इस लेख के अंदर हम जानेगें पैराशूट का इतिहास क्या था ? और पैराशूट का आविष्कार कैसे हुआ था।पैराशूट का नाम सुनते ही हमारे दिमाग के अंदर आता है कि पैराशूट वह होता है। जिसकी मदद से हम आसानी से बादलों की शैयर कर सकते हैं। और हवाई जहाज से छलांग लगा सकते हैं।वैसे तो पैराशूट का यूज आजकल बहुत अधिक किया जाता है। कुछ लोग शौक से पैराशूट का इस्तेमाल करते हैं। जबकि सैना पैराशूट की मदद से अपने आप को आपातकालिन स्थितियों से बचाने के लिए करती है।तो सबसे पहले पैराशूट के बारे मे कुछ खास बाते जान लेते हैं।
- फ्रांसीसी नागरिक लुइ सेबास्तियन लेनोर्मां ने सबसे पहले 1783 ई के अंदर सबसे पहला सफल पैराशूट बनाया गया था।
- पंद्रहवीं सदी के दौरान लिओनार्दो दा विंची ने सबसे पहले पैराशूट का का रेखाचित्र तैयार किया था।
- विंची की इस डिजाइन से प्रेरणा लेकर फॉस्ट ब्रांसिस ने वर्ष 1617 ई में एक सख्त फ्रेम वाला पैराशूट पहनकर वेनिस टॉवर से छलांग लगाई थी। इस पैराशूट को होमो वोलंस कहा जाता है।
- 1785 ई के अंदर फ्रांसीसी नागरिक ज्यां पियरे ब्लांचार्ड ने एक कुत्ते को पैराशूट मे बांधा और उसके बाद एक गुब्बारे से उसको नीचे गिराया था। उनका यह प्रयोग काफी सफल रहा था।
- 1797 ई के अंदर फ्रांस के आंद्रे गार्नेरिन ने पैराशूट मे काफी सुधार किया और उसके बाद जंप के अंदर पैराशूट का काफी सफल प्रयोग किया था।
आमतौर पैराशूट गुंबद आकार के हल्क उपकरण होते हैं। जोकि नायलान या रेशम से बने होते हैं।वैसे पैराशूट के अंदर बहुत से लोग कैप्सूल और कई प्रकार की वस्तुए रखते हैं। आमतौर पर जब कोई विमान दूर्घटना ग्रस्त हो जाता है तो विमान का पायलेट पैराशूट की मदद से कूद कर अपनी जान बचा सकता है।
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पैराशूट का इतिहास
पैराशूट के बारे मे सबसे पहले काल्पनिक जानकारी 4000 साल पहले की मिलती है।चीनी लोगों ने सबसे पहले यह जाना कि वायु प्रतिरोध नीचे गिरनें के अंदर मदद कर सकता है। पश्चिमी हान राजवंश की लेखिका सिमा कियान ने अपनी पुस्तक हिस्टोरिकल रिकॉर्ड्स में एक महान चीनी सम्राट शॉन का उल्लेख किया । जिसको उसका बेटा एक उंचे पहाड़ पर छोड़कर चला गया था। उसके बाद शॉन ने लकड़ियों की मदद से एक पैराशूट बनाया और उंची पहाड़ियों से आसानी से नीचे आ गया था।
आधुनिक पैराशूट के प्रमाण पुनर्जागरण काल के अंदर मिलते हैं। 1470 ई के अंदर ब्रिटिश म्यूजियम मे एक ऐसी बुक को देखा गया था। जिसके उपर एक पैराशूट से उड़ते हुए इंसान का चित्र बना हुआ था। इसके अंदर एक व्यक्ति पैराशूट के से पूरी तरीके से बंधा हुआ था। ठीक उसी तरीके से जिस तरीके से आज कल पैराशूट के अंदर इंसान को अच्छी तरीके से बैठाया जाता था। हालांकि इस पैराशूट मे लकड़ी का प्रयोग किया गया यह देखने मे काफी छोटा भी लग रहा था।
1485 के आस पास लियोनार्डो दा विंची ने एक विशेष प्रकार का पैराशूट बनाया जोकि चकौर आकार का था। हालांकि लियोनार्डो के पिरामिड डिजाइन की व्यवहार्यता का परीक्षण 2000 ई में ब्रिटन एड्रियन निकोलस द्वारा और फिर 2008 में स्विस स्काईडाइवर ओलिवियर विएटी-टेपा द्वारा किया गया।
डेलमेटियन पॉलीमैथ और आविष्कारक Fausto Veranzio (1551-1617) ने दा विंची के पैराशूट स्केच की जांच की थी और उसके बाद उसके अंदर आवश्यक परिवर्तन भी किये थे ।ताकि पैराशूट को और अच्छा और प्रभावी बनाया जा सके ।
1616 ई के अंदर प्रकाशित एक पुस्तक के अंदर भी होमो वोलेन (फ्लाइंग मैन) को दिखाया गया है। जो यह बताता है कि पैराशूट का अस्ति्तव के बारे मे लोग काफी जानते थे । 1617 में, वेरेंजियो, जो तब 65 वर्ष के थे और वे काफी बीमार भी चल रहे थे तो उन्होंने सोचा कि क्योंना पैराशूट का परीक्षण किया जाए ।मार्टिन कैथेड्रल से ब्रातिस्लावा में सेंट मार्क के कैम्पैनिल से वे पैराशूट के द्वारा कूद थे ।लेकिन 1668 ई के अंदर प्रकाशित एक अन्य बुक के अंदर यह कहा गया कि संभव है ऐसा बहुत से लोगों ने किया हो लेकिन अभी भी इस प्रकार के कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।
पैराशूट का इतिहास 18 वीं और 19 वीं शताब्दी
आधुनिक पैराशूट का आविष्कार 18 वीं शताब्दी के अंत में फ्रांस में लुइस-सेबस्टियन लेनमोरैंड द्वारा किया गया था, जिन्होंने 1783 में अपनी पहली छलांग कई लोगों की उपस्थिति के अंदर लगाई थी। दो साल बाद, 1785 में, लेनोर्मैंड ने पैराशूट शब्द के कई अर्थ निकाले थे । जिसके अंदर बचाव, बचाव, प्रतिरोध, पहरा, ढाल, प्रमुख रूप से थे।
1785 में, जीन-पियरे ब्लांचर्ड ने एक कुत्ते के साथ एक गुबारे के अंदर यात्रा की गर्म वहा की वजह से गुबारा फट गया उसके बाद उन्होंने पैराशूट की मदद से छलांग लगाई और फिर सुरक्षित जमीन पर उतर गए ।पहले पैराशूट लिनन के बने होते थे जोकि लकड़ी के उपर फैला हुआ था। उसके बाद सन 1790 ई के अंदर रेशम से पैराशूट बनाया जाने लगा ।जोकि काफी हल्के हुआ करते थे ।उसके बाद 1797 में, एंड्रे गार्नरिन ने रेशम से बने पैराशूट का सबसे पहले इस्तेमाल किया था।
1907 में चार्ल्स ब्रॉडविक ने मेले में गर्म हवा के गुब्बारों का इस्तेमाल किया उसके बाद जब गुबारा पर्याप्त उंचाई पर पहुंच गया तो वह पैराशूट से कूद गया । और एक रस्सी को खींचा । जिससे बंदर पैराशूट खुल गया और वह आसानी से जमीन पर उतर गया।
1911 में पेरिस के एफिल टॉवर से डमी ने छलांग लगाई और पैराशूट का सफल परीक्षण किया गया । उसके बाद 1912 ई के अंदर फ्रैंज रिकेल्ट ने अपने पैराशूट का प्रारभ्कि परिक्षण किया लेकिन वह असफल रहा और जिससे उसकी मौत हो गई।
1911 में, ग्रांट मॉर्टन ने हवाई जहाज से पहली पैराशूट छलांग लगाई, एक राइट मॉडल बी जिसे फिल पर्माले ने कैलीफोर्निया के वेनिस बीच पर चलाया था। मॉर्टन का उपकरण “थ्रो-आउट” प्रकार का था, जहां उन्होंने विमान को छोड़ते हुए पैराशूट को अपनी बाहों में पकड़ रखा था। उसी वर्ष, रूसी ग्लीब कोलोनिकोव ने पहले नैकपैक पैराशूट का आविष्कार किया
सन 1914 ई के अंदर एक अमेरिका अप्रवासी ने एक पैराशूट का पेटेंट करवाया था। जिसको उसने बाद मे अमेरिका सेना को बेच दिया था। बैनिक्स पैराशूट को पेटेंट करवाने वाला वह एक पहला व्यक्ति था। यह पेराशूट 19 वीं सदी के पैरासूट की तरह बनाया गया था।
21 जून, 1913 को, जॉर्जिया ब्रॉडविक , लॉस एंजिल्स, कैलिफ़ोर्निया में चलते विमाने से पैराशूट की मदद से कूदने वाली पहली महिला बनी थी। 1914 ई के अंदर अमेरिका सैना के लिए पदर्शन करते हुए ब्रॉडविक ने पैराशूट से छलांग लगाई थी। मुक्त रूप से छलांग लगाने वाले यह पहले व्यक्ति थे ।
पैराशूट का पहला सैन्य उपयोग
पैराशूट का पहला सैन्य उपयोग प्रथम विश्व युद्ध में टेथर्ड ऑब्जर्वेशन बैलून पर तोपखाने के पर्यवेक्षकों द्वारा हुआ था।हालांकि इस समय बनाए गए पैराशूट की क्वालिटी अच्छी नहीं थी और अधिक उंचाई पर इनके काम नहीं करने का खतरा था।हालांकि प्रथम विश्व युद्व के दौरान जर्मन लोगों के द्वारा कई पैराशूटों का निर्माण भी किया गया था। और उनकी मदद से कई लोग अपनी जान बचाने मे भी सक्षम रहे थे ।
युद्व के दौरान पैराशूट के लिए भी काफी दिक्कत भी आई थी। एक तो समस्या यह थी कि एक पायलेट पैरासूट पहनकर विमान नहीं उड़ा सकता था। क्योंकि इसके लिए पैराशूट कम्फोर्टेबल नहीं था। इसके अलावा दूसरा रिजन यह था कि पहले बनाए गए विमानों की भार ले जाने की क्षमता काफी सीमित होती थी।इस वजह से पैराशूट के प्रयोग से ईंधन के भार को कम करना पड़ता था।
ब्रिटेन में, एवरार्ड कैलथ्रोप , एक रेलवे इंजीनियर ने भी एक पैराशूट को बनाया था। इसके अलावा थॉमस ओर्ड-लीज़ ने यह दिखाया की कम उंचाई से पैरासूट का प्रयोग सफलता पूरवक किया जा सकता है।
जर्मन एयरशिप ग्राउंड क्रूमैन, ओटो हेनेके ने एक पैराशूट डिजाइन किया, जिसे जर्मन वायु सेवा ने 1918 में पेश किया था। हालांकि यह काफी अच्छा था। लेकिन यह बेहतर पदर्शन नहीं कर सका था।जर्मन ऐयर मैन इब्लीट्नेंट एरिच लोवेनहार्ट 3600 मीटर कीउंचाई से कूदा था लेकिन पैराशूट के असफल होने की वजह से उसकी मौत हो गई। इसके अलावा 1918 ई के अंदर 3000 फीट की उंचाई से छलांग लगाने और पैराशूट काम नहीं करने की वजह से कुछ सैनिकों की मौत हो गई।
पैराशूट के अंदर सुधार
अमेरिकी सैना ने देखा कि जब युद्व के अंदर पैराशूट का प्रयोग किया जा रहा था तो टेथेड पैराशूट ने अच्छा काम नहीं किया । जिसकी वजह से कई सैनिक मारे गए । और इस वजह से पैराशूट के अंदर सुधार करने की आवश्यकता महसूस हुई। संयुक्त राज्य सेना के मेजर एडवर्ड एल हॉफमैन ने उसके बाद पैराशूट की गुणवकता के अंदर सुधार किया ।और पैराशूट टाइप ए बनाया गया ।इसके अंदर कई विशेष चीजों को शामिल गया गया था।1919 ई के अंदर ईरविन ने हवाई जहाज से कूद कर इस पैराशूट का सफल परीक्षण भी किया था।
इसकी मदद से कई सैनिकों की जान बचाई जा सकी । इस प्रयास के लिए मेजर एडवर्ड एल हॉफमै को 1926 ई के अंदर समानित भी किया गया था।हैरिस ने 1922 ई के अंदर पत्रकारों के सामने ही पैराशूट से एक सफल छलांग लगाई थी।
1927 मे कई देशों ने दुश्मनों का पीछा करने के लिए पैराशूट का इस्तेमाल किया था।
द्वितिय विश्व युद्व के समय भी कई पायलेटों को पैराशूट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया था।
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This post was last modified on June 1, 2019