kya sita ravan ki putri thi ,kya sita ravan ki beti hai अब तक हमारे रामायण पर कई सारी किताबे लिखी जा चुकी हैं। और निंरतर अभी भी लिखी जा रही हैं। रामायाण के बारे मे कई विद्वानों का विचार है कि सीता रावण की ही बेटी थी । किंतु इसमे विवाद है। वाल्मिक रामायण के अंदर ऐसा कुछ भी साबित नहीं होता है। लेकिन एक अन्य ग्रंथ जिसका नाम अद्रभुत रामायण है के अंदर दो साधुओं के वार्तालाप हैं। यह संस्क्रत के अंदर है। इसमे यह उल्ले ख मिलता है की सीता रावण की बेटी थी। हालांकि इससे जुड़ी कई प्रकार की कहानियां प्रचलित हैं।
इस ग्रंथ के अंदर एक कहानी का जिक्र किया गया है। इस कहानी के अनुसार एक बार दण्डकारणय के अंदर एक ब्राहण लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप मे पाने के लिए । एक मटके मे मंत्रोचारण करके दूध की कुछ बूंदे डालता था। एक दिन उसकी अनुपस्थिति के अंदर रावण ने तपस्वीयों के रक्त को उसी मटके के अंदर डालकर ।
ले आया और मंदोदरी को देदिया और बोल दिया की इसमे जहर है । इसे सावधानी पूर्वक रखना और रावण खुद विहार करने चला गया । पति की उपेक्षा की वजह से एक दिन मंदोदरी ने यह जहर पीलिया क्योंकि वह मरना चाहती थी। किंतु वह इसको पीने के बाद मरी नहीं वरन गर्भवति हो गयी ।
तब मंदोदरी ने सोचा कि उसके पति अब यहां नहीं हैं तो वह खुद गर्भवति हो गयी । यदि उनको पता चलेगा तो क्या सोचेंगे । इसलिए मंदोदरी ने कुरूक्षेत्र आकर वहां पर गर्भ से निकाल कर पुत्री को दबा दिया । और नंदी के अंदर स्नान कर वापस आ गई।
धरती के अंदर दबा यह भ्रूण ही राजा जनक को हल चलाते समय मिला था । तब यह माना जाने लगा की सीता राजा जनक की संतान थी। किंतु वास्तव मे ऐसा नहीं था।
इसी प्रसंग से जुड़ी एक अन्य कहानी भी है। इस कहानी के अनुसार जब प्रगाक्ष राजा की पुत्री जब तपस्या के अंदर लीन थी तो रावण ने उसका रेप करने की कोशिश कि किंतु उसने अपने आप का बलिदान कर दिया । तब वहां पर पंच रत्न दिखाई देने लगे ।
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जैन रामायण का संस्करण के अनुसार सीता kya sita ravan ki putri thi
जैन धर्म के अनुयायी जैन रामायण में सीता का वर्णन थोड़ा भिन्न होता है जबकि हिंदू धर्म के रामायण से। जैन रामायण के अनुसार, सीता रावण के द्वारा अग्रेजित की गई थी, इससे पहले उन्होंने राम चंद्र को रावण के हाथ से छुड़ाया था। राम ने सीता को वापस लेने के बाद, उन्होंने उन्हें शुद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा के लिए भेजा था।
जैन रामायण में सीता को महावीर वर्धमान की आत्मा के एक अंश के रूप में भी उल्लेख किया जाता है। उनका चरित्र बहुत ही उदार और पवित्र है और वे एक बहुत ही सज्जन व उदार स्त्री के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने दुखों और कष्टों का सामना किया, लेकिन उन्होंने दोष दिये बिना अपनी प्रतिष्ठा बचाई। सीता ने एक ऐसी महान स्त्री के रूप में अपनी जगह बनाई जो उत्तम साधुता और धर्म के प्रतीक है।
संस्करण के अनुसार, मंदोदरी को जब सीता के रूप में संतान प्राप्त हुई तो रावण बहुत खुश हुआ लेकिन कहा जाता है कि बाद मे भविष्यवाणी हुई कि सीता रावण की मौत का कारण बनेगी । जिसकी वजह से रावण काफी डर गया और उसको दूर छुटवा दिया । उसके बाद वह राजा जनक को मिल गई ।जिसकी वजह से रावण काफी अधिक खुश हुआ कि कम से कम उसकी बेटी राज परिवार के अंदर जाएगी । उसके बाद कहा जाता है कि रावण सीता के स्वयंवर के अंदर भी शामिल हुआ । यह देखकर रावण काफी अधिक खुश हुआ कि राजा राम का विवाह सीता के साथ हो रहा है। उसके बाद जब राजा राम को 14 साल का वनवास मिला तो रावण दुखी होग या और उसके बाद सीता को छल से अपने यहां पर लेकर आ गया । कहा जाता है कि रावण का सीता से विवाह करने का कोई मकसद नहीं था । जब लक्ष्मण ने रावण की बहन की नाक काटी थी तो लोगों ने यही समझा की रावण ने राम से बदला लेने के लिए उसकी पत्नी सीता का अपहरण कर लिया है।
हालांकि आपको बतादें कि यह कहानी कितनी सही है ? इसके बारे मे हमें कोई जानकारी नहीं है। यह सब इंटरनेट पर लिखा हुआ है। और फर्जी भी हो सकता है।
देववती के अवतार के रूप मे kya sita ravan ki beti hai
रामायण के अधिकांश संस्करणों में माता सीता को वेदवती का अवतार नहीं बताया गया है, इस तरह की कुछ रामायण संस्करण मौजूद हैं जो सीता को वेदवती का अवतार बताते हैं। यह एक मान्यता है जो कि जैन रामायण और अद्भुत रामायण जैसे संस्करणों में दी गई है। हालांकि, वेदवती की कहानी रामायण के मूल संस्करण में नहीं है। यह तंत्रिक शास्त्रों जैसे भागवत पुराण और देवी भागवत में मिलती है।
वेदवती की इस कहानी के अनुसार वेदवती विष्णू भगवान की तपस्या कर रही थी तो रावण उसके उपर मोहित हो गया और उसकी तपस्या को भंग करने का प्रयास किया जिससे कि वेदवदी ने अपने प्राण देदिया और कहा है कि उसकी इस गलती का बदला अगले जन्म मे लेगी । हालांकि कहानी कितनी सही है ? इसके बारे मे कोई जानकारी नहीं ।
रावण ने सीता को अशोक वाटिका में क्यों रखा?
अब दोस्तों आपको दिमाग के अंदर यह भी आता होगा कि यदि रावण सीता से विवाह करना चाहता था तो उसके बाद भी उसने सीता को अशोकवाटिका के अंदर क्यों रखा ? और सीता को उसकी बिना अनुमति के बिना छूआ क्यों नहीं तो इस संबंध मे आपको एक कथा बताते हैं। इस कथा से यह स्पष्ट हो जाएगा कि रावण ने सीता को क्यों नहीं छुआ था ।असल मे आपको बतादें कि रावण के पास जो सोने की लंका थी उसका निर्माण कुबेर ने किया था । और वहां पर एक शाप जुड़ा हुआ था ।
और उस तरह के शाप के चलते रावण सीता को छू नहीं सकता था । इस संबंध मे एक कहानी का उल्लेख मिलता है। हम आपको उस कहानी के बारे मे बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं उसक कहानी के बारे मे ।
स्वर्ग की खूबसूरत अप्सरा रंभा, कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने धरती पर आई थी। और जब रावण की उसके उपर नजर पड़ी तो वह उसके उपर मोहित हो गया और उसने रावण से कहा कि वह नल कुबरे की पत्नी है। उसके बाद भी रावण नहीं माना । नलकुबेर को जब इस पता का पता चला तो नलकुबेर ने रावण को शाप दिया कि यदि वह किसी स्त्री को जबरदस्ती छूने की कोशिश करेगा । या फिर उसे महल मे रखेगा तो वह उसी क्षण भस्म हो जाएगा । और उसके बाद जब रावण सीता को लेकर आया तो वह चाहकर भी उसे जबरदस्ती स्पर्श नहीं कर सका । और रावण उसे ना ही महल के अंदर रख पाया । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही कारण था कि रावण सीता को अशोक वाटिका के अंदर रखता था।
अन्य तरीके से सीता रावण की बेटी होने की कहानी
गृत्समद नामक ब्राह्मण रामायण के आदि कांड में उल्लिखित है। उनकी पत्नी जब उनसे पुत्री की कामना की तो वे धन्य होने के लिए लक्ष्मी-प्राप्ति का उपाय जानने के लिए मुनिश्रेष्ठ शुक्राचार्य से प्रश्न पूछने के लिए निकल गए। शुक्राचार्य ने उन्हें एक साधन बताया, जिसमें वे प्रतिदिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूंदें समर्पित करें। उन्होंने शुक्राचार्य के वचन का पालन किया
और कहा जाता है कि उस समय देवताओं और दानवों का युद्ध काफी भयंकर तरीके से चल रहा था । इसकी वजह से रावण ने आश्रम के अन्य ब्राह्मणों और ऋषियों को मारकर उनके रक्त को उसी कलश में भर लिया।
उसके बाद कहा जाता है कि रावण उस कलश को अपनी लंका के अंदर ले आया और फिर उसको मंदोदरी को देदिया । जब मंदोदरी ने पूछा कि इसके अंदर क्या है तो रावण ने कह दिया कि इसके अंदर विष है। तो उसके बाद जब रावण विवाह पर चला गया तो मंदोदरी अपनी उपेक्षा की वजह से काफी अधिक परेशान हो गई । जिसकी वजह से उस कलश के दूध को मंदोदरी ने पी लिया । और उसके अंदर मंत्रोचारित दूध होने की वजह से मंदोदरी गर्भवति हो गई । और जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका पति उसके पास नहीं है उसके बाद भी वह गर्भवति हो गई तो लाज की वजह से वह भ्रमण करने के लिए कुरूक्षेत्र चली गई । वहीं पर उसने एक बच्ची को जन्म दिया और उसको एक घड़े के अंदर बंद करके जमीन के अंदर गाड़ दिया । और फिर स्नान करके वापस आ गई । कहा जाता है कि वही बच्ची राजा जनक को सीता के रूप मे मिली थी। हालांकि इसके अंदर कितनी सच्चाई है ? इसके बारे मे जानकारी नहीं है। लेकिन यह हो सकता है।
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