 रमजान, अब्दुल कादिर गिलानी का जन्म हुआ था।
- 2 रमजान, तोराह इस्लाम के अनुसार मूसा को दिया गया था ।
- 10 रमजान, मुहम्मद की पत्नी खदीजा बिन्त खुवेलिद की मृत्यु।
- 12 रमजान, इस्लाम के अनुसार यीशु को सुसमाचार दिया गया था ।
- 15 रमजान, हसन इब्न अली का जन्म ।
- 17 रमजान, इब्न अरबी का जन्म ।
- 20 रमजान, मुहम्मद द्वारा मक्का की विजय ।
- 21 रमजान, खलीफा अली शहीद।
शववाली
शववाली इस्लामिक कलैंडर का 10 वां महिना होता है।मादा ऊंट आमतौर पर साल के इस समय बछड़े में होती हैं और अपनी पूंछ उठाती हैं। इस महीने के पहले दिन, ईद अल-फितर , “उपवास तोड़ने का त्योहार” शुरू होता है। शव्वाल का पहला दिन ईद-उल-फितर है । कुछ मुसलमान ईद उल-फितर के अगले दिन शव्वाल के दौरान छह दिनों के उपवास का पालन करते हैं । कहा जाता है कि यह छ दिन पूरे साल के रोजे रखने के बराबर होता है। इस्लाम में एक अच्छे काम का 10 गुना इनाम दिया जाता है, इसलिए रमजान के दौरान 30 दिन और शव्वाल के दौरान 6 दिन उपवास करना दायित्व की पूर्ति में पूरे साल उपवास के बराबर है।
शिया विद्वान छह दिनों के लगातार होने पर कोई जोर नहीं देते हैं, जबकि सुन्नियों के बीच अधिकांश शफी विद्वानों का मानना है कि इन दिनों लगातार उपवास करने की सिफारिश की गई है अब आइए जानते हैं कि इस महिने के अंदर कुछ खास प्रकार की घटनाओं के बारे मे जोकि इतिहास के अंदर घटित हुई थी।
- शव्वाल के हर 1 दिन, ईद-उल-फितर पूरे मुस्लिम दुनिया में इस महीने के तीसरे दिन तक लगातार तीन दिनों तक मनाया जाता है।
- 07 शव्वाल 3 एएच, शुरुआती मुसलमानों ने उहुद की लड़ाई में भाग लिया ।
- 18 शव्वाल, सूफी फकीर और कवि अमीर खुसरो का उर्स ।
- 22 शव्वाल 1284 एएच, हाजी दोस्त मुहम्मद कंधारी की मृत्यु, नक्शबंदी परंपरा के एक अफगान सूफी गुरु ।
- 25 शव्वाल 148 आह, इमाम जाफ़र अस -सादिक की शहादत ।
अल-क़ायदाह Dhu al-Qadah
अल-क़ायदाह का नाम भी आपने सुना ही होगा यह एक प्रकार का पवित्र महिना होता है। जिसके अंदर युद्ध करने की मनाही होती है। हालांकि यदि किसी वजह से युद्ध हो जाता है तो अपना बचाव करने का अधिकार सबको होता है।
इस महिने के अंदर कुछ खास प्रकार की घटनाएं हुई थी जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं इन घटनाओं के बारे में ।
- 5 आह, मुसलमानों ने खाई की लड़ाई में भाग लिया ।
- 6 आह, हुदाउबियाह का युद्धविराम ।
- 6 आह, वृक्ष की प्रतिज्ञा ।
- 7 आह, पहली तीर्थयात्रा – मुहम्मद और उनके साथियों द्वारा उमराह के प्रदर्शन के लिए मक्का की वापसी ।
- 1 ज़ुल-क़िदा, फ़ातिमा बिन्त मूसा की जयंती ।
- 1 ज़ुल-क़िदाह, हुदैबियाह की संधि ।
- 8 ज़ुल-क़ीदाह, हज को 8 हिजरी में मुसलमानों पर अवलंबी बनाया गया था।
- 11 ज़ुल-क़िदा, आठवें ट्वेल्वर इमाम इमाम अली इब्न मूसा अल -रिधा की जयंती ।
- 23 ज़ुल-क़िदा, एक परंपरा के अनुसार इमाम अली अल-रिधा की शहादत।
Dhu al-Hijjah धू अल-हिज्जाही
यह जो महिना है वह हिजरी कलैंडर का अंतिम महिना है।यह एक ऐसा महिना होता है । जिसे तिर्थ यात्रा के लिए जाना जाता है।इस महीने के दौरान दुनिया भर से मुस्लिम तीर्थयात्री काबा की यात्रा के लिए मक्का में एकत्र होते हैं । हज इस महीने के आठवें, नौवें और दसवें दिन किया जाता है। अराफा का दिन महीने की नौवीं तारीख को होता है
इस्लामी परंपराओं के अनुसार, धू अल-हिज्जा के पहले 10 दिन सबसे धन्य दिन होते हैं जिसमें इमाम अली के अनुसार अच्छे काम होते हैं: “9-10 धू अल हज्जाह निकाह संबंधों के लिए सबसे अच्छे दिन हैं।
यदि हम इस महिने के अंदर होने वाली खास घटनाओं पर नजर डालें तो इस महिने के अंदर कई तरह की घटनाएं हुई हैं। तो आइए जानते हैं उनके बारे में
- उपवास के लिए धू अल-हिज्जा के पहले 9 दिन
- तहज्जुद में खड़े होने (क़ियाम) के लिए धू अल-हिज्जा की पहली 10 रातें
- हज्जो के दिनों के रूप में धू अल-हिज्जा की 8वीं, 9वीं और 10वीं
- अराफाह के दिन के रूप में धू अल-हिज्जा का 9वां दिन
- तकबीरुत तशरीक 9 धू अल-हिज्जा से 13 धू अल-हिज्जाह तक मनाया जाता है
- ईद की रात के रूप में धू अल-हिज्जाह की 10 वीं
इस तरह से दोस्तों आप इस्लामिक महिनों के नाम और उनके बारे मे कुछ खास घटनाओं को अच्छी तरह से समझ गए होंगे। और यदि आपका इस संबंध मे कोई सवाल है तो आप हमकों बता सकते हैं। यदि हमे आपके सवाल का जवाब आता होगा तो उत्तर देंगे ।
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