दिपावली से जुड़ी 5 पौराणिक कथाएं

दोस्तों दिपावली हिंदुओं का बड़ा त्यौहार है। दिपावली मनाने के पीछे कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। आज के लेख के अंदर हम कुछ पौराणिक कथाओं के बारे मे बात करेंगे । जिनकी वजह से दिपावली मनाई जाती है। हांलाकि लोगों की मान्यताएं भी इनके साथ जुड़ी हुई है।

 

‌‌‌1.माता लक्ष्मी की कथा

पैराणिक ग्रंथों के अनुसार माता लक्ष्मी इस दिन अपनी बहन दरिद्रा के साथ भू लोक मे आती है। जिस घर के अंदर साफ सफाई नहीं होती हैं। वहां पर दरिद्रा का निवास हो जाता है। और जिस घर के अंदर साफ सफाई होती है। वहां पर माता लक्ष्मी का निवास होता है। इसलिए लोग दिपावली से पहले ‌‌‌अपने घर की सफाई करते हैं ताकि उनके घर मे लक्ष्मी का वास हो सके ।

‌‌‌2.भगवान राम कथा

दिवाली मनाने के पीछे भगवान राम के वनवास से लौटने की कथा भी है। भगवान राम को ककई ने वनवास भेज दिया था। ‌‌‌उन्होने सीता हरण के बाद रावण को मारकर 14 साल वन मे बिताए थे । जब वे वनवास काट कर वापस लौटे तो उनके राज्य के लोगो ने अपनी खुशी जाहिर करने के लिए दीप जलाए थे । तब से दिपावली मनाई जाने लगी है। ‌‌‌उस समय कार्तिक मास की अमावस्या थी।

‌‌‌3.क्रष्ण और नरकासुर की कथा

ऐसी मान्यता है कि भगवान क्रष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस को नरक चतुर्थी के दिन मारा था। नरकासुर एक भयंकर राक्षस था। जिसने 16000 औरतों को बंदी बना रखा था। भगवान ने उसे मारकर कन्याओं को मुक्त करवाया ।और उन सभी से विवाह किया । फिर अगले दिन से दिपावली मनाई जाने लगी

‌‌‌4.नीचेकता की कहानी

 

निचेकता की कहानी को भी दिपावली से जोड़ कर देखा जाता है।

इस कथा के अनुसार एक बार नीचेकता के पिता बुढ़ी गायों का दान कर रहे थे । तब नीचेकता को यह अच्छा नहीं लगा । और वह बुद्विमान था। उसे यह पता चल गया कि उसके पिता ने मोह वश ऐसा किया है।

‌‌‌तब उसने पिता का मोह दूर करने के लिए सवाल किया की वे अपने पुत्र को किसे दान देंगे । बार बार यी सवाल किये जाने की वजह से नीचेकता के पिता काफी क्रोध मे आ गये और बोला कि उसे यमराज को दान मे दिया जाएगा ।

‌‌‌सत्य की रक्षा के लिए नीचेकता वहां से चले गऐ । और यमराज को खोजते हुए यमलोक पहुंचे । वहां जाकर उनको पता चला कि यमराज यहां नहीं हैं। तो वे तीन दिन वहां पर बिना खाए पीए बैठे रहे । उसके बाद यमराज आए तो उन्होने नीचेकता से तीन वर मांगने को कहा । तब नीचेकता ने पहला वर पीता का स्नेह मांगा ।दूसरा आग

‌‌‌विधा जानने के बारे मे था। और तीसरा जन्म मौत के रहस्य के बारे मे था ।

‌‌‌5.साधु की कथा

भारत दर्शन के अंदर साधु की कथा का उल्लेख मिलता है। इस कथा के अनुसार एक बार एक साधु को राजसी सुख भोगने की इच्छा हुई तो उसने लक्ष्मी की घोर तपस्या की । तब माता लक्ष्मी प्रकट हुई । और वर मांगने को कहा । तब साधुने वर मांग लिया ।

‌‌‌उसके बाद साधु राजा के महल मे गया और राजा का मुकुट गिरा दिया तो राजा क्रोधित होगया किंतु तभी एक सांप निकलकर बाहर चला गया। तब राजा का क्रोध शांत हो गया। और राजा ने उसे अपना मंत्री बना लिया।

‌‌‌फिर एक दिन उस साधु ने सभी को राज महल के बाहर जाने का आदेस दिया । जब सभी लोग राज महल के बाहर चले गए । तो महल अपने आप ही गिरकर नष्ट हो गया । उसके बाद तो सारे कार्य साधु के द्वारा किये जाने लगे साधु को अब अहंकार हो गया । उसने महल के सामने गणेश की मूर्ति को नब्ट कर वादिया।

‌‌‌जिससे गणेश जी रूष्ट हो गये और अगले दिन ही राजा ने किसी बात को लेकर साधु को जेल मे भेज दिया। तब साधु को बहुत बुरा लगा ।उसने फिर लक्ष्मी का तप किया । तब लक्ष्मी ने बताया कि गणेश की मूर्ति हटाने की वजह से आपकी बुद्वि काम नहीं कर रही है। तब साधु ने जिसी तरह से जेल से बाहर निकल कर गणेश ‌‌‌कि मूर्ति को फिर से लगवा दिया। तो साधु को दोबारा मंत्री पद मिल गया।

यह थी कुछ दिवाली से जुड़ी पौराणिक कहानियां । जिनको दिवाली से जोड़कर देखा जाता है।

This post was last modified on November 4, 2018

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