भीम में कितने हाथियों का बल था , bheem me kitne hathiyon ka bal tha भीम के बारे मे उल्लेख महाभारत के अंदर मिलता है। इसके अनुसार वह पांडवों के अंदर दूसरे स्थान पर थे । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और वे पवनदेव के वरदान स्वरूप कुन्ती से उत्पन्न हुए थे । और वे बल के अंदर सबसे अच्छे थे । उनके बल का गुणगान पुरे महाकाव्य के अंदर किया गया है। युद्ध कला में पारंगत और सक्रिय, जिन्हें यदि क्रोध दिलाया जाए जो कई धृतराष्ट्रों को वे समाप्त कर सकते हैं।और दुःशासन की छाती फाड़ कर उसका रक्त पान किया था और आपको बतादें कि भीम ने वन के अंदर रहते हुए काफी कुछ राक्षसों का वध किया था । इसके बारे मे आपको अनेक कथाओं के अंदर उल्लेख मिल जाएगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और आपको बतादें कि भीम के बारे मे तो यहां तक कहा गया था कि इंद्र भी उनको परास्त नहीं कर सकते थे ।इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा
आप हस्तिना पुर के राजा पांडू के बारे मे आप जानते होंगे ।जिनके पांच पुत्रों को पांडव कहा जाता था। यह पांच पुत्र अलग अलग देवता की संतान थे । जैसे युधिष्ठर भगवान धर्मराज के पुत्र माने जाते हैं।अर्जुन देवराज इंद्र के पुत्र थे और नकुल सहदैव अश्वनी कुमार के पुत्र थे ।और भीम भगवान वायुदेंव केपुत्र थे। कहा जाता है की भीम के बलशाली होने के प्रमाण उनके बचपन सेही मिलने लगे थे। एककहानी केअनुसार जब राजा पांडू की पत्नी भीम को गोद मे लिए हुए बैठी थी।तब अचानक एक शेर वहां पर आ गया था।
शैर की दांहड़ सुनकर भीमकी मां देवी कुंती वहां से तेजी से भागी ।और उसे इस बात का ध्यान नहीं रहाकि उनका पुत्र उनकी गोद मे है। तब भीम दूर जाकर चटटानों पर जा गिरा किंतु देवी कुंती यह देखकर आश्चर्यचकित हो गई कि भीम के चटटान पर गिरने से चटटान टूट गई थी। जब कि भीम को कुछ नहीं हुआ था।
एक कहानी केअनुसार राजा पांडू ने किंदव तपस्वी और उनकी पत्नी को शिकार खलेते समय तब मार दिया था। जब वे दोनो आपस मे हिरण के वेश मे संभोग कर रहे थे। जब राजा पांडूका बांण उनको लगा तो वे अपने असली रूप मे आ गएऔर राजा पांडू को क्ष्राप दिया था कि उसकी मौत भी प्रेम क्रिडा करते वक्त हो जाएगी।
इसी वजह से राजा पांडू अपना राज्य अपने अंधे भाई ध्रतराष्ट्र को देकर वन के अंदर अपनी दोनों पत्नीके साथ चले आए थे ।
फिर एक दिन उनके मन मे काम भाव जाग उठा और अपनी पत्नी मातरी के साथ उन्होने सहवास किया तब किंदव तपस्वी के क्ष्राप की वजह से उनकी मौत होग यी थी।मातरी अपने पति के साथ सति हो गई थी।और कुंति अपने पांचों पुत्रों को लेकर वहां से वापस घर आगई थी।
हस्तिनापुर के अंदर सभी कोरव और पांडवभाई एक साथ ही खेलते थे किंतु भीम कोरवों को बहुत मारा करते थे। इसी वजह से एक दिन द्रुर्योधन ने उनके खाने मे जहर मिला दिया। और जैसे ही भीम ने वह खाना खाया वेअचेत हो गए तो उसे समुद्र मे फेंक दिया और वह नागलोक मे चला गया। वहां पर कई सांपों ने उसको डसना शूरूकर दिया। सांपों के जहर से उनके शरीर मे पहले वाला जहर का असर खत्म हो गया।और भीम ने सांपों को बुरी तरह से मारकर भगा दिया था।
तब सारे नागों ने यह बात नागरा वासुकी को बताई ।तब नागरा जवासुकी अपने साथियों के साथ वहां आया ।तब उनकेएक साथी नाग ने भीम को पहचाना और उसे 10000 हाथियों की ताकत दी थी। इस प्रकार दोस्तों भीम केअंदर 10000 हाथियों की ताकत आई थी।
बकासुर का वध भीम ने ही किया था
दोस्तों बकासुर के बारे मे उल्लेख महाभारत के अंदर मिलता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। एकचक्रनगरी के शहर में एक छोटा सा गांव, उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में रहता था।
डीहनगर,जिला प्रतापगढ़ के दक्षिण और इलाहाबाद जिला ले उत्तर में बकुलाही नदी के तट पर बसा है।और वर्तमान मे इस जगह को ऊचडीह धाम के नाम से जाना जाता है। और कहा जाता है कि भीम ने ही यहां पर राक्षस का वध किया था । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
जब महाभारत काल मे पांडव पुत्र युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव तथा उनकी माता अज्ञातवास मे थे, और वे एक बार भटकते भटकते एक गांव के अंदर पहुंच गए और वहां पर एक बकासुर नामक राक्षस रहता था । कहा जाता है कि उसके आतंक से पूरे गांव वाले काफी अधिक परेशान थे । और उसके बाद गांव वालों ने यह तय किया कि वे हर रोज एक इंसान को गांव के अंदर से बकासुर के भोजन के लिए भेजेंगे । और उसके बाद यही सब तय हुआ । जिससे कि बकासुर गांव से किसी को उठाकर नहीं लेकर जाता था । जब भीम की बारी आई तो भीम ने उस राक्षस के संकट से गांव वालों को मुक्त करवाने की ठानी और अकेले ही गुफा के अंदर चला गया ।
कहा जाता है कि भीम काफी अधिक बलसाली था । जिसकी वजह से वह राक्षस से लड़ पाया और उसके बाद भीम ने राक्षस को मार दिया । इस तरह से भीम ने बकासुर का वध कर दिया । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
जरासन्ध का वध और भीम
दोस्तों जरासन्ध का नाम तो आपने सुना ही होगा ।भीम के अंदर काफी अधिक बल था । और जरासंध महाभारत कालीन मगध राज्य के नरेश थे । और जरासंध आस पास के राजाओं को बंदी बनाने का काम करता था । वह चाहता था कि किसी तरह से वह 101 राजाओं को बंदी बना लें और उसके बाद वह उनकी बलि देकर महादेव को प्रसन्न करें । इसके लिए वह पहले से ही कई राजाओं को बंदी बना चुका था ।जरासंध कंस का मित्र था और जब कृष्ण ने कंस का वध कर दिया तो अपने मित्र का बदला लेने के लिए वह कई बार मथुरा पर चढ़ाई कर चुका था । जिसकी वजह से कंस को मथुरा छोड़ना पड़ा था । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
अंग प्रदेश का राजा बनने के पश्चात , कर्ण अंग की प्रजा को मगध नरेश के अन्याय से मुक्त करने के लिए जरासंध से युद्ध करता है और कहा जाता है कि यह युद्ध 500 वर्षों तक चला उसके बाद कर्ण ने कहा कि वह जरासंध को हरा सकता है और यह रहस्य वह जान चुका है। उसके बाद जरासंध ने अपनी पराजय स्वीकार करली ।
इंद्रप्रस्थ नगरी का निर्माण पूरा होने के पश्चात एक दिन नारद मुनि ने महाराज युधिष्ठिर को उनके पिता का यह संदेश सुनाया की अब वे राजसूय यज्ञ करें । और इस विषय के अंदर जब श्री कृष्ण से पूछा गया तो उन्होंने भी इसके लिए आज्ञा प्रदान करदी । लेकिन जरासंध इस मार्ग के अंदर रोड़ा था । और जरासंध को हराय बिना यह यज्ञ संपन्न नहीं हो सकता था । उसके बाद कृष्ण ने इसके लिए एक प्लान बनाया और अर्जुन और भीम के साथ ब्रहा्रमण के वेष के अंदर जरासंध के यहां पर जा पहुंचे । उसके बाद जरासंध ने उनका काफी अच्छा आदर और सत्कार किया और ब्रह्रामण के कक्ष के अंदर ठहराया और उसके बाद जरासंध को शंक हो गई कि वह ब्राह्मण जिनको समझ रहा है वे ब्राह्मण नहीं है। लेकिन उसके बाद भी जरासंध ने उनको मांगने के लिए कहा तो श्री कृष्ण ने कहा कि अभी उनके साथियों का मौन वृत है। यह खुलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
उसके बाद जरासंध ने कहा कि वे ब्राह्मण नहीं लगते हैं। अपने असली रूप मे आएं । उसके बाद श्री कृष्ण ने जरासंध को खरी खौटी सुनाई तो उसके बाद ब्राह्मण के वेष मे मल्लयुद्ध के लिए ललकारा तो जरासंध इसके लिए तैयार हो गया और उसके बाद उसने ही भीम को चुना । भीम और जरा संध के बीच काफी अधिक भयंकर युद्ध हुआ और काफी दिनों तक चलता रहा । उसके बाद भीम ने जरासंध के टुकड़े करके अलग अलग दिशाओं के अंदर फेंक दिया ।तब उसका वध करके उन तीनों ने उसके बंदीगृह में बंद सभी ८६ राजाओं को मुक्त किया और श्रीकृष्ण ने जरासंध के पुत्र सहदेव को राजा बनाया। सहदेव ने आगे चलकर के महाभारत के युध मे पान्डवो का साथ दिया।
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This post was last modified on January 23, 2023