यदि आप लड़कियों एक पल नजर डाले तो आपको अधिकतर लड़कियां सुंदर ही नजर आएंगी । हांलाकि कुछ लड़कियां कम सुंदर होती हैं तो कुछ अधिक होती हैं। लेकिन कुछ लड़कियां इसका अपवाद भी होती हैं। यदि हम अपवाद को नगण्य मान लें तो हम कह सकते हैं कि अधिकतर लड़कियां सुंदर होती हैं। वैसे देखा जाए तो अलग अलग लडकी के अंदर सुंदरता भी अलग अलग होती है।
जैसे किसी लड़की की कमर अधिक सुंदर होती है तो किसी का चेहरा । लेकिन क्या आपने इस बात पर सोचा है कि लड़किया हमेशा लड़कों से अधिक सुंदर क्यों होती हैं। आज हम इसी बारे मे बात करने वाले हैं कि नेचर ने लड़कियों कों इतना सुंदर क्यों बनया । ऐसी क्या वजह थी कि लड़कियों को लड़कों से अधिक सुंदर बनाना पड़ा । हांलाकि इसका हमारे पास कोई खास वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं है फिर भी हम यहां पर नेचर के इस उदेश्य को जानेंगे।
हांलाकि इस व्याख्या पर लड़कियों को आपती भी हो सकती है।
लड़कियों के सुंदर होने के पीछे कुछ कारण रहे हैं जिनमेसे कुछ का जिक्र हम यहां पर करना चाहेंगे।
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नर को रिझाने के लिये
मादा को सुंदर बनाने का एक कारण यह भी रहा होगा कि मादा अपनी सुंदरता से नर को रिझा सकती है। यदि वह सुंदर नहीं होगी तो उसकी ओर नर आकर्षित नहीं होंगे और विकास की प्रक्रया रूक जाएगी । शायद नेचर को यह पहले से ही पता था कि आने वाले समय मे इंसान न केवल यौन आनन्द का विकल्प तलास करलेगा वरन वह आत्मनिर्भर बनने मे भी कामयाब होगें जैसा की अब हो रहा है अनेक तरह के टॉय बाजार के अंदर आ चुके हैं।
लेकिन वे स्त्री की आवश्यकता को पूरा करने मे अभी भी सक्षम नहीं हैं। स्त्री और पुरूष इस सुंदरता की वजह से एक दूसरे के आकर्षण मे बंधे रहे जिससे आगे जीवन की उत्पति हो सके । मानलिजिये कोई स्त्री सुंदर नहीं है तो कोई मर्द उसकी ओर नहीं देखेगा । यदि सारी स्त्रियों को वैसा ही बना दिया जाता तो नेचर का उदेश्य पूरा नहीं हो पाता । शायद इसलिये नेचर ने स्त्री को अधिक सुंदर बनाया होगा कि वह नर को आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर सके। लेकिन यदि जानवरों की बात की जाए तो नर मादा के अंदर कोई एक अवश्य ही सुंदर होता है। इसका सीधा सा अर्थ है कि यह सुंदरता उनको जीव की उत्पति करने मे मदद करती है।
प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिये
यह बहुत की कम लोगों को पता है कि अधिक सुंदर स्त्री की प्रजनन क्षमता भी अधिक होती है। यह बात तो शोधों के अंदर सिद्व हो चुकी है। इसका कारण है कि एस्ट्रोजन हार्मोन वक्षों व नितम्बों की बढ़ोतरी के लिये जिम्मेदार है। और यही हार्मोन अंडाणुओं के उत्सर्ग के लिये जिम्मेदार है। कमर का पला होना भी अधिक प्रजनन क्षमता का सूचक रहा है।
स्त्री की सुरक्षा
दुनिया के आरम्भ के अंदर से ही शक्ति का नियम प्रभावी रहा है । इसलिये पहले स्त्री को पुरूष के बाद ही भोजन करना पड़ता था । इस बात के प्रमाण आपको आज भी मिल जाएंगे। और इसलिये स्त्री के जीवन की रक्षा करने के लिये नेचर को उसे एक उर्जा स्त्रोत देना था जोकि वसा के रूप मे दिया है। ताकि भुखमरी या अन्य किसी स्थिति के अंदर उसके जीवन की रक्षा हो सके। हांलाकि सभ्यता के विकास के साथ साथ बहुत कुछ बदला भी । और स्त्री की प्रजनन क्षमता भी कम हुई और उसे अच्छा भोजन भी मिलने लगा। किंतु उसका शरीर अभी भी वसा के संग्रहण की दर बनाए हुए है।
एक किशोर के शरीर मे जहां बढ़ोतरी का अनुपात 15 प्रतिशत वसापरक और 45 प्रतिशत प्रोटीन परक होता है। वहीं स्त्री के अंदर 20 प्रतिशत ही प्रोटीन परक होता है व 26 प्रतिशत वसा परक होता है। वहीं अधिक वसा मांसलता के अंदर अभिव्यक्त होती है। और पुरूष की अधिक प्रोटीन उसे सुगठित बना देती है।
सामाजिक मान्यताएं
दोस्तों लड़कियों को सुंदर दिखना काफी अधिक महत्वपूर्ण होता है। यदि आप आज भी हमारे समाज के अंदर देखेंगे , तो आपको यह पता चलेगा कि लड़कियों की सुंदरता काफी बड़ा पैमाना होता है। भले ही कोई लड़की कितने भी बड़े पद पर है , मगर उसकी सुंदरता काफी अधिक मायेने रखती है। इसलिए बड़े बड़े पद पर बैठने वाली महिलाएं भी खुद को सुंदर दिखाने का काम करती हैं।
और समाज के अंदर अक्सर लड़कियों को यह सीखाया जाता है , कि तुमको दूसरी ल़ड़कियों से अधिक सुंदर दिखने की जरूरत हो सकती है। और इसकी वजह से ही लड़कियां अपने फेस पर कई तरह के क्रीम वैगरह का प्रयोग करती हैं।
सुंदरता का जुड़ाव प्रजनन क्षमता से है
यदि हम सुंदरता की बात करें , तो यह नैचर के अंदर होता ही आ रहा है , कि कुछ जीवों के अंदर नर को सुंदर बनाया गया है। जैसे कि मोर के अंदर आप देख सकते हैं। वहीं इंसानों के अंदर लड़की को सुंदर बनाया गया है। यह सब वासना का खेला होता है। और यही नैचर जिसको एक बकवास तरीका कह सकते हैं , वह चाहती है , कि सभी जीव आपस मे संभोग करें और फिर बच्चे पैदा करें । और इसी तरह से जीवन चलता रहे । असल मे यह एक बहुत ही घटिया तरीका है।
इस प्रजनन क्षमता का कोई मतलब नहीं है। और ना ही यहां पर जीवन होने का कोई मतलब नहीं है। सभी लोगों मे से बस कुछ लोग इस जीवन का फायदा उठा जाते हैं। अधिकतर लोग बस जीवन बरबाद कर रहे हैं। उनको नहीं पता है कि वे कैसे चक्कर के अंदर फंसे हुए हैं।