क्या आपको पता है महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे ? इस लेख के अंदर हम इसी बारे मे बात करेंगे।
दोस्तों कहा जाता है कि क्रष्ण ने इस युद्व को रोकने के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन और पांडव भी युद्व के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे । वे चाहते थे कि उनको कुछ गांव दे दीये जाए । लेकिन दुर्योधन जैसे धूर्त लोगों की वजह से यह युद्व हुआ था। जब दूर्योधन ने एक पैर भूमी भी पांड़वों को देने से इंनकार कर दिया और दूत क्रष्ण को ही जान से मारने का प्रयास किया ।
लेकिन क्रष्ण के विराट रूप को देखकर भी उन मूर्खों को यह समझ मे नहीं आया कि युद्व होगा तो अंत उनका ही होगा । और वैसे भी कहते हैं कि कौरवों के पास तो अनेका अनेक विद्वान थे तो क्या वे यही नहीं समझ सके कि क्रष्ण के रहते पांडवों का कुछ नहीं बिगाड़ा जा सकता है। यदि यह बात समझी होती तो ।यह युद्व नहीं हो पाता ।
लेकिन एक बार यदि आप यह सोचे की पूरे महाभारत के अंदर क्रष्ण को भगवान माना जा रहा था तो इस समस्या का समाधान क्रष्ण किसी दूसरे तरीके से भी कर सकते थे । भगवान के पास विकल्पों की कोई कमी नहीं होती । इसके अलावा एक बात और भी है कि भगवान के पास तो सब कुछ देखने की ताकत होती है। क्रष्ण ने इस स्थिति को पहले से ही देखलिया तो इससे बचने का उपाय भी किया जा सकता था। पर जो कुछ भी हुआ वास्तव मे बहुत गलत था।
महाभारत का युद्व कौरवों और पांड़वों के बीच कुरू सम्राज्य के सिंहासन को प्राप्त करने के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्व के अंदर लगभग हर जनपद ने भाग लिया था।यदि वैदिक साहित्य की बात करें तो यह उस काल का सबसे बड़ा युद्व रहा था। महाभारत युद्ध में लाखों यौद्वा मारे गए थे। जिसके परिणाम स्वरूप वैदिक सभ्यता और संस्क्रति का पूरी तरीके से पतन हो गया था। जोकि अपने विकास चरम पर थी। इस युद्व के अंदर राजाओं , क्षेत्रियों और वीरों ने भाग लिया था और अंत मे सब वीर गति को प्राप्त हुए थे ।
इस युद्ध का उस समय के महान ऋषि वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया था।
पीछले दिनों एक यूजर ने मुझे मेल किया और पूछा सर की क्या आप बता सकते हैं कि महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे । उसके बाद मैंने उस विषय पर काफी कुछ रिसर्च किया तो पता चला कि दो प्रकार के आंकड़े सामने निकल कर आते हैं। हम आपको दोनों ही प्रकार के आंकड़े के के बारे मे बताते हैं। जिससे आप यह आसानी से निर्णय कर पाओगे कि महाभारत के युद्ध में कितने लोग मारे गए ?
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महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे ?संख्या बताती स्टोरी
महाभारत के युद्व मे कितने लोग मरे थे ? इस सवाल का ठीक ठीक जवाब देना काफी कठिन है। और उस समय वैसे जनसंख्या का कोई आंकड़ा भी नहीं था। लेकिन इस संबंध मे हम आपको एक दिलचस्प स्टोरी बताते हैं। जिसके आधार पर हम यह भी तय करने की कोशिश करेंगे कि महाभारत के युद्व मे कितने लोग मरे थे ।
दोस्तों महाभारत के युद्ध के अंदर कई राजाओं की सेना ने भाग लिया था। और इस संबंध मे एक दिलचस्प स्टोरी का उल्लेख मिलता है।और युद्ध मे भाग लेने वालो की संख्या इतनी थी कि आसमां से देखने पर वे एक चिंटी की तरह दिखाई पड़ते थे ।
युद्व के अंदर बहुत से लोग रोज मारे जाते थे और मरने वालों की संख्या का पता पहले ही चल जाता था। स्टोरी के अनुसार एक राजा थे जो सेना के लिए भोजन बनाने का काम करते थे ।उडुपी के राजा भगवान को रात के अंदर मूंगफली देने जाते थे ।भगवान जितनी भी मूंगफली खाते और जो बच जाती उतने ही लोग रोज मारे जाते थे ।
आमतौर पर बड़े युद्व के अंदर इस बात का पता नहीं चल पाता कि कितने लोग मर जाएंगे । हो सकता है एक दिन के अंदर 10000 लोग मारे जाएं तो खाने का अनुमान ठीक ठीक लगाना एक समस्या थी।
लेकिन क्रष्ण की छोड़ी मूंगफली की मदद से उडुपी के राजा आसानी से यह अनुमान लगा लेते थे कि कल कितने लोग मरेंगे और उसके बाद वे उसी हिसाब से खाना बना लेते थे ।
और इस तरीके से बनाया गया खाना कभी भी कम नहीं पड़ता था।मतलब कि जितने दान क्रष्ण ग्रहण करते उस हिसाब से पता लग जाता कि अगले दिन कितने लोग मारे जाएंगे । हालांकि यह कहानी यह नहीं बताती है कि महाभारत के युद्ध मे मरने वालों की संख्या कितनी थी। लेकिन यह इतना जरूर बताती है कि किस तरीके से सैना के भोजन बनाने के लिए विधि प्रयोग मे लाई जाती थी।
महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे ?
महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे या महाभारत युद्ध में कितने लोग मारे गए थे । यह अपने आप मे एक बड़ा सवाल है। जिसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं है। बस सब अनुमान ही लगाते हैं। तो सबसे पहले हम आपको यह बतादें कि कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी और पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना थी। इस तरीके से दोनों पक्षों के पास कुल 50 लाख के आस पास सैनिक थे ।उस समय भारत की जनसंख्या भी अधिक नहीं थी ।
अब विश्व की जनसंख्या 7 अरब है और पूरी दुनिया की सैना 1करोड़ है। और सन 1947 के अंदर भारत की जनसंख्या 40 करोड़ तक रही होगी । और उससे पहले 1651 ई के आस पास
धरती की जनसंख्या 52 करोड़ के आस पास रही होगी ।यदि इससे पहले का अनुमान लगाएं तो युद्व के समय भारत की जनसंख्या लगभग 6 करोड़ के आस पास रही उस समय गांव और शहर बहुत अधिक बड़े नहीं थे और इस वजह से जनसंख्या बहुत कम हुआ करती थी।
वैसे यह कोई सटीक जानकारी नहीं है कि युद्व के अंदर कितने लोग शामिल हुए थे । लेकिन एक अनुमान हम लगा सकते हैं कि युद्व के अंदर 50 लाख सेनिक शामिल हुए थे हालांकि यह अनुमान आपको दूसरी जगह पर भिन्न भिन्न मिल सकता है। लेकिन इससे आपको एक आइडिया हो जाएगा कि महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे।
कुछ इतिहास की पुस्तकों के अंदर यह उल्लेख मिलता है कि महाभारत के युद्व के अंदर 39 लाख 40 हजार योद्धा मारे गए थे । और वैसे हमको इसी जानकारी को सटीक मान सकते हैं। लेकिन यह भी सही है इस बात का कोई प्रमाण किसी के पास नहीं है।
महाभारत युद्ध में सब कुछ तहस नहस हो गया था
महाभारत युद्ध मे कितने लोग मारे गए थे । इस बात का अंदाजा आप नीचे दिये जा रहे स्पष्टिी करण की मदद से लगा सकते हैं।
- आपको पता होगा कि प्रत्येक पांडव के 10 पुत्र थे और सभी के सभी युद्व के अंदर मारे जा चुके थे । मरने वालों के अंदर अभिमन्यु, घटोत्कच, विराट, द्रुपद, धृष्टद्युम्न, शिखण्डी, पांड्यराज, कुन्तिभोज, उत्तमौजा, शैब्य और अनूपराज नील आदि के नाम शामिल हैं। हालांकि अभिमन्यु की पत्नी के पेट मे पहल रहा एक पुत्र अवश्य बच गया था । जिसको भगवान ने बचाया था। अपने ही आंखों के सामने बेटों की मौत को देखकर पांड़व भले ही जीवित बच गए हों । लेकिन उनके मन मे अब वो बात नहीं रही थी। वे बस दुख को झेलने और रोने के लिए बचे थे । और जब तक उनके सांस चलते रहे वे घुट घुट कर मरते रहे ।
- श्रीकृष्ण की नारायणी सेना और कुछ यादव युद्धलोगों ने भी इस युद्व के अंदर भाग लिया था। हालांकि युद्व खत्म होने के बाद गांधारी ने सब को शाप दिया था कि जिस तरीके से हमारे पुत्र तड़प तड़प कर मारे गए हैं। उसी तरीके से तुम्हारा कुल भी आपस मे लड़कर खत्म हो जाएगा । और वही हुआ क्रष्ण का वंश भी आपस मे लड़कर खत्म हो गया । हालांकि यह प्रत्यक्ष रूप मे महाभारत का हिस्सा नहीं था। लेकिन यह प्रभाव तो युद्व का ही था।
- दुर्योधन व उसके 99 भाइयों के अलावा भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, मद्रनरेश शल्य, भूरिश्र्वा, अलम्बुष, कलिंगराज, श्रुतायुध, शकुनि, भगदत्त, जयद्रथ, विन्द-अनुविन्द,सब के सब लड़कर मारे गए । और कौरवों का एक पुत्र ही बचा था। हालांकि वैसे देखा जाए तो इस युद्व के अंदर कौरवों का सत्यानाश होगया । लेकिन नुकसान पांड़वों को भी कम नहीं झेलना पड़ा था।
- आपको बतादें कि महाभारत के युद्व के अंदर केवल कौरवों और पांड़वों का ही वंश खत्म नहीं हुआ वरन इसके अंदर और भी बहुत से राजा महाराजाओं ने भाग लिया था। सब युद्व के अंदर मारे गए और उनका वंश ही धरती से खत्म हो गया था।
39 लाख विधवाओं के साथ कौन करता विवाह ?
महाभारत का युद्व हो या किसी भी तरह का युद्व प्राचीन काल के अंदर हुआ हो । अक्सर जब युद्व के अंदर यौद्वा मारे जाते थे तो बहुत सी महिलाएं विधवा हो जाती थी। और उसके बाद उनके सामने शादी की समस्या भी खड़ी हो जाती । क्योंकि पुरूषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले कम होती थी। यही महाभारत के युद्व के अंदर हुआ । इस युद्व मे यदि मान लें कि 39 लाख लोगों ने भाग लिया तो 39 लाख विधवा महिलाओं का क्या हुआ होगा । हालांकि कुछ कुंवारे भी थे ।
अब उस वक्त इतने पुरूष नहीं रहें होंगे तो । इन सबको अपना जीवन बिना रंगीन जिंदगी के ही गुजारने पड़े होंगे। सच बात तो यह है कि इस युद्व की सजा 39 लाख विधवाओं को मिली जो मर भी नहीं सकती थी और अकेले रहने के अलावा उनके पास कोई चारा भी नहीं था।मरने वाले तो मर गए लेकिन इन महिलाओं की जिंदगी नरक बनाकर छोड़ गए ।
1 अरब, 66 करोड़, 20 हजार योद्धा मारे गए थे ।
कुछ जगह पर यह लिखा हुआ मिलता है कि महाभारत युद्व के अंदर 1 अरब, 66 करोड़, 20 हजार योद्धा मारे गए थे । हालांकि यह पूरी तरीके से गलत लगता है। लेकिन हम आपको बताना उचित समझते हैं। जब युद्व खत्म हो गया तो क्रष्ण और पांडव धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे । पहले तो दोनों ने पांड़वों को मारने की कोशिश की लेकिन क्रष्ण की सुझबुझ उनकी जान बच गई। उसके बाद वे सब लोग वेदव्यास के कहने पर कुरू क्षेत्र गए । यहां पर धृतराष्ट्र ने पूछा कि कितने यौद्वा मारे गए तो यह बताया गया कि इस युद्ध में 1 अरब, 66 करोड़, 20 हजार योद्धा मारे गए हैं और 24 हजार यौद्वा अज्ञात हैं।
महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे । इस बात का अंदाजा आपको हो ही चुका है। उपर जो दो परीणाम हमने आपको बताए हैं। जिसके अंदर 1 अरब वाली जानकारी कई जगह पर लिखी हुई है। जिससे देखकर यही लगता है कि यह सच था। लेकिन अभी भी यह समझ मे नहीं आ रहा है कि भारत की जनसंख्या अब भी एक अरब नहीं है तो उस समय केसे एक अरब हो सकती है? हालांकि यह सत्य हो सकता है। बाकि आप खुद सोचें
युधिष्ठिर ने करवाया सभी का दाह संस्कार
यदि उस समय आपमे से कोई इस युद्व के परिणाम को देखने के लिए जिंदा होता तो आपको देखकर यह समझ मे आता कि वास्तव मे इतने सारे लोगों के मरने का अहसास कैसा होता है। चारों तरफ लासें ही लासें पड़ी थी। और इतनी लांसों का दांह संस्कार करने वाला कोई भी नहीं था। बहुत सारे लोग तो ऐसे थे जिनका पूरा परिवार भस्म हो चुका था। इसके अलावा इस युद्व के अंदर जो लोग बचे थे । वे अपने संगे संबंधियों को उठा कर वहां से दाह संस्कार के लिए लेकर जा रहे थे ।
धृतराष्ट्र ने कुंती पुत्र युधिष्ठिर से कहा कि सभी लाशों का दाह संस्कार करवाया जाए ।सुधर्मा, धौम्य, सारथी संजय, विदुर, कुरुवंशी युयुत्सु तथा इन्द्रसेन आदि सूतों को यह आदेश दिया कि सब लाशों का विधि पूर्वक अंतिम संस्कार किया जाए । उसके बाद उन सब सूतों ने टूटे हुए रथ और शास्त्रों से व लकड़ियों से चिंता को सजाया गया और मुख्य लोगों का दांह संस्कार किया गया ।
यदि उस समय वहां के द्रश्य को कोई देख लेता तो निश्चय ही इस बात का पता चलता की युद्व का परिणाम कितना भयावह होता है।दोस्तों वहां पर कुछ लासे तो ऐसी थी जिनको गीद तक खा रहे थे । ख्ुद्व के मैदान के अंदर कुछ स्त्री विलाप कर रही थी।बचे हुए लोगों ने सब मरे हुए यौद्वाओं की चिता सजाई और घी व लकडियां डालकर उनका दाह संस्कार किया गया था।
एक बार जीवित हुए थे मरे हुए वीर
महाभारत युद्ध में कितने लोग मारे गए थे । इसका सहीं अंदाजा लगाना ना मुमकिन है। लेकिन एक अन्य स्टोरी भी इस संबंध मे मिलती है। इस स्टोरी के अनुसार एक रात के लिए सारे मरे हुए यौद्वा दुबारा जीवित हुए थे।महर्षि वेदव्यास के द्वारा लिखे गए महाभारत के एक पर्व के अंदर इस बात का उल्लेख मिलता है कि युद्व के अंदर सारे मरे हुए सेनिक एक रात के लिए दुबारा जीवित हुए थे । और वह भी पूरे 15 साल के बाद । कैसे यह चमत्कार हुआ था। इसके लिए हम आपको पूरी स्टोरी बताते हैं।
महाभारत के बाद यूधिष्ठर राज बन गए थे और माता कुंति और घ्रष्टराष्ट्र भी उनकी के साथ जीवन व्यतीत कर रहे थे ।पांड़व भाई गांधारी और घ्रष्टराष्ट्र की सेवा भी करते थे । लेकिन भीम के मन मे उनके प्रति नफरत का भाव ही रहता था। और बात के चलते भीम कई बार ऐसे वचन भी बोल जाते थे जो गांधारी और उनको बुरा लगता था। एक बार धरत राष्ट्र के मन मे तपस्या करने का विचार आया तो वे वन की ओर चले गए । उनके साथ माता कुंती और गांधारी भी थे । विदुर भी उनके साथ थे ।
वे इस दौरान महर्षि वेदव्यास से दीक्षा लेकर वहीं पर अपना जीवन यापन करने लगे । उनको यही कोई एक साल बीता होगा तो यूधीष्टर को अपने परीजनों को देखने का विचार मन मे आया ।तो वे अपने परिजनों के साथ जंगल के अंदर आए और माता कुंती और गांधारी से मिले सब मिलकर प्रसन्न हुए ।
जब युधिष्टर सब लोगों से मिल रहे थे तो विदुर तप कर रहे थे ।जब विदुर कहीं पर जा रहे थे तो युधिष्टर उनके पीछे मिलने के लिए दौड़े लेकिन तब विदुर ने एक पेड़ के नीचे अपने प्राण त्याग दिये । और विदुर की आत्मा युधिष्टर के अंदर समा गई।उसके बाद जब यूधिष्टर ने आकर यह बात सबको बताई तो वेदव्यास ने कहा कि विदुर धर्मराज के अवतार थे और यूधिष्ठर भी उन्हीं के अंश हैं।
उसके बाद वेदव्यास ने गांधारी और कुंती को कुछ मांगने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि वे उन्हें महाभारत के अंदर मारे गए वीरों से मिलवाए ।उसके बाद वेदव्यास ने अपने तपो बल की मदद से सब वीरों को एक बार दूबारा कुछ समय के लिए जीवित कर दिया था।
महाभारत काल मे भारत की जनसंख्या
दोस्तों वैसे महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे ? इस प्रश्न का सटीक उतर नहीं दिया जा सकता है। उसी तरीके से महाभारत काल के अंदर भारत की जनसंख्या कितनी थी । इस बात का भी सटीक उत्तर नहीं दिया जा सकता । भारत की संयुक्त मिलिट्री में 48 लाख लोग भर्ती हैं। और सारे अधिकारियों को मिलाकर सेना के अंदर कुल 50 लाख के आस पास लोग भर्ती हैं जोकि कुल जनसंख्या का केवल 0.56% है। पुराने जमाने के अंदर सेना और पुलिस अलग अलग नहीं थी । राज सेना का प्रयोग सीमा और आंतरिक सुरक्षा के लिए भी करते थे । प्राचीन काल के अंदर बड़ी सेना की गिनती के अनेक आंकड़े थे । जिनके बारे मे हमने आपको उपर बताया था। अक्षौहिणी यूनिट के अंदर बड़ी सेना की गिनती होती थी।
राचीन भारत का भूमि द्रव्यमान विशाल और शक्तिशाली था कि आज का भारत, हम कह सकते हैं कि जनसंख्या आज की तुलना में बहुत कम थी। भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल और तिब्बत शामिल थे। हम अनुमान से कह सकते हैं कि महाभारत काल में संपूर्ण भारत की जनसंख्या 90 करोड़ होनी चाहिए।
अंतिम शब्द
दोस्तों यदि हम उपर विश्लेषण करें तो पता चलता है । कि यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि कितने वीर मारे गए । लेकिन चलते चलते महाभारत के अंदर कुछ टर्म को समझ लेते हैं जो महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे लेख से जुड़ी हुई है। जो महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे ? इय पश्न का उत्तर हल करने मे आपकी मदद करेंगी ।
दोस्तों पूर्व मे हम लोगों ने कुरुक्षेत्र युद्ध में कुल 18 अक्षौहिणी सेना लड़ी थीं। पांडवों की ओर से 7 अक्षौहिणी सेना से और कौरवों की ओर से 11 अक्षौहिणी सेना ने कुरुक्षेत्र युद्ध में किया। इस बात का जिक्र किया था। तो हम आपको बताना चाहेंगे कि अक्षौहिणी का मतलब क्या था।
- 1 रथ 1 हाथी 5 सॉलिडर्स और 3 घोड़ों को पट्टी कहते हैं ?
- 3 पट्टी 1 सेना मुख के बराबर है।इसका अर्थ है 3 रथ 3 हाथी 15 सॉलिडर्स और 9 घोड़े 1 सेना मुख के बराबर हैं।
- 3 सेना मुख 1 गुलम के बराबर होते हैं ।
- 3 गुलम 1 गण के बराबर होते हैं।
- 3 बार 1 वाहिनी के होते हैं।
- 3 वाहिनी 1 प्रितना के बराबर है।
- 3 प्रितना 1 चामु के बराबर है।
- 3 चामु 1 अनिकिनी के समान जिसका मतलब है 2,187 रथ 2,187 हाथी 10,935 सॉलिडर्स और 6,561 घोड़े 1 अंकिनी के बराबर हैं।
- 10 अंकिनी 1 अक्षौहिणी के बराबर होती है।
मतलब 21,870 रथ 21,870 हाथी 109,350 सोलडर 65,610 घोड़े 1 अक्षौहिणी के बराबर कहे जाते हैं। अब आप अच्छी तरीके से समझ गए होंगे कि अक्षौहिणी क्या होता है। और इस हिसाब से महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे ? तो 218,700 × 18 = 3,936,600 वह संख्या आती है।
महाभारत युद्ध में कितने लोग मरे थे और भगवान क्रष्ण
दोस्तों आपको यह तो पता है कि यदि महाभारत के युद्व के अंदर क्रष्ण पांड़वों का साथ नहीं देते तो पांडव कभी जीत ही नहीं पाते थे । और वैसे देखा जाए तो क्रष्ण के बिना पांडवों की इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वे कौरवों से युद्व कर सके । अर्जुन खुद ने भी यह सोच लिया था कि भाइयों के खिलाफ युद्व करने से अच्छा है। वह वन के अंदर चले जाएं और वहीं पर जीवन बितादें ।वैसे देखा जाए तो अर्जुन का फैसला गलत था। और शायद यह अर्जुन भी जान चुके थे कि यदि क्रष्ण उनकी मदद नहीं करेंगे तो वो इस युद्व को किसी भी हाल मे नहीं जीत पाएंगे ।महाभारत का युद्व पूरे 18 दिन तक चला था। उसके बाद पांडवों की जीत के साथ ही युद्व समाप्त हुआ था। वैसे क्रष्ण की रचाई यह सब लीला ही थी।
धर्म की वजह से लड़े थे क्रष्ण
दोस्तों आपको क्या पता है कि क्रष्ण ने कौरवों का साथ क्यों दिया था? यदि आपको नहीं पता तो आपको बता देते हैं। कि पांडव श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे थे । और क्रष्ण ने अपने बुआ के बेटे होने की वजह से पांड़वों का साथ नहीं दिया । वरन उन्होंने इसलिए पांडवों का साथ दिया । क्योंकि कौरव पांड़वों से बल पूर्वक उनके अधिकार को छीन लेना चाहते थे । और यदि क्रष्ण भगवान होकर उनका साथ ना देते तो यह सरासर अन्याय हो जाता है। इसी वजह से क्रष्ण ने पांड़वों का साथ दिया था।
क्रष्ण कर सकते थे क्षण भर मे युद्व को खत्म
दोस्तों क्रष्ण के पास अनेक अदभुत ताकते थी और ऐसा माना जाता है कि क्रष्ण इस युद्व को बहुत ही आसानी से समाप्त कर सकते थे । लेकिन वे ऐसा नहीं करना चाहते थे । यदि वे ऐसा गुपचुप तरीके से कर देते तो दुनिया को यह पता नहीं चल पाता कि भगवान क्या चाहते हैं ? इसी वजह से अर्जुन के साथ होकर उन्होंने अपने काम को अर्जुन से पूरा करवाया ताकि लोगों को एक अच्छा संदेश जा सके कि बुराई करने वाला चाहे कितना भी तकतवर क्योंना हो उसे एक दिन झुकना ही पड़ता है। और बुराई का अंत हमेशा अच्छाई ही करती है।
धर्म और मानवता सर्वोपरी
महाभारत का युद्व केवल एक युद्व ही नहीं था। वरन उसके अंदर ऐसी बहुत सी चीजे हैं। जिनसे हम सीख सकते हैं।जब अर्जुन ने युद्व के अंदर जाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अपने भाइयों के खिलाफ नहीं लड़ सकता है तब क्रष्ण ने गीता का उपदेश दिया और कहा कि भले ही वे तुम्हारे भाई हैं। लेकिन वे अनिति का साथ देने वाले पापी हैं। और एक इंसानियत के नाते अर्जुन को युद्व करना चाहिए।क्रष्ण ने गीता का जो उपदेश दिया है। वह सदियो सदियों के लिए अमर हो गया है। और आज भी हम लोग गीता को पढ़ते हैं।
बर्बरीक को क्यों नहीं बनने दिया गया युद्व का हिस्सा
दोस्तों आपको पता होगा कि बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच के बेटे थे और उन्होंने तप करके शिव से तीन बाण भी प्राप्त किये थे ।और वे तीनों बाएा अजय थे । मतलब वे बाण कभी भी खाली नहीं जा सकते थे । और इस वजह से वे पूरे महाभारत का परिणाम बदल सकते थे । बर्बरीक की माता को यह डर था कि कभी भी उसकी ताकतो का दुरपयोग ना हो । इसलिए उसे कहा गया था कि वह हमेशा हारते हुए पक्ष का साथ देगा । और क्रष्ण को पता था कि उनके रहते पांडव हारेंगे नहीं और ऐसी स्थिति के अंदर बर्बरिक कौरवों का साथ देगा । इसी वजह से क्रष्ण ने उसको युद्व करने से रोक दिया था।
पीपल का पेड़ काटने से होते हैं यह 9 नुकसान