दोस्तों यदि आप क्रिकेट देखते हो तो आपको पता होगा कि क्रिकेट गेंद कैसे बनाई जाती है ? लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो क्रिकेट देखते हैं लेकिन उसके बाद भी उनको पता नहीं होता है कि क्रिकेट बॉल कैस बनता है। इस लेख के अंदर हम क्रिकेट बॉल के बारे मे विस्तार से बताएंगे । इसके अलावा हम बात करेंगे कि किस स्थिति के अंदर गेंद को बदला जाता है। और इसके बारे मे और भी विस्तार से जानेंगे
वैसे अलग अलग प्रकार के मैचों के हिसाब से अलग अलग रंगों की गेंद का यूज किया जाता है।टेस्ट क्रिकेट में , घरेलू खेल शौकिया क्रिकेट, पारंपरिक लाल क्रिकेट की गेंद का इस्तेमाल आम तौर पर किया जाता है। कई एक दिवसीय क्रिकेट मैचों में, फ्लडलाइट्स के नीचे दिखाई देने के लिए एक सफेद गेंद का उपयोग किया जाता है, 2010 के बाद गुलाबी गेंद के कलर को भी जोड़ दिया गया था।अब आमतौर पर क्रिकेट के अंदर सफ़ेद, लाल और गुलाबी रंगों की गेंद का प्रयोग किया जाता है। दिन और रात दोनों मे अलग अलग गेंद के रंग का प्रयोग किया जाता है। जैसे रात के अंदर गेंद का रंग सफेद चुना जाता है।
प्रशिक्षण आदि स्थिति के अंदर किसी भी प्रकार की गेंद का प्रयोग किया जा सकता है।गेंद की गुणवत्ता को मैच के बीच मे खत्म हो जाती है। तो फिर नई गेंद दी जाती है। हालांकि कोशिश यह की जाती है के मैच र्स्टाट होने के दौरान हमेशा नई गेंद दी जाए। क्योंकि मैच के अंदर गेंद को बदलना सही नहीं है। जिसको बॉल टैम्परिंग कहा जाता है। इस वजह से कई विवाद भी हुए हैं।
Table of Contents
क्रिकेट की गेंद कैसे बनती है क्रिकेट बॉल कैसे बनता है
। ब्रिटिश स्टैंडर्ड बीएस 5993 क्रिकेट गेंदों के निर्माण विवरण, आयाम, गुणवत्ता और प्रदर्शन को के बारे मे जानकारी देता है।। क्रिकेट की गेंद एक ठोस गेंद होती है। जिसका प्रयोग क्रिकेट खेलने मे किया जाता है। यह चमड़े से ढके कॉर्क की बनी होती है।यह क्रिकेट के कानूनों के अनुसार बनी होती है ,एक शीर्ष-गुणवत्ता वाली गेंद में, चमड़े के चार टुकड़ों का प्रयोग कवरिंग के अंदर किया जाता है।
नारंगी के छिलके के जैसा होता है , यह गोलार्द्ध को दूसरे के संबंध में 90 डिग्री घुमाया जाता है। गेंद के “सीमेटर” को टांके के साथ छह पंक्तियों के साथ गेंद के प्रमुख सीम को बनाने के लिए स्ट्रिंग के साथ सिलाई होती है।। चमड़े के टुकड़ों के बीच शेष दो जोड़ आंतरिक रूप से क्वार्टर सीम बनाते हैं।
- कॉर्क रबर आमतौर पर मेरठ के आस पास के खेतों से आता है। चमड़े का निरिक्षण विशेषज्ञों के द्वारा किया जाता है।
- ग्रेड बनाने के लिए ढाई वर्ग के टुकड़ों के अंदर काट कर रसायनों के साथ उपचार किया जाता है।इसके लिए टेनिंग प्रक्रिया का प्रयोग होता है। जोकि चमड़े को लचीला बनाते हैं।
- उसके बाद चादर को धूप के अंदर सूखाया जाता है। जिससे चादर का एक पंक्ति मे आ जाता है।
- उसके बाद चादर के तनाव को कम किया जाता है। जिससे वह और अधिक लचीला हो जाता है।इसके लिए उसे मोडना पॉलिश करना वैगरह काम होते हैं।
- उसके बाद जानवरों की चर्बी का एक टुकड़ा बॉल के उपर चढ़ाया जाता है। लिप-सिलाई की मदद से गेंद को सिल दिया जाता है।
इस तरह से आप जान ही गए होंगे की क्रिकेट बॉल कैसे बनती है।
क्रिकेट गेंद के संबंध मे दिशानिर्देश
दोस्तों आपको बतादें की उम्र के हिसाब से गेंद की स्थिति को बदला जाता है। गेंद के आकार के बारे मे निम्न दिशानिर्देश दिए गए हैं।
क्रिकेट की गेंद दिशानिर्देश | ||
उम्र | वजन | परिधि |
पुरुष, और लड़के 13 और उससे अधिक उम्र के | 156 से 163 ग्राम | 224 से 229 मिमी |
महिलाओं, और लड़कियों 13 और अधिक उम्र के | 140 से 151 ग्राम | 8.25 से 8.88 इंच |
13 से कम उम्र के बच्चे | 133 से 143 ग्राम | 8.06 से 8.69 इंच |
छोटे बच्चे | एक प्लास्टिक की गेंद |
- व्हाइट कूकाबूरा गेंदों का यूज दिवसीय और ट्वेंटी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में किया जाता है।
- लाल कूकाबुरा का उपयोग वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के अलावा दस टेस्ट मैचों मे किया जाता है।
- एसजी गेंदों का उपयोग भारत ,इंग्लैंड आदि करते हैं।
क्रिकेट बॉल के प्रकार
दोस्तों जैसाकि हम आपको उपर बता चुके हैं कि क्रिकेट के अंदर तीन अलग अलग प्रकार की गेंदों का प्रयोग किया जाता है। हर गेंद की अपनी विशेषता है तो कुछ कमियां भी हैं। यहां पर हम इसकी के बारे मे चर्चा करते हैं।
सफेद गेंद
सफेद गेंद का प्रयोग दिन और रात दोनों के अंदर किया जा सकता है। एक सफेद गेंद रात के अंदर आसानी से दिखाई देती है।वन-डे मैच के अंदर सफेद गेंद का प्रयोग किया जाता है।हालांकि लंबी बारी के अंदर यह अधिक स्विंग करने लग जाती हैं। यह 30 से 40 ऑवर के बाद अधिक गंदी हो जाती है। जिसकी वजह से दिखना बंद हो जाती है। सन 2012 के अंदर खेले गए मैचे मे प्रत्येक बारी के अंदर दो नई गेंद के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके अलावा 34 वें ओवर की समाप्ति के आमतौर पर सन 2007 से लेकर 2012 तक एक यूज गेंद का उपयोग किया जाता था। जो अधिक गंदी भी नहीं होती थी और खराब भी नहीं होती थी। एक टेस्ट मैच के लिए सफेद गेंद का प्रयोग नहीं किया जाता है। क्योंकि यह 80 ऑवरों तक टिक नहीं पाती है।
गुलाबी गेंद
2000 के दशक के अंदर गुलाबी गेंदों को विकसित किया गया था।अक्सर रात के अंदर मैचों मे गुलाबी गेंद का प्रयोग किया जाता है। इसका चमड़ा काफी भारी होता है। और इसका प्रयोग टेस्ट मैच के अंदर आसानी से किया जा सकता है। क्योंकि यह लगभग 80 ऑवरों तक खराब नहीं होती है। जुलाई 2009 में एक अंतर्राष्ट्रीय मैच में पहली बार गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया गया था, जब इंग्लैंड की महिला टीम ने ऑस्ट्रेलिया को की टीम को हराया था।डे-नाइट टेस्ट 2015 के अंदर पहली बार गुलाबी गेंद का प्रयोग किया गया था। जो रात मे बेहतर रही ।
लाल गेंद
लाल गेंद एक तरीके से सफेद गेंद का एक विकसित रूप है। यदि लंबी बारी तक मैच को खेलना हो तो लाल गेंद का उपयोग किया जा सकता है। यह सफेद गेंद की तरह जल्दी खराब नहीं होते हैं।
क्रिकेट बॉल के 3 निर्माता
दोस्तों क्रिकेट के अंदर प्रयोग की जाने वाली गेंद के तीन प्रमुख निर्माता हैं।जैसाकि आपको हम उपर बता चुके हैं।जिनके नाम हैं कूकाबुरा , ड्यूक और एसजी ।स्थान के आधार पर भिन्न होता है। जैसे इंडिया एसजी गेंद का प्रयोग करते हैं तो इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्ट इंडीज ड्यूक का यूज करते हैं।
कूकाबुरा का प्रयोग अन्य सभी देश करते हैं। हर निर्माताओं की गेंदे अलग अलग प्रकार का व्यवहार करती हैं।स्थान की परवाह किये बिना सभी अंतराष्टिय मैच सफेद कूकाबूरा गेंदों से खेले जातें हैं। 1999 विश्व कप के अंदर व्हाइट ड्यूक गेंद का प्रयोग किया गया था। जिसने काफी अनियमित व्यवहार किया ।
क्रिकेट गेंद की खराब हालत
दोस्तों टेस्ट मैच के अंदर प्रत्येक बारी के अंदर एक नई गेंद का प्रयोग किया जाता है।इसके अलावा सीमित ओवर इंटरनेशनल मैच के अंदर भी प्रत्येक बारी मे नई गेंद का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर जब एक लंबे समय तक गेंद का प्रयोग किया जाता है। तो उसके अंदर कई समस्याएं आ जाती हैं। जैसे की उसकी सतह खुरदरी हो जाती है। उसका कलर भी खराब हो जाता है। खिलाड़ी गेंद को पॉलिश करने के लिए रगड़ते हैं। ताकि हवा के अंदर स्विंग’ बनाई जा सके।
आपको बतादें की गेंद के व्यवहार का निरिक्षण अप्पायर भी करते हैं। वे मैच के दौरान कभी भी गेंद का निरिक्षण कर सकते हैं। यदि गेंद के अंदर कुछ गड़बड़ी है तो वे इसे बदल सकते हैं। आमतौर पर 30 ऑवर के बाद गेंद को बदल दिया जाता है। एक खिलाड़ी के लिए गेंद के साथ छेड़छाड करना उपयुक्त नहीं माना जाता है।
- खिलाड़ी गेंद को जमीन पर नहीं रगड़ सकता है।
- वह नाखुनों से गेंद को खुदरा नहीं कर सकता है।
- पसीने व कपड़ों के अलावा गेंद को कहीं पर भी नहीं रगड़ा जा सकता है।
आपको बतादें की स्पिन गेंदबाज एक घिसी हुई गेंद का प्रयोग करना अधिक पसंद करते हैं।जबकी तेजगेंदबाज नई गेंद को पसंद करते हैं। आमतौर पर घिसी हुई गेंद हवा के अंदर अच्छा उछाल ले सकती हैं। एक कप्तान यदि स्पिन गेंदबाजों का प्रयोग करता है तो वह नई गेंद के लिए देरी से भी बोल सकता है।
क्रिकेट गेंद से हो सकती हैं मौते
दोस्तों क्रिकेट गेंद का वार काफी घातक होता है। इसके वार की वजह से कई बार खिलाड़ी मर भी जाते हैं। जबकि कुद बहुत अधिक घायल भी हो जाते हैं।
- फ्रेडरिक, प्रिंस ऑफ वेल्स (1707-1751) मे क्रिकेट की गेंद से चोट लगने के बाद मर गए थे ।
- ग्लैमरगन खिलाड़ी रोजर डेविस 1971 मे सिर पर लगी गम्भीर चोट की वजह से मारे गए थे ।
- भारतीय बल्लेबाज नरीमन ‘नारी’ ठेकेदार को 1962 में वेस्टइंडीज मे खेलते हुए सर पर चोट लगी थी। इस वजह से सन्यांस लेना पड़ा था।
- 1998 में, भारतीय क्रिकेटर रमन लांबा की की मौत गेंद सर पर लगने से हो गई थी। वे बिना हेलमेट के क्रिकेट किपर के साइड मे क्षेत्ररक्षण कर रहे थे ।
- क्रिकेट अंपायर एल्कविन जेनकिंस की वेल्स में एक फील्डर द्वारा फेंकी गई गेंद से सिर पर चोट लगने से मौत हो गई थी।
- 27 अक्टूबर 2013 को, दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर डैरिन रान्डल जब बल्ले बाजी कर रहा था तो एक गेंद उसके सर पर लगी और जिसकी वजह से वह तुरन्त नीचे गिर गया । उसे अस्पताल लेकर जाया गया । लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
- 14 अगस्त 2017 को, मुबारन जिले पाकिस्तान में खेले गए एक क्लब मैच में बल्लेबाजी करते समय सिर पर चोट सेजुबैर अहमद की मृत्यु हो गई थी।
- सन 2014 मे एक अंपायर और इज़राइल की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान, हिलेल ऑस्कर की गेंद से गर्दन में चोट लगने के बाद मृत्यु हो गई थी।
क्रिकेट गेंद स्विंग क्या होता है ?
गेंद के दोनों किनारों पर हवा के दबाव मे अंतर पैदा करके ही स्विंग करवाया जाता है। गेंद के अंदर स्विंग तब पैदा होती है। जब गेंद के एक किनारे पर हवा का प्रवाह बाधित हो जाता है। ऐसा गेंद बाज खुद भी कर सकता है। या फिर अपने आप ही हो सकता है। स्विंग प्राप्त करने के लिए गेंद के एक हिस्से को चिकना करना पड़ता है। आपने देखा होगा मैचों के अंदर अक्सर बोलर गेंद को रगड़ते रहते हैं। वे चिकना करने के लिए ऐसा करते हैं। आउटस्विंगिंग गेंद बल्लेबाज से दूर जाती है, जबकि इनस्विंगर गेंद बल्लेबाज की तरफ आती है।
अक्सर आपने देखा होगा की कुछ बोलर गेंद को बल्लेबाज के से दूर फेंकते हैं और उसके बाद वह बल्लेबाज की तरफ कटकर आती है। जबकि कुछ बोलर गेंद को बल्ले बाज की तरफ फेंकते हैं लेकिन वह कटकर अलग दिशा मे चली जाती है। यदि आप मैच देखते हैं तो आपने इस चीज को नोटिस भी किया होगा । यदि नहीं किया है तो अबकी बार जब मैच आए तो जरूर गेंद के व्यवहार को नोट करें ।
क्या आपको पता है किक्रिकेट की गेंद कैसे बनती है?या क्रिकेट बॉल कैसे बनता ?अब आप समझ ही चुके हैं कि क्रिकेट बॉल किन चीजों से बनता है।
नीलम स्टोन कहां पाया जाता है और नीलम कितने प्रकार के होते हैं
क्रिकेट बॉल कैसे बनता है ? आधुनिक समय के अंदर
दोस्तों क्रिकेट गेंद को आधुनिक समय के अंदर अलग तरीके से बनाया जाने लगा है। जिसके बारे मे हम आपको यहां पर बता रहे हैं।पहले गेंद को हाथों से बनाया जाता था , और हाथों की मदद से ही चमड़े की सिलाई वैगरह की जाती थी , लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है। अब सारा काम मशीनों की मदद से किया जाता है। क्रिकेट की गेंद के अंदर कई सारी परत होती हैं।
कॉर्क केंद्र
कॉर्क केंद्र क्रिकेट की गेंद का पहला भाग होता है। और यह सबसे बीच का हिस्सा हम कह सकते हैं। यह गेंद के बीच मे होता है। और रबर का बनाया जाता है। यह काफी मजबूत होता है। रबर मलेशिया से आयात किया जाता है। क्योंकि मलेशिया ही रबर का प्रमुख उत्पादन कर्ता है।कार्क को गेंद के केंद्र के अंदर डाला जाता है। और विशेष मशीन की मदद से संकुचित किया जाता है।
ऊन की लपेटाई
कार्क के उपर ऊन की लपेटाई की जाती है। इसको कार्क के चारों ओर अच्छी तरह से लपेटा जाता है। ताकि गेंद का वजन हर तरफ से समान रहे । यह इस तरह से लपेटा जाता है , ताकि गेंद काफी अच्छे से उछाल दे सके ।ऊन की परतें विशेष प्रकार के ऊन से बनी होती हैं जो मजबूत और नरम होती हैं।
चमड़े का आवरण
उसके बाद ऊन के उपर चमड़े का आवरण सिला जाता है। चमड़े का आवरण सिलने के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है। मशीन की मदद से गेंद पर अच्छी तरह से इसको सिला जाता है। यह चमड़ काफी मजबूत होता है , ताकि गेंद लंबे समय तक चल सके ।
अंतिम परीक्षण
जब गेंद पूरी तरह से तैयार हो जाती है , तो उसके बाद इसके चमड़े का परीक्षण किया जाता है , और यदि यह गेंद परीक्षण के अंदर सफल होती है , तो उसके बाद इसको बिक्री के लिए भेज दिया जाता है।
- दुश्मन को सबक सीखाने के 18 दमदार तरीके दुश्मन दुम दबाकर भाग जाएगा
- शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाने के 12 फायदे किसी को नहीं पता
- 270 + naraz dost ke liye shayari नाराज दोस्त के लिए मस्त शायरी
- mehandi artist कैसे बनें जानें 14 शानदार टिप्स की मदद से
- भाग्यशाली स्त्री मे होते हैं 23 यह लक्षण तुरंत पहचानें
This post was last modified on December 15, 2023