यह एक ऐसी विकरती होती है जिससे ग्रस्ति व्यकित को अधिक चिंता होती है। वह हमेशा तनाव अशांति व चिंता के अंदर रहता है। यदि किसी व्यक्ति की लाईफ मे कमसे कम छ महिने वह असामान्य चिंता के रूप मे रहा है तो वह निश्चित रूप से gda का रोगी है।
इस प्रकार के रोग के कुछ लक्षण होते हैं। जैसे
बेचैनी
इस प्रकार के रोग से ग्रस्ति रोगी अधिकतर समय बैचेन रहता है। उसे कुछ भी समझ मे नहीं आता कि क्या हो रहा हैं। संतोष का एक क्षण भी उसके पास नहीं होता है।
तनावग्रस्त
वह कुछ बातों को सोच सोच कर परेशान होता रहता है जैसे वह मरजाएगा उसका क्या होगा । इस वजह से वह तनावग्रस्त हो जाता है।
वह हमेशा कुछ बुरा होने की उम्मीद करता है किंतु बता नहीं सकता कि क्या बुरा होने वाला है।
1. ह्रदय गति बढ़ जाना
2. पेट मे गड़बड़ी
3. सिर का उड़ा उड़ा अनुभव होना
4. पसीना अधिक आना
5. चिड़चिड़ा व्यवहार करते हैं।
6. अधिक थकान का अनुभव
7. अनिंद्रा की शिकायत
8. निर्णय लेने मे समस्या
यह विकरती अन्य रोगों की तुलना मे कम पाई जाती है। यह केवल 4 % लोगों के अंदर पाई जाती है। यह रोग महिलाओं मे पुरूषों की तुलना मे अधिक होता है।
एक रमा नाम कि लड़की के अंदर की शिकायत थी । उसे रात के अंदर नींद नहीं आने की समस्या थी साथ ही साथ चक्क्र भी आते थे । पहले उसके साक्षात्कार मे वह बोलते बोलते हांफ जाती थी । बार बार पानी पीती थी । बाद मे जांच की तो पता चला की वह काम के दौरान भी मरने की बात सोच सोच कर परेशान होती रहती थी । उसकी इस बिमारी की वजह से उसे कई बार नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा ।
तो दोस्तों यह एक तरह की चिंता है जो अपना उग्र रूप धारण कर लेती है तब इसे gda कहा जाता है।