दोस्तों आप जौधा अकबर टीवी सिरियल के बारे मे जानते होंगे । जौधा अकबर पर एक फिल्म भी बन चुकी है। दरसअल टीवी सिरियल के अंदर जो दिखाया जा रहा है। वह सच नहीं है। आप अकबर के बारे मे अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। इस टीवी सिरियल का पहले भी विरोध हो चुका है। इतिहासकेअंदर जौधा शब्द का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। यानि इस सिरियल के अंदर जो कुछ दिखाया जा रहा है वो झूठा है। यह टीवी सिरियल वाले अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिये ऐसा कर रहे हैं। बड़े अफसोस की बात तो यह है कि इस टीवी सिरियल के अंदर बहुत सी बातों को धर्मविरोधी दिखाया गया है।
क्या है असली सच
अकबरनामा के अंदर भी जौधा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। वहीं जांहगिर की आत्मकथा के अंदर भी जौधा का उल्लेख नहीं मिलता है। दरसअल जिसे हम जौधा समझ रहे हैं। वह मारियमउलजमानी नाम की एक दासी की बेटी थी । जोकि भारमल के विवाह पर देहज के अंदर आई थी । उसका लालन पालन राजपूतों के अंदर होने से वह सारे राजपूत रितिरिवाजों के बारे मे जानती थी । अकबर ने एक बार राजा भारमल को उसकी बेटी से शादी करने को कहा था किंतु एक बार तो भारमल ने मना कर दिया किंतु बाद मे उनके दिमाग मे एक आईडिया आया ।
और अकबर की बात स्वीकार करली । और राजपूतों ने अपनी कूटनीति से एक दासी की बेटी को अकबर से शादी करवादी।इसविवाह पर राजा भारमल ने कन्या दान भी किया था । इस तरह से उस दासी का विवाह कर अकबर को मूर्ख बना दिया । इस दासी को हरका बाई के नाम से जाना जाता है। हांलाकि इस विवाह के पीछे भारमल की बुद्वि का कमाल था । वे चाहते थे कि अकबर के साथ मित्रता करने मे ही उनकी भलाई है।
इस संबंध मे ए महुरियत के अंदर लिखा है कि इस विवाह पर हमे संदेह है क्योंकि किसी भी व्यक्ति की आंखों मे आंसू नहीं थे ।
पारसी तित्ता के अंदर लिखा है कि भारतिय राजा दासी को हरम मे भेज रहा है।
हांलाकि विकिपिडिया के अंदर जौधा का अकबर
के विवाह की बात लिखी गयी है। लेकिन उसे किसी व्यक्ति ने ऐडिट कर झूठ ही लिख दिया है। हांलाकि इस बारे मे कई बार न्यूज पर भी आ चुकी है कि रियल मे जौधा का कहीं थी ही नहीं ।
अकबर ने अपने महल मे कोई भी मंदिर नहीं बनाया था
जिस तरह से टीवी सिरियल के अंदर यह दिखाया गया है कि अकबर ने जौधा के आग्रह पर अपने महल के अंदर मंदिर बनाया था । किंतु रियल मे ऐसा सच नहीं है। अकबर ने अपनी दासी के लिये कोई भी मंदिर नहीं बनाया था । साथ ही वहां पर किसी भी भगवान की तस्वीर नहीं रखी गई थी।
कहां से आई जौध
हुमायुं जब बादशाह बना था तब वह पर्शिया से अपने साथ कुछ परिवारों को लाया था । जोकि मूल रूप से मीनकारी का काम करते थे । उनके परिवारों मे विवाह का प्रचलन नहीं था । इसलिये इनमेसे कुछ महिलाएं जोधपुर के राज परिवार के अंदर रहने लगी । जब वहां परने वाली दासी को एक बच्ची को जन्म दिया तो वह दासी रोने लगी कि उसकी बच्च्ी का कोई भविष्य नहीं होगा । तब जोधपुर की राजकुमारी ने उसे वचन दिया कि वह उसकी बच्ची का विवाह किसी राजघराने के अंदर कर देगी ।
जब जोधपुर की राजकुमारी का विवाह भारमल के साथ हुआ तो प्रथम मिलन के समय ही राजकुमारी ने राजा से वचन लेलिया की दासी पुत्री हमारे धर्म की बेटी मानी जाएगी । और इसका विवाह किसी राजघराने के अंदर करना होगा । राजा भारमल ने वचन दिया । किंतु यह आसान नहीं था । उसका विवाह कोई भी राजपूत करना भी नहीं चाहता था । राजा भारमल को इसकी चिंता हो रही थी। और अकबर से संधि करने के बाद उन्होंने अपनी चिंता अकबर को बताई । अकबर ने उससे विवाह करने की बात को स्वीकार कर लिया । हांलाकि राजा भारमल की चतुराई पर सीख और कई राजा बेहद प्रसन्न हुए थे ।
This post was last modified on October 27, 2018