कबूतर की आवाज कैसी होती है , कबूतर कैसे बोलता है ,कबूतरे से जुड़े कुछ मजेदार तथ्य के बारे मे हम बात करेंगे ।कबूतर के बारे मे आप जानते ही होंगे । कबूतर कई प्रकार के होते हैं।घरेलू कबूतर सबसे आम कबूतर है जो हमारे घरो के आस पास आसानी से मिल जाएगा । मिस्र के अंदर एक लिपि मे 5000 साल पुराने कबूतरों के चित्र मिले हैं। जबकि रिसर्च बताते हैं कि कबूतर 10 हजार साल से भी अधिक पुराने हैं। प्राचीन काल के अंदर कबूतरों का प्रयोग संदेश भेजने के लिए किया जाता था।संदेश भेजने वाले लोग एक कबूतर के गले के अंदर कुछ लिख कर डाल देते थे उसके बाद वही कबूतर दूसरे स्थान तक संदेश पहुंचाता था।
बहुत से लोग कबूतर को अपने घरों के अंदर भी पालते हैं।कुछ लोग अपने घरों के अंदर कबूतरों को मांस के लिए पालते हैं लेकिन भारत के अंदर अधिकतर लोग केवल शौक के लिए कबूतर पालते हैं आजकल कबूतरों की अलग अलग प्रकार की नस्लों को क्रत्रिम तरीके से बनाया जा रहा है। और इन नस्लों का प्रयोग मांस के लिए नहीं किया जाता है। वरन इनको शौक के लिए पाला जा रहा है।
आमतौर पर लोग घरेलू कबूतर नहीं पालते हैं वे सुंदर नहीं होते हैं लेकिन जंगली कबूतर घरेलू कबूतर की तुलना मे अधिक सुंदर होते हैं इस वजह से इन कबूतरों को पाला जाता है।
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कबूतर कैसे बोलते हैं ? कबूतर की आवाज download
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interesting facts of pigeon कबुतरों से जुड़े मजेदार तथ्य
दोस्तों कबूतर हमारे सबसे बड़े साथी होते हैं। और यह आज से नहीं है हमेशा से ही है। खैर आज भी बहुत से लोग केवल शौक के लिए कबूतर पालते हैं तो आइए जानते हैं कबूतरों से जुड़े मजेदार तथ्यों के बारे मे ।
कबूतर दूध का उत्पादन करते हैं
वैसे तो आपने सुना ही होगा कि स्तनधारी ही दूध का उत्पादन कर सकते हैं लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की कबूतर दूध का उत्पादन करते हैं। और अपने बच्चों को दूध भी पिलाते हैं।यह दूध संग्रहित किये गए भोजन से बनाया जाता है और कबूतर के बच्चे तब तक दूध पीते हैं जब तक कि वे 4 सप्ताह के नहीं हो जाते हैं।
कबूतर अधिक मल्टीटास्कर होते हैं
कबूतर इंसानों की तुलना मे अधिक मल्टीटास्कर होते हैं। Ruhr-Universitat Bochum के वैज्ञानिकों ने 15 मनुष्यों और 12 कबूतरों के एक परीक्षण समूह को एक साथ रखा और उन सभी को दो सरल कार्य पूरा करने के लिए प्रशिक्षित किया।उसके बाद कबूतरों को भी एक कार्य को पुरा करने के बाद दूसरा कार्य करना होगा ।ऐसी स्थिति मे कबूतरों ने इंसानों से भी बेहतर प्रदर्शन किया था।
कबूतर बीमारियों की गम्भीरता को पहचानने मे सक्षम होते हैं ।
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सन 2015 मे हुए एक रिसर्च जिसको यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने 16 कबूतरों के साथ किया गया । इन कबूतरों को कैसर के बारे मे प्रशीक्षण दिया गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार कबूतरों को प्रशिक्षण देने के बाद वे 85 प्रतिशत सटिकता के साथ इसकी गम्भीरता का आसानी से पता लगा सकते थे । इसका अर्थ यह है कि कबूतर बीमारी की गम्भीरता का पता लगाने मे भी सक्षम होते हैं।
कबूतरों और मानवों का साथ 5000 साल से अधिक पुराना
कबूतरों का और मानव का साथ बहुत ही पुराना है। मिस्र के अंदर 5000 साल पुराने एक प्रमाण के अंदर इंसानों को कबूतरों के साथ दिखाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि मानव कबूतरों के साथ काफी पुराने समय से रहता आ रहा था।
कबूतर 1300 मील की दूरी से भी वापस आ सकते हैं
प्राचीन काल के अंदर कबूतरों का प्रयोग संदेश भेजने के लिए इसीलिए तो किया जाता था क्योंकि यह काफी लंबी दूरी की यात्रा करके आसानी से वापस आ सकते थे ।कबूतरों की लंबी दूरी तक चलने की क्षमता की वजह से भी उनको नौसैनिक संदेशवाहक बनाते थे ।हालांकि इसके लिए कबूतरों को पहले प्रशिक्षित करना होता था।और कई बार किसी उड़ते हुए कबूतर को बीच मे दुश्मन देश भी तीर से घायल करके संदेश पढ़ लिया करते थे ।
जब कबूतरों ने दूतों का काम भी किया
आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि कबूतर भी दूतों का काम करते थे ।प्राचीन काल के अंदर हुए अनेक युद्धों मे कबूतरों ने सैनिकों की जान भी बचाई थी।4 अक्टूबर 1918 कबूतरों की वजह से ही 194 अमेरिकी सैनिकों को बचाया गया था।
डोडो भी मौजूद है
दोस्तों वैसे तो कबूतर की 300 से अधिक प्रजातियां होती हैं लेकिन डोडो काफी सुंदर कबूतर होता है जो आपने नहीं देखा होगा ।यह मेडागास्कर के पास एक द्वीप मॉरीशस में पाया जाता है। जब इंसान यहां पर पहुंचे तो इस कबूतर को भी मारना शूरू कर दिया ।इंद्रधनुषी पंखों वाला एक बहु-रंग का पक्षी, यह निकट-खतरे वाला जीव दक्षिण प्रशांत में छोटे द्वीपों और एशिया से दूर पाया जाता है।
जब समाचार ऐजेंसी ने कबूतरों की मदद से शूरूआत की
दुनिया की सबसे प्रसिद्ध समाचार एजेंसियों में से एक, रायटर ने प्रशिक्षित होमिंग कबूतरों का उपयोग करके अपने यूरोपीय व्यवसाय की शुरुआत की।यह बात है 1850 ई कि और 45 कबूतरो नें दो घंटे के अंदर 76 मील की यात्रा की और सबसे तेज संदेश पहुंचाया । उस समय
टेलिग्राम की सुविधा भी मौजूद थी लेकिन यह अविकसित थी।
समुद्र के अंदर मानव जीवन को बचाने के लिए
कबूतरों की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह समुद्र के अंदर मानव जीवन को बचाने का काम भी कर सकते हैं।इसके लिए कबूतरों को लाल और पीले रंग की जैकेट को देखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।जैसे कोई नाव डूब रही है तो इसके बारे मे संदेश कबूतर निकटतम स्टेशन पर दे सकते हैं और डूबते लोगों को मदद के अंदर काम आ सकते हैं।
कबूतरों की रेस
सन 1914 ई के आस पास 100,000 कबूतर उतरी अमेरिका के अंदर मौजूद थे जिनको यात्री कबूतर कहा जाता था लेकिन बाद मे उनको धीरे धीरे मार दिया गया था।इंग्लैंड में रॉयल पिजन रेसिंग एसोसिएशन के शताब्दी समारोह का आयोजन करने के लिए आयोजित रेस के अंदर 60,000 से अधिक कबूतर शामिल थे और इस रेस को एक अंगेजी चैनल के उपर बहुत ही शानदार तरीके से पैश किया गया था।
कबूतर आसानी से अपने घर को लौट सकते हैं
यदि आप एक आम कबूतर को घर से 100 मील की दूर पर छोड़कर आ जाते हैं तो वह अपने आप घर आ सकता है। इतना ही नहीं एक रेसिंग कबूतर को 400 मील तक छोड़ने पर वह आसानी से आपके पास वापस आ जाता है।कबूतर यह किस प्रकार से करते हैं ?इस संबंध मे पता नहीं है लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक 10-वर्षीय अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि कबूतर की यादाश्त तेज होती है और यह आसानी से दिशाओं को पहचान कर घर वापस आ सकते हैं।
कबूतर की कीमत जानकर आपके होश उड़ जाएंगे
बहुत से लोग जो कबूतर नहीं पालते हैं उनको यही लगता है कि कबूतर की कीमत बहुत ही कम होती है लेकिन असल मे यह सच्चाई नहीं है।एक रेसिंग कबूतर को $ 132,517.00 के अंदर बेचा गया था जिसने रेस मे 21,000 कबूतरों को रहाया था। इस कबूतर को एक ब्रिटिश कम्पनी ने खरीदा था।यह कम्पनी कबूतरों की अच्छी नस्ल को तैयार करती है।
कबूतर-ग्राम एयर मेल सेवा
पहली बार कबूतर एयरमेल सेवा 1896 में न्यूजीलैंड और ग्रेट बैरियर द्वीप के बीच शुरू की गई थी। ग्रेट बैरियर द्वीप से दूर एसएस वैरारापा के डूबने की खबर को पहुंचाने के लिए कबूतर का प्रयोग किया गया था।पहला संदेश जनवरी 1896 में लिया गया और ऑकलैंड पहुंचने में 1.75 घंटे से भी कम समय लगा। जोकि आधुनिक विमान से 40 प्रतिशत धीमा था।
कबूतर शब्द
‘कबूतर’ शब्द वास्तव में लैटिन शब्द ‘पिपियो’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘युवा पक्षी’। यह शब्द फिर पुराने फ्रेंच में ‘पिजन’ के रूप में पारित हो गया और इस तरह अंग्रेजी नाम ‘कबूतर’ व्युत्पन्न हो गया था।कबूतर का सामान्य नाम घरेलू कबूतर है।
कुछ प्रसिद्ध कबूतर
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चेर अमी नामक एक कबूतर ने संदेश देकर फ्रांसिसी सैनिकों की जान बचाई थी।कबूतर के संदेश को रोकने के लिए उसके पैर पर गोली लगी लेकिन उसने आगे बढ़ना जारी रखा और 25 मिनट की उडान भर अपने स्थान पर पहुंच गया था।क्रोक्स डी गुएरे नामक पुरस्कार से इस कबूतर को सम्मानित भी किया गया था।
जीआई जो नाम के एक और वीर कबूतर ने विश्व युद्ध 2 के अंदर एक हजार से अधिक लोगों की जान बचाई थी। ब्रिटिश सैनिकों ने एक इतालवी शहर के भीतर खुद को छिपाया हुआ था लेकिन बाद मे बममारी होने की वजह से जल्दी से जल्दी उनको संदेश पास के मुख्यालय तक पहुंचाना था।यह कबूतर केवल 20 मिनट मे 20 मील उड़ा था।
कबूतरों का धार्मिक महत्व
दोस्तों भारत के अंदर कबूतरों को दाना डालना अच्छा माना जाता है। यह एक पुण्य का कार्य है। कुछ जगहों पर यह माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा मरने के बाद कबूतर के रूप मे आती है इस वजह से उनको दाना डालना काफी अच्छा होता है। और ऐसा करने से पूर्वज खुश होते हैं।
कबूतर सुरक्षा गार्ड के रूप मे
16 वीं शताब्दी के अंदर कबूतर का प्रयोग घरों की सुरक्षा के लिए भी किया जाता था। पहले कबूतरों को सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता था और उसके बाद जब दिन मे कोई भी असुरक्षा की स्थिति होती तो कबूतर यह संदेश घर के मालिक तक पहुंचा देता था ।
कबूतर पालने का शौक
कबूतरों को पालने का शौक सिर्फ आज के लोगों के अंदर ही नहीं है।वरन लौग पहले भी कबूतर पाला करते थे ।। सबसे प्रसिद्ध राजघरानों में से एक इंग्लैंड की क्वीन एलिजाबेथ है, जिसके पास सैंड्रिंघम, नोरफोक में उसकी संपत्ति पर लॉफ्ट और कबूतर रखने वाले हैं।
बाज कबूतरों का प्रमुख शिकारी पक्षी
वैसे तो आजकल कबूतरों का प्रमुख दुश्मन मनुष्य है।लेकिन पेरेग्रीन बाज़ कबूतरों के लिए प्रमुख शिकार करने वाला पक्षी है। इसकी गति 200 मील प्रति घंटे होती है। जबकि कबूतर की गति 130 मील प्रति घंटे होती है।कई जगह पर कबूतर के नियंत्रण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
कबूतर का जीवन 30 साल का होता है
दोस्तों एक कबूतर कैद के अंदर आराम से 30 साल तक जिंदा रह सकता है। लेकिन यदि कबूतर जंगल के अंदर रहता है तो उसकी जल्दी मौत हो जाती है। इसके पीछे कारण यह है कि जंगल के अंदर कबूतरों को अधिक संघर्ष करना होता है।
एक पूर्ण विकसित कबूतर में 10,000 पंख होते हैं
हालांकि यदि कबूतर एक बच्चा है तो उसको कम ही पंख होते हैं लेकिन यदि वह एक पूर्ण विकसित कबूतर बन चुका है तो उसके10,000 पंख होते हैं
कबूतरों से जुड़े कुछ अन्य तथ्य
आइए जानते हैं कबूतर से जुड़े कुछ अन्य तथ्यों के बारे मे ।
- कबूतर का आकार उनकी प्रजाति पर निर्भर करता है लेकिन बड़े कबूतर आमतौर पर 9 इंच लंबे और 8 पउंड वजन के होते हैं जबकि छोटे कबूतर 5 इंच लंबे और 0.8 औस वजन तक के हो सकते हैं।
- कबूतर के उड़ने की गति 60 मील प्रतिघंटा है। जबकि अब तक कबूतर के उड़ने की गति 92 मील प्रतिघंटा दर्ज की जा चुकी है।
- कबूतर शाकहारी होते हैं और यह बीज ,फल और फूल का सेवन करते हैं।
- यदि कबूतर के दिमाग की बात करें तो यह काफी तेज होते हैं।शीशे के अंदर खुद को पहचान सकते हैं। एक वैज्ञानिक खोज मे यह साबित हो गया कि यह अलग अलग अक्षरों को और रंगों को भी आसानी से पहचान सकते हैं।
- कबूतरों की द्रष्टि तेज होती है।यह लंबी दूरी की चीजों को बहुत ही आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा इनकी सुनने की क्षमता भी काफी तेज होती है।यह तूफान और भुकंप जैसी घटनाओं का पता लगाने मे सक्षम होते हैं।
- कबूतर सामाजिक जानवर होते हैं।आपने देखा होगा कि यह समूह के अंदर चलते हैं और समूह मे रहना पसंद करते हैं।
- कबूतर जीवन भर एक ही साथी के साथ रहते हैं।एक बार नर और मादा का संबंध बनने के बाद टूटता नहीं है। यह तभी टूटता है जब दोनों मे से किसी की मौत हो जाती है।
- मादा और नर कबूतर दोनों ही अपने बच्चे की देखभाल करते हैं।यह दोनेां ही अंडों को सेत हैं और कबूतरों को दूध पिलाते हैं।
- कबूतर की बीट को खाद के रूप मे प्रयोग किया जा सकता है।यह खेत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है।
- पाकिस्तान के एक कबूतर को भारत ने जासुसी को आरेाप मे पकड़ा था और बाद मे उसको पुलिस की निगरानी मे भी रखा गया था।
- पार्लर रोलर कई वर्षों के चुनिंदा प्रजनन के बाद विकसित किए गए पालतू कबूतरों की एक नस्ल है।यह उड़ने मे उतना अच्छा नहीं है लेकिन उसके बाद भी इसको पाला जाता है।
- यात्री कबूतरों का सबसे बड़ा झुंड 1 मील लंबा था जिसको पार करने मे 14 घंटे से अधिक समय लगा था बताया जाता है कि इसके अंदर 4 मिलयन से अधिक कबूतर थे ।
- कबूतर जब अपने झुड़ के अंदर होते हैं तो पंखफड़फड़ा कर दूसरे कबूतरों को खतरे की चेतावनी देते हैं।
- कबूतर के छोटे बच्चे 30 दिनों तक अपने घोसले मे ही रहते हैं।और एक बार जब वे थोड़े बड़े हो जाते हैं तो फिर वे उड़ने के लिए तैयार होते हैं।
- 1907 में, जूलियस नूब्रोनर नामक एक जर्मन फार्मासिस्ट ने विशेष पक्षी-घुड़सवार कैमरे को बनाया था। इस कैमरे को काफी हल्का रखा गया था और इसको कबूतर के गले के अंदर डालकर फोटो खींची जाती थी।
कबूतर की आवाज कैसी होती है? और कबूतर के मजेदार तथ्य लेख के अंदर हमने यह जाना कि कबूतर किस प्रकार से बोलता है ? इसके अलावा कबूतर के रहन सहन के बारे मे भी जाना । यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके बताएं ?
This post was last modified on September 2, 2020