अक्सर आपने गली के अंदर स्कूल जाते वक्त या फिर और कहीं पर पुरूषों को लड़कियों को घुरते हुए देखा होगा। हांलाकि बहुत सी लड़कियों को किसी अनजान मर्द का घुरना तो बिलकुल भी पसंद नहीं आता है। और कुछेक लड़कियां तो ऐसी भी होती हैं जो उनको मन ही मन गाली भी देती रहती हैं। भारत के अंदर लड़कियों को घूरना बेहद ही आम बात है। लगभग हर जगह पर ऐसे मजनू मिल ही जाएंगे । किंतु क्या आपने कभी सोचा है कि पुरूष लड़कियों को क्यों घुरते हैं।
लगभग कुछ पुरूषों को अपवाद के तौर पर लें तो बहुत से पुरूष तो ऐसे ही होते हैं जिनको हमेशा नई नई लड़कियों की चाहत होती है। यह बात अलग है कि उनको मिलती नहीं हैं। या उनका बस नहीं चलता । वे एक लड़की को कपड़े की तरह इस्तेमाल करते हैं।
जिसे कुछ दिन पहना और फेंक दिया । यानि उनका किसी लड़की से जल्दी ही मन भर जाता है। फिर वे दूसरी को पाने की सोचने लगते हैं। लेकिन लड़कियों के मामले मे यह बात बहुत कम लागू होती है। वे अधिकतर एक ही पुरूष के साथ रहना पसंद करती हैं। न की कपड़ों की तरह लाईपाटनर बदलने का उनका विचार होता है।
उनको जो व्यक्ति विश्वसनिय लगता है वे उसे ही पसंद करती हैं। लेकिन पुरूषों के अंदर ऐसी कोई बात नहीं होती उनको लगता है कि वे बहुत सी लड़कियों के साथ संबंध बना सकते हैं। इसलिये नई नई लड़कियों को घुरते रहते हैं।
इस तरह के परिणाम ही एक शोध के अंदर प्राप्त हुए हैं। पीछले दिनों इस बात को जानने के लिये यह शोध किया गया । जिसमे कई महिलाओं और पुरूषों को शामिल किया गया । महिलाओं को कुछ ऐसे पुरूषों के फोटो दिखाए गये ।और उन फोटों को एक से लेकर सात नम्बर देने को कहा गया । यह सभी फोटो ऐसे पुरूषों के थे
जिनको महिलाएं जानती नहीं थी। उसके बाद महिलाओं को कुछ ऐसे पुरूषों के फोटो दिखाए गए जिनको वे पहले से जानती थी। परिणामों के अंदर देखा गया कि महिलाओं ने ऐसे पुरूषों को अधिक अंक दिये जिन्हें वे जानती थी । इसका कारण रहा कि महिलाओं ने सुरक्षा और विश्वसनियता को अधिक महत्व दिया ।
इसी प्रकार पुरूषों को भी पहले कुछ महिलाओं का फोटो दिखाया गया । और उनको अंक देने को कहा गया । परिणाम मे देखा गया कि पुरूषों ने जान पहचान वाली महिलाओं को कम अंक दिये जबकी ऐसी महिलाओं को अधिक अंक दिये जिनके फोटो वे पहली बार देख रहे थे इससे यह सिद्व हो गया कि पुरूष की मानसिकता कुछ इस प्रकार की हो जाती है कि वह हमेशा नई नई महिलाओं को देखना पसंद करता है। यदि इस शोध को रियल लाईफ के अंदर देखें तो सच मे ही ऐसा होता है। आप भी ऐसे बहुत से लड़कों को जानते होंगे जो सिर्फ और सिर्फ लड़कियों को देखने के लिये कहीं आते जाते हैं।
लेकिन यह बात भी हर पुरूष के संदर्भ मे लागू नहीं होती है। क्योंकि कुछ पुरूष भी ऐसे होते हैं जो अपने पार्टनर के अलावा किसी को भी देखना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन ऐसे पुरूषों की संख्या बहुत कम होती है।
पुरूषों मे कहां से आई महिलाओं को घुरने की मानसिकता
घुरने की मानसिकता बेहद पुरानी है। आज से नहीं बहुत पहले से ही महिलाओं को घुरा जाता रहा है। जहां तक मैं सोच पा रहा हैं प्राचीन समय मे खूबसूरत महिलाओं को जो पुरूष हासिल नहीं कर पाते थे ।वे उनको घुरते रहते ।हो सकता है इसमे उनको आनन्द भी आता होगा। हमारे कुछ दोस्त जब महिलाओं को घुरते हैं तो उनको अच्छा लगता है। ऐसा वे कहा करते हैं। और उनकी बात सही भी है। शायद इसी वजह से महिलाओं को घूरने की प्रव्रति आज भी बनी हुई है। यदि पुरूषों को अच्छा नहीं लगता तो शायद यह कब की बंद हो जाती ।
किसी महिला को घूरते वक्त पूरूष के शरीर मे संबंध[ x] हार्मोन उसे आनन्द दायक बना देते हैं। जब भी कोई पूरूष किसी महिला को घूरता है तो वह तुरन्त ही उसके साथ अनेक तरह की कल्पना भी करने लग जाता है। जिसकी वजह से उसे अच्छा महसूस होता है।
जहां तक घूरने की मानसिकता उसकी कल्पना की वजह से पैदा हुई है। जैसे कि कोई पुरूष किसी महिला को देखता है तो वह तुरंत ही उसके बारे मे संबंध की कल्पना करता है। मन के अंदर काल्पनिक दुनिया मे खो जाता है। इस काल्पनिक दुनिया के अंदर उसे अच्छा महसूस होता है।
संबंध और नई नई महिलाओं को के बारे मे विचारधारा को पुरूष मित्र ही आगे बढ़ाते हैं वे अपने छोटे साथियों को बताते है कि देख यदि इस महिला के साथ काम करें तो कितना मजा आएगा । तब उनका साथी भी उनके बारे मे सोचकर उनको घूरने लगता है।
This post was last modified on December 13, 2018