नीम का पेड़ कैसे लगाएं neem ka ped kaise lagaye ,नीम का पौधा कैसे लगाएं,मीठे नीम का पौधा लगाएं ,
नीम का पेड़ एक भारतिय भूल का पर्णपाति वृक्ष है।- पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका के अंदर भी पाया जाता है। हालांकि अब यह दक्षिण पूर्व ऐशिया के अंदर भी जा चुका है। इसका वानस्पतिक नाम Azadirachta indica है। नीम का पेड़ महोगनी परिवार मेलियासी में एक पेड़ है। यह दो प्रजातियों में से एक है जीनस अज़ादिरछा , और भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी है।
नीम एक ऐसा पेड़ है जोकि काफी तेजी से बढ़ता है और इसकी उंचाई 15 से 20 मीटर तक होती है।इसके अलावा यह कभी भी 35 से 40 मीटर तक पहुंच सकता है।यदि सूखा पड़ता है तो नीम की भी पतिया झड़ जाती हैं।नीम की शाखाएं लंबी होती हैं और तना सीधा होता है। व्यास में 1.2 मीटर तक यह आसानी से पहुंच सकता है।नीम की छाल का प्रयोग कई प्रकार की बीमारियों के उपचार मे किया जाता है।
इसके फूल सफेद और सुगंधित होते हैं और इनकी लंबाई 25 सेमी तक होती है।इसके फल की बात करें तो यह चिकना और बेर जैसा होता है जिसको निंबोली कहते हैं। इसको खाया जाता है। हालांकि यह अंदर से खारा होता है। फल का छिलका पतला तथा गूदा रेशेदार, सफेद पीले रंग का और स्वाद में कड़वा-मीठा होता है।इसकी गूंठली सफेद और कठोर होती है। आपको बतादें कि नीम के पेड़ की खेती को व्यवसायिक रूप से अधिक लाभदायक नहीं माना जाता है। हालांकि इसको फिर भी लोग लगाते हैं। इसके बहुत सारे फायदे भी हैं।
चीनीबेरी एक बहुत ही जहरीला पेड़ होता है नीम का पेड़ देखने मे इसके ही समान होता है।
Table of Contents
neem ka ped kaise lagaye नीम के अलग अलग भाषाओं के अंदर नाम
- हिंदी – नीम
- बंगाली – निम, निमगच्छ
- कोंकणी – बेवा-रोकु
- मराठी – कदुनिम्ब
- गुजराती – लेमोडो
- तमिल – वेम्बु, वेम्पू
- पंजाबी – निम्ब
- मलयालम – वीप्पु, आर्यवप्पु, अरुवप्पु, काप्पन, वीप्पु, वेपा
- सिम्हेले – निमु
- उड़िया – निमो
- तेलेगु – वेपा
- कन्नड़ – बेविनमार, काहेबिवु
- अंग्रेजी – मार्गोसा, नीम, भारतीय लिलाक
- फ्रेंच – अज़ैराइरा डी’लंडे, मार्गसियर
- जर्मन – Indischer Zadrach
- फ़ारसी – आज़ाद दरख़्त हिंदी
- अरबी – आज़ाद अंधेरु हिंद
- बर्मीज़ – तमाबिन, कामाख
- मलय – दाऊद नंबू, बायपे
- लेटिन – Azadirachta indica A. Juss या Melia azadirachta Linn
- फ़ारसी – आज़ाद डार्कहट 1 हिंदी (भारत का मुफ्त पेड़)
- सिंगापुर – कोहुम्बा, निम्बा
- इंडोनेशिया – मिंडी
- नाइजीरिया – डॉन गोएयरो
- स्पेनिश – मार्गोसा
- नेपाल – निम
- पुर्तगाली – मार्गोसा, निम्बू
नीम का पेड़ कैसे लगाएं
नीम का पेड़ घरों के अंदर और बाग बगीचों मे बहुत अधिक लगाया जाता है।घर के अंदर तो नीम का पेड़ इसलिए लगाया जाता है। क्योंकि इसकी छाया बहुत अधिक होती है। और आसानी से कोई इसके नीचे आराम कर सकता है।
नीम के पौधे के लिए जलवायु
नीम उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा होने के कारण गर्म और ठंडी जलवायु के अंदर इसको आसानी से लगाया जा सकता है।और यदि तापमान की बात करें तो यह शून्य डिग्री से लेकर 50 डिग्री तक के ताप को सहन कर सकता है। लेकिन यदि तापमान माइनस के अंदर चला जाता है तो वहां पर यह पौधा उपयुक्त नहीं रहता है।450 से 1200 मिलीमीटर प्रतिवर्ष वर्षा वाले स्थानों पर यह बहुत ही अच्छे तरीके से उगता है। इसके अलावा यह रेतीली ,पत्थरीली ,शुष्क और अम्लिय भूमी पर आसानी से उग सकता है। जब नीम छोटा होता है तो शरदी से इसको बचाने की आवश्यकता होती है।रात मे आप इसके उपर कोई कपड़ा डाल सकते हैं और दिन मे आप उस कपड़े को हटा सकते हैं।ऐसा करने से नीम को सर्दी नहीं लगेगी । एक साल तक आपको इसका ध्यान रखना होगा ।
नीम के पेड़ के लिए बीज
नीम के पेड़ के लिए उचित बीज का होना भी बेहद जरूरी होता है। वैसे तो आप कहीं से भी नीम के पेड़ के बीज एकत्रित कर सकते हैं लेकिन वे बीज कितने गुणवकता पूर्ण होंगे इस बारे मे कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए नीम की पौध को तैयार करने के लिए अच्छे बीज की आवश्यकता होती है।नीम का पौधा एक बहुवर्षिय पौधा होता है जो एक बार लगा देने के बाद कई साल तक आसानी से कार्य करता है। इसके लिए अच्छे बीजों का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
आप चाहे तो अनुसांधान संस्थानों से नीम के बीज को खरीद सकते हैं।या फिर आजकल प्रमाणित बीजों को बीज भंडार जैसी दुकानों पर भी बेचा जाता है। वहां से खरीद कर भी आप लगा सकते हैं। नीचे कुछ प्रसिद्ध संस्थानो के नाम दिये जा रहे हैं जहां पर तैयार बीज को आप खरीद सकते हैं।
- वन अनुसंधान संस्थान पोस्ट- न्यूफारेस्टम, देहरादून
- वन अनुवांशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान, पोस्ट बाक्स नं. – 1061 कोयम्बटूर
- राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ
- केंद्रीय रूक्ष क्षेत्र अनूसंधान संस्थान, जोधपुर
- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
नीम के पौधे को तैयार करना
यदि आप नीम के बीज को प्राप्त कर चुके हैं तो अब बारी आती है नीम की पौध तैयार करने की । इसके लिए आपको करना यह है कि आप को ऐसी जगह चाहिए होती है जहां पर उपजाउ भूमी और पानी की अच्छी व्यवस्था हो ।
पौधे लगाने से पहले 30 सें. मी तक की गहरी क्यारियां लगा लेनी चाहिए ।यह 5 से 10 मीटर लंबी होनी चाहिए ।और इसकी चौड़ाई एक मीटर होनी चाहिए । इसके अलावा 15 से 20 सेमी उंची क्यारी बनाई जानी चाहिए । इस क्यारी के अंदर 5 सेमी उपर बालू और गोबर की खाद को मिलाया जाना चाहिए ।
अब जुलाई अगस्त के अंदर अच्छी क्वालिटी के नीम के बीजों को 15 से 20 सेमी गहराई मे बो दिया जाना चाहिए । अब इस नीम के पौधे का 7 से 21 दिन के अंदर अंकुर फूट जाता है तो इसको प्लास्टिक की थैली के अंदर लगा दिया जाता है। उसके बाद इस थैली को किसी भी स्थान पर लगा सकते हैं जहां पर आपको पौधा लगाना होता है।
जब नीम का पौधा एक महिने का हो जाता है तो ही इसे पालीथीन थैलियों के अंदर भेजा जाता है।और पौधे का स्थानान्तरण करने का समय शाम ही होनी चाहिए । और इससे पहले क्यारियों के अंदर अच्छी तरह से पानी दिया जाना चाहिए ।और पौधे की जड़े थैली के अंदर अच्छी तरह से जानी चाहिए । थैली मे हवा नहीं रहनी चाहिए पत्यारोपण के बाद पानी अवश्य ही देना चाहिए ।
नीम के पौधे को लगाना
अप्रैल – मई माह में पौधारोपण स्थल 45×45×45 सें. मी. माप के गड्ढे खोद लेना उचित रहता है।और इसको कुछ दिन ऐसे ही धूप के अंदर पड़े रहने देना होता है। ताकि इस गड्डे के अंदर बेकार की जीवाणू धूप के अंदर नष्ट हो जाएं । उसके बाद वैसे आपको बतादें कि गड्डे का आकार इस बात पर निर्भर करता है कि आप नीम का पेड़ किस उदेश्य के लिए लगा रहे हो । यदि आप खेत की मेड़ पर नीम लगा रहे हैं तो 4×4× मी. के गड्डे खोद सकते हैं। 3×3 मीटर के गड्डे भी रखे जा सकते हैं।
अब यदि आपने गडडे तैयार कर लिये हैं तो प्रति गड्डे मे 6 किलोग्राम जैविक खाद 25 ग्राम कीटनाशक, 15 ग्राम यूरिया, 20 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 20 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 1.2 किलो नीम की खली और उपजाउ मिट्टी को मिलाकर गड्डे मे भर देना चाहिए । अब जब मानसून आ जाए तो 8 महिने की आयु के नीम के पौधे को इस गड्डे के अंदर लगा देना चाहिए ।नीम के पौधे को लगाते समय इस बात का ध्यान रखें की पालीथीन की थैली को फाड़ दें और पौधे को थैली से अलग करके ही लगाएं । जमीन मे लगाने के बाद पौधे को मिट्टी मे दबा देना चाहिए । उसके बाद सींचाई करनी चाहिए ।
नीम के पौधे को कटिंग से लगाना /नीम की कलम लगाना
दोस्तों आप नीम के पौधें को कटिंग से भी लगा सकते हैं। नीम के पौधे की एक पुरानी डाली को तोड़ें और उसके सारे पत्तों को काट दें । उसके बाद नीम की कलम को तैयार करना होता है और इसके लिए 45 डिग्री पर एक कट लगाते हैं।
- उसके बाद आपको ऐलोविरा जेल लेना है और कटिंग वाले स्थान पर अच्छी तरह से लगाकर आ जाना है।
- उसके बाद आपको एक प्लास्टिक का गमला लेना है और उसके अंदर नीम की खली ,उपजाउ मिट्टी को भर देना है। साथ ही गोबर की खाद भी आपको इसके अंदर भरनी होगी ।
- अब कटिंग को इस गमले के अंदर लगादेना है।और मिट्टी को अच्छे से दबा देना होता है।
- कटिंग लगाने के बाद गमले मे पानी डालना होगा ।
- ध्यान दें नीम की भूरी भूरी ब्रांच ही लेनी है।जो काफी पुरानी होनी चाहिए ।
- नीम की छोटी ब्रांच ही सलेक्ट करें ।
नीम के पौधे का रखरखाव
यदि आप कहीं पर नीम लगाते हैं तो नीम लगाने के 3 से 4 साल तक उसका अच्छे से रखरखाव करने की जरूरत होती है।क्योंकि इस स्थिति के अंदर पौधे को सर्दी भी लग सकती है या फिर कोई जानवर भी नुकसान पहुंचा सकता है।
- यदि आपने नीम का पेड़ लगा दिया है तो उसके एक महिने के भीतर उसकी निराई करें ।यदि पौधे के आस पास कोई घास वैगरह उग आया है तो उसे साफ कर देना चाहिए । यह पौधे को नुकसान पहुंचाते हैं। निराई को हो सके तो हर महिने करनी चाहिए ।खरपतवार यदि उग आई है तो उसे उखाड़ देना चाहिए और पौधे के चारो और मिट्टी लगाएं ताकि पानी उसके अंदर सोख सके ।
- नीम का पौधा लगाने के 2 साल तक उसके अंदर रसायनिक खाद और गोबर की खाद भी डालना जरूरी होता है कि यह अच्छी बढ़ोतरी कर सके ।और पौधे को लगाने से पहले यूरिया, सुपर फास्फेट एवं पोटाश की 5 ग्राम मात्रा डाल देनी चाहिए । निराई के समय DAP10 ग्राम मात्रा का डालनी चाहिए तथा प्रथम निराई के समय 10 ग्राम सुपर फास्फेट भी डाली जानी चाहिए । अगस्त के अंदर गोबर की सड़ी खाद को भी डाला जाना चाहिए ।
- वैसे तो नीम की पतियां कड़वी होती हैं लेकिन उसके बाद भी भेड़ बकरी नीम की कोमल पतियों को खा सकती हैं। उनसे रक्षा करने के लिए भी उचित व्यवस्था होना आवश्यक है।
- नीम को कुछ कीट भी नुकसान पहुंचाते हैं। यह नीम की जड़ों को खा जाते हैं और उसके पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं।मैलाथियान 0.25 प्रतिशत या डीमेक्रोन 0.02 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने से नीम को नुकसान पहुंचाने वाले कीट नष्ट हो जाते हैं।
- इसके अलावा भी समय समय पर नीम के पौधे को चैक करना जरूरी होता है। इसके अंदर कई अन्य प्रकार के भी रोग लग सकते हैं।
- जोसे नेकरोसिस की समस्या नीम के अंदर होती है। पोटैशियम व जस्ते की कमी की वजह से यह समस्या होती है।पोटैशियम की कमी होने की वजह से नीम की पतियों के किनारे पीले हो जाते हैं और पतियां मरने लग जाती हैं।और पौधे के अंदर यदि जस्ते की कमी है तो नीम से रेशे अधिक मात्रा मे निकलते हैं। पतियों पर धब्बे भी बनने लग जाते हैं। यदि आपको भी इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो इनकी पूर्ति के लिए प्रयास किया जाना चाहिए ।
नीम की उपज
नीम कई प्रकार की औषधियों के अंदर काम मे आता है। विदेशों के अंदर तो नीम के दांतून तक बिकते हैं। और हमारे यहां पर भी बहुत से लोग नीम के दांतून का प्रयोग करते है। नीम की पतियों का प्रयोग अनाज को सुरक्षित करने मे भी किया जाता है।
एक नीम का पेड़ उगाने के 5 से 6 साल के बाद फल देने लग जाता है। एक पेड़ हर साल 35 से 50 किलो निबोंली प्राप्त की जा सकती है।इसके अलावा एक नीम आपको 300 किलो पतियां भी देता है।इस तरह से आप 30 ग्राम निंबोली से 6 किलो तेल और 24 किलो खली प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप एक हेक्टर के अंदर 5×5 मे नीम के पेड़ लगाते हैं तो 390 पेड़ आसानी से लगाये जा सकते हैं। इनसे बहुत अधिक लकड़ी को प्राप्त कर सकते हैं। इन लकडियों का प्रयोग जलाने मे किया जा सकता है।
नीम का बीज उत्पादन
वैसे तो भारत के अंदर करोड़ों नीम के पेड़ हैं और उनकी बीज उत्पादन क्षमता बहुत अधिक है लेकिन 25 से 20 प्रतिशत नीम के पेड़ के नीम के बीज का ही प्रयोग किया जाता है। और कोई भी नीम के बीज को एकत्रित करने मे रूचि नहीं दिखाता है। इसका कारण यह है कि उनको मार्केट के अंदर उचित कीमत नहीं मिल पाती है।इस वजह से सदैव अच्छी क्वालिटी के बीजों का अभाव बना रहता है।
नीम के फलो को एकत्रित करना
नीम के अच्छे बीजों को सही तरीके से एकत्रित करना होगा । यदि आप सही पके हुए बीजों को नहीं लेते हैं तो हो सकता है नीम का पौधा ना उगे । नीम के फल जब पक जाते हैं तो यह पीले रंग के हो जाते हैं और उसके बाद इन फलो को आप तोड़ सकते हैं। आमतौर एक डाली के उपर मौजूद नीम के सारे फल ए साथ नहीं पकते हैं। इस वजह से आप फलों को एक साथ नहीं तोड़ सकते हैं।
इस वजह से फलों को जमीन से ही एकत्रित किया जाता है।इसके लिए आप नीम के नीचे शाम को झाडू लगाकर छोड़ देना चाहिए और उसके बाद सुबह नीम के नीचे पड़ी हुई निंबोली को एकत्रित कर लेना चाहिए । जमीन से एकत्रित की गई निंबोली मे जीवाणू और कवक वैगरह होते हैं। इस वजह से यह संक्रमण का कारण हो सकती हैं।इसके अलावा आप चाहें तो नीम के नीचे एक चादर को बिछा लें और नीम के पेड़ की टहनियों को हिलाएं । इससे पकी हुई निंबोली आसानी से जमीन पर गिर जाएंगी
।इस प्रकार से जमीन से एकत्रित की गई निंबोली के अंदर कई प्रकार का कच्चरा और कूडा होता है इनको धोकर अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए । उसके बाद निंबोली को किसी कपड़े पर धूप के अंदर सुखाने के लिए रख देना चाहिए ।
छिलके को अलग करना
यदि आप निंबोली को धूप मे सुखा देते हैं तो उसके छिलके अलग आसानी से हो जाते हैं।इसके लिए आपको बस उनको पानी के अंदर डालकर थोड़ा रगड़ना ही होता है। निंबोली को अधिक देर तक पानी के अंदर नहीं रखना चाहिए । निंबोली को पानी के अंदर साथ मे ही धो देना चाहिए ।
नीम के बीज को सुखाना
नीम के बीज का छिलका अलग करने के बाद इसको सुखाना जरूरी होता है। बीज को अधिक धूप के अंदर भी नहीं सुखाना चाहिए ।लेकिन हल्की धूप के अंदर आप बीज को सुखा सकते हैं। बीजों को एक चटाई पर डाल सकते हैं । कभी भी जमीन पर बीजों को नहीं सुखाना चाहिए ।क्योंकि इससे बीजों के अंदर संक्रमण हो सकता है।नीम के बीजों को सुखाने का अच्छा तरीका यह है कि आप किसी हवादार जगह पर कपड़े पर डालकर रखदें । जहां अधिक धूप नहीं आती हो ।
नीम के बीजों की गुठली को तोड़ना
वैसे तो नीम के बीजों को गुठली सहित ही रखा जाता है।खास कर यदि आपको बीजों को उगाना हो लेकिन यदि नीम के बीजों का तेल निकाला जाना है तो बीजों के उपरी भाग को तोड़ देना होता है और गिरी को एकत्रित कर लिया जाता है।नीम की गुठली को मशीन के अंदर डालकर या ओंखली के अंदर डालकर भी तोड़ा जा सकता है।
नीम के बीजों को किस प्रकार से भंडारण किया जाता है ?
नीम के बीजों का भंडारण सही तरीके से करना बहुत ही आवश्यक होता है।यदि आप नर्सर के उदेश्य से बीजों को एकत्रित कर रहे हैं तो यह 2 से 3 सप्ताह तक ही काम करेंगे ।
लेकिन यदि आप नीम के बीज का भंडारण जैव रसायन, अजाडीरेक्टन, फैटी एसिड जैसे तत्वों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है तो उनको भंडारण की आवश्यकता पड़ती है।बीजों को आपको 1 वर्ष तक रखना पड़ सकता है।यदि आप सही तरीके से नीम के बीजों का भंडारण नहीं करेंगे तो तापमान और नमी बीजों को प्रभावित कर सकते हैं।
नीम के बीजों को भंडारण करने के लिए आपको हवायुक्त स्थान को चुनना चाहिए ।आप जूट के बैग के अंदर भी बीजों को रख सकते हैं और जिस जगह पर आप बीजों का भंडारण कर रहे हैं उस जगह का तापमान 25 डिग्री के आस पास होना चाहिए ।
नीम के बीज के अंदर 30 प्रतिशत से अधिक नमी होने की वजह से उनमे कवक का संक्रमण हो सकता है। और यदि 20 प्रतिशत नमी है तो बीजों की गुणवकता तेजी से नष्ट हो जाती है।
नीम के बीजों को आप कहां बेच सकते हैं ?
नीम के बीजों की मार्केट के अंदर मांग नहीं है। और किसानों को भी नीम के बीजों की उचित कीमत नहीं मिल पाती है। यही कारण है कि नीम के बीज के प्रति किसान उदासीन हैं। अक्सर गांव देहात के अंदर नीम के बीज को कोई भी एकत्रित नहीं करता है। किसानों को खरीददारों की जानकारी नहीं होती है।यही वजह है कि नीम के बीजों को वो बेच नहीं पाते हैं।यहां पर हम आपको बताने वाले हैं कि आप नीम के बीजों को किस प्रकार से बेच सकते हैं।
स्थानिये मंडी के अंदर बेचना
नीम के बीज को स्थानिय मंडी के अंदर बेचा जा सकता है।आमतौर पर मंडी के अंदर कई प्रकार के व्यापारी बैठते हैं जो अनाज वैगरह की खरीद करते हैं। यही लोग बड़ी मिलों के संपर्क मे होते हैं। आप इनके यहां पर जाकर पूछ सकते हैं कि वे नीम के बीज की खरीददारी करते है या नहीं ? आप अपने आस पास के शहरों की मंडी मे पूछताछ कर सकते हैं।
तेल मील के अंदर नीम के बीजों को बेचे
तेल मील के अंदर नीम के बीजों को आप बेच सकते हैं।अपने आस पास तेल मील का पता लगाएं और वहां पर जाकर आप पूछ सकते हैं । तेल मील नीम के बीजों को खरीद लेती हैं।
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की मदद से जो इकाइयां साबुन बनाती हैं वे नीम के तेल का प्रयोग करती हैं।ग्रामोद्योग बोर्ड की कई शाखाएं होती हैं आप अपने आस पास की शाखाओं के बारे मे जानकारी प्राप्त करें और उसके बाद उनसे संपर्क करें ।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का गठन 1963 में भारत में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन इंडस्ट्री के विकास और विकास में मदद करने के लिए किया गया था। वर्तमान में एसोसिएशन के पास 875 सदस्य हैं।इस कम्पनी को आप नीम की गिरी को बेच सकते हैं। इसकी वेबसाइट पर सारी जानकारी है आप जाकर देख सकते हैं।
नीम की भौतिक संरचना के उपयोग
नीम बहुत ही उपयोगी होता है। नीम की टहनियां ,फल ,पुष्प कई काम के अंदर लिये जाते हैं।तेल ,खाद और कीटनाशक के रूप मे नीम का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा गांव कोलेगेट वैगरह के अंदर भी नीम होता है। बहुत से लोग नीम का प्रयोग सीधे ही दांतून के रूप मे करते हैं।
नीम की लकड़ी का प्रयोग
नीम की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है।और यह काफी मजबूत भी होती है।इसका प्रयोग भवन निर्माण और फर्नीचर व कृषिक उपकरण बनाने मे प्रयोग किया जाता है।नीम की लकड़ी को जलाने से बहुत अधिक उर्जा प्राप्त की जा सकती है।इस वजह से इसका प्रयोग ईंधन के रूप मे भी किया जा सकता है।नीम की लकड़ी के अंदर टेनिन, अकार्बनिक कैल्सिमय, पोटैशियम आदि पाये जाते हैं।
नीम की पत्ती का प्रयोग
प्रोटीन, वसा कार्बोहाइड्रेटस, रेशा, कैल्सियम, फास्फोरस, लोहा, कैरोटीन, विटामिन- ए, सी आदि नीम की पतियों के अंदर पाये जाते हैं।नीम की पतियों को भेड और बकरियों को खिलाया जाता है जिससे कि उनका पेट साफ होता है। इसी प्रकार से नीम की पतियों का प्रयोग त्वचा के रोगों को दूर करने , बालो की रूसी और कीटनाशकों के रूप मे नीम की पतियों का प्रयोग किया जाता है।नीम की पतियों को अनाज के भंडारण करते समय अनाज मे डाला जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि यह अनाज के अंदर कीड़े लगने से रोकती हैं।
हालांकि समय समय पर अनाज के अंदर डाली जाने वाली पुरानी नीम की पतियों को बद देना चाहिए और उनके स्थान पर नई पतियों को डाल दिया जाना चाहिए ।हमारे यहां पर भी अनाज के अंदर कीड़े लगने के लिए नीम की पतियों को डाला जाता है। और कीड़े नहीं लगते हैं हालांकि अनाज को पूरी तरह से सुखाया जाना बेहद ही जरूरी होता है।
नीम की खली
नीम की खल का प्रयोग जैविक खेती के अंदर बहुत अधिक किया जाता है। और नीम की खल नीम के बीजों से तैयार की जाती है। नीम के बीजों से तेल निकालने के बाद यह बच जाती है। मई-जून महीने कें अंदर नीम के बीजों को एकत्रित कर लिया जाता है।
और यदि नीम के बीजों का तेल नहीं निकाल कर सीधे ही खल तैयार की जाती है तो यह और ही फायदेमंद होती है।बिना तेल निकाले नीम के बीजों से तैयार खल मे नाइट्रोजन 3-5%,फॉस्फोरस 1% पोटाश 2% होता है और यह पौधों के लिए बहुत ही अच्छी होती है।
नीम की खली के विभिन्न घटक जमीन के अंदर चले जाते हैं और उसके बाद पौधे द्वारा उनको सोख लिया जाता है। यह कीटनाशक की तरह काम करता है। दीमक ,इल्ली आदि को नष्ट कर देता है।अनार जैसे पौधें की जड़ों मे सूत्रकृमि को भी इससे आसानी से खत्म किया जा सकता है। और यदि आप नीम की खली को पौधें की जड़ों के अंदर डालते हैं तो 3 महिने मे ही इसका परिणाम दिखने लग जाता है।
नीम की खल का प्रयोग गोबर की खाद या जैविक खाद के साथ प्रयोग किया जा सकता है।नीम की खल को पौधों के अंदर इस प्रकार से डालें की उनकी जड़ों तक पहुंच जाए ।बागवानी फसल के अंदर पौधें की जड़ों के अंदर गड्डा बनाकर उसके अंदर नीम की खल डाल सकते हैं । इसी प्रकार से खेत के अंदर भी नीम की खल को डाला जा सकता है। खड़ी फसलों के अंदर आप हाथ से खल को छिड़क सकते हैं।सब्जियों की फसलों में नर्सरी में नीम की खल का प्रयोग किया जाता है।
नीम की गिरी
नीम की बीज की गिरी के अंदर 45 पतिशत तक तेल पाया जाता है।पामिटिक ,अरेचिडिक ,स्टीयरिक जैसे अम्ल भी इसके अंदर होते हैं।नीम के तेल के अंदर गंधक होता है। इसका प्रयोग कई प्रकार के कार्यों मे होता है। यह हाथों और शरीर के लगाने के लिए भी प्रयोग होता है। औषधी मे , फसलों की सुरक्षा और सौंदर्य के अंदर भी नीम के तेल का प्रयोग होता है कई जगह पर नीम के तेल का दीपक भी जलाया जाता है।
नीम की छाल का प्रयोग
नीम की छाल के अंदर कई प्रकार के तत्व पाये जाते हैं ।जैसे एमिनोएसिड, कैल्सियम, पोटाशियम, लोहा, लवण, रेसिन, गोंद, स्टार्च आदि इनका प्रयोग औषधी के निर्माण मे किया जाता है।
नीम के फल
नीम के फल को निंबोली कहा जाता है।निंबोली को इंसान भी खाते हैं लेकिन जानवर इसको सबसे अधिक खाते हैं। यह पहले हरे रंग की होती है लेकिन पकने के बाद पीले रंग की हो जाती है। निंबोली का प्रयोग कई बीमारियों के ईलाज मे किया जाता है।जैसे कि त्वचा के ईलाज के लिए ,पेट के कीड़ों को बाहर निकालने के लिए या यदि खेत के अंदर टिड्डी घुस गई हो नीम के फल को कूट कर उसके साथ पानी को मिलाकर छिड़काव करने से टिड्डी भाग जाती हैं।
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नीम का कीटनाशक
वैसे तो मार्केट के अंदर अनेक प्रकार की रासायनिक कीटनाशक उपलब्ध हैं और वे अच्छी तरह से काम भी करती हैं लेकिन उनके अपने नुकसान हैं। इन दवाओं के अंदर डी.डी.टी,बी.एच.सी आती हैं ।लेकिन इन दवाओं के अधिक प्रयोग से काफी नुकसान हो रहा है। खास कर जमीन दूषित हो रही है। यह अनुपयोगी कीटों को तो मारती ही हैं इसके अलावा उपयोगी कीटो को भी खत्म कर देती हैं। और लंबे समय इनका प्रयोग करने से बहुत बुरा असर पड़ता है। यही वजह है कि अब जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाने लगा है।
नीम का कीटनाशक बनाने के लिए नीम की पतियों और बीजों का प्रयोग किया जाता है लेकिन बीज का प्रयोग सबसे अधिक होता है।नीम का कीटनाशक बनाने के लिए नीम की गुठली को ले और उसके बाद उनको पीस लें ।अब एक कपड़े के अंदर इनको बांधें फिर बाल्टी के अंदर उस कपड़े को 12 घंटे के लिए रखदें । उसके बाद आपको एक भूरे रंग का पाउडर प्राप्त होता है। वही नीम का कीटनाशक होता है यह किसी भी प्रकार से पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाता है। आप चाहें तो इसके अंदर नीम के पाउडर का भी प्रयोग कर सकते हैं।
नीम का कीटनाशक बनाने के लिए 10 लीटर पानी को लेना होता है।और उसके बाद इसके अंदर 500 ग्राम नीम का पाउडर आप मिला सकते हैं। एक हेक्टर के अंदर 20 से 30 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है।
यदि उगाये गए पौधों पर कीटों का प्रकोप हो तो नीम की पतियों को पानी के अंदर भीगोंकर रातभर के लिए रखदें और उसके बाद सुबह उस पानी का छिड़काव फसलों के उपर करें । ऐसा करने से कीट नष्ट हो जाता है। बैंगन के अंदर नीम के तेल का छिड़काव करना चाहिए । ताकि कीट दूर हो जाएं।
नीम से बने कीटनाशक का प्रयोग कई तरीकों से किया जाता है।पहला तरीका तो यह है कि यह कीटनाशक फसलों पर सीधा ही छिड़क दिया जाता है। इसके अलावा इसका लेप भी किया जाता है। और अनाज की सुरक्षा के लिए भी छिड़का जाता है।
नीम के अंदर अजाडिरेकटिन, मेलीथमट्रोल, सेलेनिन, निम्बीन और निम्बीडीन जैसे तत्व पाये जाते हैं। इनकी वजह से जब पौधों पर इसको छिड़का जाता है तो यह कीड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और कीड़ों की इससे पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है।नीम का प्रयोग करने से कीड़े पौधे को खा नहीं पाते हैं और उनका विकास रूक जाता है। और जो कीड़े पौधे को चूसते हैं वे भी आसानी से नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार से नीम कीट नियंत्रण के लिए बहुत अधिक प्रभावी साबित हुआ है।
नीम से बना घोल टिड्डी को रोकने लिए उपयोगी होता है।जब टिड्डी की समस्या हो तो नीम का घोल बनाएं और उसके बाद उसे पौधों के उपर अच्छी तरह से छिड़क देना चाहिए । इससे टिड्डी पौधों को खा नहीं पाएगी और उसकी क्षमता मे कमी आ जाएगी ।
फल मक्खी, सफेद मक्खी, लीफ माइटस आदि नीम के तेल से प्रभावित होते हैं।इसके अलावा जो लार्वा अंडे देते हैं उनकी अंडे देने की क्षमता खत्म हो जाती है और वे मर जाते हैं। इस प्रकार से नीम कीटनाशक बिना किस तरह के प्रदूषण के कीटों को नष्ट कर देता है।नीम के कीटनाशक के अपने फायदे होते हैं।
- नीम का कीटनाशक सस्ता होता है और बनाने मे काफी आसान होता है।
- यह वातावरण को दूषित नहीं करता है।
- लगभग सभी प्रकार के हानिकारक कीटों को नष्ट कर देता है।
- किसी प्रकार का नुकसान नहीं करता है।
- यदि आपने खेत के अंदर चने की फसल लगा रखी है तो उसके अंदर नीम के घोल के 3 छिड़काव कर सकते हैं। पहला छिड़काव फसल आने के 20 दिन बाद करें । दूसरा छिड़काव 40 दिन बाद करें और तीसरा फूल आने के बाद करें यह आपके चने को काफी अच्छा बनादेगा ।
- 1 किलोग्राम निम्बोली पाउडर लें और उसके बाद प्रति किवंटल ,के हिसाब से दालों के अंदर रखदें । ऐसा करने से दालों को कीड़े लगने की समस्या नहीं होगी ।
- जब आप अनाज को बोरी के अंदर भर रहे हैं तो उस अनाज के अंदर नीम की सूखी पतियों को मिलादें और उसके बाद अनाज को रखदें । ऐसा करने से अनाज मे घुन वैगरह नहीं लगेंगी ।
- जिस स्थान पर आप अनाज को रख रहे हैं वहां पर आपको नीम की सूखी पतियों को बिछा देना चाहिए । ऐसा करने से अनाज को कीड़े लगने की संभावना कम होती है।
- यदि आप अनाज को बोर के अंदर भर रहे हैं तो सबसे पहले नीम की पतियों को पानी मे उबालें और उस पानी मे बोरे को रात भर भीगोकर रखदें । सुबह उस बोरे के अंदर अनाज भरदें। ऐसा करने से अनाज मे कीड़े नहीं लगेंगे ।
- यदि आपकी दालें खराब हो जाती है तो एक किलो दाल के अंदर एक ग्राम नीम का तेल मिलाएं और उसके बाद उस तेल को दाल के अंदर अच्छी तरह से फैलादें । ऐसा करने से दाल को किसी भी प्रकार के कीड़े आदि नहीं खराब कर पाएंगे ।
- एक हेक्टेअर के लिए नीम का घोल तैयार करने के लिए 25 किलो निंबोली और 500 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।इसके अंदर आप 5 किला साबुन भी मिलाएं।
नीम से बनने वाली औषधियां
S.N. | Medicine name | Neem element se | Distributor company | Use |
1. | Grinim Capsule | नीम के पत्ते | Dabur India ltd | खून को साफ करने और चर्म रोग को दूर करने मे |
2 | Clean N Clear Capsule | नीम के पत्ते | Dabur India Ltd. | खून को साफ करने मे व त्वचा को सुंदर बनाने मे |
3 | Kyoroline Ointment | नीम का तेल | Chemist lebo P.r. Udaipur | दर्द के अंदर रक्षा करने के लिए |
4 | Neem Face Pack | नीम के पत्तों का प्रयोंग | Puma Company | चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए |
5 | Luquine tablet | पत्तें के पाउडर से | J.and J. Ditch Lebo, Pvt. Ltd. | मलेरिया के अंदर इसका प्रयोग किया जाता है। |
6 | Nimbola capsule | नीम के तेल का प्रयोग | Key Pharma New Delhi | मधुमेह के अंदर इस दवा का प्रयोग होता है। |
7 | Neem Cure Cream | नीम की पत्ती और नीम का तेल | फार्मूलेशन इंडिया | त्वचा के रोगों के लिए |
8. | नेमलेंट | Neem oil | Demosto Pvt. Ltd. | घाव के लिए उपयोगी |
9 | Bio neem liquid | निकल एक्स्ट्रेकट्स नई दिल्ली | चर्म रोगों मे प्रयोग | |
10 | Salt powder | Gurukool, kangri | खून को साफ करने मे | |
11 | Neem Shampoo | नीम के पत्ते का प्रयोग | मेघदूत ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, लखनऊ | बालों को धोने के लिए |
12 | Nemesis | All the time | – | |
13 | Emile Neem Capsules | एमिल फर्मी क्यूटिकल्स | चर्म रोग मे प्रयोग | |
14 | Neem oil | त्वचा और रोगों मे | ||
15 | Citrus powder | Zandu, Gurukool Kangri | In leprosy and other skin diseases | |
16 | Pasuton | नीम के पत्ते | डोमेस्टोन प्र.लि. विजयवाड़ा | पशुओं के पेट के कीड़े मारने के लिए |
17 | Censal | oil | एक्सेल्सर इंटरप्राइजेज, कानपुर | |
18 | Neem toothpaste | नीम की पत्ते | कलकत्ता केमिकलक कं, कलकत्ता | दांत साफ करने के लिए |
मीठा नीम का पेड़ कैसे लगाएं ?
मीठे नीम के पेड़ को कढ़ी के पत्ते के पेड़ के नाम से भी जाना जाता है।मुराया कोएनिजी, (Murraya koenigii] भी इसको कहा जाता है।उप-उष्णकटिबंधीय प्रदेशों के अंदर यह पाया जाता है और रूतासी परिवार से यह संबंध रखता है।इस पौधे की पतियों का इस्तेमाल रसदार व्यंजनों के अंदर किया जाता है।हालांकि यह देखने मे नीम के जैसा लगता है। इस वजह से इसको मीठा नीम कहा जाता है। हालांकि नीम से इसका कोई लेना देना नहीं है।
यह एक छोटा पेड़ होता है जिसकी उंचाई 2 से 4 मीटर तक होती है।और तने का व्यास 40 सेमी तक होता है।इसकी पतियां भी नुकिली होती हैं।हर कमानी 2-4 सें.मी. लम्बी व 1-2 सें.मी. चौड़ी होती है। ये पत्तियां बहुत ही ख़ुशबूदार होतीं हैं।इसके फूल छोटे छोटे रंग के और खूशबू दार होते हैं।इस पेड़ के बीज जहरीले होते हैं।
इस पौधे की पतियों का प्रयोग कढ़ी या रसदार व्यंजन बनाने मे होता है।दक्षिण भारत के अंदर इस पौधे की पतियों का प्रयोग तेज पत्तों की तरह किया जाता है।इसको पकाने के लिए प्याज के साथ भूना जाता है। इसकी पतियों को आप अधिक समय तक स्टोर कर नहीं रख सकते हैं।इसकी ताजी पतियों के अंदर बहुत अधिक खुशबू निकलती है।हालांकि सूखी पतियों के अंदर खुशबू नहीं के बराबर होती है।
Murraya koenigii का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंदर भी किया जाता है।ऐंटी-डायबिटीक,ऐंटीऑक्सीडेंट,ऐंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं इसका पत्ता लंबे और स्वस्थ बालों के लिए अच्छा माना जाता है।
कढ़ीके पत्ता पेड़ को लगाना meethi neem ka ped kaise lagaye
इस पौधे को उगाने के लिए कटिंग काम नहीं करती है।और इसके लिए आपको कढ़ी के पौधे के पके हुए बीज की आवश्यकता होगी । उसी से आप यह लगा सकते हैं।
जून जुलाई के अंदर इस पौधे की बीज आपको आसानी से मिल जाएंगे ।बीज काले रंग के होते हैं। हालांकि कुछ ग्रीन कलर के भी होते हैं। बीज को बोने से पहले उसके पलक को हटा देना है।
अब एक गमले के अंदर या एक गड्डा खोदे और वहां पर गोबर की खाद और सामान्य गार्डन रेत को डालें और उसको पानी से गिला करें । उसके बाद रेत के अंदर बीज को लगादें ।
एक गड्डे के अंदर कई सारे बीज डालें ताकि यदि एक बीज ना उगे तो दूसरा उग जाए । और लगभग 15 दिन बाद आपको पौधा निकले हु दिख जाएगा । इसके 21 दिन बाद आपके लगाए लगभग सारे बीज उग जाएगे । और 1 महिने के बाद यह 4 इंच तक लंबे हो जाएंगे । अब इन पौधों को दूसरी जगह पर लगा सकते हैं।
आपको यह याद रखना चाहिए कि इस पौधे के अंदर किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद नहीं डालें ।
अब अपने पास एक इस प्रकार का गमला लें जिसके नीचे छेद हो के अंदर पौधे को इस प्रकार से उखाड़कर लगाएं कि उसकी एक भी जड़ टूटे नहीं । इस प्रकार से आप मीठे नीम के पौधों को लगा सकते हैं।
नीम का पौधा कैसे लगाएं ?उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा यदि आपका कोई सवाल है तो नीचे कमेंट करें और बताएं ।
This post was last modified on December 24, 2020