आज कल यह प्रश्न कुछ ज्यादा ही सर्च किया जा रहा है कि मनुष्य का प्रतिरोध कितना होता है ? या मानव शरीर का प्रतिरोध कितना ओम होता है ? इस लेख के अंदर हम इसी पर बात करने वाले हैं। वैसे तो हर मनुष्य का प्रतिरोध अलग अलग होता है। लेकिन यदि एवरेज प्रतिरोध की बात करें तो एक मनुष्य का प्रतिरोध 10,000 ओम के आस पास होता है। और यदि व्यक्ति गिला होता है तो यह 1000 ओम के आस पास हो जाता है।
क्योंकि गिली अवस्था के अंदर व्यक्ति कंरट का सुचालक बन जाता है। और वैसे पानी भी करंट का सुचालक ही तो है। इस वजह से प्रतिरोध कम हो जाता है। यदि व्यक्ति सूखा है और 120 वोल्टेज के संपर्क मे आता है तो लगभग व्यक्ति के शरीर के अंदर 12 milliamps तक करंट प्रवाहित होती है। और जब व्यक्ति गिला होता है तो उसके शरीर के अंदर 120 milliamps तक करंट प्रवाहित हो जाती है।वैसे सबसे अधिक प्रतिरोध त्वचा की उपर सतह का ही होता है। उसके नीचे का प्रतिरोध केवल 350 ओम होता है।
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कम प्रतिरोध होने पर अधिक करंट प्रवाहित होता है
आपको पता होगा की ग्राउंड का प्रतिरोध शुन्य होता है। जिसकी वजह से ग्राउंड के अंदर सबसे ज्यादा प्रवाहित होती है। इसके विपरित यदि प्रतिरोध ज्यादा होता है तो करंट कम प्रवाहित होती है। एक कुचालक का प्रतिरोध बहुत अधिक होने की वजह से उसके अंदर करंट प्रवाहित नहीं होता है।
मनुष्य का प्रतिरोध अलग अलग होता है
आपको यह भी बता देना जरूरी है कि हर इंसान का प्रतिरोध अलग अलग हो सकता है। कुछ इंसान ऐसे भी होते हैं। जिनका प्रतिरोध बहुत ज्यादा होता है। इसी तरह से कुछ इंसानों का प्रतिरोध काफी कम होता है। कम प्रतिरोध वाले इंसान जब करंट के संपर्क मे आते हैं तो उनके अंदर अधिक करंट प्रवाहित होता है। इससे उनकी मौत भी हो सकती है।
मानव के शरीर का प्रतिरोध बढ़ाने पर करंट नहीं लगेगा
आपने कई ऐसे इंसानों के बारे मे भी सुन रखा होगा । जिनको करंट नहीं लगता है। वे भारी से भारी वोल्टेज के संपर्क के अंदर आ जाने के बाद भी उनको कुछ नहीं होता है। बहुत से लोग इसको एक चमत्कार के जैसे देखते हैं।लेकिन यह एक चमत्कार नहीं है वरन इसके पीछे विज्ञान काम करता है। इन व्यक्तियों के शरीर का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। इस वजह से करंट इनके शरीर से प्रवाहित नहीं हो पाता है। और एक तरह से यह विधुत के कुचालक होते हैं।उतर प्रदेस के रहने वाले42 वर्षिय नरेश कुमार भी इसी प्रकार के व्यक्ति हैं जिनको 440 वोल्ट का करंट भी कुछ नहीं कर सकता है। वे बिजली के नंगे तारों को आसानी से छू लेते हैं। इस वजह से वे इलेक्ट्रीक मैन के नाम से जाने जाते हैं।
रबड़ के दस्ताने पहनने से करंट क्यों नहीं लगता ?
जब हम रबड़ के दस्ताने पहन लेते हैं और उसके बाद बिजली के खुले तारों को स्पर्श करते हैं तो हमें करंट नहीं लगता है। इसका कारण है कि रबड़ का प्रतिरोध बहुत अधिक है। और इसको करंट पास नहीं कर पाता है। इस वजह से हमें करंट नहीं लगता है। जबकि लौहे की छड़ी के करंट लगने से हमें करंट लगजाता है। क्योंकि लौहे का प्रतिरोध कम है और मनुष्य का प्रतिरोध भी कम होता है। इस वजह से यह दोनों विधुत के सुचालक हैं।
मानव शरीर का प्रतिरोध कितना ओम होता है ? क्या हूमेन बॉड़ी के प्रतिरोध को बढाया जा सकता है ?
हालांकि अभी तक ऐसा कोई तरीके का पता नहीं चल सका है। जिससे मनुष्य का प्रतिरोध को बढ़ाया जा सके । अधिक जो केस मनुष्य के अधिक प्रतिरोध या कुचालक के सामने आए हैं। यह सब कैसे हुआ इसके कोई कारण ज्ञात नहीं है। यदि ऐसा संभव हो सकेगा तो किसी को भी करंट नहीं लगेगा ।
अधिकतर मनुष्य का शरीर Electricity का सुचालक होता है
यदि कुछ अपवादों को छोड़ दे तो अधिकतर मनुष्यों का शरीर धारा का सुचालक होता है। मनुष्य के शरीर के अंदर सैल्स एक दूसरे को इलेक्ट्रीकल सिग्नल सेंड करते हैं। और दिमाग भी इन्हीं इलेक्ट्रीकल सिग्नल पर काम करता है। मनुष्य की बॉडी के अंदर ही यह सिग्नल बनते हैं। यहां तक कि हम जो कुछ देखते हैं। वह भी इलेक्ट्रीकल सिग्नल के अंदर ही दिमाग मे जाता है।
मनुष्य का प्रतिरोध कितना ओम होता है लेख आपको कैसा लगा कमेंट करके बताएं।
This post was last modified on January 6, 2019