इस लेख मे हम बात करने वाले हैं कि लैट्रिन कितने प्रकार की होती है ? बहुत से लोग मल के बारे मे बात करना भी पसंद नहीं करते हैं।क्योंकि उनको लगता है कि मल एक बुरी चीज होती है। लेकिन जो डॉक्टरी फिल्ड के अंदर हैं उनके लिए मल कोई बुरी चीज नहीं हैं। क्योंकि डॉक्टर अनेक प्रकार की बीमारियों का पता लगाने के लिए मल का टेस्ट करते हैं।एक बार जब हम लोग डॉक्टर के पास गए तो किसी समस्या की वजह से उन्होंने मेरे मल की टेस्टिंग भी की थी। डॉक्टर मल का निरिक्षण करके यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि कौनसी समस्या आपको हो सकती है।
मल बीमारी का पता लगाने मे सिर्फ इंसानों मे ही सहयोग नहीं करता है वरन जानवरों के अंदर तो मल को देखकर ही कई चीजों का पता लगाया जाता है। जैसे मल मे कीड़ों का आना और मल का पतला होना समस्याओं को दर्शाता है। कभी-कभी, इसके रंग, बनावट, मात्रा और गंध में भिन्नता हो सकती है। ये अंतर चिंताजनक हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर, ये परिवर्तन महत्वपूर्ण नहीं हैं और एक या दो दिन में हल हो जाएंगे। लैट्रिन कितने प्रकार की होती है ? इस बारे मे जानने से पहले हम मल की कुछ सामान्य बातों के बारे मे जान लेते हैं।
- लैट्रिन का गहरा भूरा रंग बिलीरुबिन नामक वर्णक की वजह से बनता है जो लाल रूधिकरणिकाओं के टूटने से बनता है।
- कई बार मल के अंदर बेकार की गंध आती है। इसका कारण बैक्टीरिया होती हैं। इसकी वजह से मल मे गंध पैदा होती है।
- यदि मल छोटे छोटे टुकड़ों के अंदर आता है तो यह बताता है कि आपकी आंते अच्छी स्थिति के अंदर हैं।
- ज्यादातर लोग एक दिन में एक बार मल पास करते हैं, हालांकि अन्य लोग हर दूसरे दिन या प्रतिदिन तीन बार तक शौच कर सकते हैं। कम से कम, एक व्यक्ति को सप्ताह में तीन बार मल पास करना चाहिए।
- हर इंसान का मल दूसरे इंसान से अलग होता है। इसको देखते रहना चाहिए क्योंकि यह आपके अंदर की समस्या का संकेत दे सकता है।
Table of Contents
लैट्रिन कितने प्रकार की होती है आकार के आधार पर
सबसे पहले हम लैट्रिन का प्रकार आकार के आधार पर करते हैं। लैट्रिन कई प्रकार और आकार मे होता है तो आइए जान लेते हैं।
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इंग्लैंड के ब्रिस्टल रॉयल इनफ़र्मरी में डॉक्टरों द्वारा तैयार की गई है। इसके अंदर मल के अलग अलग प्रकार बताए गए हैं। इनको देखकर डॉक्टर यह पता लगाने का प्रयास करते हैं कि व्यक्ति के अंदर क्या समस्या हो सकती है? जैसे टाइप 1 और 2 कब्ज का संकेत करते हैं, टाइप 3 और 4 को स्वस्थ मल माना जाता है, जबकि टाइप 5 से 7 में दस्त के संकेत हो सकते हैं।
Type 1 – Separate hard lumps
यह लेट्रिंग का एक प्रकार है। यदि किसी को इस प्रकार का मल आता है तो यह संकेत देता है कि उसे कब्ज की समस्या है और कब्ज को दूर करने का प्रयास करना चाहिए । मल के इस प्रकार के अंदर मल बहुत अधिक सख्त होता है और छोटे छोटे टुकड़ों मे बाहर आता है। जैसा कि आप चित्र के अंदर देख सकते हैं।
Type 2 – Sausage-shaped
यह मल टाइप 1 से कम सख्त होता है।और इसमे मल छोटे टुकड़ों के अंदर नहीं आता है वरन यह बड़े टुकड़ों के अंदर आता है। जैसा कि आप चित्र के अंदर देख सकते हैं। यह प्रकार भी कब्ज का संकेत देता है लेकिन यह कब्ज की गम्भीर स्थिति को नहीं बताता है।
Type 3 – Like a sausage
यह लैट्रिंग थोड़ा हार्ड होता है।लेकिन इसको नोर्मल माना गया है। यदि किसी को इस प्रकार का मल आता है तो इसका अर्थ है कि उसे मल से जुड़ी कोई समस्या नहीं है।
Type 4 – soft
मल का यह प्रकार मल के टाइप 3 से नरम है। इसका अर्थ यह है कि यहां पर कब्ज नहीं है और इसको भी मल का एक नोर्मल होना माना गया है । यदि किसी को इस प्रकार का तल आता है तो कोई समस्या नहीं है।
Type 5 – Soft blobs with clear cut edges
यह मल थोड़ा पतला होता है लेकिन यह टुकड़ों के अंदर आता है। यदि किसी को इस प्रकार का मल आ रहा है तो इसका अर्थ यह है कि फाइबर की कमी का संकेत दे रहा है।
Type 6- Fluffy pieces with ragged edges
यह काफी पतला मल होता है। इसके बारे मे आप चित्र मे देख सकते हैं।यह मल दस्त का संकेत दे रहा है। यदि किसी को इस प्रकार का मल आता है तो उसको डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता है।
Type 7 – Watery, no solid pieces
यह मल बहुत अधिक पतला होता है और इस प्रकार के मल की शिकायत उन लोगों को होती है जिनको दस्त की समस्या होती है। यदि किसी को इस तरह का मल आता है तो उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
प्रारंभिक अध्ययन में, इस पैमाने पर जांच की गई जनसंख्या में, टाइप 1 और 2 मल महिलाओं में अधिक प्रचलित थे, जबकि टाइप 5 और 6 मल पुरुषों में अधिक प्रचलित थे; इसके अलावा, 80% ऐसे विषय जिन्होंने रेक्टल टेनमस (अपूर्ण शौच की सनसनी) की सूचना दी थी, उनमें टाइप 7 था।
कल के आधार पर लैट्रिंग के प्रकार
वैसे तो मल का कलर भूरा होता है लेकिन यह अलग अलग कलर का भी हो सकता है। इसके कलर बदलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं । जिसके बारे मे हम बात करने वाले हैं।
काला मल black potty
काले रंग के मल के पीछे कॉफी का सेवन हो सकता है इसके अलावा आयरन सप्लीमेंट्स, ब्लैक लिकोरिस, ब्लैक स्टाउट, और बिस्मथ दवाओं की वजह से भी मल का रंग काला हो जाता है।
White potty
मल का सफेद या पीला होना व्यक्ति को यकृत या पित्ताशय की थैली की समस्या हो सकती है।इसके अलावा कुछ डायरिया दवाओं की वजह से भी मल पीला हो सकता है।
Green potty
पालक, केल, या अन्य हरे खाद्य पदार्थ हरे रंग की गोली का कारण बन सकते हैं। हरा रंग इस बात का संकेत देता है कि बहुत अधिक पित है।
Red potty
वैसे तो मल का रंग भूर होता है लेकिन लाल रंग भी हो सकता है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव का परिणाम हो सकता है। मल में छोटी मात्रा में रक्त में बवासीर हो सकता है। इसके अलावा लाल जामुन खाने और टमाटर का रस पीने से भी मल का रंग लाल हो जाता है।
Orange potty
यदि आपका मल पीला दिखाई देता है तो इसका अर्थ यह है कि आपके मल के अंदर बहुत अधिक वसा है और एंजाइम के उत्पादन मे समस्या हो रही है।
अधिकांश लोग किसी न किसी स्तर पर मल के रंग में भिन्नता का अनुभव करेंगे। आमतौर पर, यह आहार या किसी अन्य मामूली कारण से हो सकता है । लेकिन यदि आप लगातार 2 सप्ताह तक अपने मल का रंग अजीब देख रहे हैं तो आपको डॉक्टर को संपर्क करना होगा ।
असामान्य मल क्या होता है ?
- यदि दिन के अंदर तीन बार से अधिक मल आ रहा है।
- लाल ,पीला ,हरा ,काला और वसायुक्त मल आ रहा हो ।
- जब मल के समय दर्द हो रहा हो
- मल के अंदर खून का आना ।
- और अधिक सुखा मल जिसे पास करना बहुत अधिक कठिन हो ।
abnormal मल आने के पीछे के कारण
मल के सामान्य नहीं होने के पीछे कई सारे कारण हो सकते हैं। यदि आप उनके बारे मे जानते हैं तो आप कुछ उपचार कर सकते हैं तो आइए जानते हैं असामान्य मल के कारणों के बारे मे ।
Stress
चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) की वजह से पाचन पर सीधा असर पड़ता है। और इस वजह से दस्त की समस्या हो सकती है। यदि आपको तनाव की समस्या है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें ।
निर्जलीकरण
कैफीन और शराब निर्जलीकरण की समस्या पैदा कर सकते हैं। जब आपके शरीर के अंदर पानी नहीं होता है तो फिर कब्ज हो सकती है क्योंकि मल को बाहर निकलने के लिए पानी की आवश्यकता होती है।
आहार फाइबर की कमी
फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और दालें, आंत्र समस्याओं का कारण बन सकते हैं।फाइबर की कमी की वजह से भी मल असामान्य आकार रंग के अंदर हो सकता है।
एलर्जी
कुछ भोजन एलर्जी का कारण भी बन सकते हैं । जिसकी वजह से दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोग अक्सर दस्त का अनुभव करते हैं ।
- डिप्रेशन
- कैंसर
- एक अतिसक्रिय थायराइड
- सूजन आंत्र रोग
- पार्किंसंस रोग
यह रोग भी मल को असामान्य बनाने का काम करते हैं।]
Interesting Facts About Toilets and potty
लगे हाथ हम आपको यह भी बता देते हैं कि मल से जुड़े मजेदार तथ्य क्या हैं ? तो आइए जानते हैं।
- विश्व शौचालय संगठन की जानकरी के अनुसार दुनिया के अंदर 1 बिलियन लोग खुले के अंदर शौच करते हैं।
- आपके स्मार्ट फोन के अंदर जितनी विशेषताएं हैं आप उतनी ही देर शौचालय के अंदर रूकेंगे ।
- आर्थर जिबलिन ने पहले फ्लश करने वाले शौचालय का आविष्कार किया था।
- आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अफगानिस्तान के अंदर 90 फीसदी लोगों के पास टीवी है जबकि 7 प्रतिशत लोगों के पास ही फ्लश शौचालय है।
- विश्व शौचालय संगठन की स्थापना 19 नवंबर 2001 को हुई थी और इस दिन हर साल विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है।
- शौचालय के अंदर भी दुर्घटनाएं होती हैं। कई लोग इसके अंदर फिसल जाते हैं । हालांकि भारत के अंदर यह दर बहुत ही कम है अमेरिका के अंदर केवल 40,000 लोग शौचालय मे घायल हो जाते हैं।
- हम एक वर्ष के अंदर लगभग 2500 बार शौचालय जाते हैं । और एक वर्ष मे कई बार अपना पेट खराब कर लेते हैं।
- टॉयलेट पेपर का आविष्कार चीन के अंदर हुआ था।
- चीन के अंदर कुत्तों के लिए भी सर्वाजनिक शौचालय बनाए गए हैं।
- औसतन बच्चे अपने लंगोट को 10,000 बार बदलते हैं। और उसके बाद वे खुद शौचालय का यूज करना सीखते हैं।
- एक टायलेट सीट की बजाय किचन चॉपिंग बोर्ड मे 200 प्रतिशत अधिक बैक्टिरिया होते हैं।
- एक फ्लशिंग शौचालय से कीटाणु 6 फीट तक आगे बढ़ सकते हैं। जिसका अर्थ यह है कि जब आप शौचालय को साफ करें तो जल्दी से बाहर निकल आएं । क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ि सकता है।
- क्या आप जानते हैं कि टॉयलेट का अर्थ क्या होता है ? दरसअल टायलेट का अर्थ नहाने कपड़े धोने और खुद को तैयार होने से है।
- आपको यह जानकर हैरानी होगी की शौचायल के अंदर जाने वाले 20 प्रतिशत लोग अपना हाथ नहीं धोते हैं और केवल 30 प्रतिशत ही साबुन का उपयोग करते हैं।
- अमेरिका के अंदर 7 मिलियन से अधिक लोगों ने अपने फोन को शौचालय के कटोरे के अंदर गिरा दिया है । क्या आपने भी ऐसा किया है।
- कई बार हम पेशाब को दबा देते हैं क्योंकि शौचालय साफ नहीं होते हैं तो इसकी वजह से गुर्दे और मूत्राशय के अंदर समस्याएं हो सकती हैं।
- हानिकारक किटाणुओं को मारने के लिए 20 सैकिंड तक हाथ धोने की सलाह दी जाती है जबकि केवल 5 प्रतिशत लोग ही 20 सैकिंड से अधिक समय तक हाथ धोते हैं।
- यूरिया आपके मूत्र मे कवक और बैक्टीरिया को मार देता है।
- स्कॉट पेपर कंपनी ने पहली बार 1890 में एक रोल पर टॉयलेट पेपर का निर्माण किया था।
- $ 23.4 मिलियन लगाकर नाशा ने एक ऐसे टॉयलेट का निर्माण किया है जिसका प्रयोग अंतरिक्ष के अंदर किया जा सकता है।
- टॉयलेट सीट पर यदि आप लंबे समय तक बैठते हैं तो बवासीर हो सकता है। कुछ लोग टॉयलेट सीट के उपर बैठकर मोबाइल चलाते हैं या अखबार पढ़ते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए ।
- दुनिया का सबसे पुराना शौचालय ग्रीस में नोसोस मे है जिसकी उम्र 4000 साल से भी अधिक बताई जाती है।
- बैठ कर पेशाब करना चाहिए क्योंकि इससे मूत्रासय आसानी से खाली हो जाता है
लैट्रिन कितने प्रकार की होती है ? लेख के अंदर हमने लैट्रिन के प्रकार के बारे मे जाना । हमे उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि यह लेख पसंद आया तो नीचे कमेंट करके बताएं ।
This post was last modified on September 5, 2020