इस लेख के अंदर हम आपको बताने वाले हैं दिमाग की नस कैसे फटती है,दिमाग की नस फटने का कारण dimag ki nas fatna और इलाज
दिमाग की नस फटने के मामले 10000 लोगों मे से सिर्फ तीन लोगों को प्रभावित करता है। यह बूढे और पुरूषों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। और इस रोग से ग्रस्ति 44%रोगी एक महिने के भीतर ही मर जाते हैं। केवल 20% लोगों के अंदर सुधार होता है।1823 में स्ट्रोक को पहले दो प्रमुख प्रकार, रक्तस्राव और अपर्याप्त रक्त प्रवाह में विभाजित किया गया था।
दिमाग की नसें काफी कमजोर होती हैं। जिनके द्वारा हमारे दिमाग के अंदर खून की आपूर्ति होती है। यह नसें बाल के बराबर आकार की होती हैं। इन्हीं के माध्यम से दिमाग के अंदर खून भी पहुंचता है। इसके अलावा दिमाग की इन नसों की मदद से दिमाग के अंदर ऑक्सीजन भी पहुंचती है। कई बार क्या होता है कि किसी वजह से यह दिमाग की नसें फट जाती हैं। जिसको विज्ञान की भाषा के अंदर Brain Hemorrhage कहा जाता है। जब दिमाग की नस फट जाती है तो दिमाग के अंदर खून बहने लग जाता है। जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। वैसे दिमाग की नस फटना या brain hemorrhage एक प्रकार का स्ट्रोक ही होता है।cerebral hemorrhage, or intracerebral hemorrhage, के अंदर दिमाग के अंदर या दिमाग के बाहर खून बह रहा होता है।
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दिमाग की नस फटने का कारण dimag ki nas fatna
इंट्राक्रैनियल हेमोरेज के अंदर खून दिमाग के अंदर बह रहा होता है। दिमाग के चारों ओर खून बहने को सेरेब्रल हेमोरेज के नाम से जाना जाता है। और दिमाग की नस फट जाने से खून बहता है। तो उसे हेमोरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है। आमतौर स्ट्रोक एक प्रकार की रूकावट होता है।
खोपड़ी के भीतर सभी रक्तस्राव को इंट्राक्रैनियल हेमोरेज के रूप में जाना जाता है।
खोपड़ी के भितर होने वाला रक्त स्त्राव अचानक से होता है। जिसकी वजह से कई बार जीवन भी खतरे के अंदर पड़ जाता है। चूंकि हमारा दिमाग ऑक्सीजन को स्टोर नहीं कर सकता है। यह पोषक तत्वों के लिए धमनियों पर निर्भर रहता है।
और जब दिमाग की नस फट जाती है तो दिमाग के अंदर ऑकसीजन की आपूर्ति रूक जाती है। इंट्राक्रैनियल हेमोरेज या सेरेब्रल हेमोरेज से रक्त की पूलिंग भी मस्तिष्क पर दबाव डालती हैजब एक रक्तचाप या स्ट्रोक मस्तिष्क के चारों ओर या उसके अंदर रक्त प्रवाह में बाधा डालता है, तो यह तीन या चार मिनट से अधिक समय तक ऑक्सीजन से वंचित होता है,
मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। प्रभावित तंत्रिका कोशिकाओं और उनके द्वारा नियंत्रित संबंधित कार्यों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है।
दिमाग की नस फटने का कारण
दिमाग की नस फटने के कारण बहुत सारे । हालांकि दिमाग की नस फटने के केस बहुत कम आते हैं। केवल कुछ व्यक्ति ही ऐसे होते हैं। जिनको इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं दिमाग की नस फटने का कारण
दुर्घटना की वजह से दिमाग की नस फटना
कई बार जब व्यक्ति कार बाइक या अन्य किसी प्रकार की दुर्घटना की वजह से जब सिर के अंदर चोट वैगरह आ जाती है तो दिमाग की नस फट सकती है। बहुत से केस ऐसे आते हैं। जिनके अंदर पहले से रोगी के दिमाग मे चोट लगी होती है। उसके बाद उसके दिमाग की नस फट जाती है। मस्तिष्क के उपर चोट लगने से दिमाग की नस फटने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।Medulla oblongata के भीतर रक्तस्त्राव अधिक घातक होता है।क्रैनियल तंत्रिका एक्स को नुकसान होता है जो सांस से जुड़ी हुई होती हैं। सिर पर चोट लगने से कॉर्टेक्स के अंदर रक्तस्त्राव हो सकता है।
उच्च रक्तचाप
जब किसी का ब्लड प्रेसर हाई रहता है तो उसके दिमाग की नस फटने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार ब्लडप्रेसर सामान्य से अधिक हो जाता है। रक्त का यह तेज बहाव जब दिमाग की धमनियों से होते हुए गुजरता है और दिमाग की कमजोर धमनियां अधिक प्रेसर को सहन नहीं कर पाती हैं और फट जाती हैं।
दिमाग मे खून का थक्का
कई बार दिमाग की नसों के अंदर किसी वजह से खून का थक्का जम जाता है। जिसकी वजह से खून बहने वाली धमनी के अंदर अवरोध पैदा होता है। और बाद मे इसके अंदर से रिसाव होने लग जाता है। जब कहा जाता है कि दिमाग की नस फट गई।
कमजोर रक्त वाहिनी
दिमाग के अंदर हजारों नसे होती हैं। कई बार जन्म के दौरान से दिमाग की यह नसे मे से एक या कुछ नसें कमजोर होती हैं। और बाद मे यह फूल जाती हैं। और फट जाती हैं। नसों के कमजोर रहने के पीछे जन्म के समय हुई गड़बड़ी अधिक जिम्मेदार होती हैं।इसको मस्तिष्क एन्यूरीसिम कहा जाता है।
एमिलॉयड प्रोटीन
कई बार गड़बड़ी की वजह से दिमाग की नसों मे एमिलॉयड प्रोटीन का निर्माण होता रहता है। और बाद मे खून के बहाव मे समस्या आती है। प्रेसर की वजह से नस फट जाती है। हालांकि यह पूरी तरह से ज्ञात नहीं है कि दिमाग की नस या धमनियों के अंदर एमिलॉयड प्रोटीन का निर्माण क्यों होता है।
धमनीविरोधी विकृति
कई व्यक्तियों के अंदर धमनीविरोधी विकृति होती है। ऐसे लोगों के दिमाग की नस फटजाने की संभावना बहुत अधिक होती है। लेकिन धमनीविरोधी विकृति बहुत कम लोगों को पाई जाती है।
अधिक नसे के प्रयोग से
दिमाग की नस फटने का कारण के अंदर अधिक नसे का प्रयोग भी आता है। अधिक कोकिन शराब और गांजे आदि के सेवन करने से दिमाग की नसों को भी नुकसान पहुंचता है। और जिससे दिमाग की नस कमजोर हो जाती हैं। इस वजह से कई बार फट भी जाती हैं।
गर्भावस्था के अंदर
कई बार गर्भावस्था की दिक्कतों के चलते भी व्यक्ति की बाद मे दिमाग की नस फट जाने की संभावना होती हैं। अधिकतर यह माना जाता है कि गर्भ के समय हुई समस्याओं की वजह से दिमाग की नस फट जाती है।जिनमें एक्लेम्पसिया, पोस्टपर्टम वास क्लियोपैथी, या नवजात इंट्रावेंट्रिकुलर हेमोरेज शामिल हैं
दिमाग की नस फटने के लक्षण dimag ki nas fatna ke lakshan
दिमाग की नस फटने के कई सारे लक्षण होते हैं। आमतौर पर सिर दर्द होना भी दिमाग की नस फटने का लक्षण हो सकता है। लेकिन सामान्य सिर दर्द कभी क भार होता है। यदि आपको रोजाना सिरदर्द हो रहा है या लम्बे समय तक सिर दर्द की शिकायत रहती है तो एक बार डॉक्टर से चैक अवश्य की करवा लेना चाहिए।
निगलने और देखने मे कठिनाई
यदि किसी व्यक्ति के दिमाग की नस फट जाती है तो उसे खाने पीने की वस्तुए निगले मे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके अलाव वह चीजों को ठीक से देख नहीं पाता है। हालांकि वह चीजों को अच्छे तरीके से देख तो पाता है। लेकिन समझ नहीं पाता है। क्योंकि उसका दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता है।
समझने मे कठिनाई
दिमाग की नस फटने के बाद व्यक्ति भाषा को समझने मे भी कठिनाई होने लग जाती है। उसे लिखने पढ़ने मे भी समस्या होती है। व्यक्ति चीजों को ठीक से समझ नहीं पाता है। और ढंग से बोल भी नहीं पाता है। क्योंकि ऐसी स्थिति के अंदर व्यक्ति के दिमाग का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। जिसकी वजह से यह सब होता है।
खुद का संतुलन रखने मे समस्या
आमतौर पर जब कोई व्यक्ति सही होता है तो वह खुद का संतुलन रख पाता है। लेकिन जब उसका दिमाग सही तरीके से काम नहीं कर पाता है तो वह खुद का संतुलन नहीं रख पाता है। क्योंकि उसका अपने अंगों पर पूरी तरह से कंट्रोल नहीं रह पाता है।
चुस्ती आना
दिमाग की नस फटने के बाद एक तरह से व्यक्ति सुन सा रहने लगता है। उसके अंदर सतर्कता गायब हो जाती है। और चुस्ती आ जाती है। और कई बार तो व्यक्ति चैतना शून्य भी हो जाता है। और समस्या अधिक गम्भीर होने से व्यक्ति कोमा के अंदर भी जा सकता है।
हाथ या पैर के अंदर पक्षघात
दिमाग की नस फटने से शरीर के एक पूरे हिस्से के अंदर पक्षघात हो सकता है। आपको पता होगा कि हमारे शरीर के दोनो हिस्से दिमाग के अलग अलग पार्ट के द्वारा नियंत्रित होते हैं। दिमाग के जिस हिस्से के अंदर समस्या पैदा हो जाती है। वह ठीक से काम नहीं कर पात है। और पक्षघात पैदा हो जाता है।
गम्भीर दर्द
दिमाग की नस फटने की वजह से सिर के अंदर गम्भीर दर्द भी हो सकता है। जैसे किसी ने सिर पर तेज हथोड़ा मार दिया हो । यदि अचानक से गंभीर दर्द महसूस होता है तो तुरन्त ही डॉक्टर के पास चला जाना चाहिए क्योंकि इंट्राक्रैनियल हेमोरेज जैसी बिमारी की वजह से रोगी की मौत भी तुरन्त हो हो जाती है।
बेहोशी आना
कई बार जब दिमाग की नस फट जाती है तो बेहोशी की भी समस्या पैदा हो जाती है। कुछ व्यक्तियों को दौरा भी पड़ने लग जाता है। यदि रोगी के अंदर ऐसी कोई स्थिति दिखाई देती है तो इसका मतलब है। उसकी दिमाग की नस फट चुकी है।
स्वाद की असामान्यता
आमतौर पर स्वाद को भी हमारे दिमाग के द्वारा महसूस किया जाता है। जब दिमाग की नस फट जाती है तो दिमाग का कुछ भाग काम करना बंद कर देता है। जिसकी वजह से स्वाद को हम अच्छे से महसूस नहीं कर पाते हैं।
दिमाग की नस फटने का इलाज BRAIN HEMORRHAGE TREATMANT
जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर यह तय करता है कि दिमाग का कौनसा हिस्सा brain Hemorrhage से प्रभावित हो सकता है। डॉक्टर इसके लिए कई प्रकार के परिक्षण करता है। जैसे सीटी स्कैन करता है। ईएमआरआई तकनीक का का प्रयोग भी करता है।इसके अलावा आंख की परीक्षा करता है। जिससे तंत्रिका के अंदर सूजन का पता चलता है।
खून बहने से रोकने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। खून बहने को रोकने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।सर्जरी का प्रकार कई चीजों पर निर्भर करता है। जैसे रोगी का रोग , होने वाली क्षति , रोगी की आयु आदि ।डिकंप्रेशन सर्जरी मस्तिष्क के दबाव से छुटकारा पाने में मदद करती है इसकी मदद से दिमाग के अंदर होने वाली क्षति को कम किया जाता है।हेमेटोमा को निकाला जाता है तो रक्त प्रवाह कम होता है। और रोगी को दर्द से राहत मिलती है। ऐसा करने के लिए डॉक्टर क्रैनोटोमी या खुली सर्जरी कर सकते हैं।
यह सर्जरी के अंदर खोपड़ी का एक हिस्सा पूरी तरह से निकाल देता है। यह तब की जाती है जब हेमेटोमा बहुत बड़ा हो चुका हो। और टूट चुकी रक्त वाहिनियों को भी इस तरीके से हटा देता है।
सरल आकांक्षा सर्जिकल विधि
के अंदर डॉक्टर खोपड़ी के अंदर एक सुराख बनात है। और हेमेटोमा को एक सुई की मदद से निकालता है। हालांकि इस सर्जरी के अंदर रक्त स्त्रोत का पता लगाना आसान नहीं है।एंडोस्कोपिक मूल्यांकन विधि हेपेटोमा की स्थिति का पता लगाने के लिए एक कैमरे का प्रयोग किया जाता है। यह भी उपरवाली विधि के समान ही है।
इसके अलावा डॉक्टर दवाओं का प्रयोग भी करते हैं।इनमें दर्दनाशक, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, या मूत्रवर्धक सूजन को कम करने के लिए, और एंटीकोनवल्सेंट्स दौरे को नियंत्रित करने के लिए शामिल हैं।
क्या दिमाग की नस फटने के बाद उसका उपचार संभव है ?
Hemorrhages के अनेक रोगियों को पूरी तरह से ठीक होते हुए देखा गया है। रोगी का ठीक होना दिमाग के कार्य , रक्तचाप , दवाओं के प्रभाव पर निर्भर करता है। लेकिन कई मामलों के अंदर रोगी की मौत भी हो जाती है। जहां तक अधिक नस फटने के जो मामले सामने आते हैं। वे हाई ब्लड प्रेसर से जुड़े होते हैं। 80% रोगी जिनकी दिमाग के नस फटते हैं। वे हाई ब्लड प्रेसर की वजह से फटते हैं। यदि आप दिमाग की नस फटने से बचाना चाहते हैं।तो आपको सबसे पहला काम यह करना होगी कि अपने ब्लड प्रेसर को कंट्रोल करना होगा ।
इसके लिए आप व्यायाम कर सकते हैं। खान पान आदि का ध्यान रखकर अपने ब्लड प्रेसर को कम कर सकते हैं। जिससे दिमाग की नस फटने के चांस कम हो जाते हैं।
इसके अलावा बाइक की सवारी करते समय हेल्मेंट पहने ताकि सर के अंदर चोट ना लग सके ।इसके अलावा यदि आप किसी दवा का सेवन करते हैं तो आपको तय करना चाहिए कि आपका रक्तचाप कंट्रोल के अंदर है।
क्रैनोटोमी सर्जरी के बाद के दिशा निर्देश
दिमागी सर्जरी के बाद रोगी को पूरी तरह से ठीक होने मे 4 से 6 सप्ताह लग जाते हैं।एनीरियस की स्थिति के अंदर रोगी को 2 सप्ताह तक अस्पताल के अंदर रहना पड़ता है। ताकि उसके सेरेब्रल वासोस्पस्म को देखा जा सके ।
एनीयरिसम के नहीं टूटने की स्थिति के अंदर रोगी को अस्पताल से छूटी देदी जाती है। ऐसे रोगी उसके बाद आपने कामों को फिर से शूरू कर सकते हैं।क्रैनोटोमी सर्जरी (एन्यूरियस के क्लिप बंधन) के अंदर रोगी को अधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। ऐसे रोगियों को कई दिनों तक अस्पताल के अंदर बिताने पड़ते हैं। इस सर्जरी के बाद भी रोगी सामान्य दिनचर्या को शूरू कर सकते हैं। लेकिन सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।लेकिन सामान्यत ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिससे दिमाग पर दबाव पड़ता हो ।
सर्जरी के दुष्प्रभाव
दिमाग की नस फटने के बाद सर्जरी की जाती है तो उसके कई दुष्प्रभाव भी होते हैं।एनेस्थेटिक के प्रतिकूल प्रतिक्रिया,मस्तिष्क क्षति,रक्तस्राव, चेहरे की मांसपेशियों पर प्रभाव शामिल है। इसके अलाव सर्जरी के बाद और भी कई सारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिनमे सिर दर्द और याद रखने मे समस्या सबसे आम है।
भारत में इलाज की कीमत?
एक खुली सर्जरी की लागत भारत में मस्तिष्क के ब्लड प्रेसर के लिए 70,000 रुपये है और क्रैनोटोमी की लागत लगभग 33,000 रुपये है। ओटी की लागत लगभग 1, 000 है और कोइलिंग की लागत लगभग 300000 है।
दिमाग की नस फटने का इलाज का विकल्प
मस्तिष्क के रक्तचाप के लिए वैकल्पिक उपचार में हर्बल पौधे और मछली के तेल का प्रयोग कर सकते हैं।जिन्कगो बिलोबा और उपचार क्रिस्टल लगाने से भी मदद मिल सकती है। लेकिन यदि रोग गम्भीर है तो इसका एक मात्र विकल्प सर्जरी ही है।
दिमाग की नस फटने से बचाने के उपाय
दोस्तों अब तक हमने दिमाग की नस फटने के कारण और लक्षण के बारे मे विस्तार से जाना । अब हम यह जानने का प्रयास करते हैं , कि दिमाग की नस के फटने से आप किस तरह से बच सकते हैं। और कौनसे ऐसे उपाय कर सकते हैं , जिसकी वजह से आपके दिमाग की नस फटने से बच जाए , तो इस तरह के उपायों के बारे मे हम आपको यहां पर बता रहे हैं।
अपने ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करें
यदि आप अपने दिमाग की नस को फटने से बचाना चाहते हैं ,तो आपको अपने ब्लड प्रेसर को नियंत्रित करना काफी अधिक जरूरी होता है। बिना ब्लड प्रेसर के नियंत्रित किये आप नस फटने से बच नहीं सकते हैं। जिन लोगों को बार बार अधिक ब्लड प्रेसर की समस्या होती है , उनके दिमाग की नस फटने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं।
अपने ब्लड प्रेसर को कम करने के लिए तनाव को कम करने अपने सही वजन को बनाए रखें ।और नमक को कम खाएं । इसके अलावा शराब की मात्रा का कम सेवन करें । यदि आप ऐसा करते हैं , तो इससे आप अपने दिमाग की नसों को फटने से बचा सकते है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
आहार में कोलेस्ट्रॉल व संतृप्त वसा को कम करने
आहार में कोलेस्ट्रॉल व संतृप्त वसा आपके दिमाग की नसों के अंदर जमाव को बढ़ाने का काम करती हैं। यह नसों को ब्लॉक कर सकता है। इसलिए नस फट भी सकती हैं। यदि आपके शरीर के अंदर अधिक आहार में कोलेस्ट्रॉल व संतृप्त वसा हो चुके हैं , तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो परहेज बताते हैं , आपको उनको पालन करना चाहिए । और दवाओं का सेवन करने से भी आपको काफी अधिक आराम मिल सकता है।
धूम्रपान को कम करनें
यदि आप तंबाखू और सीगरेट बीड़ी आदि का सेवन करते हैं , तो इसकी वजह से भी आपके दिमाग की नस फट सकती हैं। यदि आप इन चीजों को छोड़ नहीं सकते हैं , तो कम से कम आपको इनको पीना कम कर देना चाहिए । ऐसा करने से दिमाग की नस फटने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है।
मधुमेह को कम करने का प्रयास करें
यदि आपको मधुमेह है , तो आपको नस के फटने का जाखिम काफी अधिक होता है , इसलिए आपको मधुमेह को कम करने के बारे मे काम करना चाहिए । मधुमेह और अधिक वजन दिमाग के अंदर स्ट्रोक को पैदा करने का काम करता है। यदि आपको मधुमेह की समस्या है , तो अपने डॉक्टर से इसके बारे मे आपको संपर्क करना चाहिए ।
फल और सब्जी का अधिक सेवन करें
याद रखें । दिमाग की नस को फटने से बचाने के लिए फल और सब्जी काफी अधिक उपयोगी होती है। जैतून का तेल, फल, नट्स या फली, सब्जियां और साबुत अनाज आदि को अपने खाने के अंदर आपको शामिल करना चाहिए । इससे दिमाग की नस फटने के चांस काफी कम हो जाते हैं।
नियमित व्यायाम करें
दोस्तों प्यायाम हमारी सेहत के लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। आपको चाहिए कि आप नियमित रूप से व्यायाम करें । इसके लिए आप जैसे एरोबिक या “कार्डियो” व्यायाम कर सकते हैं। यह दिमाग के नस को फटने की संभावनाओं को कम करने का काम करता है। इसके अलावा उच्च-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। हर्ट की समस्या को कम करने मे मदद करता है। चलना, जॉगिंग, तैराकी या साइकिल चलाना आदि को आपको रोजाना 30 मीनट तक करना चाहिए । इससे आपके जीवन मे सकारात्मक बदलाव आने लग जाएंगे ।
शराब पीने को कम करना
यदि आप बहुत अधिक शराब का सेवन करते हैं , तो इसकी वजह से उच्च रक्तचाप का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है।और यदि आप शराब पूरी तरह से छोड़ सकते हैं , तो आपको पूरी तरह से शराब को छोड़ देना चाहिए । नहीं तो आपको दिन मे कम से कम शराब का सेवन करना चाहिए । ताकि दिमाग की नस के फटने के चांस काफी कम हो जाएं ।
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इस लेख के अंदर हम आपको बताने वाले हैं दिमाग की नस कैसे फटती है,दिमाग की नस फटने का कारण और इलाज पर लिखा यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट करके बताएं
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