कहते हैं भगवान जब एक हाथ से देता है तो दूसरे हाथ से ले भी लेता है। हर इंसान के अंदर कुछ ना कुछ खूबी होती है। और जो इंसान अपनी इस खूबी को पहचान कर उसे संवारना शूरू कर देता है। वही कामयाब भी होता है।
और जो लोग अपनी अपंगता को अपनी असफलता मानकर बैठे रहते हैं। वे जिंदगी के अंदर कभी भी सफल नहीं हो पाते हैं। पूरी जिंदगी हमेशा असफलता का ही रोना रोते रहते हैं। लेकिन जो लोग अपंगता के साथ भी संर्घष करते हैं वे कामयाब बनते हैं।
लखनउ की केसरबाग की रहने वाली शीला शर्मा के दोनो हाथ ट्रेन के आगे आने से जब वे 4 साल की थी तब ही कट गए थे । लेकिन उन्होने साबित किया कि अपंग होने से कुछ नहीं होता हौसलों के अंदर उड़ान होनी चाहिए । अब वे पैरों से पेंटिग बनाकर अपने दो बच्चों को भी पाल रही है।
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कई बार मिल चुका है पुरूस्कार भी
उनकी बनाई हुई पेंटिग दिल्ली बम्बई बंगलूर जैसे बड़े शहरों के अंदर बिकती है। उनकी पेंटिग के लिए अनके संस्थानों ने उनको पुरूस्कार भी दिया है। कई बार अकादमी ने उनको पेंटिग के लिए सामान भी उपलब्ध करवाया है।वे अपने आस पास के ईलाकों के अंदर पुट पेंटर के नाम से मसहूर है।
कई जगह पर लगा चुकी है प्रदर्शनी
शीला अपनी बनाई पेंटिग की कई जगह पर प्रदर्शनी भी लगा चुकी है। उनकी बनाई बढ़िया पेंटिग को कस्टमर बहुत अच्छे दामों के अंदर खरीद रहे हैं।
क्या है शीला का सपना
शीला का सपना है कि वह ऐसे बच्चों की मदद करे जोकि अपंग हैं। और कुछ कर नहीं सकते । वह ऐसे बच्चों का सहारा देना चाहती है ताकि उनको सहास और उत्साह मिल सके और अपने दिमाग से वे अपंगता का विचार निकाल सकें । लेकिन यह काम अपने दम पर करना चाहती है।
कुछ ऐसी है मैगी बजाज की सक्सेस स्टोरी
पेंटिग के मामले मे मैगी बजाज का नाम भी आता है। मैगी एक ऐसी लड़की है। जोकि पैरों से पेंटिग बनाती है। उसके दोनो हाथ नहीं है। और वह मानसिक रूप से भी कमजोर है। उसके माता पिता नहीं हैं। उनका पालन पोषण उनके दादा दादी ने ही किया । जब वह कुछ बड़ी हुई तो उनको एक मनोविज्ञान संस्था को सौंप दिया गया । वहां पर उनके शिक्षकों ने उन्हें शिक्षा दी उनके रंगों से लगाव को देखकर पेंटिग बनाना सिखाया गया । कई साल की मेहनत के बाद वे पेंटिग बनाना सीख गई । और अब वे अपने पैरों से अच्छी पेंटिग बना लेती हैं। इतना ही नहीं उसे कम्यूटर भी चलाना आता है।
वे अपने पैरों से भी टाईप करती हैं।
लकीरों पर भरोसा ना करो किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते
यह कहावत मैगी और मीरा ने सच कर दिखाया । जो लोग हाथों की लकिरों पर भरोसा करते हैं। और मानते हैं कि उनकी कीस्मत के अंदर सफलता नहीं लिखी तो वे गलत सोच रहे हैं। सफलता मेहनत से मिलती है। और जो इंसान अपनी कमजोरी को अपनी कमजोरी नहीं मानता है। और निरंतर प्रयास करता है। वह एक दिन अवश्य ही सफल होता है।
अपनी कमजोरी को कमजोरी को कमजोरी मत मानो और दिल के अंदर जनून रखो । पैरों से टाईप करना और पेंटिग बनाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन जिस इंसान के पास जनून होता है। वह कामयाब बनता है।