hippopotamus in hindi ,दोस्तों दरियाई घोड़े का आपने नाम सुना होगा । जिसको जलिय घोड़ा या Hippopotamus कहा जाता है। इस लेख मे हम आपको बताने वाले हैं कि दरियाई घोड़ा क्या होता है ? और दरियाई घोड़ा क्या खाता है ? दरियाई घोड़े का पसीने का रहस्य, वैसें देखा जाए तो दरियाई घोड़ा सामान्य घोड़े से अलग है। यह घोड़ों की प्रजाति का नहीं है। वरन यह सूअर की प्रजाति का जीव है।हिप्पोपोटामस शब्द का मतलब होता है। वाटर होर्स पानी और थल दोनों के अंदर यह रह सकता है। पानी मे रहने की वजह से इसको जलिय घोड़ा या दरियाई घोड़ा कहा जाता है।हाथी और rhinoceros के बाद यह तीसरा सबसे भारी स्तन पायी है। सूअर के साथ निकटतम समानता के बावजूद व्हेल, डॉल्फ़िन, पोर्पोइज इसके निकटतक रिश्तेदार हैं। जो 55 मिलियन वर्ष पूर्व इससे अलग हो गए थे ।
यदि हम इसके वजन की बात करें तो नर का वजन 1,500 किलोग्राम और मादा का वजन 13 किलोग्राम होता है। इसके पैर छोटे होते हैं। और यह 30 किमी / घंटा (1 9 मील प्रति घंटे) चलने में सक्षम है।दरियाई घोड़ा नदी ,झील , तालाबों के पास और मैंग्रोव दलदल के अंदर रहते हैं। दिन के समय यह पानी के अंदर रहते हैं। ताकि गर्मी से बचा जा सके । इसके अलावा प्रजनन भी पानी के अंदर ही करते हैं।हिप्पोपोटामस दुनिया का सबसे खतरनाख जीव है। यह आक्रमक होता है।दरियाई घोड़े के मांस व दांत के लिए इसका शिकार किया जाता है।
हिप्पोपोटामस 30 के समूह के अंदर रहते हैं। इन समूह को झुंड, डेल, या ब्लोट कहा जाता है।हिप्पोपोटामस ग्रीक शब्द है। जिसमे हिप्पोप्स का मतलब घोड़ा होता है। और पोटामस का मतलब नदी है। इस वजह से इसको नदी का घोड़ा भी कहा जाता है।
दरियाई घोड़ा क्या है? दरियाई घोड़ा क्या खाता है ? दरियाई घोड़े का पसीने का रहस्य
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दरियाई घोड़े का वर्गीकरण
दरियाई घोड़े के अंदर हिप्पोपोटामिडे प्रकार का जीन है। दरियाई घोड़े को 5 प्रजातियों के अंदर बांटा जा सकता है। यह विभाजन उनकी खोपड़ी और भौगोलिक मतभेदों के आधार पर किया गया है।
Great northern hippopotamus or Nile hippopotamus
यह प्रजातियां मिस्र के अंदर फैली हुई थी जोकि अब विलुप्त हो चुकी हैं। इनका विस्तार नील नदी के दक्षिण के अंदर तंजानिया तक था।
East African hippopotamus
इनकी नाक काफी चौड़ी होती है। यह केन्या के अफ्रकिी ग्रेट झील क्षेत्र के अंदर और सोमालिया में के अंदर यह फैले हुए हैं।
Cape hippopotamus or South African hippopotamus
जाम्बिया से दक्षिण अफ्रीका तक फैले हुए हैं। इनकी पहचान यह है कि इनकी खोपड़ी चपटी है।
West African hippopotamus or Tchad hippopotamus
जैसा कि नाम से पता चलता है। यह पूरी पश्चिम अफ्रिका के अंदर फैले हुए हैं। इनका चेहरा छोटा और थोड़ा चौड़ा होता है।
Angola hippopotamus
अंगोला में, दक्षिणी लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो और नामीबिया मे यह पाये जाते हैं।
हालांकि यह उपजातियों के विभाजन का पूरी तरीके से भौतिक रूप से सत्यापन नहीं किया जा सका । क्योंकि प्रजातियों के अंदर यह मतभेद बहुत छोटे थे ।आनुवांशिक रूप से केवल तीन ही उप प्रजातियों का विश्लेषण किया गया है।
दरियाई घोड़े की उत्पति
1 9 0 9 तक वैज्ञानिकों ने सूअरों के साथ दरियाई घोड़ों को जोड़ कर देखा था। रक्त प्रोटीन , डीएनए और जिवाश्म रिकार्ड यह दिखाते हैं कि इनके निकटतम रिश्तेदार केटेशियन हैं। केटेशियन के अंदर व्हेल, डॉल्फ़िन और पोर्पोइज आते हैं। हालांकि केटेशियन और दरियाई घोड़े बाद मे विभाजित हो गए थे ।हाल ही के सिद्वांत बताते हैं कि हिपपोज़ और व्हेल ने एक आम अद्वसूत्री विभाजन के बाद अन्य आर्टियोडैक्टिल से 60 मिलियन वर्ष पूर्व अलग हो गये थे ।
शुरुआती व्हेल पूर्वजों को सामूहिक रूप से आर्कियोसेटी के नाम से जाना जाता है, जोकि इसकी एक शाखा पूरी तरह से जलिय बन गई और दूसरी शाखा एंथ्रेकोथेरेस बन गई। मतलब चार पैरों पर चलने वाली।एंथ्राकोथेरेस की सभी शाखाएं हिप्पोपोटामिडे को छोड़कर प्लायोसिन के दौरान लुप्त हो गई।दरियाई घोड़े के आम पूर्वज लगभग 20 मिलियन वर्ष पहले मिओसीन में रहते थे।
माना जाता है कि हिप्पोपोटामिडे सबसे पहले अफ्रिका के अंदर विकसित हुए थे ।सबसे पुराना ज्ञात हिप्पोपाटामिड जीनस केन्यापोटामस है, जो 16 से 8 मिलियन वर्ष पहले अफ्रीका में रहता था। हिप्पोपाटामिड प्रजातियां ऐशिया और यूरोप के अंदर फैली हुई थी । अमेरिका के अंदर कभी भी इसकी खोज नहीं हुई।आधुनिक हिप्पोपोटामस के पूर्वजों, आर्कियोपोटामस, अफ्रीका और मध्य पूर्व में रहते थे।
दरियाई घोड़े की विलुप्त प्रजातियां
मैडागास्सी हिप्पोपोटामस की तीन प्रजातियां विलुप्त हो गई। और उनमे से एक तो पीछले 1000 वर्षों के अंदर ही विलुप्त हुई है।मालागासी हिप्पोस आधुनिक दरियाई घोड़े से बहुत छोटे थे ।मालगासी हिप्पो के जिवाश्म यह बताते हैं कि इनकी विलुप्ति कारण इनका शिकार करना था।1 9 76 में, ग्रामीणों ने किलोपिलोपिट्सफी नामक एक जीवित जानवर के बारे मे बताया था जोकि मालगासी हो सकता है।
हिप्पोपोटामस एम्फिबियस 30,000 साल पहले यूरोप और उत्तर अफ्रीका के अंदर काफी अधिक संख्या के अंदर पाये जाते थे ।इसके साक्ष्य भी मौजूद हैं।मिस्र के नाइल क्षेत्र के अंदर दरियाई घोड़े की कई प्रजातियां पाई जाती थी।प्लिनी द एल्डर लिखते हैं कि तब दरियाई घोड़े को पकड़े का सबसे अच्छा स्थान मिस्र के अंदर साइट नोम मे था।639 में अरब विजय के बाद भी यह काफी संख्या के अंदर पाया जाता था।1 9वीं शताब्दी नाताल प्रांत मे अंतिम दरियाई घोड़ा पाया गया था।
हालांकि दरियाई घोड़ा अभी भी कांगो, युगांडा, तंजानिया और केन्या के उत्तरी लोकतांत्रिक गणराज्य की नदियों और झीलों में रहते हैं, उत्तर में इथियोपिया, सोमालिया और सूडान, पश्चिम में गैंबिया और दक्षिण से दक्षिण अफ्रीका तक मिलते हैं।
युगांडा जनजातियां ने 20 वीं शताब्दी के अंदर अनेक दरियाई घोड़ों का भोजन के लिए शिकार किया था।
मई 2006 में, आईयूसीएन ने एक कमजोर प्रजाति के रूप मे दरियाई घोड़े को रेड चिन्ह के रूप मे मार्क किया था।अनुमानित आबादी 125,000 से 150,000 के बीच बताई थी।1 99 6 के अध्ययन के बाद से जाम्बिया (40,000) और तंजानिया (20,000-30,000) मेंइनकी सबसे बड़ी आबादी है।विरुंगा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर सन 1970 से लेकर 2005 के बीच पहले 2 9, 000 थी जो बाद मे केवल 900 हो गई। इतनी बड़ी गिरावट का कारण दूसरे कांगो युद्ध को ठहराया गया था।
हलांकि दरियाई घोड़े का मांस खाना कानूनी रूप से अफ्रिका के अंदर अवैध कर दिया गया है। लेकिन मध्य अफ्रिका के अंदर लोग इसको एक स्वादिष्ट मांस की संज्ञा देते हैं। इसके अलावा दरियाई घोड़े का शिकार इस वजह से भी किया जाता है क्योंकि इसके दांत को हाथी दांत के समतुल्य माना जाता है।
दरियाई घोड़ा क्या है? दरियाई घोड़े के बारे मे जानकारी
आपको बतादें कि दरियाई घोड़े पुरूष अपने पूरे जीवनकाल के दौरान बड़े होते रहते हैं। जबकि महिलाएं केवल 25 साल की उम्र तक ही बढ़ पाती हैं। पुरूषों का अधिकतम वजन 3,200 किलो तक पहुंच सकता है। इनकी कंकाल संरचनाएं इनके भारी वजन को ले जाने के लिए अनुकूलित हैं। वैसे यह भारी जानवर हैं। और इनके पैर छोटे होते हैं। यह एक अच्छे तैराक भी नहीं होते हैं। इस वजह से यह गहरे पानी के अंदर नहीं जाते हैं।जब यह पानी के अंदर रहते हैं तो अपने नाक को बाहर रखते हैं। ताकि इससे यह सांस आसानी से ले सके । इनके पैर छोटे होने की वजह से यह कूद नहीं सकते ।
दरियाई घोड़े के जबड़े की बनावट इस प्रकार से होती है कि वह 180 डिग्री पर अपना मुंह खोल सकते हैं।वयस्क महिला की काटने वाली शक्ति को 8,100 न्यूटन के रूप मे मापा गया है।पुरूष दरियाई घोड़े के नीचे और उपर के आगे के नस दांत लगातार बढ़ते रहते हैं। और यह 1 फीट 4 इंच तक पहुंच सकते हैं।
दरियाई घोड़े के उपर बाल बहुत कम होते हैं।त्वचा 6 सेमी (2 इंच) मोटी होती है।जानवरों के ऊपरी भाग बैंगनी-भूरे रंग से नीले-काले होते हैं। जबकि आंखों और कानों के आस-पास के हिस्सों और इलाकों के नीचे भूरे रंग के गुलाबी होते हैं।
रक्त पसीना भी इनके अंदर पाया जाता है। यह पहले रंगहीन होता है। लेकिन कुछ समय बाद इसका रंग लाल-नारंगी बन जाता है। और फिर ब्राउन बन जाता है। दरसअल यह हिपोस्पूडोरिक एसिड ,नोरिपोस्पोडोरिक एसिड होते हैं जो रोग विकास करने वाले रोगाणुओं को रोकते हैं।
दरियाई घोड़े का जीवनकाल 40 से 50 साल का होता है।डोना हिप्पो पहला जीवित हिप्पो था।वह अमेरिका में इंडियाना के इवांसविले में मेस्कर पार्क चिड़ियाघर में रहती थीं । जिसकी मौत सन 2012 के अंदर 61 साल की होने पर हुई थी।
दरियाई घोड़ा क्या खाता है ? और इसका रहन सहन
दरियाई घोड़े नदियों तालाबों और झीलों के अंदर रहते हैं। और दिन का समय है पानी के अंदर खर्च करते हैं। इसके अलावा यह अधिक घास वाले स्थानों पर रहते हैं।यह सिर्फ चरने के लिए भूमी पर जाते हैं। इसके अलावा संभोग तक पानी के अंदर ही करते हैं।यह 6 मील तक की लंबी यात्राएं भी करते हैं।यह चार से पांच घंटे चराई करते हैं और हर रात 68 किलो घास का सेवन कर लेते हैं।वैसे तो दरियाई घोड़े शाकहारी होते हैं। लेकिन यह कभी कभी मांस खाते भी हैं। हालांकि इनकी आंते मांस को ठीक से पचा नहीं पाती हैं। इनका मांस खाने का कारण पौष्टिक तनाव के कारण होता है।
सन 2015 के अंदर हुए एक रिसर्च के अनुसार दरियाई घोड़े का गोबर मछली और अन्य जलिय जीव के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।दरियाई घोड़े पानी के अंदर 5 मील प्रति घंटे तक चल सकते हैं। यह समय समय पर अपना स्थान बदलते रहते हैं।
आपको बतादें कि सांस लेने की प्रक्रिया अवचेतन होती है। इनको हर 3 मिनट के अंदर सांस लेने के लिए पानी से उपर आना पड़ता है।यदि यह पानी के नीचे सो रहे हैं तो सांस लेने के लिए अपने आप उपर आ जाएंगे । इसके लिए इनको जागने की आवश्यकता नहीं है।
नाइल मगरमच्छ और शेर भी कभी कभी दरियाई घोड़े का शिकार करते देखे गए हैं। हालांकि यह कम ही चांस होते हैं कि कोई जानवर इनका शिकार कर ले । क्योंकि यह बहुत आक्रमक होते हैं। दरियाई घोड़े एक सामाजिक जानवर नहीं हैं। और उनके साथ रहने का कारण अज्ञात है। और इनके झुंड के अंदर 30 या इससे अधिक दरियाई घोड़े हो सकते हैं।और मादा दरियाई घोड़े अधिकतर केसों के अंदर एक दूसरे के साथ रहती हैं। कस्तूरी मर्ग की तरह ही दरियाई घोड़ा भी अपने मल के द्वारा अपने क्षेत्र को चिन्हित करता है। और इनके अंदर पुरूष आपस मे लड़ते हुए भी देखे गए हैं। जब दो दरियाई घोड़े आपस मे लड़ते हैं तो एक दूसरे पर अपने नुकिले दांतों से हमला करते हैं।और एक दूसरे को घायल कर देते हैं।
जन्म के बाद मादा दरियाई घोड़ा 5 से 6 साल के अंदर परिपक्व होता है।और पुरूष दरियाई घोड़ा लगभग 7 साल के बाद परिपक्व होता है।युगांडा के अंदर हुए एक रिसर्च से पता चला है कि गर्मियों के अंदर और सर्दियों मे गिले मौसम के समय मादा गर्भधारण करती है।गर्भवती होने के बाद मादा 17 महिने तक अंडाशय शूरू नहीं करेगा। संभोग भी पानी के अंदर ही होता है।बेबी हिप्पोप्स 25 से 50 किलो का होता है। और 127 सेमी की औसत लंबाई होती है। इसके अलावा बच्चे पानी के अंदर ही पैदा होते हैं। इनका सांस लेने के लिए सतह पर आना पड़ता है।
कभी कभी यह अपनी मां के पीठ पर बैठे भी देखे जा सकते हैं। दरियाई घोड़े की माता ही इनकी सुरक्षा करती है। और दुश्मनों से इनकी दूरी बनाए रखती है। हालांकि चिड़िया घरों के अंदर इनकी देखभाल वयस्क करते हैं। एक बच्चा दरियाई घोड़ा जन्म के 8 महिने तक मां का दूध पीता है। यह कभी कभी जुड़वा भी पैदा होते हैं।
दरियाई घोड़े के साथ इंसानों का कनेक्सन
दरियाई घोड़े पर मानव हमले का पहला सबूत 160,000 साल पहले मिले जिवाश्म के अंदर मिल चुका है। उसके बाद दरियाई घोड़े के शिकार करने का सबूत सहारा के पहाड़ों में तस्सीली एन’जेजर पर्वत में दंजेट के पास मिले जिवाश्मों के अंदर मिला है। यह 4000 साल पहले की बात है। ग्रीक इतिहासकार हेरोदोटस ने द हिस्ट्रीज़ अपनी किताब के अंदर दरियाई घोड़े के बारे मे लिखा था।रोमन प्रकृतिवादी प्लिनी द एल्डर ने नेचुरलिस हिस्टोरिया के अंदर दरियाई घोड़े के बारे मे लिखा है।योरूबा लोगों को हिप्पोपोटामस एरिनमी कहा जाता है जिसका अर्थ है “पानी के हाथी”।
दरियाई घोड़े का इंसानों पर हमला
दरियाई घोड़े के इंसानों पर हमले के केस बहुत कम आते हैं। क्योंकि अब इनकी संख्या बहुत कम रह गई है। वैसे दरियाई घोड़ा बेहद आक्रमक होता है।और पानी के अंदर तैर रही बड़ी नावों को डूबो सकता है।नाइजर के अंदर हुए हमले के अंदर 13 लोगों की मौत हो गई थी ।
दरियाई घोड़ा चिडिया घर के अंदर
हिप्पो ओबेशक वह पहला चिड़िया घर था जिसमे दरियाई घोड़े को रखा गया था।25 मई 1850 को लंदन के अंदर इस दरियाई घोड़े ने 10000 से अधिक आगंतुओं को आकर्षित किया था।हालांकि चिड़िया घर के अंदर दरियाई घोड़े की जन्मदर कम होती है। जन्मदर कम होने का एक कारण खुद चिड़िया घर को भी ठहराया जाता है। क्योंकि इसको बनाय रखना काफी महंगा होता है।टोलेडो चिड़ियाघर जोकि अमेरिका के अंदर है मे 1 9 87 मे बहुत से लोगों ने पानी के अंदर दरियाई घोड़े के जन्म को देखा था।
हिप्पों धरती पर सबसे बड़े जानवरों मे से एक है
हाथी और गैंड के साथ ही हिप्पों इस ग्रह पर सबसे बड़े जानवरों मे से एक है।एक औसत, पूर्ण विकसित पुरुष 7,000 पाउंड तक पहुंच सकता है। जोकि एक यूपिएस ट्रक का वजन होता है। और मादा 3000 पाउंड तक पहुंच सकती है।जन्म के बाद बेबी हिप्पों 60 पाउंड का होता 3.5 साल की उम्र मे ही हिप्पों को परिपक्व माना जाता है।
दरियाई घोड़े तैर नहीं सकते हैं
दोस्तों दरियाई घोड़े का नाम जब हम लेते हैं तो हमे लगता है कि यह पानी के अंदर रहने वाले घोड़ें हैं। असल मे जब यह पानी के अंदर रहते हैं तो इनको तैरना तो आता ही है। लेकिन सच बात हो यह है कि इनको तैरना नहीं आता है।
जब भी आप इन दरियाई घोड़ों को देखते हैं तो यह पानी के अंदर आपको मिलेंगे और कई बार इनकी आंख ही सब बाहर ही दिखेंगी बाकी सारे यह पानी के अंदर डूबे हुए मिलेंगे । लेकिन असल मे यह अपने शरीर का तापमान कम करने के लिए ऐसा करते हैं।
और जब गर्मी का मौसम होता है तो अपने शरीर का तापमान कम करने के लिए इनके पास यही एक रस्ता होता है। यह निशाचर होते हैं। इसका मतलब यह है कि यह रात के अंदर विचरण करने वाले होते हैं।
बेबी हिप्पों पानी के नीचे भी दूध पी सकते हैं
बेबी हिप्पों की खास बात यह होती है कि यह जन्म के बाद अपनी माता का दूध पीते हैं और यह अपनी माता का दूध तब तक पीते हैं जब तक की यह खुद अपने दम पर भोजन की तलास करना और खाना नहीं सीख जाते हैं। वे माता के साथ ही रहते हैं। बेबी हिप्पों की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह अपनी मां का जमीन और पानी के अंदर भी दूध पी सकते हैं। पानी के अंदर दूध पीने के लिए बेबी हिप्पों अपनी आंख और नाक को बद कर सकती है और कुछ समय तक यह आसानी से सांस को रोकने मे सक्षम होती है।
हिप्पों पानी मे 5 मिनट तक सांस रोकने मे सक्षम होते हैं
दोस्तों हिप्पों पानी के अंदर रहने वाले जीव होते हैं और वे जमीन पर भी आ सकती हैं।और जमीन से ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं।एक मोटी झिल्ली उनकी आंखों और उनके नथुनों को बंद कर देती है, जिससे एक सुरक्षात्मक पानी-तंग सील बन जाती है। हिप्पों अपनी सांस को तब रोकते हैं जब उनको लगता है कि बाहर कुछ खतरा है। जिससे कि वे आसानी से सांस रोककर पानी के अंदर सो सकते हैं। जब खतरा टल जाता है तो वे आसानी से पानी से बाहर आ जाते हैं।
दरियाई घोड़े पानी के अंदर भी संवाद कर सकते हैं
दोस्तों दरियाई घोड़े एक दूसरे से संवाद करने के लिए अनेक तरह की शोर की श्रंखला का प्रयोग करते हैं।यह ध्वनियाँ कभी भी मानव की हंसी से मिलती जुलती होती हैं।और जमीन पर बोलते हैं तो इनकी आवाज को एक मील तक सुना जा सकता है।
इनकी प्रत्येक कॉल का एक अर्थ होता है। लेकिन हम मनुष्यों के लिए इस बात को समझना काफी कठिन होता है। हालांकि वे एक दूसरे को सतर्क करने के लिए भी कॉल का प्रयोग कर सकते हैं।
दरियाई घोड़ों के समूह को ब्लोट के नाम से जाना जाता है।
दोस्तों आपको बतादें कि दरियाई घोड़ा एकांत के अंदर रहना पसंद करते हैं। लेकिन यह बड़े समूह के अंदर रहते हैं और इनके समूह को ब्लोट के नाम से जाना जाता है।एक समूह के अंदर 100 तक दरियाई घोड़े हो सकते हैं और नर इस समूह का नियंत्रण करते हैं। इसके अलावा दरियाई घोड़े के मुख्य शिकारी बड़ी बिल्लियाँ, मगरमच्छ और लकड़बग्घा इनका शिकार करने के लिए जाने जाते हैं। यदि दरियाई घोड़े समूह से बिछुड़ गए हैं तो उनकी तलास करने के लिए भी वे काम करते हैं।
दरियाई घोडो की आबादी काफी तेजी से घट रही है
दोस्तों IUCN रेड लिस्ट के अनुसार इनकी आबादी काफी तेजी से घट रही है। इसका कारण यह है कि इनके निवास स्थान को तेजी से उजाड़ा जा रहा है। जिसकी वजह से इनकी आबादी मे काफी कमी आ रही है।सामान्य हिप्पो आबादी स्थिर है, फिर भी आईयूसीएन सूची में उनकी स्थिति कमजोर है।
सूरज की किरणों से बचने मे सक्षम हैं दरियाई घोड़ा
दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि दरियाई घोड़ें के अंदर पसीने की ग्रंथियां नहीं होती है। लेकिन यह अपने शरीर से विशेष प्रकार के पदार्थ का स्त्राव करते हैं। जिसका फायदा यह होता है कि यह पदार्थ उनकी पूरी त्वचा को ढक लेता है जिसकी वजह से यह आसानी से सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने मे सक्षम होते हैं।
दरियाई घोड़े का गर्भकाल 8 महिने का होता है
दोस्तों दरियाई घोड़े का गर्भकाल 237 दिन का होता है। और यह 8 महिने तक होता है।और हाथी का गर्भ काल 600 दिन का होता है।एक बार मे यह सिर्फ एक ही बच्चा पैदा करने मे सक्षम होते हैं। और एक साल तक बछड़ा अपनी माता के साथ रहता है। उसके बाद घास को फीड करने लग जाता है।
दरियाई घोड़े साल मे दो बार संभोग करते हैं
दोस्तों दरियाई घोड़े साल के अंदर दो बार संभोग करते हैं और यह क्रिया पानी के अंदर ही होती है।यहां पर भी संघर्ष होता है। जो कई बार भयंकर रूप धारण करता है। इसके अंदर एक नर दूसरे नरों से संभोग के लिए लड़ता है और एक शक्तिशाली पुरूष ही संभोग कर पाता है।
दरियाई घोड़ो बहु साथी होते हैं
दोस्तों दरियाई घोड़ों के अंदर नर हो या मादा जीवन पर एक साथ नहीं रहते हैं। एक बार नर और मादा संभोग करने के बाद वे अलग हो सकते हैं। इसके अलावा एक नर अपने जीवन काल के अंदर लगभग 10 मादाओं के साथ संभोग कर सकता है। एक मौसम में, एक नर आमतौर पर संतान सुनिश्चित करने के लिए एक से अधिक मादाओं के साथ संभोग करेगा। और बछड़े के जन्म के बाद दोनों कुछ समय तक साथ ही रहेंगे जब तक की बछ़ड़े काफी बड़े नहीं हो जाते हैं।
दरियाई घोड़े अपने क्षेत्र को भी चिन्हित करते हैं
दोस्तों जिस प्रकार से कुत्तों का इलाक होता है। उसी प्रकार से दरियाई घोड़ों का भी इलाका होता है। यह अपने क्षेत्र को चिहिंत करने का काम करते हैं।वे अपने क्षेत्र को चिहिंत करने के लिए मल को फेंकते हैं और तेज आवाज करते हैं।और यदि उनके क्षेत्र मे यदि कोई दूसरा दरियाई घोड़ा प्रवेश करता है तो वे उसके उपर हमला कर सकते हैं। इसके अलावा यह इंसानेां को भी पंसद नहीं करते हैं और उनको भी भगा सकते हैं।
दरियाई घोड़ा क्या है? दरियाई घोड़ा क्या खाता है ? दरियाई घोड़े का पसीने का रहस्य
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