देखिए मेंढक देव का अजीबो गरीब मंदिर

भारत के अंदर कुछ ऐसे स्थान हैं जोकि अपनी अजीबो गरीब रितिरिवाजों की वजह से जाने जाते हैं। आपने कुतिया देवी के मंदिर के बारे मे तो अवश्य ही सुना होगा । अब मेंढक देव के मंदिर के बारे मे भी जानलिजिए ।

‌‌‌यह मंदिर उत्तर प्रदेस के लखिमपुर के खिरी जिले के अंदर पड़ता है। यहां पर भगवान की जगह पर मेंढ़क देव की पूजा की जाती है। यह मंदिर 200 साल पूरना है। और इस मंदिर की डिजाईन भी आकर्षक है। इसके आगे एक मेंढक की प्रतिमा बनी हुई है।

‌‌‌क्या है लोगों की मान्यता

 

यहां के लोग मेंढक को भगवान की तरह ही पूजते हैं लोगों की मान्यता है कि मेंढक देव प्राक्रतिक आपदाओं से उनकी रक्षा करते हैं।और उनको हर मुश्बित से बचाते हैं। वैसे इस मंदिर के अंदर रोज ही पूजा करने लोग आते हैं किंतु दिपावली पर विशेष पूजा होती है।

‌‌‌दूर दूर से लोग यहां पर पूजा करने के लिए आते हैं।

 

‌‌‌यह मंदिर अकेला और अपने आप मे अनोखा मंदिर है। मेंढग वर्षा से जुड़ा हुआ है। इसलिए यह मंदिर सूखा और वर्षा की सूचनाओं से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण सूखे व बाढ से बचने के लिये कराया गया था ।

 

‌‌‌किसने करवाया था इस मंदिर का निर्माण

 

इस मंदिर का निर्माण 19 वी सदी के अंदर चाहमानवंश के राजा बख्शसिंह ने करवाया था। इसको जन कल्याण के लिये बनाया गया था। मंदिर की वास्तु सरंचना अपने आप मे विशिष्ट है। यह मंदिर 38 मीटर लम्बे और 35 मीटर चौड़े मेंढग की पीठ पर बना हुआ है।

‌‌‌यहां पर बना मेंढक भी अपने आप मे असली सा लगता है। मेंढक के अगले दो पैर उत्तर की तरफ बने हुए हैं। मेंढक का मुंह करीब 2 मीटर लम्बा है। और उसकी उभरी हुई आंखे बनी हुई हैं। इसके पीछेका भाग दबा हुआ है।

‌‌‌मेंढक बैठने की मुद्रा के अंदर है। मंदिर के अंदर काले पत्थर का शविलिंग बना हुआ है। और वह कमल के फूल पर विराजमान है। मंदिर के अंदर एक सुरंग भी है जोकि मंदिर के बीचो बीच खुलती है।

 

 

This Post Has 2 Comments

  1. rakesh

    badiya post likha aapne aapki website par bhut kuch badne ko mila

  2. raju

    good post sir aapki website cool hi

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arif khan

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