दोस्तों हिंदु धर्म के अंदर भूतों के कई प्रकार बताए गए हैं। जैसे सामान्य भूत और झरूटिया भूत व महिला भूत और चूड़ैल । कई लोगों को नहीं पता की एक सामान्य भूतनी और चूड़ैल के अंदर क्या फर्क है। वे मानते हैं की हर महिला जो भूत होती है। उसी को चूड़ैल बोलते हैं। लेकिन वास्तव मे ऐसा नहीं है।चूड़ैल अलग प्रकार की प्रेतनी होती है। उसके पास एक सामान्य महिला भूत से अधिक शक्तियां होती हैं। जबकि सामान्य प्रेतनी के पास कम शक्तियां होती हैं।
चूड़ैल काफी खतरनाख होती है। यह यदि किसी इंसान के पीछे लग जाती है तो उसको मारकर ही दम लेती है। आइए जानते हैं कैसी होती है चूड़ैल ।
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1.उल्टे पैर
चूड़ैल के पैर ऐसे नहीं होते हैं। जैसे की आम इंसानों के होते हैं। उसके पैर पीछे की तरफ होते हैं। यानी उसके पैरों की उंगलियां पीछे की और होती हैं। और एड़ी मुंह की और होती है। यदि आप रात बिरात ऐसे पैरों वाली महिला को देखते हैं तो इसका मतलब वह चूड़ैल ही है।
2.बड़े बड़े हाथों के नाखून
चूड़ैल के हाथों के नाखून हमारी तरह से छोटे छोटे नहीं होते हैं। वरन उसके हाथों के नाखून काफी डरावने और लम्बे होते हैं। जिनको देखकर हर कोई का कलेजा फट जाए । ऐसा माना जाता है कि वह अपने नाखूनों का इस्तेमाल शिकार करने के लिए करती है।
3.सर चारोओर घूमता है
चूड़ैल का सर आम भूतों की तरह नहीं होता है। वरन वह काफी डरावना होता है। उसका सर चारो तरफ घूमता है। यदि कोई उसके घूमते हुए सर को देख ले तो उसके आसानी से होश उड जाएंगे ।
4.विभत्स चेहरा
चूड़ैल का चेहरा इतना भयानक होता है कि यदि इंसान रियल मे उसका चेहरा देख ले तो वह तुरंत ही डर के मारे बेहोश हो सकता है। उसके चेहरे पर खून टपकता रहता है। और वह काफी भददा और डरावना होता है। उसके मुंह के दांत भी काफी बड़े और भयानक होते हैं। वे काफी काले होते हैं।
चूड़ैल के पास कैसी काली शक्तियां होती हैं
दोस्तों चूड़ैल के पास सबसे खतरनाख शक्ति होती है कि वह एक रियल लड़की के अंदर बदल सकती है। और उसको देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि वह चूड़ैल है। इतना ही नहीं वह किसी भी जानवर का भी रूप ले सकती है। उसके हाथ भी काफी लम्बे होते हैं। जिनकी मदद से वह दूर बैठी ही कुछ भी काम कर सकती है। एक ऐसी रियल घटना जोकि काफी प्रसिद्व है बिसाउ राजस्थान के अंदर घटी थी। यह बात तो काफी पूरानी है। पर पूराने लोग बताते हैं कि शाम को एक तेल बेचने वाला तेल बेच रहा था कि उसके पास एक लड़की आई और बोली की मेरी मां तेल लेगी चलो मेरे साथ । वह लड़की उसे पूराने खंडरों के अंदर लेकर गई ।
तेल बेचने वाले को शक हो गया तो उसने पूछ लिया कि वह उसे कहां लेकर जा रही है। लड़की काफी खूबसूरत थी । उसने कोई जवाब नहीं दिया । जब तेल बेचने वाला खंडर के अंदर प्रवेश कर गया तो वह अपने रियल रूप के अंदर आई। उसके बाद वह तेल बेचने वाला वहां से भागा और गेट से निकलकर बेहोश हो गया । उसके बाद उसे कुछ राहगिरों ने संभाला और पूछा तो उसने सारी बात बताई।
कौन बनती है चूड़ैल
दोस्तों इस बारे मे हमारे पास कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है। किंतु ऐसा सुनने मे आया है कि जिस महिला की कोई बहुत बड़ी इच्छा अधूरी रह जाती है। और वह महिला अपने जीवन काल के अंदर काफी गलत काम करती है। वह चूड़ैल बन जाती है। जबकि कुछ लोगों का मानना है की जिस महिला की मौत प्रसव के दौरान होती है। वह चूड़ैल बन जाती है।
चूड़ैल कैसे अटेक करती है
दोस्तों चूड़ैल पूरूषों पर अधिक अटेक नहीं करती है। किंतु वह महिलाओं पर अधिक अटैक करती है। लेकिन यदि कोई पूरूष रात मे कोई मिठाई वैगरह लेकर आता है तो वह उसके पीछे हो सकती है। कई बार वह रात के अंदर एक छोटी बच्ची के रूप मे भी दिखाई देती है। यदि कोई उस पर दया कर उसे बुला लेता है। तो वह उसके पीछे हो जाती है।
कहां पर रहती है चूड़ैल
जैसा की आपको पता है। भूत प्रेत हमेशा ऐसी जगहों पर रहना पसंद करते हैं जोकि सुनसान है। पूराने खंडरों के अंदर चूड़ैल रहना पसंद करती है। साथ ही उन सभी जगहों पर भी चूड़ैल अपना आसियाना बना सकती है जोकि सुनसान रहते है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के नादौन में कुछ मजदूरों की टीम पूराने खंडरों को गिराने पहुंचे । मजदूरों ने तीन मकानों को गिरा दिया किंतु एक मकान को चूड़ैल ने गिराने से रोक दिया । वहां पर एक मजदूर तो बेहोश हो गया और कुछ मजदूरों को महिला की रोने की आवाजे भी सुनाई दी । कुछ को रात के अंदर एक महिला और बच्चे भी दिखे।
Avinash Raj Shukla ने हमे एक लेख सेंड किया था आइए उसके बारे मे भी जान लेते हैं।मैंने कई वर्षों तक चुड़ैलों और उनसे जुड़ी दंतकथाओं का अध्ययन किया है, जिन्हें मैं आपके और पाठकों के साथ बाँटना चाहता हूँ।
1. यह सच है कि चुड़ैलें होती हैं और किसी चीते या शेर की तरह वे भी इंसानों के झुंड से किसी एक को ही चुनकर मारती हैं। उनका आत्मबल बेहद प्रबल होता है और इसी आत्मबल की मदद से वे दूर से भी किसी पर हमला कर सकती हैं।
2. प्रेतनियों के विपरीत, चुड़ैलें अपनी मर्ज़ीं की मालिक होती हैं और काले जादू के बल उन पर काबू नहीं पाया जा सकता। चुड़ैलें मुख्य रूप से 18 से 32 वर्ष के युवकों को अपना शिकार बनाती हैं। शिकार बनाने का मतलब है कि वे युवकों की ऊर्जा को अपने आत्मबल के ज़ोर से खींच सकती हैं और शिकार युवक कुछ ही दिनों में क्षीणकाय हो कर मर जाता है।
3. ब्रह्मराक्षसों की तरह चुड़ैलें भी जादू-टोने, तंत्र-मंत्र और क्षुद्र शक्तियों में निपुण होती हैं और सुखी परिवारों को अपना निशाना बनाती हैं। इनसे बचने का सबसे कारगर उपाय है सातवीं महाविद्या माँ धूमावती के सहस्त्रनाम स्तोत्र का जाप करना। माँ धूमावती को वृद्धमाता, अलक्ष्मी, ज्येष्ठा, निऋत्ति इत्यादि नामों से संबोधित किया गया है और ये क्षुद्र शक्तियों, जैसे भूत, प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, डायन, चुड़ैल, मसान आदि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। जिस तरह पशुपतिनाथ भोले भंडारी भगवान् शंकर ने अपने शरीर में समस्त तुच्छ शक्तियों को आश्रय दिया है, ठीक उसी तरह वृद्धमाता और परम कृपालु माँ धूमावती ने क्षुद्र शक्तियों को अपने शरीर में आश्रय दिया है। माँ धूमावती के बीज मंत्र के जाप मात्र से चुड़ैलें और अन्य क्षुद्र शक्तियों के वार निष्फल हो जाते हैं।
4. चुड़ैलों का ठिकाना निर्जन स्थान में हो यह ज़रूरी नहीं है। इन्हें इंसानी बस्तियों के आस-पास भी देखा गया है। वे अपना शिकार ढूँढने के लिए किसी पर निर्भर नहीं होतीं और न ही उन्हें निर्जनता का सहारा लेना पड़ता है। ये रूप बदलने में पारंगत होती हैं और पल भर में अनिद्य सुंदरी का रूप धारण कर सकती हैं। ये सम्मोहन, स्तंभन और वशीकरण जैसी तंत्र विद्याओं में पारंगत होती हैं और अपने शिकार को पल भर में सम्मोहित कर सकती हैं। यही कारण है कि ये इंसानी बस्ती में मानवीय रूप में आ कर अपना शिकार चुन लेती हैं और फिर उसे सम्मोहित करके उसके मस्तिष्क पर नियंत्रण कर लेती हैं। सम्मोहित शिकार ख़ुद-ब-ख़ुद चुड़ैल के मोहपाश में बंधकर उसके पीछे उसके ठिकाने तक चला जाता है। कुछ शिकारों को वापस लौटते भी देखा गया है, लेकिन घर वापस लौटने वाले शिकार कुछ ऐसे लगते हैं, मानों उनके शरीर से ऊर्जा की आख़िरी बूंद तक निचोड़ ली गई है। वे थके-हारे, मंदगति और उदासीन से नज़र आते हैं और कुछ ही दिनों में भयंकर बुख़ार या जानलेवा व्याधि का शिकार हो कर मर जाते हैं।
5. चुड़ैलों को राष्ट्रीय राजमार्गों, जंगल से सटी कच्ची पगडंडियों, पुरानी बावड़ियों, कोयले की खदानों, रेगिस्तान में मौजूद नख़लिस्तानों और इस्तेमाल न होने वाले तालाबों के आस-पास भी देखा गया है। उनका प्रकोप इतना भयानक होता है कि कुछ किलोमीटर तक का दायरा नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। नकारात्मक ऊर्जा से भरे ऐसे स्थानों को हादसों, सड़क दुर्घटनाओं, मृत्यु, मनहूसियत, व्याधियों और बलाओं आदि से जोड़कर देखा जा सकता है। संवेदनशील मस्तिष्क वाले व्यक्ति इस नकारात्मक ऊर्जा को महसूस कर सकते हैं। महसूस करने का मतलब है कि चुड़ैलों के प्रकोप वाले स्थान में आपको यकायक माहौल में तब्दीली महसूस होगी, वातावरण में भारीपन का अहसास होगा, साँसों में तेज़ी आ जाएगी, मस्तिष्क में बुरे विचार घर कर लेंगे, मन में असुरक्षा की भावना पैदा होगी, छठी इंद्रीय से संकेत मिलेगा कि कुछ तो है, जो ठीक नहीं है।
6. कहा जाता है कि अगर किसी चुड़ैल ने सुंदर युवती का रूप धारण कर रखा हो, तब भी आईना उसका असली चेहरा दिखा देता है, लेकिन ऐसा हो सके यह ज़रूरी नहीं है। चुड़ैल के संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति इतना भाग्यशाली नहीं होता कि उसे उसका चेहरा आईने में देखने का मौक़ा मिले। चुड़ैलें हमलावर होती हैं और अपना शिकार चुनने के तुरंत बाद उस पर वशीकरण या सम्मोहन के बल पर काबू पा लेती हैं। ऐसी हालत में आईने में चेहरा देखने या न देखने की बात निरर्थक मालूम होती है। जानकारों का यह भी कहना है कि आम इंसान के पास इतनी सकारात्मक ऊर्जा ही नहीं होती कि वे चुड़ैल के उल्टे पैरों या उसे भयानक चेहरे को देखने के लिहाज़ से सजग रह सकें। हाँ, सच्चे कापालिकों और अघोरियों में यह शक्ति होती है कि वे चुड़ैलों को उनके असली रूप में देख सकें और उनकी नकारात्मक ऊर्जा के ज्वार को कुछ हद तक झेल सकें। चुड़ैलों में नकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है और यह भंडार किसी ब्लैक होल की तरह संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा को खींचकर उसे तुरंत नकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है। यहाँ तक कि स्थूल रूप वाली डायनें और सूक्ष्म रूप वाली प्रेतनियाँ भी चुड़ैल से कोसों दूर रहती हैं, क्योंकि उनकी नकारात्मक ऊर्जा का भंडार चुड़ैलों के नकारात्मक शक्ति के आगे बिल्कुल बौना होता है।
7. हिंदू मान्यता के अनुसार, अगर कोई स्त्री प्रसव के वक़्त कोई प्रबल या उत्कट इच्छा लिए मृत्यु को प्राप्त हो जाती है, या घोर मानसिक कष्ट सहते हुए मृत्यु को प्राप्त होती है, तो वह चुड़ैल बन जाती है, लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं है। यह सच है कि चुड़ैल का जन्म त्रासदी से ही होता है, लेकिन प्रसव के दौरान घोर मानसिक और शारीरिक कष्ट सहते हुए अगर कोई स्त्री यह कामना करती है कि वह उसे मानसिक कष्ट देने वालों का समूल विनाश कर देगी और तब तक चैन नहीं लेगी, जब तक कि उसकी दुर्दशा से उपजा क्लेश ठंडा नहीं पड़ जाता, तो वह चुड़ैल बन सकती है, लेकिन यह भी एक मान्यता ही है, अतः हम कभी नहीं जान सकते कि किसी स्त्री की चुड़ैल बनने में आख़िर कौन-सी शक्ति या कुशक्ति मदद करती है। हालाँकि यह बात तय है कि काले जादू, टोने-टोटके, तंत्र-मंत्र आदि से उन्हें वश में नहीं किया जा सकता।
8. देवी महात्म्य में इसका पूरा वर्णन मिलता है कि माँ दुर्गा ने चंड-मुंड, रक्तबीज, शुंभ-निशुंभ, धूम्रलोचन व महिषासुर जैसे दैत्यों के साथ भीषण युद्ध करके उनका संहार किया था। देवी महात्म्य और दुर्गा सप्तशती से ही हमें पता चलता है कि इन भयानक दैत्यों और उनकी पूरी सेना का संहार अकेले माँ दुर्गा ने नहीं किया था। युद्ध शुरू होने पर माँ दुर्गा ने सैकड़ों शक्तियों का आह्वान किया था, जिसके फलस्वरूप उनके शरीर से वीभत्स और अति रौद्र स्वरूप वाली अपार तामसिक शक्तियों से संपन्न सैकड़ों देवियाँ बाहर निकली थीं। माँ दुर्गा ने माँ काली, माँ तारा, माँ चामुण्डा के साथ-साथ सैकड़ों क्षुद्र शक्तियों का आह्वान किया था, जैसे शाकिनी, डाकिनी, काकिनी, राकिनी, लाकिनी, हाकिनी, मसायन, चुड़ेरन, चांडालिका आदि। इन क्षुद्र महाशक्तियों की ध्वनि इतनी विकराल, तीक्ष्ण और भयानक थी कि नरभक्षी दैत्य भी बुरी तरह दहल गए थे। उनकी लाखों सियारों के चीखने जैसी कर्कश ध्वनि को सुनकर दैत्यसेना तितर-बितर होने लगी थी। माँ दुर्गा द्वारा बुलाई गई इन शक्तियों में चुड़ैलें भी थीं, जिन्हें चांडालिकाएँ कहा जाता है। चांडालिकाएँ माँ धूमावती, माँ दुर्गा और माँ काली की सेविकाएँ होती हैं और दिन-रात उनकी सेवा में लगी रहती हैं, अतः सच कहा जाए, तो चुड़ैले पूज्य होती हैं।
9. चुड़ैलों को पूज्य कहने से मेरा आशय यह नहीं कि आपको उनकी प्रतिमा स्थापित करके उनकी घर में पूजा शुरू कर देनी चाहिए। ऐसा बिल्कुल न करें! चुड़ैलों की अपार नकारात्मक शक्ति के लिए उनका सम्मान करें, उन्हें चुनौती देने की बात बिल्कुल न करें, कभी भी यह ज़ाहिर न करें कि चुड़ैलें आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं। चुड़ैलें भी मातृशक्ति का ही एक रूप हैं। उनका माँ की तरह सम्मान करें। दिन में किसी भी समय माँ धूमावती का ध्यान करके उनसे चुड़ैलों के प्रकोप से बचाने की प्रार्थना करें और माँ धूमावती के माध्यम से चुड़ैलों से भी कृपादृष्टि बनाए रखने का अनुरोध करें।
10. गुजरात के पाटन ज़िले में चुड़ैल माता का मंदिर है। चुड़ैल बाधा से ग्रस्त सैकड़ों श्रद्धालु वहाँ माथा टेकने जाते हैं, जहाँ चुड़ैल माता अपनी कृपादृष्टि से उनकी बाधाएँ हर लेती हैं। मातृशक्ति इस संसार की सर्वोत्तम और सबसे पावन शक्ति है। माँ दुर्गा के हर रूप, चाहे वे दस महाविद्याएँ हों, सात मातृकाएँ हों, या उनकी सेविकाएँ अथवा क्षुद्र शक्तियाँ। उन सभी में माँ दुर्गा का अंश है, इसलिए वे सभी पूज्य हैं। उन्हें अपनी माता तुल्य समझकर आत्मसात करें और आप देखेंगे कि आप हर बाधा से मुक्त होते जा रहे हैं।
जय महामाया by Avinash Raj Shukla
चुड़ैलों के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी पोस्ट करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद शंकर जी। मुझे आशा है कि पाठकों के लिए यह जानकारी बेहद उपयोगी साबित होगी। मैंने कई वर्षों तक चुड़ैलों और उनसे जुड़ी दंतकथाओं का अध्ययन किया है, जिन्हें मैं आपके और पाठकों के साथ बाँटना चाहता हूँ।
Mai itna janta hun jo vyakti maa bhagvati ki aaradhna karta hi ma durga ki hi puja karta hi path jap aadi kary karta hi use is sansaar me. Damini. Pisachini. Chudail aadi kabhi bhi ahit nai karti valki uski madad karti hi ..my no9479480585
KINDLY MAIL ME ON MUKESHDOSHI@HOTMAIL.COM
I WANT TO SPEAK TO YOU, SIR.
MUKESH DOSHI
JUHU MUMBAI
dear avinash raj shukla,
please call me on 0-7045318280, i want to speak to you about your article in this blog, sir.
i am from mumbai. can also mail me on mukeshdoshi@hotmail.com, thanks.
Kya dayan ya chudel kisi insan ka dil kha leti he or iska bad vha insan kitne dino tk kinda rah sakta he mene suna he ki dayan ya chudel kisi insan ka dil kha Jane ke bad us jagah kuch bhi dal deti he bad me kuchh dino bad us insan ko death ho jati he kya ye bat sahi he pls btaiye