महान दार्शिनिक सुकरात के बारे मे तो आप जानते ही होंगे । सुकरात ने अपने जीवन के प्रारंम्भिक काल के अंदर धर्म कर्म पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया । किंतु कहा जाता है कि एक बार सुकरात के पास कोई आत्मा आई और बोली की वह धर्म कर्म करेगा तो उसके अंदर अद्वितिय दर्शन क्षमताओं का विकास हो जाएगा । उस आत्मा की बात मानकर सुकरात ने शीघ्र ही धर्म कर्म करना आरम्भ कर दिया ।शीघ्र ही सुकरात के अंदर वह क्षमता या ताकत विकसित हो गई और सुकरात अपनी इस ताकत का प्रयोग लोगों के कल्याण के लिये करते थे । वह आत्मा उनको परामर्श देती थी ।
इतना ही नहीं सुकरात अपने मित्रों को भी इस आत्मा के बारे मे बताते थे लेकिन उनके मित्र इस आत्मा को देख नहीं सकते थे । इसलिए वे सुकरात की बातों पर विश्वास नहीं करते थे । वे सुकरात की दर्शन क्षमता को उसकी दिमागी ताकत से जोड़कर देखते थे।
सुकरात के समकालिन कई विद्वानों ने सुकरात के जीवन के अंदर घटने वाली रहस्यमय घटनाओं पर प्रकाश डाला है। दी जिनियो सिक्रेटिस के अंदर भी सुकरात के जीवन की एक रहस्य मय घटना का जिक्र आता है।
कि एक बार सुकरात अपने मित्रों के साथ कहीं पर जा रहे थे । रास्ते के अंदर उन्हें उनकी आत्मा ने उनको आगे के बारे मे बता दिया तो सुकरात अचानक रूके और अपने मित्रों को इस रस्ते नहीं जाने की सलाह दी किंतु वे नहीं माने उन्हें लगा की सुकरात झूंठ बोल रहा है। और वे उस रस्ते चल दिये ।
अचानक एक जंगली सूअरों का झूंड कहीं से आ धमका और उन सभी को घायल करदिया । यहां पर सुकरात की भविष्यवाणी सही साबित हुई । एक अन्य घटना का उल्लेख थीवीज नामक ग्रंथ के अंदर मिलता है। बताया जाता है कि एक बार कोई लड़का सुकरात से मिलने आया जब वह मिलकर वापस जाने लगा तो सुकरात ने उसे अभी जाने के लिये मना किया किंतु वह नहीं माना सुकरात ने उसे 4 बार रोका लेकिन वह नहीं माना और चला गया । रस्ते मे ही उसने किसी आदमी का कत्ल कर दिया और उसे मौत की सजा मिली ।
कहा जाता है कि सुकरात जब जेल के अंदर बंद थे तो वे पहले ही अपने शिष्यों को बता चुके थे कि उनको मौत की सजा मिलेगी । उनके पास पर्याप्त सबूत होने के बाद भी उन्होने अपने आपको बचाने का प्रयास नहीं किया चाहते तो वे जेल से भाग भी सकते थे । लेकिन उन्होने ऐसा नहीं किया था
This post was last modified on October 29, 2018