गोरखपुर भारत का सबसे बड़ा रेल्वे स्टेशन है। और इस स्टेशन के बाद कोल्लम जंक्शन, खड़गपुर और बिलासपुर रेलवे स्टेशन आते हैं।यदि आप कभी गोरखपुर गए होंगे तो आपने इस स्टेशन कि विशालता का अंदाजा लगाया ही होगा।इस लेख के अंदर हम आपको भारत के 5 सबसे बड़े रेल्वे स्टेशन के बारे बताने वाले हैं। और इनके बारे मे संक्षिप्त जानकारी देने वाले हैं।
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Gorakhpur Junction railway station 1,366.33 मीटर
Gorakhpur Junction railway station भारत के राज्य उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के अंदर स्थित है।इस रेलवे स्टेशन को पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय के नाम से भी जाना जाता है।6 अक्टूबर 2013 को, लगभग 1.35 किलोमीटर के फैलाव के बाद यह अब गोरखपुर भारत का सबसे बड़ा रेल्वे स्टेशन बन चुका है।यह पूर्वी उत्तर प्रदेश को बिहार, नेपाल और उत्तरी भारत से बिहार को भी जोड़ता है।गोरखपुर रेल्वे स्टेशन के अंदर रिटायरिंग रूम, वेटिंग हॉल, बुक स्टॉल, ऑरो वाटर मशीन, फूड स्टॉल, रेस्तरां, एटीएम, लिफ्ट जैसी आधुनिक सुविधाएं भी मौजूद हैं।
– नईदिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, विशाखापट्टनम, अमृतसर, दरभंगा, कामख्या, जम्मू तवी , बरेली, झांसी, बंग्लोर और मऊ जैसी जगहों से सीधे ही जुड़ा हुआ है।
- गोरखपुर और गोंडा के बीच वाली 135-मील मीटर-गेज गोंडा लूप, 1886 और 1905 के बीच बंगाल और उत्तर पश्चिम रेलवे ने बनाई थी।
- कप्तानगंज – सीवान मीटर-गेज लाइन थी 1913 के अंदर खोल दिया गया था।
- नैतनवा सन 1925 ई के अंदर खोली गई थी।
- गोरखपुर-सीवान खंड 1981 ई के अंदर शूरू हुआ था।
- कप्तानगंज-सीवान लाइन 2011 के आसपास बदल दी गई थी।
- इस रेल्वे स्टेशन का रीमॉडेलिंग 2009 में शूरू किया गया था।
- 6 अक्टूबर 2013 को इसके उदघाटन के साथ इसकी लंबाई 1,366.33 मीटर थी।
Chennai Central railway station 950 मीटर 16 platform
एमजीरामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन जिसे पहले मद्रास रेल्वे स्टेशन के नाम से भी जाना जाता था।यह दक्षिण भारत का सबसे व्यस्थ मार्ग है।मूर मार्केट कॉम्प्लेक्स रेलवे स्टेशन , चेन्नई सेंट्रल मेट्रो स्टेशन , चेन्नई पार्क रेलवे स्टेशन , पार्क टाउन रेलवे स्टेशन आदि से यहजुड़ा हुआ है। और सबसे लंबा रेल्वे स्टेशन भी है।आर्किटेक्ट जॉर्ज हार्डिंग ने इस रेल्वे स्टेशन को डिजाइन किया था।चेन्नई के प्रमुख स्थलों मे से एक माना जाता है।यह दक्षिण रेल्वे का वर्तमान मुख्यालय भी है।अंग्रेजी शासन काल के अंदर इस रेल्वे स्टेशन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता था।
55000 यात्री प्रतिदिन इस रेल्वे स्टेशन का उपयोग करते हैं। और इसका नाम भी कई बार बदला जा चुका है।
भारतीय उपमहाद्वीप के अंदर जब रेल्वे की शूरूआत हुई थी तो मद्रास रेल्वे स्टेशन 1856 के अंदर नेटवर्क बनाना शूरू किया था।पहला स्टेशन रॉयपुर के अंदर बनाया गया था।मद्रास रेल्वे स्टेशन का विस्तार करने के बाद यह अस्ति्व के अंदर आया था।मद्रास सेंट्रल को 1873 में पार्कपुरम में रोयापुरम बंदरगाह स्टेशन के रूप मे बनाया गया था।स्टेशन को खुले मेदानों के अंदर बनाया गया था जिसको जॉन परेरा का बाग के नाम से जाना जाता था।
ब्रिटिश शासन के दौरान मद्रास सेंट्रल दक्षिण भारतीय रेलवे कंपनी का एक हिस्सा था।पहले इसका मुख्यालय ट्रिचिनोपॉली के अंदर था। लेकिन बाद मे 1908 मे इसे उत्तरी टर्मिनल बना दिया गया था।
1980 के अंदर दक्षिणी रेलवे को टर्मिनस के विस्तार की आवश्यकता हुई।इस स्टेशन के बगल के अंदर भूमी की तलास थी।1985 ई के अंदर जब बाजार मे आग लग गई तो इस स्टेशन के पास की ईमारत नष्ट हो गई और उसके बाद वहां की जमीन को सरकार को स्थानान्तरित कर दिया गया ।रेलवे आरक्षण काउंटर बनाने के लिए सरकार ने यहां पर 13 मंजिला ईमारत का निर्माण करवाया था।भवन के सामने की भूमी को कार पर्किंग के रूप मे बनाया गया था।1996 ई के अंदर मद्रास का नाम बदले के बाद स्टेशन को भी चैन्नई सेंट्रल के नाम से जाना जाने लगा ।
बढ़ते यात्री भार की वजह से यहां पर और अधिक भवनों का निर्माण किया गया था।बहुमंजिला मूर मार्केट कॉम्प्लेक्स को चैन्नई स्टेशन के अंदर जोड़े जाने के बाद इस की क्षमता के अंदर और अधिक ईजाफा हो गया था।
- स्टेशन मे रेल्वे पटरियों की औसत लंबाई 600 मीटर है।
- लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए यहां पर 17 प्लेटफार्म हैं।
- उपनगरिय ट्रेनों के परिसर को मूर मार्केट के नाम से पहचानते हैं।
- मूर मार्केट कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग में 5 प्लेटफार्म हैं और उत्तर और पश्चिम की उपनगरीय गाड़ियों को संभालता है।
- यह रेल्वे स्टेशन प्रतिदिन US $ 95 मिलियन का राजस्व कमाता है।
- 2012-2013 तक यह सबसे ज्यादा आय पैदा करने वाला स्टेशन बन गया था।
- इस स्टेशन पर 1000 से अधिक दुपहिया वाहन के पार्किंक की सुविधा है। और यहां पर 3000 से अधिक टेक्सी प्रतिदिन आती हैं।
बकिंघम नहर के पार ब्रिज नंबर 7 है जो रेल्वे स्टेशनों को टमिर्नस से जोड़ता है।जिसकी लंबाई 33.02 मीटर है। 2001 में मंगलोर चेन्नई मेल की दुर्घटना के बाद रेल्वे ने पुराने पुल को बदलना शूरू कर दिया था तो 2011 तक सभी पुल को बदला जा चुका था।बेसिन ब्रिज ट्रेन केयर सेंटर कहा जाता है। जहां पर 18 से 24 कोचो के ट्रेनों की जांच की जाती है।इस यार्ड के अंदर 14 पिट लाइने हैं। और 2012 तक यहां पर लगभग 3500 कर्मचारी काम करते थे ।
New Delhi railway station 15 platform
यह रेल्वे स्टेशन अजमेरी गेट और पहाड़गंज के बीच पड़ता है।यह दिल्ली का मुख्य रेल्वे स्टेशन है और काफी व्यवस्थ भी रहता है। यहां पर कुल 16 प्लेट फोर्म हैं और लगभग 500,000 यात्रियों को संभालता है। लगभग 400 ट्रेन यहां से शूरू होती हैं।सन 2011 से पहले पुराने दिल्ली के अंदर ही रेल्वे स्टेशन था।आगरा दिल्ली रेल्वे लाइन को लुटियंस दिल्ली के नाम से जाना जाता है।ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 1926 को अजमेरी गेट और पाहडगंज के बीच रेल्वे लाइन की अनुमति दी थी। कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क मे स्टेशन बनाने की योजना को पहले ही खारिज कर दिया गया था।
1927 28 के बीच नई दिल्ली कैपिटल वर्क्स परियोजना के तहत नई रेल लाइन बिछाई गई और सन 1931 ई को रेल्वे स्टेशन का उदघाटन किया गया था।सन 2007 ई के अंदर Farrells का गठन किया गया जो रेलवे स्टेशन के आधुनिकिकरण से जुड़ा हुआ था।इस स्टेशन के आधुनिकिकरण के अंदर 60 बिलियन की लागत आई थी।ग्वालियर की एक कंपनी विवान सोलर ने सोलर पैनल लगाने का ठेका लिया था। जिसने रेल्वे स्टेशन को सोलर सिस्टम से लेस किया था।सन 2013 के अंदर 8 मिलियन डॉलर की लागत के साथ नई दिल्ली के स्टेशन को फ्री वाईफाई के साथ लैस किया गया था।
Chhatrapati Shivaji Terminus – 18 Platforms
भारत का सबसे बड़ा रेल्वे स्टेशन के अंदर यह दो 3 नंबर पर आता है।इसको विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से भी जाना जाता है। यह यूनेस्को का एक विरास्त स्थल है।ब्रिटिश आर्किटेक्चरल इंजीनियर फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस ने डिजाइन किया था। इसका निर्माण 1878 में किया गया था।17 वीं शताब्दी के संस्थापक शिवाजी को सम्मानित करने के लिए इसका नाम मार्च 1996 में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (स्टेशन कोड सीएसटी) के अंदर बदल दिया गया था।यह मध्य भारत के रेल्वे का मुख्यालय है। और काफी व्यस्थ मार्ग भी है।
बोरीबंदर रेलवे स्टेशन एक प्रमुख बंदरगाह था। और यहां से आयात निर्यात किया जाता है।और बड़ी मांगों को पूरा करने के लिए इसको एक बड़ा स्टेशन बनाए जाने की आवश्यकता थी।इस काम को 1878 मे शूरू किया गया था। और ब्रिटिश इंजिनियर को इस काम के बदले US $ 23,000 मिले थे । इसके काम को पूरा होने मे 10 साल लग गए थे जो काफी अधिक समय था।
जब इसको बनाया गया था तो इसके आगे के भाग मे रानी विक्टोरिया की एक संगमरमर की मूर्ति की स्थापना की गई थी। लेकिन सन 1950 ई के बाद सरकार के आदेश के बाद इसको हटा दिया गया था।
इस स्टेशन का नाम भी कई बार बदला जा चुका है।1853 से 1888 तक ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के टर्मिनस नाम था। उसके बाद महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में विक्टोरिया टर्मिनस नाम देदिया गया था। और 1996 में, इस स्टेशन का नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया और 2016 के अंदर इसका नाम 1996 में, इस स्टेशन का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस
sealdah railway station 20 प्लेटफोर्म
भारत का सबसे बड़ा रेल्वे स्टेशन के अंदर यह दूसरे स्थान पर आता है।सियालदह रेलवे स्टेशन कोलकाता और हावड़ा काफी व्यस्थ रेल्वे स्टेशन है।यहां पर प्रतिदिन 1.8 मिलियन से अधिक यात्री आते हैं।इस रेल्वे स्टेशन की शूरूआत सन 1869 ई के अंदर की गई थी।सियालदह में तीन स्टेशन टर्मिनल हैं: सियालदह उत्तर , सियालदह मुख्य और सियालदह दक्षिण।
सियालदह रेल्वे स्टेशन उत्तर का प्रमुख डिवीजन है और यहां से कोलकाता और हसनाबाद , बांदेल , गेदे , राणाघाट , शांतिपुर , कृष्णानगर , बेरहमपुर , लालगोला , दनकुनी , कटवा , बर्धमान , कांचरापाड़ा , बैरकपुर , कल्याणी, कल्याणी सिमंता के लिए ट्रेनों का संचालन होता है।नैरो-गेज लाइन जो क्रष्ण पुर को जोड़ती थी अब उसे बा्रड गेज के अंदर बदल दिया गया है।
IRCTC ने इस स्टेशन पर पहला कार्यकारी लाउंज खोला था।यह स्टेशन लगभग 2500 वर्ग फुट के क्षेत्र को कवर करता है। यहां पर आपको खाने पिने , बैठने की अच्छी सुविधाएं मिल जाएंगी ।
इस रेल्वे स्टेशन की प्रमुख रेल लाइन हैं
- सियालदह दम दम-नैहाटी-कल्याणी-कल्याणी सिमांता
- नैहाटी-कल्याणी-राणाघाट-ताहिरपुर-कृष्णानगर-बेरहामपुर-लालगोला
- नैहाटी-कल्याणी-राणाघाट-शांतिपुर-कृष्णानगर
- नैहाटी-कल्याणी-राणाघाट-गेद
- सियालदाह-दम दम-दनकुनी-कमरकुंडु-बर्धमान
- नैहाती-बंदेल-बर्धमान
- नैहाटी-बांदेल-नबाद्वीप धाम-कटवा
- बारासात-बोंगन
- दम-बारासात-हसनाबाद
- सियालदह-बल्लीगंज-मझरहाट-बीबीडी बाग-कोलकाता
- सियालदाह-बल्लीगंज-मझरहाट-बडगे बुडगे
- सियालदह-बालीगंज-सोनारपुर-कैनिंग
- सियालदह-बल्लीगंज-सोनारपुर-बारुईपुर-डायमंड हार्बर
- सियालदह-बालीगंज-सोनारपुर-बरूईपुर-Laxmikantapur
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