इस लेख के अंदर बात करेंगे ऐसा कौनसा जीव है जिसके तीन आंखे होती हैं , दोस्तों क्या आपने तीन आंखों वाले जीव के बारे मे सुना है। एक परीक्षा के अंदर यह सवाल पूछा गया कि ऐसा कौन सा जीव है जिसके तीन आंखें हैं ? तो दोस्तों दुनिया के अंदर बहुत सी अजीबो गरीब चीजें पाई जाती हैं। एक ऐसा जीव भी है जिसके दो नहीं वरन तीन आंखे होती हैं।दोस्तों कुछ जानवर ऐसे होते हैं जिनके अंदर parietal eye पाई जाती है। जिसको तीसरी आंख या पीनियल आंख के नाम से जाना जाता है। खासकर यह छिपकली की प्रजातियों के अंदर पाई जाती है।यह पीनियल ग्रंथि से संबंधित होती है। और हार्मोन उत्पादन को नियंत्रित करती है।
यह छिपकली, मेंढक, सैलामैंडर, कुछ बोनी मछली, शार्क और लैम्प्रेयस में पाई जाती है। यह स्तनधारियों में अनुपस्थित है, लेकिन उनके निकटतम विलुप्त रिश्तेदारों, थेरैपिड्स में मौजूद था।वरनिड छिपकली छिपकली भी एक ऐसा जंतु है जिसके अंदर तीन आंखे होती थी। लेकिन आज यह छिपकली पूरी तरीके से विलुप्त हो चुकी है।
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छिपकली की तीसरी आंख किस तरह से काम करती है ?
दोस्तों हर छिपकली के अंदर तीसरी आंख नहीं पाई जाती है। कुछ खास प्रजातियों के अंदर पाई जाती है। दोस्तों जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार छिपकली की तीसरी आंख उसे सूर्य की रोशनी के अंदर दिशा देने का काम करती है। वह अपनी तीसरी आंख की मदद से यह पता लगाती हैं कि सूर्य किस दिशा मे है और कितना प्रकाश पैदा कर रहा है।इस तरह से वे अपना रस्ता खोजने मे उनको काम मे लेती हैं।
वैज्ञानिकों ने जानने के लिए छिपकलियों को को एक ऐसी जगह पर रखा गया । जहां से सूर्य का प्रकाश मात्र कुछ बिंदूओं से ही आ रहा था।वैज्ञानिको ने पाया की सूर्य की प्रकाश की वजह से वे अपना रस्ता खोजने मे सक्षम हुई। उसके बाद के एक प्रयोग के अंदर छिपकली की तीसरी आंख को एकदम से हटा दिया गया । ऐसी स्थिति के अंदर यह पाया गया कि छिपकली किसी भी तरीके के रस्ते को नेविगेट करने मे सक्षम नहीं थी। इस तरीके से छिपकली अपनी तीसरी आंख का प्रयोग प्रकाश की स्थिति को नेविगेट करने मे करती है।इस तरीके से आंख-के-कम्पास सिद्धांत को कम से कम छिपकलियों में सुदृढ़ करता है।
तीन आंखों वाला जीव तुतारा
वास्तव मे तुतारा दूसरे जानवरों से बहुत अलग है। यह देखने मे छिपकली जैसा ही दिखता है। लेकिन यह दूसरे जानवरों से बहुत अलग है। इसके अंदर जो सबसे खास बात है वो यह है कि इसकी तीसरी आंख । दोस्तों इस जानवर के अंदर 3 आंखें होती हैं।यह अब केवल न्यजलैंड के अंदर ही पाया जाता है। इसके निकटतम रिश्तेदार सिरीसर्प का एक समूह था।इसी वजह से इसको वैज्ञानिक जिवित जिवाश्म के नाम से जानते हैं।
तुतारा एक देशी माओरी शब्द होता है। जिसका अर्थ होता है। पीठ पर चोटियां । इसके नर और मादा के अंदर एक स्पाइकी तराजू का समूह होता है। जिसको रीढ के नाम से जाना जाता है।जो पीठ और पूंछ के क्रेंद्र मे होता है।
आपको बतातें चलें कि तीन आंखों वाले इस प्राणी के अंदर बाहरी रूप से कोई कान नहीं होते हैं। और यह ठंडे मौसम का आनन्द लेना पसंद करते हैं। जबकि यह निशाचर होते हैं। लेकिन छिपकलियां गर्म मौसम के अंदर रहना पसंद करती हैं।
तुतारा के शरीर का सबसे जिज्ञासु हिस्सा जो होता है वह इसकी तीसरी आंख होती है। इस आंख के अंदर रेटिना ,लेंस और तंत्रिका होते हैं। लेकिन इसका आंख का प्रयोग देखने के लिए नहीं किया जाता है। एक युवा तुतारा के अंदर इसको साफ देखा जा सकता है।लेकिन जैसे जैसे तुतारा बड़ा होता है। है तीसरी आंख एक दम से ढक जाती है यह दिन का समय और मौसम को निर्धारित करने मे मदद करती है।
सन 1989 के अंदर न्यूजलैंड के बदर्स आइलैंड पर 10 एकड़ मे रॉक द्विप पर एक तुतारा समूह की खोज की गई थी। यहां पर लगभग 600 तुतारा रहते थे ।हालांकि पहले वैज्ञानिकों ने कहा कि यहां कई प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन बाद मे यह कहा गया कि यहां सिर्फ एक ही प्रजाति है।
आमतौर पर वयस्क तुतारा रात के अंदर अधिक सक्रिय रहते हैं। यह कीड़े ,पक्षियों के अंडे , और छिपकलियों तक को खा जाते हैं। युवा तुतारा आमतौर पर दिन मे भी शिकार कर सकते हैं।तीन आंखो वाले जीव तुतारा के उपरी जबड़े पर दो दांतों की पंक्तियां होती हैं। जबकि नीचले जबड़े पर एक ही पंक्ति होती है। यह कठोर जीव को अलग करने मे मदद करती है। जब वे बूढ़े हो जाते हैं तो उनके दांत टूट जाते हैं इस वजह से नर्म खाने को खाना पड़ता है।
ऐसा कौन सा जीव है जिसके तीन आंखें हैं ? तुतारा का सामाजिक जीवन
नर हर साल के अंदर प्रजनन करते हैं। लेकिन मादा हर दो से पांच साल के अंदर प्रजनन करती है। खास तौर से मार्च के अंदर । नर तुतारा मादा के पास बैठना चालू कर देते हैं। और मादा को आकर्षित करने का प्रयास भी करते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर यदि मादा चाहती है तो ही प्रजनन होता है। नर के अंदर कोई जनन अंग नहीं होता है। इस वजह से प्रजनन रगड़ने से होता है। मादा एक बार मे 1 से 19 अंडे देती है। मादा 10 से 12 महिने तक शुक्राणु को स्टोर कर सकती है।मादा अंडो को 10 से 12 महिने तक सेती है। जो सबसे लंबी अवधि है।
इतनी लंबी अवधि की वजह से इनके अंडों का बचना मुश्किल होता है। क्योंकि अधिक अंडे शिकारी जानवरों के द्वारा खा लिए जाते हैं।आपको बतादें कि लिंग का निर्धारण तापमान के आधार पर होता है। उच्च तापमान की वजह से अधिक नर पैदा होते हैं। जबकि कम तापमान की वजह से मादा पैदा होती हैं।
तीन आंखों वाले जीवों का अस्ति्व खतरे मे
तुतारा पहले न्यूज लैंड के दो द्विपों पर लाखों की संख्या के अंदर निवास करते थे । लेकिन बाद मे मनुष्य पोलेनेशिया से आए और अपने साथ लाए कुत्ते और बिल्लियों ने तुतारा के अंड़ों को नष्ट कर डाला । उसके बाद यूरोपियन न्यूजलैंड के अंदर पहुंचे यह अपने साथ लाए कुत्तों और बिल्लियों ने अधिकांश तुतारा आबादी को मिटा दिया। उसके बाद खतरे को देखते हुए सन 1895 ई के अंदर सरकार ने तुतारा को अपने संरक्षण के अंदर लेलिया ।संरक्षण के बाद भी तुतारा की आबादी गायब होती रही । क्योंकि चूहों के द्वारा इनका शिकार किया जाता रहा।
सन 1984 के अंदर केवल 6 महिने के अंदर 25 एकड़ द्विप पर तुतारा की सारी आबादी को मार डाला।अब न्यूज लैंड के केवल 37 छोटो भागों पर तुतारा जीवित हैं।सन 1988 ई के अंदर न्यूजलैंड सरकार ने तुतारा के संरक्षण के लिए एक कार्यक्रम चलवाया था। जिसके बाद अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। तुतारा के प्राक्रतिक आवास को बाहल करने के लिए न्यूज लैंड की सरकार लगी हुई है।
3 आंखों वाला सांप ओस्ट्रेलिया मे मिला
2 मई सन 2019 को प्रकाशित एक न्यूज के अनुसार मोरेलिया स्पिलोटा नाम एक अजगर के सर पर तीसरी आंख थी। वैज्ञानिको के अनुसार यह कोई विकृति नहीं थी।ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र के पार्कों और वन्यजीव आयोग (NTPWC) के रेंजरों ने मार्च के अंत में डार्विन के दक्षिण-पूर्व में 25 मील के एक छोटे से शहर हम्पटी डू के पास एक राजमार्ग पर जंगली ट्राईकॉप्स के पास इस सांप की खोज की थी। यह सांप केवल 2 महिने तक ही जीवित रह पाया था।मोंटी नामक यह सांप अपनी तीसरी आंख की वजह से भोजन के लिए संघर्ष किया और इसी वजह से यह मारा गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार प्राचीन मॉनिटर छिपकली की एक प्रजाति जो लगभग 49 मिलियन साल पहले रहती थी, उसकी चार “आंखें” थीं
हमारे पूर्वजों के अंदर थी तीसरी आंख
दार्शिनक रेन डेसकार्टेस का मानना था कि पिनियल ग्रंथी हमारे दिमाग के अंदर स्थिति एक छोटा सा बटन होता है। जिसका जुड़ाव हमारी आत्मा से होता है।आज अनेक वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह साबित किया जा चुका है कि पहले कभी तीसरी आंख हुआ करती थी। जोकि अब गायब हो चुकी है। हालांकि कुछ जीवों के अंदर यह अभी भी बची हुई है। सभी सरीसर्प के अंदर अभी भी पिनियल आंख है जोकि ठंडे खनू वाले हैं। लेकिन गर्म खून वाले स्तनधारियों के अंदर यह विलुप्त हो चुकी है।
कुछ वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार पूर्व स्तनधारियों ने अपनी तीसरी आंख को खोदिया था। स्तनधारी पूर्वज आज से 246 मिलियन साल पहले अपनी तीसरी आंख को खो चुके थे । जब वे ठंडे खून से गर्म खून के अंदर स्थानान्तरित हो रहे थे ।
तीसरी आंख की आवश्यकता क्यों थी ?
दोस्तों तीसरी आंख कॉर्नियां , लेंस और रेटिना से बना होता है। और यह नियमित आंख से भिन्न होती है जोकि प्रकाश और अंधेरे के बीच अंतर कर सकता है। लेकिन हमारी नियमित आंखे भी ऐसा कर सकती हैं तो क्या यह आंख अनावश्यक थी। रिसर्च से यह पता चला है कि सरीसर्प के अंदर यह आंखे एक कलैंडर के रूप मे काम करती हैं। यह दिमाग को बताती हैं कि दिन कितने बड़े हो रहे हैं ?,राते छोटी हैं , क्या उल्टा हो रहा है ,मौसम कैसे बदल रहा है ? प्रजनन लय और जीवन चक्र की निगरानी मे यह आंख महत्वपूर्ण होती हैं।
छिपकली पर किये गए रिसर्च से पता चला है कि उसकी तीसरी आंख हटाने पर उनके शरीर के तापमान को विनियमित करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।स्तनधारियों ने तब अपनी तीसरी आंख को खोदिया था। जब वे गर्म खून मे प्रवेश कर चुके थे ।
पिनियल आंख पिनियल फोरामेन से जुड़ी होती है। यह एक टयूब है जो पिनियल आंख और तंत्रिका के लिए खोपड़ी को छेदती है। हमारे पूर्वजों के सर पर इस प्रकार का एक छेद था।वैज्ञानिकों की टीम ने उन स्तनधारियों की 600 से अधिक खोपड़ियों का मूल्यांकन किया जोकि ठंडे खून वाले थे । तब वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि जो स्तनधारी ठंडे प्रदेशों के अंदर रहा करते थे ।उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए तीसरी आंख मौजूद थी। लेकिन जैसे ही जलवायु के अंदर बदलाव आया इस आंख की उपयोगिता समाप्त हो गई और यह विलुप्त हो गई।
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This post was last modified on May 5, 2019
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