रात में डर लगे तो क्या करना चाहिए ? रात को डर लगने पर बचने के उपाय , व डर कितने प्रकार के होते हैं ? डर के कारण पर चर्चा करेंगे । हम सभी को रात के अंदर जाने से डर लगता ही है । और केवल कुछ इंसानों को छोड़ दें तो रात मे लगभग हर इंसान जाने से डरता है। खास कर जब हम रात को अनजान जगहों पर जाते हैं तो बहुत डरे हुए होते हैं कि कहीं पर भूत प्रेत ना दिख जाए और अधिकतर लोग भूतप्रेत और दूसरे ऐसे प्राणियों से ही डरते हैं जो सूक्ष्म जगत के अंदर है। और हम दूसरे इंसानों से इतना अधिक नहीं डरते हैं जितना की मुर्दों से डरते हैं।
कई जानकार यह बताते हैं कि डर हमारे दिमाग के अंदर जन्म जन्मों से बैठ गया है। और यह अभी भी हमे प्रभावित कर रहा है।इसपर आप प्रयोग करके भी देख सकते हैं। एक छोटा बच्चा जिसको डर का पता ही नहीं है वह भी अपने आप कुछ चीजों से डरने लग जाता है।
जब हम बच्चे थे तो भी हमे डरना सीखाया जाता था कि ऐसा नहीं करेगा तो भूत आ जाएगा । और आजकल के बच्चे इन चीजों को मानते हैं। उनका मानना होता है कि अंधेरे के अंदर बूरी शक्तियां आ सकती हैं। यही वजह है कि वे अंधेरे मे जाने से डरते हैं।
वैसे आपको बतादें कि भूत प्रेत एक अंधविश्वास नहीं वरन एक गहरा विज्ञान है जिसको समझने की जरूरत है। जिन लोगों को अनुभव हो चुका है वे इसको अच्छे से जानते हैं। लेकिन भूत प्रेत से डरने की नहीं वरन सावधानी रखने की जरूरत भी है। वरना यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
वैसे आपको बतादें कि 100 प्रतिशत निडर होना आपके लिए नुकसानदायी होता है क्योंकि आप अधिक जोखिम लेते हैं और नुकसान होता है। इसी प्रकार से पूरी तरह से डरना आपके कार्य के अंदर बाधा पैदा करता है। आइए इनको दो रियल कहानियों से समझने का प्रयास करते हैं।
हमारा ही एक रिश्तेदार था जिसका नाम सुखदेव था। यह बात है सन 2018 की । रात को वह कोई जागरण देखने के लिए गया था। और वह एक ऐसा इंसान था जिसका ना तो भूतप्रेत पर विश्वास ही था और ना ही वह डरता था।जब वह जागरण को देखकर रात को 1 बजे घर आया था तो जब घर मे आया तो पूरी तरह से पसीने से भीगा हुआ था। और बहुत अधिक डरा हुआ था। उसने बताया कि कोई जिन्न ने उसके उपर हमला कर दिया था।
सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उसके शरीर पर कहीं भी चोट नहीं लगी हुई थी। और घर वालों ने उसको पानी वैगरह पिलाया उसके बाद जैसे ही घरवालों ने उसको घर से बाहर डॉक्टर के पास ले जाने के लिए निकाला उसकी मौत हो गई।उसके बाद भी उनके घर मे जानवर वैगरह की मौते होती रही ।फिर इलाज करवाया गया तो दोस्तों इस कहानी से हमे यही संकेत मिलता है कि कभी कभी निडरता भी काफी घातक सिद्ध होती है।डर इसलिए जरूरी है ताकि हम सुरक्षित हो सके ।यदि हमारे अंदर डर ही नहीं होगा तो हम सुरक्षित नहीं हो पाएंगे ।
दूसरी कहानी है एक ऐसी महिला की जो अंधेरे मे जाने से ही डरती है।इस महिला का नाम सुमन देवी है जो कि अंधेरे मे जाने से बहुत अधिक डरती है। जब भी घर के अंदर लाइट नहीं होती है तो इसको काम करने मे काफी परेशानी होती है।कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि डर का होना जरूरी है क्योंकि यह आपको अपनी सीमा के अंदर बांधे रखता है।
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रात में डर लगे तो रिलेक्स हो जाएं
यदि आपको रात मे डर लगता है तो सबसे पहले रिलेक्स हो जाएं ।और आपके दिमाग के अंदर जो कुछ भी चल रहा है उसको बंद करदें । क्योंकि जब हम डरते हैं तो हमारे मन के अंदर बुरे बुरे विचार अपने आप ही आने लग जाते हैं। और यह यह बुरे विचार ही आपके डर का कारण बनते हैं।बहुत बार यह देखा गया है डरने जैसी कोई बात नहीं होती है लेकिन बारबार आते बुरे विचार हमको डरा देते हैं।
जैसे हम रात के अंदर अकेले कहीं पर जा रहे हैं तो किसी सुनसान स्थान पर हमारे मन मे आता है कि यहां पर कहीं भूत ना हो ।
और बार बार यही विचार दिमाग के अंदर घूमता रहता है जिसकी वजह से हम बुरी तरह से डर जाते हैं।जब भी आपके मन मे बुरे विचार आएं । बुरे विचारों को विराम दें रिलेक्स हो जाएं दिमाग को शांत करें ।
एक घूंट पानी पीयें
यदि आपके पास इस समय पानी है तो ठंडा पानी पीयें । क्योंकि डर के अंदर हमारे दिमाग और शरीर मे गर्मी बढ़ जाती है यह हमें रिलेक्स करने का काम करती है। जब आप पानी पीते हैं तो आपका दिमाग अधिक शांत होता है और यह बेहतर तरीके से डर से लड़ने मे मदद करता है।
डर के आधार को खोजे
दोस्तों आपको बतादें कि डर का आधार खोजना बेहद ही जरूरी होता है जिन चीजों से आप डरते हैं क्या सच मे उनसे डरना सही है या नहीं ? जैसे एक शेर से डरना सही है क्योंकि वह आपके जीवन को समाप्त कर सकता है लेकिन एक चिंटी से डरना बेकार है ।
तो आप अपने अंदर झांके और पता करें कि आप जिस भी चीज से डर रहे हैं क्या वह सच मे नुकसानदायी है ? यदि वह नुकसान दायी नहीं है तो फिर अपने डर को समाप्त करने का प्रयास करना होगा । कई बार इस प्रकार के आधार हीन डर विकसित हो जाते हैं।जिनका कोई मतलब ही नहीं होता है। जैसे बहुत सी महिलाएं चूहों से डरती हैं। चूहे डरने की कोई चीज नहीं हैं।
रात में डर लगे तो आपका अस्तित्व कभी भी खत्म नहीं होगा
सारे डर का आधार ही मौत होती है।कोई भी यह नहीं चाहेगा कि उसकी मौत हो जाए या वह मारा जाए । एक सांप , एक भूत और एक शेर से हम इसलिए डरते हैं क्योंकि हम समझते हैं कि हम मर जाएंगे लेकिन हकीकत यह है कि हम ना तो कभी मरे हैं और ना ही कभी मरेंगे क्योंकि हम आत्मा हैं शरीर नहीं हैं।
लेकिन हम खुद को शरीर ही समझते हैं। और शरीर के मरने पर शौक करते हैं। शरीर की सुंदरता को देखकर खुश होते हैं।यदि आप नहीं चाहते हैं कि आप डरें तो जब भी आपको डर लगे तो आपको यह याद नहीं रखना चाहिए कि कोई भी चीज आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है क्योंकि आप अस्तित्व हैं।
जिस तरीके से 0 को समाप्त नहीं किया जा सकता है उसी तरीके से आपको भी समाप्त नहीं किया जा सकता है।शरीर हो या ना हो लेकिन आप जरूरी ही रहेंगे ।
जब भी आपको डर लगे आपको अपने मन मे इस प्रकार के विचारों को लाना होगा उसके बाद आपके मन मे बैठा डर अपने आप ही दूर हो जाएगा । हालांकि इसके अंदर थोड़ा समय लग सकता है।
छोटे बच्चों को डराएं नहीं
आमतौर पर हम अपने से छोटे बच्चों को डराते रहते हैं कि बेटा अंधेरे मे मत जाना नहीं तो भूत आ जाएगा । या अंधेरे मे जाओगे तो बंदर आ जाएगा । यदि आप बार बार उनको डराएंगे तो उनके मन मे डर घर कर जाएगा । और वे डरपोक बनते चलें जाएंगे ।
यदि आपका कोई बच्चा डरता है तो उसके डर को निकालने का प्रयास करें ताकि वह डरना बंद करदे । बच्चे को यह कभी नहीं बताएं कि अंधेरे मे जाने से क्यों डरना चाहिए वैगरह ताकि वह साहसी और निडर बने ।
एक सहासी और निडर बच्चा आपके लिए काफी काम आएगा ।क्योंकि वह हर प्रकार की समस्या से आसानी से लड़ सकता है।
रात में डर लगे तो डर का सामना करें
यदि आपको किसी चीज से डर लगता है तो उसके डर को दूर करने के लिए आपको उसका सामना करना होगा । जैसे आपको अंधेरे से डर लगता है तो आपको अंधेरे का सामना करना होगा और तभी आप उस डर को जीत सकते हैं।
इसके लिए आप किसी भी अंधेरे कमरे मे खुद को आपको बंद कर लेना है। उस समय आपका मन बहुत घबरा सकता है लेकिन आपको शांत रहना है क्योंकि आप मन नहीं हैं। आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। पहली बार आपको ऐसा करने मे काफी परेशानी होगी लेकिन कुछ दिन आप इसी प्रकार से करते रहेंगे तो उसके बाद आपको कुछ भी परेशानी नहीं होगी और फिर धीरे धीरे आपके मन के अंदर का डर निकल जाएगा ।
लेकिन डर का सामना करने के लिए भी आपको हिम्मत से काम मे लेना होगा । इसी प्रकार से जिस भी चीज से आपको डर लगता है बस आपको उसी का सामना करना होगा ।
अपने मन को कंट्रोल करें
डर का कारण आपका मन ही होता है। आपके मन के अंदर जब कोई विचार अकारण ही आने लग जाता है तो उसका कारण डर होता है। अपने मन मे आने वाले बेकार के विचारों को विराम लगाने की क्षमता आपको विकसित करनी होगी । अपने मन को पूरे दिन ध्यान से देखते रहें और उसके बाद जो भी डर से संबंधित विचार आपके मन मे आएं उनको रोकने का प्रयास करें और डर के विरोधी विचारों को विकसित करें । ऐसा करने मे आपको समय लग सकता है लेकिन धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा ।
डेंजर फिल्मों को देखना
डर को दूर करने मे डेंजर फिल्में भी काफी सहायक होती हैं। यदि आप दब्बू किस्म की फिल्में देखते हैं तो आप भी उसी प्रकार से धीरे धीरे बन जाते हैं तो आप एडवेंचर प्रकार की फिल्में देख सकते हैं। जिनके अंदर हीरों बिना डरे बहुत से खतरनाक कार्यों को अंजाम देता है।
इस प्रकार की फिल्में जिनके अंदर एक हीरो 100 व्यक्तियों का गला काट देता है और जब वह मरता भी है तो शान से मरता है। इन फिल्मों को आपको निरंतर देखना चाहिए । ऐसा करने से आपके अंदर की जो कायरता है वह अपने आप ही दूर होती चली जाएगी ।
अच्छी धर्म की किताबें भी पढ़ें
दोस्तों आपके मन के अंदर बैठे डर को दूर करने के लिए धर्म की किताबें आप पढ़ सकते हैं। यह आपके लिए काफी फायदेमंद होती हैं और आपको अपने जीवन के मर्म को समझने मे काफी मदद करती हैं। एक बार जब हमे अच्छी तरह से अपने जीवन का मर्म समझ मे आ जाता है तो उसके बाद आप आसानी से हर प्रकार के डर का मुकाबला कर सकते हैं। क्योंकि आपको बाद मे यह पता चल जाता है कि जिन चीजों से आप डर रहे थे वे आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती हैं।
इन अच्छी किताबों के अंदर आप गीता पढ़ सकते हैं और सांख्य या वेदांत भी पढ़ सकते हैं।सिर्फ पढ़ने से ही कुछ फायदा नहीं होने वाला है वरन आपको इन किताबों को अपने जीवन के अंदर उतारना होगा तभी कुछ फायदा मिल सकता है।
आप एक कायर इंसान नहीं हैं
जहां पर आप सोते हैं उसके सामने आप उपर लिखे वाक्य को लिखकर टांग दें । और सोने से पहले और उठने के बाद आप इसको अच्छी तरह से पढ़ें और इसके बारे मे अमल करने पर विचार कर सकते हैं। ऐसा करने का फायदा यह है कि धीरे धीरे आपकी मानसिकता के अंदर यह बदलाव आने शूरू हो जाएंगे कि आपको डरना नहीं है
क्योंकि आप एक कायर इंसान नहीं हैं। जब भी आपको डर लगने लगेगा आपको यह लाइन आ जाएगी और आपके अंदर उस डर का मुकाबला करने की क्षमता विकसित हो जाएगी ।
इस प्रकार की लाइन दिखने मे बहुत ही छोटी होती है लेकिन यह बहुत ही कारगर साबित होती हैं।
एक डॉक्टर से मिलें
यदि आपको डर की काफी गम्भीर समस्या है तो फिर आप एक डॉक्टर से मिल सकते हैं। आमतौर पर बहुत से लोगों को फोबिया की समस्या होती है। यदि आपको भी इस प्रकार की समस्या है तो डॉक्टर से अवश्य ही मिलें । डॉक्टर कुछ दवाओं की मदद से आपका ईलाज कर सकते हैं।
ध्यान करें
दोस्तों ध्यान का डर को दूर करने से सीधा कनेक्सन नहीं है लेकिन इसके बाद भी ध्यान की मदद से आप अपने अंदर के डर को दूर जरूर कर सकते हैं। रोजाना जब भी आपको समय मिले ध्यान करने की कोशिश करें और इसके लिए अपने मन को एकाग्र करें ।
जैसे जैसे आपके मन की एकाग्रता शक्ति के अंदर बढ़ोतरी होती जाएगी आपके अंदर हर प्रकार के डर का मुकाबला करने की क्षमता भी विकसित होती चली जाएगी । यदि आप लगभग 5 महिने तक लगातार ध्यान करते रहेंगे तो आपके मन मे मौजूद दर अपने आप ही दूर हो जाएगा ।
सब कुछ प्रारब्ध के अधीन है
यदि आप हिंदु हैं तो आपको यह समझना चाहिए कि सब कुछ प्रारब्ध के अधीन है । हिंदु लोग कर्म सिद्धांत के अंदर विश्वास करते हैं जिसका मतलब यह है कि आपने जो पीछले जन्म मे कर्म किये थे उनसे ही आपाके यह जन्म मिला है। प्रारब्ध कर्म अपने आप ही आपके शरीर की रक्षा करते हैं या करवाते हैं । इसके अंदर आपको अधिक कुछ करने की जरूरत नहीं है। जिस दिन समय आएगा । उस दिन आप कितना भी डरें मौत आ ही जाएगी ।
यदि आपको रात के अंधेरे मे डर लगता है तो उपर दिये गए बिंदुओं पर अच्छी तरह से विचार करें और उनको फोलों करें आपका डर अपने आप ही दूर हो जाएगा । बस रात के अंधेरे मे अकेले निकल जाएं और आप देखेंगे कि डर अपने आप ही गायब हो जाएगा । हालांकि पहले आपको साहस बढ़ाना होगा ।
डरावनी कहानियों से दूर रहें
भूत प्रेत की अनेक कहानियां टीवी पर आती हैं जो काफी डरावने हैं। इस प्रकार के डरावने धारावाहिक यदि आप बच्चों को दिखाते हैं तो उनके मन मे रात मे कहीं जाने से डर बैठ जाएगा । और कुछ बच्चे तो इतना अधिक डर जाते हैं कि अंधेरा होने पर अपने घर के रूम मे भी नहीं जा सकते हैं।इसलिए यदि आप अपने बच्चों का डर दूर करना चाहते हैं तो उनको इन डरावनी कहानियों से दूर ही रखें । जब वे समझदार हो जाए तो दिखाया जा सकता है।
डरावनी बातें बच्चों के सामने ना करें
यदि आप घर के अंदर भी कोई डरावनी बातें करते हैं तो उनको बच्चों के सामने कभी नहीं करना चाहिए । क्योंकि डरावनी बातें बच्चों के सामने करने से वे बच्चे भी डरपोक हो जाएंगे । इसलिए डरावनी बातें ना कर साहसी बातें बच्चों के सामने करें ।
डर के कारण
अब तक हमने डर के उपायों के बारे मे चर्चा की है। आइए अब जानते हैं कि डर क्यों लगता है वे कौनसे कारण हैं जिसकी वजह से हमे डर लगता है ताकि हम डर को सही तरह से समझ सकें।
डर की भावना अंदर भरने से
आमतौर पर जब कोई बच्चा होता है तो उसे हम किसी ना किसी बात को लेकर डराने की कोशिश करते हैं। खास कर तब जब वह नहीं मानता है तो उसे तरह तरह से डराने की कोशिश करते हैं।जैसे कोई बच्चा जिदृी है तो उसे पीटेंगे या फिर किसी भूत का डर दिखाएंगे । और अंधरे मे लेकर जाएंगे । इस प्रकार से हम बच्चों के साथ करते ही रहते हैं। ऐसा करने से बच्चे के अंदर धीरे धीरे से डर बैठ जाता है ।
खासकर जो चीजें हमे नुकसान पहुंचाती हैं उनको लेकर हम बच्चे को आगाह कर सकते हैं।जैसे बच्चों के सामने बिल्ली गुजरती है तो हम उनको डरा देते हैं । कहते हैं कि बिल्ली खा जाएगी । कुत्ते से भी उसे डराते हैं।
चोट लगने वाले कार्यों से डर पैदा होना
जिस काम से बच्चे को चोट लगती है या दर्द होता है उसके प्रति उसके मन मे अपने आप ही डर पैदा हो जाता है। यह डर बच्चे को नेचुरली रूप से मिलता है जो उसकी रक्षा करने के लिए काफी उपयोगी होता है।जैसे यदि कोई बच्चा आग के अंदर हाथ देदेता है तो उसका हाथ जल जाता है और उसे यह पता चलता है कि आग मे हाथ देने से कितनी परेशानी होती है। इस प्रकार से उसके अंदर आग के प्रति डर पैदा हो जाता है।इसी प्रकार से उंचाई वैगरह के प्रति भी बच्चे के अंदर डर पैदा हो जाता है।
टीवी और फिल्मों को देखने से
आमतौर पर बच्चों को भूत प्रेत की फिल्में बहुत अधिक पसंद होती हैं। बच्चे इन फिल्मों के अंदर देखते हैं कि अंधेरे मे कोई भूत होता है जो काफी भयंकर होता है और अंधेरे मे जाने से वह मार देता है। इसी प्रकार से कई फिल्मे देखने पर उनके मन मे अंधेरे के प्रति डर पैदा हो जाता है। और जब भी बच्चे अंधेरे के अंदर जाते हैं तो उनके मन मे वही फिल्म वाले द्रश्य याद आने लग जाते हैं।ऐसी स्थिति मे वह डरने लग जाते हैं।
कई तरह की डरावनी फिल्में होती हैं जो डर पैदा करती हैं। जब कभी हम भी बच्चे थे तो कई डरावनी फिल्मे देखा करते थे तो अंधेरे मे जाने पर हमे भी डर लगता था।और कई बार तो इतना अधिक डर जाते थे कि रात को डर कर रोने लगते थे । कई बार घर वाले जागकर बताते थे कि जब डर लगता है तो डरावनी फिल्मे देखते ही क्यों हो ।
डरावनी कहानियों को पढ़ने और सुनने से
आमतौर पर हर इंसान के पास डरावनी कहानियां होती हैं।और घर के सदस्य जब शाम को आस पास बैठते हैं तो वे डरावनी कहानियों को बताते हैं। यह कहानियां बच्चे भी सुनते हैं। ऐसी स्थितियों के अंदर उनके अंदर अंधेरे मे जाने से डर पैदा हो जाता है।
आस पास की भूत प्रेत की घटनाओं की कहानियां काफी प्रभावी होती हैं। हमारे घर के अंदर सुनाई जाने वाली कहानी कई हैं। लेकिन हम यहां पर एक का ही जिक्र करना चाहेंगे । जो मेरी दादी हुआ करती थी
वह सुबह 4 बजे उठी और टॉयलेट गई। उस समय घर से बाहर टॉयलेट जाते थे तो उसके साथ एक प्रेतनी आ गई । मेरी दादी चक्की पीसने लगी तो साथ ही वही प्रेतनी भी पीसने लगी थी।और उसके बाद मेरी दादी चिलाई तो पास मे सोये दादा आये तो प्रेतनी भाग गई। यह एक आम कहानी थी जो मेरे घर के अंदर कई बार सुनने को मिलती थी। इस प्रकार की कहानियों से भी डर पैदा हो जाता है।इसके अलावा कुछ बच्चे डरावनी कहानियों को भी पढ़ते हैं। जिससे उनके मन मे भय उत्पन्न होता है।
विभत्स द्रश्य
विभत्स द्रश्य भी डर का कारण बनता है। यदि आपके हाथ कोई ऐसा विडियो लग जाता है जिसके अंदर एक भयंकर एक्सीडेंट हुआ है और इंसानों की दर्दनाक मौत हुई है तो यह आपको डरा सकता है और आपके अंदर डर को भी बैठा सकता है।और जब भी आप कहीं पर गाड़ी वैगरह के अंदर जाते हैं तो फिर कुछ भी थोड़ा सा गड़बड़ होता है तो आप डर जाते हैं।
मौत का डर
सारे डर सिर्फ इसलिए होते हैं ताकि मौत से बचा जा सके । लेकिन धर्म कहता है कि हम लोग कभी मरते नहीं हैं और जो मरता है वह शरीर है। हम शरीर नहीं हैं। कोई भी डर हो वह सिर्फ हमे मौत से बचाने का कार्य करता है। यदि मौत का डर हमसे निकल जाता है तो फिर किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता है।
डर कितने प्रकार के होते हैं ?
वैसे दोस्तों बतादें कि डर कई तरह के हो सकते हैं। जिन सभी के बारे मे यहां पर वर्णन करना संभव नहीं है लेकिन हम यहां पर कुछ मुख्य डर के बारे मे चर्चा करते हैं जिससे चीजें आपको सही तरीके से समझ मे आ सकें।
असफल होने का भय
बहुत से लोगों के अंदर असफल होने का भय विकसित हो जाता है। आमतौर पर जब कोई इंसान कई कार्यों के अंदर लगातार असफल होता है तो उसमे यह भय विकसित हो सकता है। और उसके बाद वह जो भी कार्य करने की कोशिश करता है उसे यही लगता है कि वह असफल हो जाएगा ।
वह इस डर की वजह से इतना अधिक संवेदनशील हो जाता है कि वह काम के सिर्फ नगेटिव पक्ष पर ही विचार करता है। और अनावश्यक रूप से सोचता है।
आम लोगों के सामने बोलने का भय
इस प्रकार का भय तो बहुत से लोगों के मन मे होता है।यदि आप उनको किसी के सामने बोलने को कहेंगे तो वह बोल नहीं पाएंगे । क्योंकि उनको यह लगता है कि ऐसा करने से सामने वाला क्या कहेगा ।जिसको भी बोलने का डर है तो उसे अधिक से अधिक बोलने का प्रयास करना चाहिए तभी तो यह डर दूर होगा ।इस प्रकार के डर की वजह से बहुत से लोगों को जब बोलना होता है तो वे सब कुछ भूल जाते हैं।
अस्वीकृति का भय
कुछ लोगों को अस्वीकृति का भय भी होता है। इसी वजह से वे किसी दूसरे से अपना सुझाव कहने से बचते हैं। एक लड़की को भी इसी प्रकार की समस्या थी उसने बताया कि वह एक लड़के से प्रेम करती है। लड़का अच्छा है लेकिन वह इस डर से उसे कभी नहीं कह पाई कि कहीं लड़का मना ना करदें ।वह उस मना को सहन नहीं कर सकती थी। उसके मन मे भय बना हुआ था तो इस प्रकार का डर भी हो सकता है।
पानी मे डूबने का भय
इस प्रकार का भय तो बहुत से लोगों को होता है पानी के अंदर डूबने का डर उनके अंदर गहराई से बैठा होता है। इस प्रकार के डर के विकसित होने के कारण अज्ञात हो संकते हैं संभव है कि यह उनके पीछले जन्म मे हुई मौत का डर हो सकता है।कई मनोवैज्ञानिक रिसर्च से यह पता चलता है कि पीछले जन्म मे यदि कोई इंसान उंचाई से गिरकर मरता है तो उसे इस जन्म मे डर लगने लग जाता है।
उंचाई से डरना
उंचाई से भी बहुत लोगों को डर लगता है। और यह मेरे खुद की भी समस्या रह चुकी है। जब उंचाई पर लोग जाते हैं तो उनको बहुत अधिक डर लगने लग जाता है और तो और कई चक्कर खाकर गिर भी जाते हैं।इस प्रकार के लोग उंचाई पर जाने से डरते हैं। और जब तक वे अपने इस डर का सामना नहीं करेंगे तब तक डर उनके दिमाग से नहीं निकल पाएगा ।
गाड़ी चलाने का भय
गाड़ी चलाने का भय भी आम भय होता है। और इस प्रकार का भय कुछ लोगों मे बहुत अधिक होता है। जब वे गाड़ी चलाना सीखते हैं तो उनको बहुत अधिक डर लगने लग जाता है दिल तेजी से धड़कता है और वे सही से सोच भी नहीं पाते हैं। हालांकि बाद मे इसको धीरे धीरे निकाला जा सकता है।
परीक्षा का भय
परीक्षा का भय तो कुछ लोगों के अंदर देखने को ही मिलता है। जब परीक्षा का समय आता है तो इस प्रकार के लोग खाना पीना छोड़ देते हैं और कुछ लोग तो इतने अधिक डिप्रेशन मे आ जाते हैं कि सुसाइड भी कर लेते हैं। परीक्षा के भय को समाज के द्धारा उत्पन्न किया जाता है क्योंकि बच्चों को ही यही सीखाया जाता है कि यही परीक्षा उसके जीवन को निश्चित करेगी । इससे बच्चा बुरी तरह से डर जाता है और कुछ की तो हालत ही खराब हो जाती है।
बिजली और बंवडर का भय
बारिश के मौसम मे जब बिजली चमकती है और बादल तेज गर्जना करते हैं तो भी भय लगता है। इस प्रकार का भय जिन लोगों को होता है वे बाहर जाना पसंद नहीं करते हैं और बादल की तेज गर्जना की वजह से घर मे कहीं पर छुप जाते हैं।
कैंसर और बीमार हो जाने का भय
इस प्रकार का भय भी कुछ लोगों को होता है। इस प्रकार के भय से ग्रस्ति व्यक्ति सदैव बहुत अधिक सावधानी मे रहते हैं और किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचते हैं। एक बैंक मैनेजर को इसी प्रकार की समस्या था जो बार बार अपने हाथों को साबुन से धोता था दिन के अंदर नजाने कितनी बार वह ऐसा करता था।उसे यह लगता था कि यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो बीमार हो जाएगा । बीमारी के नाम से उसे बहुत अधिक डर लगता था।
भीड़ और सुनसान जगह जाने का डर
कुछ लोगों को भीड़ से बहुत अधिक डर लगता है ।जब भी वे भीड़ के अंदर जाते हैं उनको यह लगता है कि यह भीड़ उनके उपर हमला कर सकती है या फिर उनको इससे नुकसान हो सकता है। हालांकि उनका भय निराधार होता है। इसी प्रकार से कुछ लोगों को सुनसान स्थान पर जाने से भी डर लगता है।इस प्रकार के डर के पीछे क्या कारण है ? इसका तो पता नहीं है लेकिन यह डर उनके मन मे काफी गहराई से बैठा होता है।
उड़ान का भय
कुछ लोगों को उड़ान से भी बहुत अधिक भय लगता है। जैसे यदि वे हवाई जहाज या फिर किसी झूले पर उंचाई पर जाते हैं तो उनको बहुत अधिक भय लगता है। इतना अधिक भय लगता है कि वे रोने लग जाते हैं।एक बार जब हम किसी मेले के अंदर गए थे तो एक महिला झूले पर चढ़ तो गई लेकिन झूलने के दौरान वह बहुत अधिक डर गई और उसके बाद जब उतरी तो वह बुरी तरह से पसीने से तर हो चुकी थी।जिन लोगों को प्लाइट वैगरह से डर लगता है वे काफी परेशान हो जाते हैं।
मकड़ी का भय
कुछ लोगों को मकड़ी का भी भय होता है।अर्कनोफोबिया मकड़ी के डर को ही कहा जाता है।वैसे तो हम अपने पास मकड़ी को देखते ही डर जाते हैं लेकिन यह डर नहीं है। यह आमतौर पर मकड़ी से बचने के लिए की जाने वाली प्रतिक्रिया होती है।जिन लोगों को मकड़ी के डर की गम्भीर समस्याएं होती हैं वे लोग तहखाने के अंदर जाने से डरते हैं या फिर वे कई बार तो घर तक छोड़ देते हैं।
इसका कारण यह होता है कि उनको लगता है कि घर के अंदर मकड़ी मौजूद हो सकती है।इस प्रकार के डर के विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सांस्कृतिक की वजह से भी इस प्रकार का डर विकसित हो सकता है। जैसे अफ्रिका के कुछ क्षेत्रों मे मकड़ी को खाया जाता है तो वहां के लोग मकड़ी से नहीं करते हैं लेकिन जिन क्षेत्रों के अंदर मकड़ी को नहीं खाया जाता है वहां पर लोग इससे डरते हैं।
वैसे तो मकड़ी से भय होने पर डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती है। इसका कारण यह होता है कि इस प्रकार के भय का निदान स्वयं ही किया जा सकता है लेकिन डॉक्टर से परामर्श आवश्य ही लिया जा सकता है।
वैसे आपको बतादें कि अधिकतर मकड़ियों की प्रजाति मनुष्य के लिए अधिक नुकसानदायी नहीं होती है। इसलिए यदि आपको मकड़ियों से डर लगता है तो आप एक बार उनका सामना करके देख सकते हैं।और ऐसा करने से आपके अंदर का डर धीरे धीरे अपने आप ही निकलने लग जाएगा ।
अपने घर के अंदर भी मकड़ियों के जाले वैगरह ना लगने दें और अंदर साफ सफाई को रखें । खुद को मकड़ियों से भी आप दूर रख सकते हैं।यह एक बुरे अनुभव से भी पैदा हो सकता है और यदि आपको वह बुरा अनुभव याद है तो उसे लेकर दूसरों से परामर्श भी कर सकते हैं।
अनिश्चितता का डर
इस प्रकार का भय कई लोगों को होता है। उनको एक अनजाना ही भय सताता रहता है। उनको यही लगता है कि कुछ बुरा होने वाला है। लेकिन पूछने पर वे नहीं बतापाते हैं क्या बुरा होने वाला है? इस प्रकार के भय से ग्रस्ति व्यक्ति पूरे दिन परेशान होते रहते हैं वे काफी बैचेन दिखाई देते हैं।हालांकि इस प्रकार का भय किसी हार्मोन के असंतुलन से हो सकता है। डॉक्टर से परामर्श करना बहुत उपयोगी होती है।
सोने का डर
कुछ लोगों को यह अजीब प्रकार का डर भी होता है। वे ठीक से सो नहीं पाते हैं उनको यह लगता है कि यदि वे आज सो गए तो कभी भी उठ नहीं पाएगें ।इसी वजह से वे सो नहीं पाते हैं। इस प्रकार के डर का समाधान भी वे खुद ही कर सकते हैं।जैसा कि हमने बताया आप कभी नहीं मर सकते हैं ।इसका मतलब यह है कि यह शरीर आपका नहीं है आप बस इसका यूज ही कर रहे हैं।
परफेक्ट ना होने का डर
आजकल हर इंसान खुद को परफेक्ट साबित करना चाहता है। और वह चाहता है कि वह हर तरह से परफेक्ट ही दिखे । इस प्रकार का फोबिया भी लोगों को हो जाता है।
चेतन और अवचेतन के अनुसार डर के प्रकार Types of phobia
उपर हमने कई तरह के डर के प्रकार बताए थे । अब हम डर को चेतन और अवचेतन के आधार पर बांटने वाले हैं। आजकल पूर्व जन्म थैरेपी जैसी चीजें आने के बाद डर का इसी प्रकार से उपचार किया जाता है।
चेतन डर
चेतन डर वह होता है तो इस जन्म की घटनाओं से पैदा होता है। जैसे आप ने किसी को उंचाई से गिरते हुए देखा तो आपके मन मे उंचाई को लेकर डर पैदा हो गया । इस प्रकार के डर का उपचार करना आपके लिए काफी आसान होता है क्योंकि आपके सामने सब कुछ स्पष्ट हो जाता है।
अवचेतन प्रकार का डर
यदि आपके इस जन्म मे किसी भी प्रकार की कोई घटना उस डर से नहीं घटी लेकिन उसके बाद भी आपको डर लगता है तो संभव है कि वह आपके पीछले जन्म से संबंधित हो सकती है।जैसे एक बुक के अनुसार यदि कोई इंसान पीछले जन्म मे उंचाई से गिर कर मर गया था तो इस जन्म मे उसे उंचाई से डर लगेगा।
हालांकि इस जन्म मे वह पीछे जन्म की याद याद नहीं रख पाने की वजह से उसे इस डर का कारण समझ नहीं आएगा । लेकिन पास्ट लाइफ रिग्रेसन के अंदर यह पता चलेगा और इसी प्रकार से उसका यह डर दूर किया जा सकता है।
रात में डर लगे तो क्या करें लेख के अंदर हमने यह जाना कि डर को किस प्रकार से दूर किया जाता है और रात मे डर लगने के पीछे क्या क्या कारण हो सकते हैं?
This post was last modified on January 22, 2021