दोस्तों यदि आप इंटरनेट के उपर पुनर्जन्म का चक्र लिखकर सर्च करोगे तो आपको अनेक प्रकार की वही पुरानी बाते मिल जाएंगी । जिनके अंदर यह बताया होगा कि आत्मा होती है और वह कभी मरती नहीं है। वह एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर के अंदर चली जाती है।कुछ लोगों को यह अपने आप मे रहस्यमय लगता है।
उन्हें लगता है कि यह कोई चादुई चीज है। कुछ लोग आपको यह कहेंगे कि यह तर्क के परे की चीज है। कुछ लोग पुनर्जन्म जैसी बातों पर विश्वास नहीं करेंगे लेकिन यह ठीक वैसे ही है जैसे आज से 1000 साल पहले कोई बोले की मैं हवा के अंदर उड़ सकता हूं ।
यह लेख उन लोगों के लिए नहीं है जो यह सोचते हैं कि पुनर्जन्म जैसी कोई चीज नहीं होती है।वैसे तो पुर्न्जन्म के प्रमाणों के बारे मे हम किसी दूसरे लेख के अंदर चर्चा करेंगे लेकिन यहां पर कुछ प्रमाण देना आवश्यक है ताकि लोगों को यह पता चल सके कि वास्तव मे पुनर्जन्म जैसी भी कोई चीज होती है।
भारतीय फोरेंसिक वैज्ञानिक विक्रम राज सिंह चौहान पुनर्जन्म को वास्तविक साबित कर चुके हैं। उनके पास एक लड़के का केस आया था।इस लड़के का नाम तरणजीत सिंह था। और दो वर्ष की उम्र मे ही वह बताने लगा कि उसका घर यह नहीं है। जब वह 6 साल का हुआ तो घर से भागने लगा था। उसने बताया कि वह अपने माता पिता दोस्त और यहां तक कि स्कूल का नाम भी जानता है। 10 सितंबर 1992 को, जब वह मोटर स्कूटर की चपेट में आ गया था, तब वह अपनी बाइक पर सवार था। उन्हें सिर में चोटें आईं और अगले दिन उनकी मौत हो गई।
इस लड़के के पिता रणजीत सिंह कहते हैं कि जब उनका बच्चा ज्यादा ही जिद करने लगा तो वे उसे लेकर उस गांव के अंदर गए जहां के बारे मे लड़का बता रहा था। उसके बाद वहां पर उनको एक ऐसा शिक्षक मिला जिसने मोटर दुर्घटना होने की पुष्टी की थी ।
उसके बाद लड़के के पूर्व माता पिता के पास उसको लेकर जाया गया ।और उसको पहले उसक पूर्व माता पिता की तस्वीर को दिखाया गया तो उसने पहचान लिया । लड़के ने यह भी बताया कि दुर्घटना के समय उसक पर्श मे कितने पैसे थे ? उसकी मां ने भी वे सारे पैसे अपने बैटे की याद मे सम्भाल कर रखे थे ।उसके बाद लड़के के माता पिता ने और अधिक जांच करने का फैसला किया और आस पास के गांवों का दौरान किया । उन्होंने लड़के के बारे मे पूछताछ की तो पता चला कि वह जो बता रहा है। वह सच है।
वैज्ञानिक विक्रम राज सिंह चौहान ने बाद मे लड़के के बारे मे और अधिक जांच करने का फैसला किया । और फिर उन्होंने लड़के की लिखावट का नमूना भी लिया था।जिसको उन्होंने मर चुके लड़के की हेंडराइटिंग से मिलाकर देखा तो यह मेच कर गया था। उसके बाद उनको भी यह पूरी तरह से यकीन हो गया कि लड़का सच ही बोल रहा है।
बहुत से धर्मों के अंदर पुनर्जन्म को नहीं माना जाता है। लेकिन अब दो विदेशी वैज्ञानिक भी इसे मानने लगे हैं। क्योंकि उनके पास इस चीज के प्रमाण मौजूद हैं।यदि आप आत्माओं की महायात्रा पुस्तक पढ़ोगे तो आपको पता चलेगा कि पुनर्जन्म एक ऐसा सत्य है कि भले ही लोग डर के मारे नकारदें लेकिन एक ना एक दिन इसका सामना करना ही होगा । आज नहीं तो कल मौत होगी और दुबारा जन्म भी होगा ।
यदि हम पुनर्जन्म को मान लेते हैं तो आपके मन मे यह प्रश्न उठता है कि वो कौनसा आधार है जिसकी वजह से हमे दुबारा जन्म लेना पड़ता है। ऐसा क्या है जो हमे दुबारा जन्म लेने के लिए विवश करता है।
पुनर्जन्म का चक्र हम खुद दूसरे जन्म का चुनाव करते हैं ?
दोस्तों मैंने पुनर्जन्म के बारे मे काफी सारी किताबें पढ़ी और पढ़ता ही रहता हूं । मैं हर किताब के अंदर पुनर्जन्म के वैज्ञानिक आधार को तलास करने की कोशिश करता हूं । और इस काम के अंदर मैं पूरी तरह से सफल भी हो चुका हूं ।
मैंने डॉ अरूण कुमार की पुस्तक पढ़ी जिसके अंदर यह लिखा हुआ था कि हम खुद दुबारा जन्म लेते हैं। हमे कोई जन्म लेने के लिए विवश नहीं करता है। इसी तरह की दुसरी किताबों मे डॉ ओशो भी लिखते हैं कि हम खुद ही सब कुछ चनते हैं। इसके अलावा डॉ वीज बाउन अपनी किताबों के अंदर लिखते हैं कि एक आत्मा एक शरीर का चुनाव खुद ही करती है।
उसके बाद भावनगरी की बुक है उसके अंदर वे लिखते हैं। कि हम खुद दुबारा जन्म लेते हैं। हमे जन्म लेने के लिए कोई विवश नहीं कर सकता है।
यदि आप इसके बारे मे और अच्छे तरीके से जानना चाहते हैं तो कोई भी पुनर्जन्म से जुड़ी किताबें मंगवाकर पढ़ सकते हैं। जिनके अंदर यह साफ साफ लिखा हुआ मिल जाएगा कि आपके पुनर्जन्म के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं। ईश फाउंडेशन के सदगुरू भी यही कहते हैं कि हम खुद अपनी वासनाओं की वजह से शरीर के अंदर आते हैं।
इसके अलावा आपको हर जगह पर यही लिखा हुआ मिलेगा की हम खुद ही अपनी इच्छाओं की वजह से शरीर मे आना तय करते हैं। खैर इतने स्पष्ट तथ्य होने के बाद भी यदि आपको कोई यह कहता हुआ मिल जाए कि हमारे गुरू सबसे बड़े हैं वे आपको मोक्ष प्रदान करेंगे । दूसरे झूंठे हैं ,दूसरे पाखंड़ी हैं तो उसे मूर्ख कहना उचित होगा । सच तो यह है कि उसे सच्चाई का पता ही नहीं है।अभी भी वह गूरू के अंदर ही जी रहा है। गुरू सिर्फ उस लकड़ी की तरह होते हैं जो आपको सहारा दे सकते हैं लेकिन बदलना आपको ही पड़ेगा ।यदि आप यह सोच रहे हैं कि यह सिर्फ आपका ही गूरू कर सकता है तो गलत हैं । सब गुरू आपको रस्ता दिखा सकते हैं। अच्छी बाते बता सकते हैं। और यदि आप मन से फोलो करते हो तो काम बन सकता है।
यह बात मंद बुद्वि इंसान कभी नहीं समझ सकते । उनको इसके लिए अभी और जन्म लेने होंगे ।
वो क्या है जो हमको पुनर्जन्म मे लेकर आता है ?
मुझे लगता है इसके बारे मे आपको कुछ ज्यादा बताने की आवश्यकता नहीं है।आप रोज पढ़ते हैं ,सुनते हैं और देखते हैं। यदि आपने कोई गुरू धारण कर लिया है तो आप इसके बारे मे बहुत अच्छी तरह से जान ही चुके हैं।
बहुत से लोगों को बातें घूमा फिरा कर बताई जाती हैं।हर जगह यह आपको लिखा हुआ मिलेगा कि काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह या इस तरह की सारी बुरी आदतों को ध्याग देना चाहिए । इसके अलावा कहा जाता है कि भगवान के भजन के अंदर मन लगाना चाहिए । लेकिन कुछ संत तो बतों को और ही तरीके से घूमा कर बताते हैं।
जैसे नए संत महाराज कहते हैं कि हाथों पर मेंहदी मत लगाओ , किसी के पैर मत छुओ वैगरह वैगरह । बेचारा आम जीव को समझ नहीं आता है कि मूक्ति के लिए क्या जरूरी है ? और क्या नहीं है ? मैंने देखा है कि कुछ लोग मंत्र लेते हैं और गूरू के बताए कुछ नियम फोलो करते हैं। बस उसके बाद वे यकीन कर लेते हैं कि वे मुक्त हो गए । सच बात तो यह है कि आज भक्ति का रूप बूरी तरह से विक्रत हो चुका है।
सच बात तो यह है कि हमारे मन मे पड़े सूचनाओं का ढेर ही हमको पुनर्जन्म मे लेकर आता है।बस इतनी सी बात है । इसको ज्यादा कुछ बढ़ा चढ़ाने की जरूरत नहीं है। हां सारा ढेर इसके लिए जिन्मेदार नहीं होता है लेकिन बहुत सा कचरा इसके लिए जिन्मेदार होता है।
जिस दिन आप इस कचरे से परे चले गए ।उस दिन आप मुक्त हो गए ।बस इसी बात को सीखाने के लिए कई सारे तरीके होते हैं। जिनको हम कर्मयोग कहते हैं ,भक्तियोग कहते हैं। और हठयोग कहते हैं। इस कलयुग के अंदर कुछ मूर्ख तो यह कहते हुए भी मिल जाएंगे कि भक्तिमार्ग ही सही है। यदि आप हर मार्ग का विश्लेषण करोगे तो अंत मे उसी जगह पर पहुंचोगे ।
जिस जगह पर पहुंचना होता है।मार्ग कोई भी गलत नहीं है बस लोगों के अंदर उनको समझने की क्षमता नहीं है। यदि आप विवेकानन्द की पुस्तके पढ़ोगे । क्रष्ण की गीता पढ़ोगे तो आपको वे बहुत ही अच्छे तरीके से समझाएंगे । इसके अलावा नारद के भक्ति सूत्र देखो वे आपके लिए बहुत उपयोगी हैं।
भगवान क्रष्ण जब अर्जुन से कर्मयोग की बात करते हैं तो यह कोई मंत्र नहीं है। यह पूरा विज्ञान है। हम इसको मनोविज्ञान कह सकते हैं। कर्मयोग मतलब अपने मन को सही करना ।
क्रष्ण ने कहा निष्काम कर्म करो । यदि बिना किसी स्वार्थ के कर्म करोगे तो आपके मन मे बंधन पैदा नहीं होगा । और आप उस बंधन से वापस जन्म नहीं लोगे । यदि आप किसी गरीब को दान देते है और यह समझते हैं कि यह आपका कर्त्तव्य है । तो आप यह निष्काम कर्म कर रहे हैं। लेकिन यदि आप सोच रहे हो कि भगवान मुझे इसका फल देंगे तो यह सकाम कर्म है।यही आपको पुर्न्जनम मे ले कर आता है। एक शब्द के अंदर कहें तो मन की समस्त वासनाएं ,आपके लिए पुनर्जन्म पैदा करती हैं।
इस संबंध मे हम यहां पर डॉ अरूण कुमार की बताई घटना के बारे मे बता रहा हूं । वे लिखते हैं कि अरूध की जब मौत हुई तो वह ज्यादा बूढा नहीं था। लेकिन मौत के बाद वह इधर उधर भटकता रहा है। उसके बाद वह एक मंदिर के पास सालों तक रहा । वहां पर आने वाले साधु और महिलाओं को देखता रहा ।
इसके अलावा वह ज्ञान की बाते सुनता था।एक दिन उस मंदिर के अंदर एक दंपति आए और उसने देखा कि उनके विचार उससे मिलते हैं वे उसे अच्छे लगे तो उसने उनके यहां पर जन्म लेने की सोची । उसके बाद उसकी आत्मा उन दंपति के पीछे लग गई। लेकिन वह अब एक बेहद सूक्ष्म आत्मा थी जो उनको प्रभावित नहीं कर सकती थी और ना ही उनका कोई बुरा कर सकती थी।
इसके अलावा भी आपको डॉ अरूण कुमार की किताबों के अंदर जानकारी मिल जाएगी।इसमे भी हमने यही देखा कि वासना की वजह से ही उस इंसान ने दुबारा जन्म लेने की इच्छा जाहिर की ।
आपको पता ही होगा कि इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा के साथ मन भी जाता है।यही मन की वासना हमे जीवन के अंदर भी विवश करती है। आप और हम मन के नचाये नाचते हैं। यह सब मन का ही तो खेल है। आपको कुछ करना अच्छा लगता है।
कुछ करना नहीं अच्छा लगता है। क्या आपने सोचा कि यह सब क्यों होता है? यही मन का खेल है। यदि आप जीवन के अंदर अपनी पूरी वासनाओं को कंट्रोल करलेते हो जिसके अंदर अच्छी और बुरी दोनों वासनाएं आती हैं तो आप कभी भी दुबारा जन्म ले ही नहीं सकते हो ।तभी तो कहा गया है कि मन के पार चले जाना । पर यह आसान नहीं है। इसके लिए गुरू मंत्र की कम अभियास की बहुत अधिक आवश्यकता है।
पुनर्जन्म का चक्र किस तरह से काम करता है
पुनर्जन्म का चक्र केवल इंसानों के अंदर ही नहीं चलता है वरन जानवरों और सब जीवों के अंदर यह चक्र चलता ही रहता है।फर्क सिर्फ इतना है कि इंसानों के पास वह क्षमता है जिसकी मदद से वह आसानी से इस चक्र से खुद को अलग कर सकता है और जानवरों के पास वह क्षमता नहीं होती है। यह मत समझना की हमे अपना जीवन प्यारा है तो जानवरों को भी अपना जीवन प्यारा नहीं होता है।दुनिया का हर जीव डरता है उसे अपने जीवन से प्यार होता है। खैर जीव जब जन्म लेता है तो उसका दिमाग कोरे कागज की तरह होता है उसकी सूचनाएं भूला दी जाती हैं।
उसके बाद वह अपने जीवन काल के अंदर सूचनाओं का ढेर एकत्रित करता है। यदि जीव जानवर है तो वह अपने उस सूचना के ढेर के अंदर बस खाने पीने और कामवासना की लालसा को एकत्रित करता है।और जब वह मर जाता है तो उसकी आत्मा निकलती है।
अपने जीवन के अंदर एकत्रित की कई सूचनाओं के आधार पर वह वही सब कुछ करने की कोशिश करता है लेकिन कर नहीं पाता है तो उसे दुबारा गर्भ की तलास करनी पड़ती है। गर्भ के अंदर मौजूद विशेष प्रकार की उर्जा उसे खींचने मे सक्षम होती है। लेकिन यदि वह जीव ना आना चाहे तो कई बंधन नहीं होता है।
आत्मा का भी विकास क्रम चलता है। एक जीव कछुआ है तो हर जन्म मे वही हो यह जरूरी नहीं होता है। वह उससे भी आगे जा सकता है। आज हम इंसान हैं तो आज से 2000 साल पहले हम बंदर भी थे । एक इंसान के पास समझने की अधिक क्षमता है। यही वहज है कि एक इंसान योनी के अंदर आने के बाद बहुत ही कम आत्माएं दुबारा पशु योनी के अंदर जाना चाहेंगी ।
यदि बात करे अन्य जीवों की तो उनके पास यह क्षमता नहीं होती है कि वे अपनी आत्मा को जन्म लेने से रोकदें । वे वासनाओं से बंधे होते हैं । लेकिन जब उनकी चेतना इंसान के अंदर आती है तो वे आसानी से अपने आपको मुक्त कर सकते हैं। तभी तो कहा गया है कि मनुष्य योनी दुर्लभ है क्योंकि यह 84 लाख योनियों के बाद यहां पर आएं । आइए पुनर्जन्म चक्र को एक डाइग्राम के द्वारा समझने का प्रयास करते हैं।
चित्र मे आप देख सकते हैं कि एक इंसान मरता है जो पैसों से बहुत प्यार करता है। और मरने के बाद वह पैसों से रहित हो जाता है तो पैसा पानी की कोशिश करता है।लेकिन वह इसमे सफल नहीं हो पाता है। पर सफल होने के लिए उसे दुबारा जन्म लेना पड़ता है।
जैसा कि आप चित्र के अंदर देख रहे हैं। जब हम जन्म लेते हैं तो लगभग साफ ही होते हैं। किसी प्रकार की वासना नहीं होती है। पुराने जन्म को भूला दिया जाता है।उसके कुछ समय बाद जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं। हमारे मन मे अनेक प्रकार की वासनाएं पैदा हो जाती है।
और यही वासनाएं मौत के पहले तक बनी होती हैं। जो लोग इनको नष्ट कर देते हैं वे दुबारा जन्म से बच जाते हैं।लेकिन जो लोग बहुत सी वासनाओं के साथ ही मरते हैं। वे मरने के बाद उन वासनाओं को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
इसके अंदर भूत भी आते हैं। जब वे बिना शरीर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उसके बाद उनको शरीर धारण करना ही पड़ता है। तो आप समझ चुके हैं कि आत्मा के अंदर मौजूद वासना या उसके विचार ही इंसान को दुबारा जन्म लेने को विवश करते हैं।इसमे कोई चमत्कार जैसा कुछ नहीं है। यदि आप अपनी वासनाओं को नष्ट कर देते हैं तो आप जन्म ले ही नहीं सकते हैं।
बहुत से लोग जन्म लेने के बाद शिकायत करते हैं कि उन्हें ऐसा जन्म क्यों मिला ? यह सब क्या हो रहा है ? और भगवान को बुरा भला कहते हैं लेकिन उनको यह पता होना चाहिए कि भगवान उनको गर्भ मे नहीं डालता है वरन यह प्रक्रति का नियम है। आपको यह क्षमता प्रक्रति ने दी है कि आप चाहो तो अपनी वासनाओं को दूर कर सकते हो और अपने दूसरे जन्म को रोक सकते हो । वरना तो यह सिल सिला चलता ही रहेगा ।
पुनर्जन्म का चक्र किस तरह से काम करता है पुनर्जन्म का विज्ञान ? लेख के अंदर आपको पुनर्जन्म से जुड़े प्रश्नों के हल अवश्य ही मिल गए होंगे । और यदि आपको कोई बात समझ नहीं आई है तो आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हो ।
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This post was last modified on February 23, 2020
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Mai bus etna jaanti hu k meri mummy punarjanm legi . Vo b meri beti k rup mai . Aap bus yhe btaiye mai kaise pachnugi k vo meri ma h.
इसको पहचानने का तरीका सरल नहीं है। सबसे पहली बात तो यह है कि आपकी मां तब तक दूसरा जन्म नहीं ले सकती है।जब तक कि उनके कर्म संस्कार खाली नहीं हो जाते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह आएगी । और यदि आ भी जाती है तो फिर आपको अपनी मां की रूचियां और बोल चाल और व्यवहार को ध्यान मे रखना चाहिए । यदि आपकी बेटी आपकी मां के जेसा ही व्यवहार करती है तो इसका अर्थ यही है कि वह आपकी मां होगी ।क्योंकि कर्म संस्कार कभी भी नहीं बदलते हैं। दूसरा तरीका यह है कि आप पास्ट लाइफ रिग्रेसन की मदद ले सकते हैं जो कुछ लोग करते हैं।