कुंडा पंथ क्या होता है? और इसके अंदर किस प्रकार की विधियां की जाती हैं ? इसका रहस्य क्या है ? जैसे बहुत से सवाल आपके दिमाग मे भी आ रहे होंगे । दोस्तों वैसे भारत के अंदर एक से एक पंथ चलाए गए । और उन सब का उदेश्य यह था कि इन से मोक्ष मिल सकता है? लेकिन मोक्ष का तो पता नहीं लेकिन इस कुंडापंथ की वजह से बहुत से लोग परेशान हुए और आज भी हो रहे हैं।हो सकता है। राजस्थान के अंदर आज भी बहुत से लोग इस पंथ के अंदर शामिल हों । लेकिन यह सब अज्ञात है । अब इस पंथ के बारे मे हमे कोई ज्यादा जानकारी नहीं है। यह लेख तो हम आपके लिए इस लिए लिख रहें हैं कि किस तरीके से लोग कुंडा पंथ के अंदर आकर नंगा नाच करते थे ।
वैसे कुंडा पंथ के सभी रहस्य अज्ञात ही रहते थे । लेकिन चोली पंथ और दूसरे पंथों के रहस्य से यह पता चलता है कि कुंडा पंथ के अंदर क्या होता था? दोस्तों वैसे हमेशा वेदों के अंदर यह बताया गया है कि काम की वजह से मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती है। लेकिन कुंडा पंथ कहता है कि काम भाव से ही मोक्ष मिल सकता है।हो सकता है कि कुंडा पंथी लोग इस बात से सहमत हो लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं। हम सबसे अधिक कबीर साहेब को मानते हैं। और उनका कहना यही है कि काम भाव पर नियंत्रण करो । हजारों वर्षों से साधु संत यही कहते आए हैं कि काम भाव से मोक्ष नहीं मिलता ? अब आप समझ सकते हैं कि कुंडा पंथ सच है या हजारों साधु संत? खैर हम यहां पर किसी को सच और झूठ कहने पर नहीं हैं। लेकिन आज आपको कुंडा पंथ की वो सच्चाई से रूबरू करवाते हैं। जिसकी वजह से लोग मरते समय भी चैन से नहीं मर सकते थे और मरने के बाद भी कई लोगों ने अपने ही लोगों को प्रेत की तरह परेशान करना शूरू कर दिया था। हमारे खुद के साथ ऐसा हो चुका है।
जिसके बारे मे आगे बात करेंगे । हालांकि अब लोग धीरे धीरे इन सब से दूर हो रहे हैं। क्योंकि लोगों को समझ मे आ गया है कि इस तरह से कोई मोक्ष नहीं मिल सकता है। और उल्टा बहुत अधिक परेशानी होगी ।वैसे कुंडा पंथ के अंदर अनेक स्त्री पुरूष एक साथ साधना करते हैं। और यह भैरव साधना के जैसा होता है। लेकिन भैरव साधना के अंदर केवल दो ही साधक होते हैं ।किंतु कांचलियां पंथ , चोली पंथ के अंदर अनेक साधक होते हैं जो साधना करते हैं।
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कुंडा पंथ क्या होता है
इस पंथ के अंदर नारी देह को मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है।और कुंडा पंथ के अंदर स्त्री और पुरूष मिलकर साधना करते हैं।इस पंथ के अंदर भी योग्य गुरू का होना पाया जाता है। बिना योग्य गुरू के कुंडा पंथ की साधना नहीं की जा सकती है। इस मत के अनुसार भगवान और भगवति का पौराणिक अनुभव हर्षोन्मादी होता है। शायद इसी को इस पंथ के अंदर आधार माना गया है। वैसे इस पंथ का मुख्य उदेश्य काम भाव का प्रयोग करके मोक्ष की प्राप्ति करना होता है। दोस्तों इस तरीके के अंदर कुंडली जागरण की कोई अवधारणा नहीं है। लेकिन साधक अपनी साधना को उच्चतम स्तर पर लेजकार मोक्ष और सिद्वी प्राप्त कर सकता है। इस पंथ के अंदर साधक पंच भूतों का प्रयोग करता है। और उर्जा बनाई जाती है। और उसके बाद 10 वे द्वार को खोलकर स्रष्टिी के रहस्यों को समझा जाता है।
कुल मिलकार हम यह कह सकते हैं कि कुंडा पंथ एक तांत्रिक क्रिया है और शायद इसका प्रयोग कोई सिद्वी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जो सबसे ज्यादा सही है। इसके अलावा कुछ और भी हो सकता है? सच्चाई क्या है ? इस बारे मे कोई नहीं जानता है।
कुंडा पंथ का इतिहास
रावल मल्लिनाथ का नाम तो आपने सुना ही होगा । ऐसा माना जाता है कि कुंडा पंथ की स्थापना रावल मल्लिनाथ ने ही की थी। हालांकि इसके विपरित सच्चाई यह भी है कि इससे पहले भी कुंडा पंथ की विधियां प्रचलित थी। और हो सकता है मल्लि नाथ को इसको आगे बढ़ाने का अवसर मिला होगा । रावल मल्लिनाथ राजस्थान के लोकसन्त हैं। वे बाडमेर जिले के महवानगर के शासक राव शल्काजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनकी पत्नी रानी रूपादे को पश्चिमी राजस्थान में लोग सन्त की तरह पूजते हैं।
इस पंथ के साधकों के अंदर धारू मेघवाल और उग्म सिंह भाटी का नाम आता है।और मल्लिनाथ की रानी रूपा देवी । उग्म सिंह भाटी ने रूपादे के हाथ मे तांबे का कड़ा पहनाकर उसको अपना शिष्य बना लिया था। उसके बाद जब रूपादे का विवाह मेहवा के राजा मल्लिनाथ के साथ हुआ था।तो उग्म सिंह भाटी मेहवा के अंदर आये और रात्री जागरण का आयोजन किया ।और रानी को भी निमंत्रण भेजा लेकिन रानी के लिए महल के द्वार बंद कर दिये गए । लेकिन रात को द्वार अपने आप खुल गए और फिर रानी जागरण के अंदर जा पहुंची । कहा जाता है कि उसके बाद रानी साधुओं की सेवा के अंदर पहुंच गई। उसके बाद जब राजा मल्लिनाथ को इस बात का पता चला तो वह रानी के पीछे आया और पूछा कि बर्तन के अंदर क्या है। तो रानी ने जवाब दिया कि इसके अंदर फूल हैं। जबकि उसके अंदर मांस था। और बाद मे फूल बन गए थे ।
इन सब से प्रभावित होकर मल्लिनाथ ने भी संतो से दिक्षा ग्रहण करली थी असल मे कुंडा पंथ के संस्थापक मल्लिनाथ को माना जाता है। लेकिन असल मे इसके संस्थापक के बारे मे कोई भी पता नहीं है। क्योंकि कुंडा पंथ बहुत पहले से ही प्रचलित था। मल्ली नाथ को शिष्य बनाने से पहले उसके कानों के अंदर कुंडल पहनाये गए और उसे गुरू मंत्र दिया गया था।
आगे चलकर मल्लिनाथ ने इस पंथ को एक संप्रदाय का रूप देने की कोशिश की गई थी। हालांकि वह इसके अंदर अधिक सफल नहीं हो सका और आज अधिकतर लोग इस कुंडा पंथ से किनारा कर चुके हैं। उस वक्त के समाज के अंदर भी इस पंथ को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था। और आज तो यह लुप्त सा हो चुका है। भले ही मल्लिनाथ ने इसको एक संप्रदाय का रूप देने की कोशिश की हो लेकिन इसकी साधना विधियों को किसी को नहीं बताया गया था। और बस इनकी साधना विधियों को केवल वही लोग जानते थे जोकि इसको करना चाहते थे या इस पंथ के अंदर शामिल होने की इच्छा रखते थे । राजस्थान के अंदर मल्लि नाथ को एक चमत्कारी पुरूष माना जाता है। और उसकी पूजा की जाती है।
कुंडा पंथ के अंदर कुंडा का मतलब होता है। एक खाली बर्तन और इस पंथ मे इसका बहुत अधिक महत्व होता है। धारू मेघवाल ,उमा भाटी और दूसरे संतों ने रेगिस्तान के अंदर बड़े बड़े सतसंगों का आयोजन किया और बहुत से लोगों को कुंडा पंथ के अंदर शामिल कर लिया था।रावल मल्लिनाथ , नामदेव छिंपा , रूपादे यह लोग एक साथ ही गायब हो गए थे ।
कुंडा पंथ की साधना विधि अज्ञात है
दोस्तों वैसे कुंडा पंथ की साधना विधि गोपनिय है। और इसके बारे मे सही सही पता किसी को भी नहीं है। लेकिन उंदरिया पंथ ,चोली पंथ और बाकी इस प्रकार के पंथों से इसकी साधना विधि का अनुमान लगाया जाता है। हालांकि हम नहीं जानते हैं कि वास्तव मे हम जो बता रहे हैं वही सच है किंतु जो देखा और सुना है। हम उसी के बारे मे आपको बता रहे हैं।
वैसे यह मान्यता है कि कुंडा पंथ के अंदर बहुत से साधक होते हैं और बहुत सी साधिकाएं भी होती हैं। और वे आपस मे समागम मतलब यौन संबंध बनाते हैं। इसके अंदर पति पत्नी के दायित्व का निर्वहन नहीं किया जाता है। दोस्तों इसके पूरे नियम ज्ञात नहीं हैं। लेकिन ऐसा होता होगा कि एक कुंडे के अंदर महिलाएं अपने वस्त्र निकाल देती होगी और उसके बाद पुरूष उन वस्त्रों को चुन लेते होगे और उसके बाद वो दोनो आपस मे समागम करते होगे हालांकि समागम के नियम किस प्रकार के होते थे ? और क्या ऐसा होता था। इस बारे मे सही सही जानकारी नहीं है। लेकिन उंदरिया पंथ और चोली पूजन पंथ के नियम समाज के सामने आ चुके हैं। उसी के आधार पर इस पंथ के बारे मे अनुमान लगाया जाता है। अघोर पंथी ,कंडा पंथी और अन्य कई पंथों के अंदर काफी समानताएं होती हैं यह लोग साधना के अंदर तंदुरा बजाते हैं।
इसके अलावा एक बात और जोकि हमारे समाने आई है । वो यह है कि जो लोग कुंडा पंथ की पम्पराओं को निभाते हैं। उस व्यक्ति के मरने के बाद सत पकवान बनाए जाते हैं और फिर उन पकवान को एक कुंडे के अंदर रखा जाता है। जिस दिन 12 वां दिन होता है। उस दिन मरा हुआ इंसान बहुत ही भददी शक्ल लेकर आता है। और उस कुंडे से मिठाई निकाल कर खाता है। दोस्तों उसके साथ अन्य लोग भी बैठे होते हैं। मतलब जो उसके घर परिवार के होते हैं। यह काम रात के अंदर होता है और किसी बंद कमरे के अंदर किया जाता है। कमरे के अंदर लाइट या पहले के जमाने मे मोमबती या दिया जलाया जाता है। और यदि कोई उस लाइट को भी देख लेता है तो वह कुंडा पंथ के अंदर शामिल हो जाता है।
हम नहीं जानते हैं कि कुंडा पंथ के लोग किसी कुंडा पंथी के मरने के बाद अकेले बंद कमरे के अंदर लाइट जाकर क्या करते थे ? लेकिन इतना जरूर है कि या तो वे मर चुके इंसान के साथ खाना खाते थे या फिर कुछ और ही करते थे लेकिन हमारी दादी ने हम को यही बताया था। हालांकि यह काफी पुरानी बात हो गई है। बट अब इस पंथ के लोगों का मिलना हमारे आस पास मुश्किल है। लेकिन बिकानेर साइड के अंदर अभी भी लोग इस पंथ को मानते होंगे ।
कुंडा पंथ की अधुरी जानकारी आपको बना सकती है प्रेत
दोस्तों कुंडा पंथ के अनेक रहस्य हैं जिनके बारे मे जानकारी नहीं है। लेकिन कुंडा पथ का एक नियम है और वो यह है कि यदि कोई कुंडा पथी अपने जीवनकाल के अंदर किसी भी एक ग्रहस्थ को कुंडा पंथ की दिक्षा नहीं देता है तो उसके मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती है। यह बात बहुत कम लोगों को पता है। और इसी अज्ञान के चलते कई कुंडा पंथियों का मरने से पहले भी बुरा हाल हुआ है। और मरने के बाद तो होना ही है। दोस्तों तंत्र तंत्र के अंदर नियम महत्वपूर्ण होते हैं। और यदि उनके अंदर कुछ भी मामूली सी गलती हो जाए तो फिर वे काम नहीं करते हैं।
हमारे घर के अंदर भी कभी कुंडा पंथियों का राज रहा है। लेकिन अब हमने इसको हमारे घर से अलग कर दिया है। हमारी रिश्तेदारी के अंदर भी कुछ लोग इस पंथ के अंदर थे । जिनका बहुत अधिक बुरा हाल हुआ था।क्योंकि कईयों को तो यह भी पता नहीं था कि कुंडा पंथ के अंदर वे है या नहीं ? मरने के बाद ही उनको पता चला कि वे कुंडा पंथ के अंदर है। खैर उसके बाद कुछ नहीं हो सकता था। मैं कम से कम 5 लोगों को जानता हूं जो अब तो मर चुके हैं। लेकिन वे कुंडा पंथ के अंदर थे ।
मेरी एक बुआ है जिसका नाम किसना है। उसकी एक सास थी जिसका नाम तो मुझे पता नहीं है। लेकिन इतना पता है कि वह कुंडा पंथ के अंदर दी । हालांकि उसने किसी को दिक्षा वैगरह नहीं दी थी। उसे इन सब के बारे मे पता नहीं था। और जब वह मर गई तो उसके मरने के बाद वह प्रेत बन गई। क्योंकि उसकी आत्मा को शांत नहीं मिल सकी । उसके बाद वह घर के अंदर से कभी कुछ गड़बड़ कर देती कभी कुछ कर देती । मेरी बुआ को वह कभी खड़ी भी दिख जाती । मेरी बुआ जब अपने पति से इस बारे मे बोलती तो वे मानते ही नहीं थे । उस की सास की इस तरह की हरकत की वजह से बुआ बहुत अधिक परेशान रहने लगी । और अंत मे बिमार पड़ गई। तो एक दिन वह हमारे यहां पर आई हुई थी तो हम लोगों को परेशानी के बारे मे बताया ।तब हमारे ननिहाल के अंदर हमारे एक पड़ोस के नाना लगते थे । वे कुंडा पंथ के अंदर मर चुके इंसान की आत्मा को शांति दिलाने के तंत्र मंत्र जानते थे । दूर दूर के लोग उनके पास इस प्रकार की समस्या लेकर आते थे । बस उसके बाद वे हमारी बुआ के घर आए और होम वैगरह किया । तब जाकर मामला शांत हुआ।
इसी तरीके से हमारी एक दादी और थी जिसका नाम जीवणी था। और उसका पति वे दोनों ही कुंडा पंथ के अंदर थे । दादी तो पहले ही मर गई। लेकिन उसके बाद उसके पति बिमार पड़े तो फिर उनको सारे मरे हुए लोग नजर आने लगे थे , जोकि कुंडा पंथ के अंदर थे । अब आप खुद सोच सकते हैं कि इतने मरे हुए इंसानों को कोई जिंदा इंसान देखेगा तो बेचारा वैसे ही डर जाएगा ।
और यही हाल उनका भी हुआ । कुछ दिनों के अंदर ही वे मर गए । बस सारे कुंडा पंथ के अंदर रहने वाले लोगों को शांति मिलती भी कैसे क्योंकि किसी ने किसी और को दिक्षा ही नहीं दी । तो एक लंबा प्रेत परिवार खड़ा हो गया । उसके बाद मेरी नाना को पता चला तो वो इसका ईलाज जानते थे और वो उनके घर आए और ईलाज किया । तब वो सारे प्रेत दूर हो गए ।
इसके अलावा बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो इस कुंडा पंथ के अंदर फंस गए हैं। मुझे नहीं पता कि पूरे राजस्थान के अंदर कितने लोगों की आत्माएं अशांत हैं क्योंकि उन्होंने किसी को दिक्षा नहीं दी। यदि आप एक बार सोचेंगे तो यह समझेंगे कि कुंडा पंथ कोई संप्रदाय नहीं है। वरन एक जाल है जिसके अंदर फंसने के बाद उससे निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
बहुत से लोग तो प्रेत बनकर इस वजह से भटक रहे हैं क्योंकि उनको यह भी पता नहीं था कि वे कुंडा पंथ के अंदर हैं। मरने के बाद पता चल सका । जबकि कुछ को पता होने के बाद भी इसके नियमों की जानकारी नहीं थी। इस वजह से वे प्रेत बन गए । कुंडा पंथ एक भक्ति का मार्ग नहीं है। वरन एक तांत्रिक क्रिया है। और उसके अंदर थोड़ी सी चूक का मतलब है आप मरने के बाद कभी भी चैन से नहीं रह पाओगे ।
इस तरह से आप पर असर हो सकता है कुंडा पंथ का
कुंडा पंथ एक छूत की बीमारी की तरह है। सब लोग इसके नाम से ही दूर भागते हैं। और दोस्तों यदि आप किसी ऐसी जगह पर रहते हैं जहां पर कुंडा पंथी रहते हैं तो आपको उनसे बचे रहना चाहिए । क्योंकि मुझे नहीं पता यह कैसा ऐजेंडा चलाया गया है। क्योंकि आज तक किसी भी धर्म के अंदर यह नहीं है कि आप यदि उस धर्म के देवता का प्रसाद खालोगे तो आप पर उसका असर हो जाएगा । लेकिन यह पंथ इन सब से अलग है।तो आइए जानते हैं । क्या क्या करने से आपके उपर इस का बुरा असर हो सकता है।
किसी कुंडा पंथी के साथ खाना खाने से
दोस्तों अक्सर हम लोग नहीं जान पाते हैं कि कौन कुंडा पंथी है ? और कौन नहीं है? शादी के अंदर या कहीं पर जाते वक्त हर किसे के साथ खाना खाने बैठ जाते हैं। यदि आपने गलती से किसी कुंडा पंथी के साथ खाना खा लिया है और आपको पता चल नहीं चला है तो इस बात की पूरी संभावना है कि मरने के बाद आपकी आत्मा अशांत हो सकती है। और आप एक आसान मौत नहीं मर सकोगे । हालांकि ऐसी मान्यता है। लगभग हर जगह । लेकिन सच तो एक कुंडा पंथी ही बता सकता है। तो हम आपके भाई के जैसे हैं इन सब से दूर रहे । क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि जो हमारे पूर्वजों के साथ हुआ वो आपके साथ भी हो ।
किसी ने रोशनी देखली हो
दोस्तों किस तरीके से लोग किसी कुंडा पंथी के मरने के बाद कुंडा रखते थे और क्या करते थे ? यह सब तो राम जाने लेकिन ऐसा माना जाता है कि पहले के जमाने मे लोग एक कुंडा पंथी के साथ उसके मरने के बाद भोजन करते थे । इस दौरान सब कुछ रात के अंदर ही किया जाता था। और कमरे के अंदर लाइट जलाई जाती थी । मतलब उस समय कमरे नहीं थे झोंपडे होते थे यदि किसी ने वह रोशनी भी देखली तो वह कुंडा पंथ का हो जाता था। यदि आपने किसी भी ऐसी रोशनी को देखा है। तो जल्दी से जल्दी इसका ईलाज करवाएं वरना आप बहुत बड़ी मुश्बित के अंदर पड़ सकते हैं।
कुंडा पंथ की दिक्षा लेने से
अब आपको यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि कुंडा पंथ की दीक्षा यदि कोई लेलेता है तो उसके बाद उसका कुंडा पंथ से हटना नामुमकिन माना जाता है। और ऐसे व्यक्ति को उससे कोई नहीं हटा सकता है। यदि आप इस पंथ के अंदर पहले से ही शामिल हो चुके हैं तो आपका कुछ नहीं किया जा सकता है। हालांकि अंदर की बातें के बारे मे कोई भी नहीं जानता है। बट हम सिर्फ इतना जानते हैं कि यह तरीका मोक्ष दायक नहीं है।
कुंडा पंथी इंसान की अशांत आत्मा क्या कर सकती है?
दोस्तों जो इंसान कुंडा पंथ के अंदर होते हैं और अपने पंथ के अंदर अपने जीवन काल के अंदर किसी भी एक ग्रहस्थ को शामिल नहीं करते हैं। वे मरने के बाद प्रेत बन जाते हैं और फिर भटकते रहते हैं। आइए जानते हैं कुंडा पंथ की असली हकीकत के बारे मे । यह सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूं क्योंकि मेरे नाना जो अब स्वर्ग वास हो चुके हैं। वे खुद न जाने कितने लोगों का दूख दूर करने के लिए जाते थे । और सब लोग बस इन कुंडा पंथी प्रेत से परेशान थे । उन्होंने बहुत से घरों को कुंडा पंथ के प्रेत से बचाया था। हरसावा के अंदर उनका नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है। काफी साल पहले जब वे जिंदा थे तो कई बार हमको बताया करते थे कि बेटा लोगों को यह भी नहीं पता होता है कि कुंडा पंथ होता क्या है?
और इससे कैसे छूटकारा पाएंगे , यह सब सोचना उनके लिए दूर की बात होती थी। जब इनके द्वारा वे काफी परेशान दिखते थे तो मेरे पास आकर बोलते थे कि बाबाजी बचालो हम सब तरह से ईलाज करवाके थक चुके हैं। उसके बाद मैं उनका ईलाज करता था। सच बात तो यह है कि इनके ईलाज करने की विधि का पता भी बहुत कम लोगों को है। इसी वजह से कोई इनका ईलाज कर भी नहीं पाता है।
अपने आप घर मे लगती आग
जो इंसान कुंडा पंथ के अंदर होता है और मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है तो फिर वह आपके घर के अंदर आग भी लगा सकता है।अक्सर आपने कई बार टीवी और अखबारों के अंदर यह देखा होगा कि मानो या ना मानो घर मे लग रही अपने आप आग । तो आप समझ जाना की यह एक कुंडा पंथी प्रेत का काम हो सकता है।क्योंकि ऐसा कई जगह पर हो चुका है। मेरे नाना खुद यह बताते थे । हरसावा के पास गारिंडा नामक जगह पड़ती है। वहां पर भी इसी तरीके की एक घटना हुई थी। उसके बाद मेरे नाना ही उसका ईलाज करके आए थे ।
newsलेख पर जाकर आप देख सकते हैं। इसी तरीके की एक घटना का जिक्र मिलता है। यदि आप इन सब चीजों के अंदर विश्वास नहीं करते हैं तो आप इस लेख को ना पढ़ें । क्योंकि यह आपके लिए नहीं है।
पूरी अशांत आत्माएं एक साथ होती हैं
कई बार यह भी देखा गया है कि कुंडा पंथ के अंदर जितनी भी आत्माएं अशांत होती हैं वे पूरी एक साथ रहती हैं। जैसे मेरे दादा के दादा और और उनकी पत्नी और उनके पहले के लोग । यह सब कहीं जाते नहीं हैं वरन एक साथ घूमते रहते हैं। यह बात भी खुद मेरे नाना ने हमको बताई है इसके अलावा भी कुछ लोग मरने वाले थे और वे पहले से कुंडा पंथ के अंदर थे या उसका उन पर प्रभाव था ने भी बताया है।हालांकि वे सबको दिखाई नहीं देते हैं। वरन मरने वाले इंसान को दिखाई देते हैं। जिससे उसका जीना हराम हो जाता है।ऐसे मरे या ना मरे लेकिन डर कर अवश्य मर जाता है।
किसी की भी हत्या कर सकती है
दोस्तों यदि कुंडा पंथ की आत्मा को शांति नहीं मिली है तो उसके बाद वह किसी की भी हत्या कर सकती है। आपके घर के अंदर कोई भी जीव हो उसको मार सकती है। इसके अलावा वह इंसानों को भी निशाना बना सकती है। जो अपने आप मे बहुत बुरा काम है।
कुंडा पंथ का प्रेत बहुत अधिक ताकतवर होता है।
दोस्तों आपको बतादें कि जो व्यक्ति अशांत होता है। उसका प्रेत बहुत अधिक ताकतवर होता है। यही वजह है कि हर कोई इनका ईलाज नहीं कर पता है। कुछ खास व्यक्ति होते हैं जो इस काम का ईलाज कर सकते हैं। और उन आत्माओं को शांत करने की क्षमता रखते हैं जोकि इनको शांत करने की विधि को जानते हैं।
यह लेख 100 प्रतिशत रियल नहीं है। लेख के अंदर जो विचार दिए गए हैं वे मात्र जन भावनाओं पर आधारित हैं। यह वेबसाइट यह दावा नहीं करती है की यह लेख सम्पूर्ण सच ही है।
कुंडा पंथ का इलाज
यदि आप कुंडा पंथ की समस्या से झूझ रहे हैं। तो इस समस्या से बचने का एक अच्छा तरीका यही है , कि आप सांगलिया जाएं । और वहां पर आपको इस तरह की होम करने वाले का नाम किसी साधु से पूछें । वहां पर आपको कोई ना कोई मिल जाएगा , जोकि आपकी समस्या के बारे मे बता देगा । और आपको उस साधु के नंबर भी देगा , जोकि इस तरह के कार्यों को करने का काम करता है। यही बस एक इलाज है। बहुत सारे कमेंट आते हैं , जिसके अंदर कुछ लोग पूछते हैं , कि कुंडा पंथ की वजह से वे काफी अधिक परेशान हैं , और उनको इलाज नहीं मिल रहा है , और बाकि आस पास इसके बारे मे पता कर सकते हैं । वहीं पर आपको इसका उत्तर मिल जाएगा ।
बाकि इसकी एक अलग ही तरह की विधि होती है। जिसको हर कोई नहीं जानता है। और जो जानता है , वही इसको कर सकता है। यदि आप किसी आम तांत्रिक को लेकर जाएंगे , तो आपका काम नहीं बनेगा । और आपका पैसा यूं ही बरबाद हो जाएगा ।इसलिए यदि आप किसी को लेकर आ रहे हैं , तो आपको पहले पता कर लेना है , कि वह कुंडा पथ का इलाज करता है या फिर नहीं करता है ?
दोस्तों कुंडा पंथ क्या है ? के बारे मे हमने इस लेख के अंदर विस्तार से जाना यदि आपको इस लेख से कोई समस्या है तो आप हमे हमारे ईमेल पर कॉन्टेक्ट कर सकते हैं। वैसे यह लेख किसी भी धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखा गया है।और यदि आप इनके बारे मे कुछ जानते हैं तो हमे बताएं।
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इस लेख में कुंडा पंथ के बारे में बहुत भ्रामक जानकारियां हैं। कुंडा पंथी लोग माँ भवानी की ही पूजा करते है समग्र विग्रह की जगह ये लोग फेवी सती की योनि का पूजन करते हैं, अब क्योकि यह हर व्यक्ति को अजीब लगेगा इसलिए ये लोग अपनी पूजा रात में व सुनसान मंदिर में करते हैं।
इस पंथ में जाति भेद मान्य नही है। इनका मुख्य मंदिर आसम का कामख्या मन्दिर है। ज्यादातर तो योनि की मूर्ति बना कर पूजा होती है, कहि कहि असली योनि का भी पूजन होता है।
जब तक इनके गुरु द्वारा मंत्र ग्रहण नहीँ किया जाता है तब तक कोई भी पंथ में शामिल नही माना जाता है।
जबरन किसी को भी पंथी नही बनाया जाता है।
shankargudeshar@gmail.com
Sir please muje kunda panth ka ilaaj karne wale kisi vakti ke bare me bataye Jo iska illaj jaanta ho. Please bataye, ham barso se aise vakti ko dhund rahe hai lekin samsaya sab batate hai lekin kahte hai iska ilaaj hamare pass nai. Please help kare.
भाई पहले तो यह काम मेरे ही नाना करते थे । लेकिन अब वे इस दुनिया मे नहीं हैं। मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो इस काम को करता है। लेकिन अभी मेरे पास उसके फोन नंबर नहीं है। वे हमारे गांव के नहीं हैं। लेकिन कोशिश करूंगा । उसके नंबर लेकर आपको देने कि आप खुद उनसे ही बात कर लेंना । अभी आपको इसके लिए 3 से 4 दिन का इंतजार करना होगा । हम राजस्थान से हैं और आप कहां से हो ।
भाई अभी मेरा उस आदमी से संपर्क नहीं हुआ है क्योंकि वो एक सन्यासी है और सीकर जिले से थोड़ी दूर सांगलिया धूणी है वहां पर मठ मे रहता है। नंबर लेने से कुछ नहीं होगा आप खुद को उससे मिलना होगा । अभी मुझे वहां पर जाना होगा ।और देखना होगा कि वह मठ मे ही है या कहीं और चले गए ।जैसे ही मुझे वे सन्यासी मेलेंगे । आपसे संपर्क करवाने की कोशिश करूंगा ।
भाई मैं आपकी कोशिश मे ही लगा हूं ।