पहले आज जैसी घडियो का आविष्कार नहीं हुआ था। आज से तीन हजार साल पहले लोग समय का अनुमान किसी वस्तु की छाया को देखकर लगाते थे । उनके पास कोई घड़ी नहीं थी। ऐसा अभी भी कुछ बुढ़े व्यक्ति करते हैं। उनको यदि आप घड़ी देभी देंगे तो वे छाया से ही पता करेंगे । घड़ी से उनको समय का पता नहीं चलता है।
रात के अंदर समय जानने के लिए 3 हजार साल पहले चीनी लोगों ने जल घड़ी का आविष्कार किया था। बाद मे इस घड़ी के बारे मे रोमानियां मिस्त्र लोगों को ज्ञात हुआ ।
जल घड़ी के अंदर दो पात्रों का प्रयोग किया जाता था। एक पात्र मे पानी भर दिया जाता था । और उसके तली के अंदर एक छेद कर देते थे ।
पानी एक एक बूंद के रूप मे पात्र के अंदर गिरता रहता था। और पात्र के अंदर गिरने वाले पानी की मात्रा को नापकर समय का अनुमान लगाया जाता था। उसके बाद पानी की जगह रेत का प्रयोग किया जाने लगा। इस तरह की घंडियों के अंदर एक घंटे का भी प्रयोग किया जाता था। जोकि तय समय पर बजता था।
मोमबती से समय का पता करने की विधि का आविष्कार
इंग्लैंड के ऐल्फ्रेड महान ने मोमबती से समय का ज्ञान करने की विधि का आविष्कार किया था। उसने मोमबती के चारो और चिन्ह अंकित थे। जहां तक मोमबती जल जाती उतना ही समय हो चुका होता था।
घड़ी की खोज यूरोप मे हुई थी
सबसे पहली घड़ी सन 996 के अंदर पोप सिलवेस्टर ने बनाई थी। यूरोप के अंदर घड़ियों का प्रयोग 13वी शताब्दी के अंदर होने लगा था।
इंग्लैंड के एक घंटाघर मे सन 1228 मे और सेंट अल्बास मे 1326 के अंदर पहली घड़ी लगाई गई थी।
सन 1300 ई के अंदर हेनरी ने घंटे व डायल वाली घड़ी बनाई थी।
कलाई घड़ी का आविष्कार
काफी सालों तक लोग ऐसी घड़ी का ही प्रयोग करते रहे । जिसको किसी स्थान पर रखा जा सकता था। किंतु हाथ के नहीं बांधा जा सकता था। सन 1577 के अंदर पीटर ने ऐसी घड़िया बना ली थी जिसको एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता था।
किंतु आधुनिक घड़ी का निर्माण पास्कल ने किया था। जिसको एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता था। और पास्कल ने घड़ी को एक रस्सी की सहायता से हाथ पर बांध लिया था ।1650 ई के आस पास लोग घड़ी को जेब में लेकर घूमते थे ।