पाद क्यों आता है? पाद सूंघने के फायदे what is fart or benefit of fart

दोस्तों पाद के बारे मे आप और हम सभी जानते हैं। ऐसा कोई भी इंसान नहीं होता है। जिसको पाद ना आता हो । हां यह संभव है कि कुछ इंसानों को बहुत कम पाद आता है। तो कुछ इंसान ऐसे होते हैं। जिनको बहुत ज्यादा पाद आता है।‌‌‌लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं। जिनको यह पता नहीं है कि पाद क्यों आता है ? पाद आने से कैसे रोक सकते हैं? और ज्यादा पाद आने के नुकसान क्या हो सकते हैं ?

पाद क्यों आता है पाद सूंघने के फायदे fart
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‌‌‌दोस्तों एक न्यूज साइट के अनुसार पीछले दिनों एक रोचक घटना घटी थी।एक विमान दुबई से निदरलैंड जा रहा था। उसी विमान के अंदर एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा था । जिसको कुछ ज्यादा ही पाद आता था। बस उसने पादना शूरू कर दिया । आपको पता होगा कि विमान के अंदर गैस बाहर नहीं निकल सकती है।‌‌‌उसका पाद इतना बदबूदार था कि कुछ समय तक तो लोगों ने सहन किया लेकिन जब उस व्यक्ति ने बार बार पादना शूरू कर दिया तो सारे यात्री काफी परेशान हो गए । थक हार कर सारे यात्रियों ने विमान को बीच मे ही आस्टि्रया के अंदर उतरवाया था।

‌‌‌पाद क्या होता है ?

विज्ञान के अनुसार पाद हमारे शरीर के अंदर गैस निकालने की एक प्रक्रिया है। जब  खाना पचने के फलस्वरूप हमारे शरीर के अंदर बहुत अधिक गैस बढ़ जाती है। तो पाद के द्वारा यह गैस शरीर से बाहर निकाली जाती है।‌‌‌यह गैस  पेट, छोटी आंत, कोलोन और रेक्टम  आदि के अंदर रहती है। और पाद के अंदर कई प्रकार की गैसों का मिक्सचर होता है।पाद के अंदर नाइट्रोजन , कार्बनडाई ऑक्साइड ,मिथेन और आक्सीजन व  अन्य चीजें होती हैं।

‌‌‌पाद क्यों आता है ?

दोस्तों पाद आने के पीछे का कारण यह है। कि जब हम भोजन करते हैं तो भोजन के साथ गैसों को भी अंदर ले जाते हैं। यह गैसे हमारे भोजन को एक तरह से पचाने मे भी सहायक होती हैं। ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड शरीर के अंदर पाए जाने वाले प्राथमिक बाहरी गैस हैं ‌‌‌इसके अलावा हमारें आंत भी गैस का उत्पादन करते हैं। और उसके बाद इस गैस को शरीर से बाहर निकाला जाता है। आंतों के अंदर गैस का निर्माण तब होता है। जब टूटने वाले भोजन के अंदर बैक्टिरिया होता है। इस गैस को endogenous gas कहा जाता है।

 

अंतर्जात गैस के अंदर मुख्य रूप से हाइड्रोजन और कुछ लोगों के लिए मीथेन हो सकती है। इसके अलावा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसे भी होती हैं। जोकि पाद को बूदबूदार बनाती हैं। हालांकि बहुत कम लोग बूदबू वाली गैसे छोड़ते हैं। ‌‌‌इसके अलावा अधिकतर गैसे ऐसी होती हैं। जिनकी गंध नहीं आती है।

कार्बोहाइड्रेट गैस बनने का प्रमख कारण हैं। क्योंकि इन खाद्य पदार्थों  को छोटी आंत तोड़ नहीं पाती है। जिसके फलस्वरूप यह बड़ी आंत के अंदर चले जाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप बैक्टिरिया इनको बदल देते हैं। जिससे गैस बनती है।

कार्बोहाइड्रेट के अंदर निम्न चीजे शामिल हैं

  • शुगर्स के अंदर आते हैं। फ्रुक्टोज, रैफिनोज और सोर्बिटोल और मीठह चीजें अधिक गैस पैदा कर सकती हैं।
  • घुलनशील फाइबर जैसे सूखे बिन्स नटस आदि ।
  • अघुलनशील फाइबर खाने से भी ज्यादा गैस बनती है।
  • स्टार्च जैसे कि मक्का, गेहूं, और आलू आदि।

इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर फंक्शनल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (IFFGD) के अनुसार एक व्यक्ति के लिए जो खाद्य पदार्थ गैस बनाने का काम करते हैं। जरूरी नहीं कि वही दूसरे व्यक्ति के लिए गैस बनाने का काम करें ।

  • रैफिनोज से भरपूर खाद्य पदार्थ को पचाने के लिए हमारे शरीर के अंदर एंजाइम की कमी होती है।उसके बाद इन पदार्थों को आंत के अंदर बैक्टीरिया संसाधित करते हैं। और जिससे बहुत सारी गैसों का उत्पादन होता है। सेम, साबुत अनाज, शतावरी, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और गोभी में रैफिनोज होता है।
  • उच्च-सल्फर खाद्य पदार्थ और पेय की वजह से भी ज्यादा पाद आ सकता है। इन पदार्थों के अंदर फूलगोभी और ब्रोकोली, लहसुन प्याज । कुछ पेय, जिनमें शराब और बीयर शामिल हैं
  • चीनी अल्कोहल से बनने वाले खाने को हमारा शरीर पूरी तरह से पचा नहीं पाता है। इस वजह से भी ज्यादा गैस बनती है।
  • Lactose intolerance

विश्व के लगभग 70 प्रतिशत वयस्कों के अंदर पर्याप्त एन्जाइम नहीं होता है । जो दूध या दूध के उत्पादों को पचाने मे मदद करता हो ।इस वजह से इस प्रकार के खानेसे  गैस, सूजन और दस्त हो सकते हैं।

  • सीलिएक रोग के 200 से अधिक लक्षण होते हैं। यदि इस रोग से कोई ग्रस्ति है तो वह  भोजन को अच्छी तरह से पचा पाने मे सक्षम नहीं होगा । और ऐसा करने से गैस अधिक बनेगी ।
  •  चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम को IBS  के रूप मे भी जाना जाता है। यह रोग 10 से 15 प्रतिशत अमेरिकियों को पाया जाता है। लक्षणों में पेट दर्द, दस्त, कब्ज और गैस शामिल हैं।
  • ‌‌‌जब महिलाएं गर्भवति होती हैं। तो उनके शरीर के अंदर कई सारे बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों के अंदर पेट के अंदर अधिक गैस बनना भी शामिल है। क्योंकि इस स्थिति के अंदर पाचन दर कम हो जाती है। तो गैस बनने की दर बढ़ जाती है।

पाद कम करने के उपाय[ पाद क्यों आता है?]

दोस्तों पाद का आना हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है। लेकिन यदि आपको कम पाद आता है तो समस्या नहीं है। लेकिन आपको ज्यादा पाद आता है। और पाद बुदबूदार है तब समस्या पैदा हो जाती है। ‌‌‌क्योंकि कई बार आप किसी ऐसी जगह पर होते हैं। जहां पर पादना अलाउड नहीं होता है। या इससे आप दूसरों की नजर मे गिर सकते हैं। जैसे कि आप अपने बोस के सामने बैठे हो और पाद आने लगे तो आप क्या करेंगे ? इसके अलावा जैसे आप ‌‌‌एक जरूरी मिटिंग के अंदर बैठे हों और आपको पाद आने लगे तो आप क्या करेंगे ? ऐसी स्थिति के अंदर आप बुरी तरह से फंस जाएंगे । तो इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए हम आपको कुछ जरूरी टिप्स के बारे मे बताने जा रहे हैं।

पाद क्यों आता है

‌‌‌भोजन को चबाकर खाएं

यदि आप चाहते हैं कि आपके पेट के अंदर कम गैस बने और पाद कम आए तो आपको भोजन को अच्छी तरिके से चबाकर खाना चाहिए। जिससे हमारे पाचन तंत्र को भोजन को पचाने मे आसानी होगी । तो पेट मे गैस कम बनेगी । यह भी पाद कम करने के उपाय है।

‌‌‌अधिक गैस बनने वाले पदार्थों का सेवन ना करें

आमतौर पर हमने उपर कुछ ऐसे पदार्थों के बारे मे बताया है। जिनके खाने से गैस अधिक बनती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि हमारा पाचन तंत्र इनको अच्छी तरह से पचा नहीं पाता है। तो यह बैक्टिरिया द्वारा संसाधित होते हैं। ‌‌‌ऐसी स्थिति के अंदर पाद अधिक बूदबुदार होता है। यदि आप अच्छे तरीके से खाना खाते हैं। और अच्छा खाते हैं तो आपको पेट गैसे या पाद आने की समस्या ही नहीं होगी ।

कम-लैक्टोज डेयरी उत्पादों को खाना

यदि आपके शरीर के अंदर दूध और दूध से बने उत्पादों को पचाने के लिए एंजाइम नहीं है तो आप हमेशा कम ही ऐसे पदार्थों को खाएं क्योंकि यदि आप ज्यादा मात्रा के अंदर इनका सेवन करते हैं तो आपको गैस की अधिक समस्या हो सकती है।

‌‌‌धुम्रपान करने की वजह से

धुम्रपान करने से पाचनतंत्र पर असर पड़ता है। और हमारा पाचन तंत्र खाना ठीक से पचा नहीं पाता है। जिसकी वजह से पेट के अंदर गैस बनने की समस्या बढ़ जाती है। और वह गैस डकार या पाद के रूप मे शरीर से बाहर निकलता है।

‌‌‌व्यायाम करना

यदि आपको अधिक पाद आता है। इसका मतलब है आपके शरीर के अंदर अधिक गैस बनती है। और यह अधिक गैस की वजह से कई प्रकार की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। जैसे कि पेट दर्द भी हो सकता है। गैस से नीजात पाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है आप रोज सुबह सुबह व्यायाम करें ।‌‌‌सुप्त म्रत्स्यनन्द्रासन और अनंदा बालासन काफी उपयोगी हैं।

Gon Gas Odour Neutralizer

कुछ लोगों को बार बार पाद आने की समस्या होती है। ऐसे लोगों को शर्मिनदा होना पड़ता है। इससे बचने के लिए वे लोग Gon Gas Odour Neutralizer पेड का प्रयोग कर सकते हैं। जिनको charcoal pads flatulence कहा जाता है। आप इनको अमेजन  से खरीद सकते हैं। इसके लिए आपको 500 रूपये पे करने ‌‌‌होंगे । इसमे आपको 4 पेड मिलेगी । जिनको आप अपनी अडरवयर के अंदर लगा सकते हैं।

Charcoal tablets

Charcoal tablets भी भोजन को अच्छे तरीके से पचाने मे मदद करती हैं। यह टेबलेटस ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। आप इनको खरीद सकते हैं। जब भोजन अच्छी तरीके से पच जाता है। तो गैस कम बनती है और पाद भी कम आता है।वैसे इन दवाओं का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह से ना करें ।

‌‌‌डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए

आमतौर पर पाद आना आम है। लेकिन यदि  आपको अधिक पाद आने की समस्या है तो इसका अर्थ है हो सकता है। आपको लिवर की समस्या है। और भोजन अच्छी तरह से पच नहीं रहा है। कई बार जब आपके शरीर के अंदर लगातार गैस बनती रहती है। और जब यह गैस शरीर से बाहर नहीं निकलती है तो ‌‌‌यह शरीर के अंदर ही एकत्रित हो जाती है। जिसकी वजह से कई परेशानियां पैदा हो सकती हैं। वैसे देखा जाए तो पादना सेहत के लिए अच्छा होता है। क्योंकि ऐसा करने से शरीर के अंदर कि हानिकारक गैसे बाहर निकल जाती हैं।

‌‌‌यदि गैस बाहर नहीं निकलती हैं तो दर्द चक्कर आना और डाइरिया जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यदि आपको चक्कर आ रहे हैं और पेट दर्द की समस्या है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । ताकि आपकी समस्या का जल्दी से जल्दी से ईलाज हो सके ।

  • ‌‌‌एक औसत व्यक्ति प्रति दिन 0.6-1.8 लीटर आंतों की गैस का उत्पादन करता है।
  • पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) का अनुमान है कि पशुधन के अंदर गाय 36 प्रतिशत मिथेन का उत्पादन करती है। और गाय के पाद की वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है।
  • ‌‌‌लिंगो के हिसाब से पाद के अंदर कोई अंतर नहीं पाया जाता है।
  • एक स्वस्थ व्यक्ति दिन के अंदर 12 से 15 बार पादता है। यह उसके खाने के हिसाब से कम या ज्यादा हो सकता है।
  • ‌‌‌पाद के अंदर केवल 1 प्रतिशत गैसे खराब होती हैं।हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी दुर्गंधयुक्त गैसें शामिल हैं। 99 प्रतिशत से अधिक गैस जो लोग पास करते हैं उनमें सिर्फ नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन और मीथेन होते हैं।
  • ‌‌‌जब लोग सो रहे होते हैं तो अधिक पादते हैं
  • शब्द “fart” पुरानी अंग्रेज़ी शब्द “फ़ॉर्टन” से आया है, जिसका अर्थ है “हवा को तोड़ना।”
  • समाजशास्त्रियों के द्वारा किये गए साक्षात्कार के अंदर पाया कि पादने मे पुरूष कम शर्म महसूस करते हैं। जबकि महिलाएं पुरूषों की तुलना मे काफी ज्यादा शर्म महसूस करती हैं।
  • ‌‌‌एक इंसान दिन के अंदर इतना पादता है कि एक गुबारा इससे आसानी से फूल सकता है।
  • ब्रोकोली, फूलगोभी, केल, अंडे, रेड मीट, डेयरी उत्पाद, लहसुन और खमीर कुछ ऐसी चीजे हैं जिनके खाने से ज्यादा पाद आता है।
  • रेक्टल कैथेटर एक ऐसा उपकरण होता है । जिसकी मदद से पाद को भी मापा जा सकता है। यह एक ऐसा उपकरण होता है। जोकि गैस की मात्रा को निर्धारित करता है।
  • ‌‌‌यदि पाद की स्पीड की बात करें तो यह 10 फीट प्रति सेकंड या लगभग 9.5 किमी / घंटा है।
  • बासी सड़े हुए अंडे की गंध हाइड्रोजन सल्फाइड नामक एक गैस से आती है, जो 1% पाद के अंदर भी होती है।
  • महिलाओं के फार्ट में पुरुषों के फार्ट से भी ज्यादा बदबू आती है। उच्च हाइड्रोजन सल्फाइड सामग्री की वजह से ।
  • ‌‌‌आपको बतादें कि खुद का पाद उतना बुरा कभी भी नहीं लगेगा जितना की दूसरों का बुरा लगता है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्व हो चुका है।
  • ‌‌‌बहुत समय पहले जापान के अंदर एक ऐसी प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। जिसके अंदर यह देखा गया था कि कौन जोर से पाद सकता है। यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने कहा था कि पादना आवश्यक है।
  • अनुसंधान साबित करता है कि हाइड्रोजन सल्फाइड की थोड़ी मात्रा सूँघने से माइटोकॉन्ड्रियल क्षति को दूर किया जा सकता है और औसत स्ट्रोक, मनोभ्रंश, कैंसर और दिल के दौरे में मदद मिल सकती है।
  • मिस्टर मीथेन पैसे से एक संगीत कलाकार था। लेकिन उसकी सबसे बड़ी बात यह थी की वह पाद से भी एक टयून पैदा कर सकता था। उसने ऐसा करके दर्शकों को लुभाया था।
  • ‌‌‌केवल पाचक से संबंधित सममस्याओं का निदान करने के बदले एक चीनी डॉक्टर  $ 50,000 तक कमा कर जीवनयापन कर सकता है।
  • दक्षिण अमेरिका में यानोमामी जनजाति रहती है। उसकी सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि यह पादने के बाद एक दूसरे को बधाई देती हैं।
  • कुत्तों को पाद पसंद होता है। और वे मनुष्य का अच्छा दोस्त भी होते हैं।
  • फार्ट-फ़िल्टरिंग कपड़े  आते हैं। जोकि पाद को फिल्टर करने का काम करते हैं।

पाद सूंघने के फायदे

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‌‌‌दोस्तों पाद को सूंघना तो कोई नहीं चाहता है। लेकिन मजबूरी के अंदर सूंघना पड़ता है। वैसे बहुत से लोग पाद सूंघने से बचने के लिए अपनी नाक बंद कर लेते हैं। लेकिन वास्तव मे पाद तो हमारे मुंह से अंदर चला जाता है। बस हमे महसूस नहीं होता है। ‌‌‌लेकिन कुछ भी हो क्या पाद सूंघने के फायदे हैं ? आइए जानते हैं पाद सूंघने के फायदों के बारे मे क्या कहता है विज्ञान ?

‌‌‌पाद के अंदर हाइड्रोजन सल्फाइड नामक एक गैस होती है। यही वो गैस होती है। जिसकी वजह से पाद बदबू मारता है। हाइड्रोजन सल्फाइड गैस दिल के दौरे, स्ट्रोक, कैंसर के जोखिम को कम करने और मनोभ्रंश को दूर करने में मदद कर सकती है ऐसा रिसर्च के अंदर पता चला है। ‌‌‌जब हम अस्वस्थ होते हैं तो हमारे शरीर की कोशिकाएं स्वयं का हाइड्रोजन सल्फाइड बनाती हैं  जोकि माइटोकॉन्ड्रिया को सही तरकी से काम करने मे मदद करता है। बिना इस गैस के कोशिकाएं मर जाती हैं या काम करना बंद कर देती हैं।

एक्सेटर विश्वविद्यालय के रिसर्च कर्ताओं ने शरीर के अंदर हाइड्रोजन सल्फाइड की सही मात्रा उत्पादन करने के लिए वैज्ञानिकों ने AP39 नामक एक यौगिक बनाया है। यह यौगिक रिवर्स माइटोकॉन्ड्रियल क्षति, स्ट्रोक, दिल की विफलता और मधुमेह जैसी समस्याओं का उपचार कर सकता है। मार्क वुड ने कहा … हाइड्रोजन सल्फाइड को  सड़े अंडे और पेट फूलने में तीखी, दुर्गंधयुक्त गैस के रूप मे जाना जाता है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए अच्छी हो सकती है।

इंग्लैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि बदबूदार पाद से निकलने वाली गैस कई प्रकार की बिमारियों का ईलाज कर सकती है।

‌‌‌पाद लाने के उपाय

दोस्तों अब तक हमने यह जाना था कि पाद के फायदे क्या हैं और पाद के बारे मे कई रोचक तथ्य । लेकिन दोस्तों पाद भी अपने स्थान पर जरूरी होता है। कई बार ज्यादा खाने से पेट मे गैस बन जाती है। या फिर मसालेदार चीजों के खाने से या फिर खाने पिने की चीजों से परहेज नहीं करने से भी‌‌‌पेट के अंदर गैस बन जाती है। गैसे से हमारे पेट के अंदर दर्द होने लगता है। इसके कई उपाय हो सकते हैं। एक तो हम ऐसी स्थिति के अंदर पादने की कोशिश करते हैं । और यह चाहते हैं कि पाद आ जाए तो सारे शरीर की गैस बाहर निकल सकती है। और दूसरा हम डकार लेने की कोशिश भी करते हैं।‌‌‌जैसा कि हम आपको उपर बता ही चुके हैं । पेट के अंदर गैस बनने का सबसे बड़ा कारण तो यही है कि हमारा पेट खाने को अच्छे तरीके से पचा नहीं पाता है।‌‌‌अब तो यह वैज्ञानिक रूप से सिद्व हो चुका है कि पाद आना भी हमारे शरीर के लिए बहुत फायदे मंद है। आपको बतादें कि इससे शरीर के अंदर बनने वाली विषैली गैसे बाहर निकल जाती है।

‌‌‌तो दोस्तों आइए जानते हैं पाद लाने के कुछ घरेलू उपाय के बारे मे ।

  • ‌‌‌सेंधा नमक को हल्के गर्म पानी के अंदर मिलाएं और इसे खाना खाने के बाद पी सकते हैं। इससे आप के पेट के अंदर गैस की समस्या दूर हो जाएगी । और पाद भी कम आएगा । या आना ही बंद हो जाएगा ।
  • ‌‌‌खाने की चीजों के अंदर अजवाइन और काले जीरे का प्रयोग करनें । ऐसा करने से पेट गैस की समस्या से छूटकारा मिल सकता है। आप इनका रोज ही सेवन करें ।
  • ‌‌‌जब भी आप खाना खा ले तो उसके बाद एक लौंग और एक ईलाइची खाएं । यह सब तरह के पेट रोगों की समस्या को दूर करने का सबसे आसान तरीका है। इससे आपके पेट मे गैस भी नहीं बनेगी ।
  • ‌‌‌भोजन करने के तुरन्त बाद रोजाना 10 ग्राम गुड़ का सेवन करें । यह एक आजमाया हुआ घरेलू नुस्का है। यदि आप रोजाना गुड़ का सेवन करते हैं तो यह आपको पेट गैस से हमेशा दूर रखेगा ।
  • ‌‌‌यदि आप पेट गैस की समस्या से परेशान हैं। मतलब आपको कुछ ज्यादा ही पाद आने की समस्या है तो आप दिन के अंदर दो से तीन बार नींबू को चूस सकते हैं। सब्जी के अंदर नींबू मिलाकर खाने से पेट गैस की समस्या दूर हो जाती है।
  • ‌‌‌पेट गैस की समस्या का सबसे अच्छा उपाय है आप कुछ जीरे को मुंह के अंदर अच्छी तरीके से चबा कर खाले और उसके बाद गर्म पानी पीलें ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा ।
  • ‌‌‌दिन मे दो से तीन बार हींग को हल्के पानी के अंदर घोलकर पीने से पेट के अंदर गैस बनने की समस्या से छूटकारा मिल जाता है।

‌‌‌जानवरों के पाद से जुड़े कुछ मजेदार तथ्य

दोस्तों ऐसा नहीं है। कि पादते केवल इंसान ही हैं। आपको बतादें कि बहुत से ऐसे जानवर भी हैं जोकि पादते हैं। एक नई किताब के अंदर पारिस्थितिकीविज्ञानी निक कारुसो और जूलॉजिस्ट दानी राबायोटी ने 80अलग अलग जानवरों के पादने की आदतों के बारे मे बताया था।

‌‌‌मछली का पादना उसकी चिंता है

दोस्तों मछली भी पाद के द्वारा अपने शरीर के अंदर की हवा को बाहर निकालती है। उत्तरी मैक्सिको में पाई जाने वाली मीठे पानी की मछली बोल्सन प्यूफिश के अंदर जब गैस का खतरनाख स्तर हो जाता है तो यह पादती है।

‌‌‌इस मछली के शरीर के अंदर गैस तब बनती है। जब यह अनजाने के अंदर गैस के बुलबुले खा लेती है। जिससे इसके शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है।और यह आंतों को फुला देती है। जिससे मछली का तैरना मुश्किल होता है। और इससे उसकी मौत भी हो सकती है।‌‌‌इसके अलावा पेट के अंदर हवा मछली को बार बार सतह पर लाती है। जिसका परिणाम यह हो सकता है कि उस मछली को जानवरों के द्वारा खाया जा सकता है। या फिर हवा की वजह से उसका पेट फट सकता है।

वेस्ट इंडियन मैनटेट भी पादते हैं

ऐसा नहीं है कि बोल्सन  को ही खुद को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फर्ट की आवश्यकता होती है। वरन वेस्ट इंडियन मैनटेट की आंतों में थैली होती है। जिसके अंदर गैस जमा होती रहती है। और जब अधिक गैस जमा हो जाती है तो वे उसे पानी के उपर आकर बाहर निकाल देते हैं। यदि वे इस ‌‌‌गैस को बाहर नहीं निकालेंगे तो तैरने की क्षमता खो सकते हैं।

दीमक के पाद मे होती है मीथेन

दीमक गायों के समान बुरे नहीं हैं। दीमक मीथेन  गैस का उत्पादन करते हैं।प्रत्येक दीमक केवल एक दिन में मीथेन गैस के आधे माइक्रोग्राम का उत्पादन करता है।क्योंकि दिमक पूरी दुनिया के अंदर रहते हैं। कीड़े प्रति वर्ष वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के 5 से 19 प्रतिशत योगदान देते हैं।

ब्लू व्हेल मे फर्ट

ब्लू व्हेल का शरीर काफी बड़ा होता है।  जिसकी वजह से उसका पेट भी काफी बउ़ा होता है। वह अपने पेट के अंदर लगभग 1 टन तक भोजन को सेव कर सकती है। उतने भोजन को तोड़ने के लिए बड़ी संख्या के अंदर बैक्टीरिया  की आवश्यकता होती है।‌‌‌हालांकि किसी भी व्हैल को वैज्ञानिकों ने फर्ट करते हुए नहीं पकड़ा है। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह तीखा होता है।

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आपको बतादें कि गाय के मुंह औ पेट से मैथीन गैस निकलती है। जिससे सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है।मैनेजमेंट जर्नल में प्रकाशित  के रिपोर्ट के अनुसार पशुधन ने अकेले 2011 में 119.1 मिलियन टन मीथेन को हवा में धकेल दिया।वर्तमान में ग्रह पृथ्वी पर किसी भी समय लगभग 1.3 से 1.5 बिलियन गायें चर रही हैं, सो रही हैं, और अपनी जुगाली कर रही हैं। जब यह जानवर भोजन करते हैं तो इनके पेट के अंदर गैस पैदा होती है। जिनको बाहर निकालना पड़ता है।‌‌‌जब इतनी सारी गायें पादती हैं । तो बड़ी मात्रा के अंदर गैसों को वायुमंडल के अंदर लाया जाता है।

2006 के संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की रिपोर्ट में, यह कहा गया की ग्रीनहाउस गैसों के अंदर केवल 18 प्रतिशत तो पशुओं से उत्पादन हो रहा है।मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में सूर्य से गर्मी  को बढ़ाने मे 21 गुना अधिक ताकतवर है।

नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट के अनुसार, 19 वीं शताब्दी की शुरुआत के बाद से मीथेन गैस उत्सर्जन में 150% की वृद्धि हुई है। जब यह ग्रीन हाउस गैसे हमारे वायुमंडल के चारो और एकत्रित हो जाती हैं तो फिर हमारे ग्रह का तापमान बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति के अंदर हमारा ग्रह पिघल सकता है।

ऑक्टोपस फार्ट नहीं करते हैं, और न ही अन्य समुद्री जीवों जैसे कि सॉफ्ट-शेल क्लैम या समुद्री एनीमोन फर्ट करते हैं।वुडहाउस  के पास गैस से छूटकारा पाने का अजीब तरीका है। यह अपने एक्सोस्केलेटन के माध्यम से अमोनिया गैस का उत्सर्जन करते हैं।

पाद क्यों आता है? पाद सूंघने के फायदे

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arif khan

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