लोमड़ी क्या खाती है,लोमड़ी का भोजन क्या है ? fox information in hindi ,लोमड़ी मध्यम आकार की और छोटी स्तनधारी होते हैं।लोमड़ियों की चपटी खोपड़ी, ऊपर की ओर त्रिकोणीय कान, एक नुकीला, थोड़ा ऊपर उठा हुआ थूथन और एक लंबी झाड़ीदार पूंछ होती है।लोमड़ी आम तौर पर परिवार के कुछ अन्य सदस्यों जैसे कि भेड़ियों और गीदड़ों के रूप में कैनिडे से छोटी होती हैं। वैसे आपको बतादें कि एक जंगल मे लोमड़ी का जीवनकाल 3 वर्ष का होता है
लेकिन वह 3 साल तक जिंदा रहती है।नर लोमड़ी के अंडकोश को शरीर के करीब रखा जाता है, जिसमें वे उतरने के बाद भी अंदर वृषण के साथ होते हैं । अन्य कैनाइनों की तरह, नर लोमड़ी के पास एक बेकुलम या शिश्न की हड्डी होती है। लाल लोमड़ियों के वृषण आर्कटिक लोमड़ियों की तुलना में छोटे होते हैं।
लाल लोमड़ियों में शुक्राणु का निर्माण अगस्त-सितंबर में शुरू होता है, अंडकोष दिसंबर-फरवरी में उनका वजन सबसे अधिक हो जाता है।एक बार अंडे के निषेचन के बाद गर्भधारण की अवधि 52 दिन की होती है।
फॉक्स अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर रहते हैं । हालांकि यह इंसानों से डरती है और इंसानी क्षेत्रों के अंदर कम ही देखने मिलती हैं।
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लोमड़ी क्या खाती है ? fox eating food
वैसे आपको बतादें कि लोमड़ी केवल मांसहारी ही नहीं होती हैं।वे सर्वाहरी होती हैं लेकिन उनके भोजन का बड़ा हिस्सा मांस से ही आता है। शिकार करने के लिए उनको अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है जो सिर्फ मांस से ही प्राप्त की जा सकती हैं।
लोमड़ी कई प्रकार का भोजन करती है । तो आइए जानते हैं कि लोमड़ी क्या खाती है और क्या नहीं खाती ? और लोमड़ी के शावक जो अंधे होते हैं लगभग 7 महिने तक अपने मां के दूध पर ही निर्भर रहते हैं और उसके बाद ठोस भोजन करना शूरू कर देते हैं।
आपको बतादें कि लोमड़ी सुबह और शाम को बहुत अधिक शिकार करती है और आपको बतादें कि लोमड़ी के पास सुनने की क्षमता बहुत ही तेज होती है। यही कारण है कि वह जमीन के नीचे और बर्फ के नीचे चलने वाले खरगोश और दूसरे जानवरों को आसानी से सुन सकती हैं और उनका शिकार कर सकती हैं।
लोमड़ी का भोजन खरगोश
लोमड़ी खरगोश का भी सेवन करती है।जब कोई खरगोश लोमड़ी को नजर आता है तो वह इस प्रकार से बैठकर चलती है जिस प्रकार से एक बिल्ली शिकार करती है और उसके बाद धीरे धीरे खरगोश तक पहुंचती है। यह इस प्रकार से चलती है कि इसके पैर जरा भी आवाज नहीं करते हैं।इसके अलावा दूसरा तरीका यह भी है कि यह कई बार खरगोश के बिल को काफी खोदती है और उसके बाद यदि उसे खरगोश मिल जाता है तो यह उसे खा लेती है।
लोमड़ी क्या खाती है चूहे
वैसे आपको बतादें कि एक लोमड़ी चूहे खाना भी पसंद करती है।अक्सर लोमड़ी रात के अंधेरे मे चूहों का शिकार करती है। यदि लोमड़ी को यह लगता है कि यहां पर चूहे हैं तो पहले वह दिन मे समय उनको मारने का प्रयास कर सकती है लेकिन रात के समय उसके लिए यह ज्यादा आसान होता है।लोमड़ी किसी स्थान पर छुप कर बैठ सकती है और जैसे ही चूहे बिल से बाहर निकलते हैं वह उनको अपना आहार बना लेती है।
लोमड़ी का भोजन मेंढक
वैसे आपको बतादें कि लोमड़ी के लिए मेंढ़क का शिकार करना बहुत ही आसान कार्य होता है।अक्सर जब लोमड़ी रात के अंदर मेंढ़कों के ईलाके के अंदर जाती है तो वह आसानी से उनको अपने पंजे मे दबा सकती है और मारकर खा जाती है। यह उसके लिए बहुत ही सरल कार्य है।
केंचुआ लोमड़ी का भोजन
केंचुआ एक कृमि है जो लंबा, वर्तुलाकार, ताम्रवर्ण का होता है और बरसात के दिनों में गीली मिट्टी पर रेंगता नजर आता है।और यह लोमड़ी के लिए एक अच्छा भोजन साबित होता है। हालांकि लोमड़ी केंचुओं को कम मात्रा के अंदर ही खाती है। बरसात के दिनों मे यदि लोमड़ी को दिखता है तो वह इसाको आसानी से खा लेती है।
पक्षियों के अंडों का भोजन
लोमड़ी पक्षियों के अंडों का भोजन भी करती है। अक्सर जानवरों का शिकार करते समय कई बार उनको अंडे भी मिल जाते हैं। आपको बतादें कि वह अंडों को आसानी से खा लेती है। लोमड़ी पेड़ पर चढ़ना जानती है और वहां से भी अंडों को खा सकती है।
लोमड़ी क्या खाती है ? मछली का भोजन
कई जगहों पर लोमड़ी को मछली पकड़ते हुए भी देखा जा सकता है।अक्सर यह तालाब और नदी के आस पास जाती है और किनारे के पास आई मछली को आसानी से अपने मुंह से पकड़ कर बाहर ले जाती है और उसके बाद बाहर ले जाकर इसको खा लेती है।
पक्षियों का भोजन के रूप मे प्रयोग
लोमड़ी पक्षियों को सीधे तो नहीं पकड़ सकती है लेकिन कई बार गलती से पक्षी इनके पकड़ मे आ जाते हैं। विडियों के अंदर यदि आप देखें तो पता चलता है कि एक बेबी पेंग्विन आकर थल पर गिर जाता है और इतने मे वहीं खड़ी लोमड़ी उसको दबोच लेती है। और उसका भोजन कर लेती है।
केकड़ा का भोजन
लोमड़ी केकड़ों को भी खाती है आपको बतादें कि जिन इलाकों के अंदर बहुत अधिक केकड़े होते हैं लोमड़ी के लिए यह अच्छा भोजन प्रदान करते हैं।केकड़े की बहुत सारी प्रजातियां होती हैं।और यह बहुत अधिक पानी के आस पास ही देखने को मिलती हैं। लोमड़ी इनको आसानी से शिकार बना सकती हैं। और एक केकड़े के अंदर मांस की मात्र अलग अलग होती है। आमतौर पर यह 8 किलो से लेकर 1 किलो तक हो सकती है।
मोलस्क भी लोमड़ी खाती है
मोलस्का या चूर्णप्रावार प्रजातियों की संख्या में अकशेरूकीय की दूसरी सबसे बड़ी जाति है और इसकी 60000 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं।वैसे आपको बतादें कि मोलस्क समुद्री प्राणी होते हैं। इनका कोई भी आकार नहीं पाया जाता है।यह ताजे पानी के अंदर रहते हैं।इनका शरीर का कोई आकार नहीं होता है।लोमडियों के लिए यह भी उचित भोजन होता है और वे इनको आसानी से खा सकती हैं।
लोमड़ी फल का भी सेवन करती है
आपको बतादें कि लोमड़ी फलों का भी सेवन करती है।और यह कई तरह के फल खा सकती है। बहुत से लोग जो लोमड़ी को अपने घरों के अंदर पालते हैं वे इसको सेब और तरबूज जैसी चीजें खिलाते हैं।और यह जामुन भी खाती है। हालांकि लोमड़ी के लिए मांस सबसे अधिक उपयुक्त होता है लेकिन मांस के नहीं मिलने पर यह आसानी से दूसरी चीजों को खा सकता है।इसके अलावा लोमड़ी सब्जियां, बीज, कवक आदि भी खाती है।
लोमड़ी एकांत जानवर है
लोमड़ी कैनिडा परिवार का हिस्सा होती है जोकि भेडियों ,गिदड़ों और कुत्तों से संबंधित है।7 से 15 पाउंड के बीच इसका वजन होता है।लोमड़ी अपने बच्चों के साथ एक छोटे से परिवार के अंदर रहती हैं। लोमड़ी के कंकाल के नाम से लोमड़ी बुर्ज को जाना जाता है। इसके अलावा अधिकतर लोमड़ी अकेली रहती हैं और शिकार करती हैं।
लोमड़ी बिल्ली की तरह होती है
लोमड़ी भी एक बिल्ली की तरह ही होती है।बिल्ली की तरह ही लोमड़ी मंद प्रकाश के अंदर अपना शिकार करना पसंद करती है। इसके अंदर खास प्रकार की क्षमता होती है जो रात मे देखने की अनुमति प्रदान करता है। और लोमड़ी भी बिल्ली के समान अपनी पूंछ को उछालकर शिकार करती है। लोमड़ी बिल्ली की तरह चलती है।और बिल्ली की तरह की पेड़ों पर आसानी से चढ़ जाती है। कई लोमडियां तो ऐसी होती है जोकि पेड़ों पर सोती हैं।
यह 40 अलग अलग प्रकार की आवाजे निकाल सकता है
क्या आपको पता है कि लोमड़ी 40 अलग अलग प्रकार की आवाजे निकाल सकता है।और जिनमे से सबसे आम आवाज चीख होती है। हालांकि कुछ ऐसी आवाजे भी होती हैं जिनको हम सुन नहीं सकते हैं।
डार्विन की फॉक्स के बारे मे जानिए
बीगल पर अपनी यात्रा के दौरान , चार्ल्स डार्विन ने एक फॉक्स की खोज की थी जिसको डार्विन की फॉक्स के नाम से जाना जाता है। ग्रे रंग की यह छोटी सी लोमड़ी गम्भीर रूप से संकटग्रस्त है। और दुनिया के सिर्फ दो ही स्थानों के अंदर बची हुई है।आबादी चिली के चीलो द्वीप पर है, और दूसरी चिली के राष्ट्रीय उद्यान में है।
Bat-eared fox
बल्ला कान लोमड़ी ( Otocyon megalotis ) की एक प्रजाति है लोमड़ी अफ्रीकी पर पाया सवाना । यह जीनस ओटोसीन की एकमात्र प्रचलित प्रजाति है और इसे बेसल कैनिड प्रजाति माना जाता है । जीवाश्म रिकॉर्ड से पता चलता है कि यह नासूर पहली बार मध्य प्लेइस्टोसिन के दौरान भी पाई जाती थी।
चमगादड़-कान वाले लोमड़ियों को शुष्क या अर्ध-शुष्क वातावरण के अंदर देखने को मिलते हैं।यह जमीन पर रहती हैं और छोटे घास के मैदानों के अंदर रहती हैं और शिकार करती हैं।और खतरा होने की स्थिति के अंदर मोटी घास वाले स्थान पर छुप भी सकती हैं। और गर्मी के दिनों मे यह छाया के लिए बबूल के पेड़ के निचे निवास करती हैं।
बैट इयर फॉक्स एक कीटभक्षी फॉक्स होती है। और यह कीटों को भोजन के रूप मे सेवन करती है।और यदि कीट उपलब्ध नहीं होते हैं तो चींटियों , बीट्लस , क्रिकेट , टिड्डे , millipedes , पतंगों , बिच्छू , मकड़ियों का सेवन करती हैं।
इस लोमड़ी के समान अन्य प्रजातियां
- कैनिस मेगालोटिस डेसमेस्ट , 1822
- कैनिस लालंदि देसमोलिंस , 1823
- ओटोकियन काफ़र एस। मुलर, 1836
- एग्रिओडस औरिटस एच। स्मिथ, 1840
- ओटोसायन वायरगैटस मिलर, 1909
- ओटोसायन कैन्सरेंस कैबरेरा, 1910
- ओटोसायन स्टेनिहार्ड्टी ज़ुकोवस्की, 1924
लाल लोमड़ी एक आम प्रजाति है
वैसे तो लोमड़ी की कई सारी प्रजाति होती हैं लेकिन लाल लोमड़ी सबसे आम प्रजाति है।इसका आहार ही इसको कई क्षेत्रों के अनुकूल बना देता है। यही वजह है कि यह एक बड़े क्षेत्र पर निवास करती है जैसे आर्कटिक सर्कल से उत्तरी अफ्रीका तक मध्य अमेरिका से एशियाई और ऑस्ट्रेलिया तक इसके निवास स्थान है।
शिकार के समय लोमड़ी मैग्नेटिक क्षेत्र का प्रयोग करती है
लोमड़ी के बारे मे वैज्ञानिकों ने एक दिलचस्प चीज यह खोजी कि यह शिकार करने के लिए पृथ्वी के मैग्नेटिक क्षेत्र का प्रयोग करती है।
आमतौर पर बर्फिले इलाकों के अंदर चूहे और दूसरे जानवर बर्फ के अंदर होते हैं लोमड़ी उनकी गंध की मदद से यह पता लगा लेती है कि कहां उसका शिकार जानवर हो सकता है।और उसके बाद तेजी से जंफ लगाकर अपना शिकार कर लेती है। जो काफी शानदार अनुभव होता है। आप विडियो के अंदर देख सकते हैं।
एक लोमड़ी बूदबूदार होती है
आपको बतादें कि लोमड़ी बुदबुदार होती है।यदि आपके घर के आस पास कोई लोमड़ी होगी तो आपको पता चल जाएगा ।और यह आपके यहां पर कुछ छोटी जीवों को खाने के लिए आई होती है।
लोमड़ी के घर को मांद कहा जाता है
आपको बतादें कि लोमड़ी जमीन के अंदर बिल खोद कर उसके अंदर रहती है।और इसके घर को मांद कहा जाता है।इसके अंदर वे भोजन को स्टोर कर सकती हैं और उनके बच्चे भी यहां पर रहते हैं।
फ्लाइंग फॉक्स बिल्कुल एक लोमड़ी की नस्ल नहीं है
क्या आपने कभी उड़ने वाली लोमड़ी का नाम सुना है। यह एक लोमड़ी की नस्ल नहीं है।यह चमगादड़ मानव के आधे आकार के होते हैं।उड़ने वाली लोमड़ी मेगाबैट की एक प्रजाति है जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में पाई जा सकती है ।
बाजार से एक लोमड़ी को खरीदना महंगा होता है
आपको पता ही होगा कि लोमड़ी काफी दुर्लभ होती हैं।यदि आप अमेरिका के अंदर एक लोमड़ी को खरीदते हैं तो इसकी कीमत 800$ तक पड़ती है। लोमड़ी को पालतू बनाने के लिए विशेष प्रशीक्षण की आवश्यकता होगी । और इसके अंदर भी अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है।
लोमड़ियों के फर की खेती की जाती है
आपको यह जानकर अजीब लग सकता है कि लोमड़ियों के फर की खेती होती है।इनको जंगली फर के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया के अधिकांश खेत फर का उत्पादन यूरोपीय किसानों द्वारा डेनमार्क, फ़िनलैंड, नीदरलैंड सहित 22 विभिन्न यूरोपीय देशों में किया जाता है।
ग्रे फॉक्स आसानी से पेड़ पर चढ़ सकती हैं।
उत्तरी अमेरिका के अंदर निवास करने वाली ग्रे फॉक्स पेड़ के उपर आसानी से चढ़ सकती है। और पेड़ के उपर मौजूद घोसलों के अंदर अंडों का शिकार कर सकती है। यह क्षमता इसके लिए काफी अदभुत है।
शिकारी कुत्ते और कोयोट जैसे जानवरों से बचने के लिए भी यह काफी मदद करता है और यह पेड़ से आसानी से फल भी खा सकती है।
कुछ लोमड़ियां शहर के अंदर भी रह सकती हैं
लोमड़ियां केवल जंगल के अंदर ही नहीं रहती हैं। वरन कुछ लोमडियां शहर के अंदर भी रहती हैं। यहां पर इनको आसानी से भोजन प्राप्त हो जाता है। यह रेल्वे ट्रैक आदि के आस पास अपनी मांद बनाकर रहते हैं।
सिएरा नेवादा लाल लोमड़ी को लोमड़ी की सबसे दुर्लभ प्रजाति है
वैज्ञानिकों के अनुसार सिएरा नेवादा लाल लोमड़ी की दुर्लभ प्रजाति है।इन लोमड़ियों को उनके सुंदर कोट के लिए बेशकीमती बनाया जाता है। ये लोमड़ियां इतनी दुर्लभ हैं कि उन्हें 2015 में बस इनको एक बार ही देखा गया था।
लोमड़ी अच्छे माता पिता होते हैं
आपको बतादें कि लोमड़ी बस एक साल के अंदर एक बार ही प्रजनन करती है। और इस दौरान वह लगभग 11 बचे देती है और वे जन्म से अंधे होते हैं और 9 महिने तक अंधे ही बने रहते हैं।और इस दौरान वे मांद के अंदर ही रहते हैं।और नर उनके लिए भोजन लाता है उनकी आंखे खुलने तक नर और मादा साथ ही रहते हैं।
सबसे छोटी लोमड़ी का वजन 3 पाउंड होता है।
आपको बतादें कि सबसे छोटी लोमड़ी का वजन 3 पाउंड होती है। यह देखने मे बिल्ली जैसी ही लगती है।यह सहारा रेगिस्तान के अंदर रहती है और दिन के अंदर गर्मी से बचने के लिए सोती रहती है और रात मे भोजन और शिकार करने के लिए निकलती है। इसके पंजे की बनावट इस प्रकार की होती है कि यह गर्म रेत के अंदर भी आसानी से चल सकती है।
लोमडियां मित्रवत होती हैं
आपको बतादें कि लोमडियों को भी कुत्तों की तरह खेलना काफी पसंद होता है।और यह गेंदों से काफी प्यार करते हैं । इनको चुरा कर ले जाते हैं।आपको बतादें कि मनुष्यों और लोमडियों का रिश्ता बहुत पुराना है। सन 2011 ई के अंदर वैज्ञानिकों ने 4000 साल पहले दफन हुए लोमड़ी और इंसान के कंकाल को निकाला था। इससे स्पष्ट हो चुका है कि इंसानों और लोमड़ियों का रिश्ता बहुत अधिक पुराना था।
ARCTIC FOXES गहरी ठंड के अंदर भी रह सकती है
ARCTIC FOXES एक ऐसी फॉक्स होती है जोकि ठंड को बहुत ही अच्छे तरीके से संभाल सकती है।यह -70 ° तक के तापमान को भी सहन कर सकती है।इसका कोट सफेद होता है और जो दिखने मे बर्फ के जैसा होता है। इसलिए शिकारी इसको तलास नहीं कर पाते हैं। और जैसे ही मौसम बदलता है इस लोमड़ी का कोट भी बदल जाता है।यह भूरे रंग का हो जाता है। ताकि चट्टानों के साथ यह आसानी से मिल सके ।
कुत्तों के साथ लोमड़ी का शिकार
16 वीं शताब्दी के अंदर ब्रेटेने मे कुत्तों के साथ लोमड़ी का शिकार किया जाता था। इसके अंदर कुछ पुरूष घोड़ों के उपर बैठ जाते थे और बहुत से कुत्ते लोमड़ी का पीछा करते थे ।हालांकि अब इस प्रकार की प्रथा के उपर प्रतिबंध लग चुका है। और वैसे भी यह अनुचित है।
कैनीस
कैनीस एक प्रकार का जीनस है ।इस जीनस की प्रजातियों, भेड़िये , कुत्तों , काइओट और गीदड़ों । इस जीन की प्रजातियां उनके मध्यम से बड़े आकार, उनके बड़े पैमाने पर, अच्छी तरह से विकसित खोपड़ी और दंत चिकित्सा, लंबे पैर और तुलनात्मक रूप से छोटे कान और पूंछ द्वारा प्रतिष्ठित हैं।
जीवाश्म रिकॉर्ड से पता चलता है कि फेलिफ़ॉर्म और कैंरिफ़ॉर्म क्लैड कार्निवोरमॉर्फा 43 मिलियन वाईबीपी के भीतर उभरे हैं ।आपको बतादें कि इसी कैनिस जीनसे ही भेडिया और कुत्ता व सियार की उत्पति हुई है।
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
राज्य: | पशु |
फाइलम: | कोर्डेटा |
वर्ग: | स्तनीयजन्तु |
गण: | कार्निवोरा |
परिवार: | केनिडे |
उपपरिवार: | कैनाइन |
जनजाति: | कैनी |
उपशीर्षक: | कैनाइन |
जीनस: | कैनिस |
सुनहरा सियार ( Canis aureus )
सुनहरा सियार ( Canis aureus ) एक भेडिया की तरह दिखता है। और यह मूल रूप से दक्षिण पूर्व यूरोप , दक्षिण पश्चिम एशिया , दक्षिण एशिया , और के क्षेत्रों दक्षिण पूर्व एशिया । अरबी भेड़िये के साथ तुलना में , जो ग्रे भेड़ियों ( कैनिस लुपस ) में सबसे छोटा है।इसके पैर छोटे होते हैं और एक छोटी ही पूंछ होती है।सुनहरे सियार का कोट गर्मियों के अंदर पिला और मलाईदार हो जाता है।और सर्दियों के अंदर यह बेज रंग का हो जाता है। यह काफी लंबे क्षेत्रों के अंदर निवास करता है।
माना जाता है कि गोल्डन सियार का पूर्वज 1.9 मिलियन साल पहले भूमध्यसागरीय यूरोप में विलुप्त अरनो नदी कुत्ता था। यह एक छोटा, सियार की तरह कैनाइन होने के सबूत मिलते हैं।यह संकेत मिला है कि लगभग 200 साल पहले भारत के अंदर स्वर्ण सियारों का विस्तार हुआ था।लेबनान के बेरूत के पास केसर अकिल रॉक आश्रय में पाया गया सबसे पुराना स्वर्ण सियार जीवाश्म 7,600 साल पुराना है। यूरोप में सबसे पुराने स्वर्ण सियार जीवाश्म ग्रीस में पाए गए और 7,000 साल पुराने हैं।
स्वर्ण सियार की 7 उपप्रजातियां मानी गई हैं जो कोयट से निकटता से संबंधित हैं।आपको बतादें कि यह स्वर्ण सियार नदियों घाटियों और समुद्र के किनारे प्रचुर मात्रा मे मिलते हैं।हालांकि यह पहाड़ों के अंदर देखने को नहीं मिलती है। यह प्रजाति काफी सामाजिक होती है और कई सियार एक साथ रहना पंसद करते हैं।
स्वर्ण सियार भी सर्वाहरी होते हैं और यह कीड़े और छोटे फलों से लेकर छोटी पक्षियों और चूहों को भी आसानी से अपना भोजन बना सकते हैं।लाल लोमड़ी , स्टेपी भेड़िया , जंगल बिल्ली , कोकेशियान वाइल्डकैट सियार के प्रमुख प्रतियोगी होते हैं।
आर्नो नदी कुत्ता ( केनिस arnensis ) के एक विलुप्त प्रजाति है जो कुत्ता था। भूमध्य यूरोप दौरान प्रारंभिक प्लेस्टोसीन के 1.9 करोड़ साल पहले। इसे एक छोटे सियार जैसे कुत्ते और आधुनिक सियार के पूर्वज के रूप में वर्णित किया गया है।इसकी संरचना स्वर्ण सियार से मिलती थी।
लेबनान के बेरूत से 10 किमी (6.2 मील) उत्तर-पूर्व में स्थित केसर अकिल रॉक आश्रय में सबसे पुराना स्वर्ण सियार जीवाश्म पाया गया है। जोकि एक एकल दांत का टुकड़ा है जोकि 7600 साल पुराना बताया गया है।यूरोप में पाए जाने वाले सबसे पुराने स्वर्ण सियार जीवाश्म ग्रीस के डेल्फी और किट्सोस के हैं इनके बारे मे यह कहा गया है कि यह 7600 साल पुराने हैं।
नागोर्नो-काराबाख में, अज्यख गुफा में पाई जाने वाली हड्डी भी स्वर्ण सियार की बताई जा रही है। हालांकि इसके बारे मे अधिक स्पष्टता नहीं है।
एक हैप्लोटाइप एक जीव में पाए जाने वाले जीन का एक समूह है जो उनको उनके माता पिता से विरासत मे मिला है। इसी प्रकार से एक हैलोग्रुप एक समान हैप्लोटाइप्स का एक समूह है जो अपने सामान्य पूर्वज से विरासत में मिला है। जबकि इन दो हापलोग्रुप से स्वर्ण सियार के जीन बने हैं।जबकि सबसे पुराना हापलोग्रुप भारत के स्वर्ण सियार से बनाया गया था।भारत के स्वर्ण सियार विविधता का पर्दशन करते हैं। 37,000 साल पहले भारत में मौजूदा स्वर्ण सियार वंश का विस्तार हुआ था।
और उसके बाद 25,000 से 18,000 साल पहले लास्ट ग्लेशियल मैक्सिमम के दौरान, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के गर्म क्षेत्रों से इन्होंने ठंडे क्षेत्रों की तरफ शरण ली थी।भारत के बाहर काकेशस और तुर्की मे सुनहरे सियार ने अधिक अनुवांशिक विविधता का प्रदर्शन किया और जबकि यूरोप के अंदर अनुवांशिक विधिता कम थी।
गोल्डन सियार ग्रे वुल्फ के समान है, लेकिन इसके छोटे आकार, हल्के वजन, अधिक लम्बी धार, कम-प्रमुख माथे, छोटे पैर और पूंछ होते है। नर सियार की लंबाई 85 सेमी होती है तो मादा की लंबाई।79 सेमी के आस पास होती है।और नर का वजन 6 से 14 किलो के आस पास होता है तो मादा का वजन 7 से 11 किलो के आस पास होता है।
भेड़ियों की तुलना में, सोने के सियार की खोपड़ी कम नाक वाले क्षेत्र और छोटे चेहरे वाले क्षेत्र के साथ छोटी और कम विशाल होती है।और खोपड़ी भेडिया की तुलना मे कम मजबूत होती है।कैनाइन दांत बड़े और मजबूत होते हैं।कभी कभी स्वर्ण सियार के उपर एक सींग का विकास भी होता है जिसकी लंबाई लंबाई में 1.3 सेमी तक होती है।श्रीलंका के लोग इसको जादुई ताकतों से जोड़कर देखते हैं।
आपको बतादें कि स्वर्ण सियार दुनिया के कई हिस्सों के अंदर पाया जाता है। जैसे बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, और श्रीलंका। मध्य एशिया में यह ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान में । दक्षिण पूर्व एशिया में यह म्यांमार और थाईलैंड में कंबोडिया से दो, दक्षिणी लाओस से तीन, और वियतनाम । दक्षिण-पश्चिमी एशिया में यह ईरान, इराक, में बसा हुआ हैइज़राइल,
जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, ओमान, सऊदी अरब, कतर, सीरिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, और यमन। यूरोप में यह अल्बानिया, अर्मेनिया, ऑस्ट्रिया, अजरबैजान, बोस्निया और हर्जेगोविना, बुल्गारिया, क्रोएशिया, एस्टोनिया, जॉर्जिया में निवास करता है। , ग्रीस, हंगरी, इटली, कोसोवो, लातविया, लिथुआनिया, मैसिडोनिया, मोल्दोवा, मोंटेनेग्रो, पोलैंड, रोमानिया,रूसी संघ, सर्बिया ,स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्विट्जरलैंड,तुर्की, और यूक्रेनयह बेलारूस में देखा गया है, चेक गणराज्य, और जर्मनी।
यह सियार कई प्रकार के भोजन को ग्रहण कर सकता है।यह सियार शुष्क क्षेत्रों के अंदर भी आसानी से रह सकता है। इसके पैर लंबे होते हैं जो इसको आसानी से लंबी दूरी तक जाने की अनुमति देते हैं।और यह लंबे समय तक बिना पानी के रह सकता है। यह सियार पूरे रेगिस्तान के अंदर जाने से बचते हैं लेकिन रेगिस्तान के किनारों पर आसानी से देखने को मिल जाते हैं।लेकिन यह भारत के थार रेगिस्तान के अंदर आसानी से देखने को मिलते हैं। यह 35 डिग्री तक के तापमान का आसानी से सामना कर सकता है।
यह स्वर्ण सियार कई प्रकार के आहार को खाता है। यह एक शिकारी और अवसरवादी होता है जो अपने निवास स्थान को मौसम के अनुसार बदलता रहता है।भारत के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कृन्तकों, पक्षियों और फलों से मिलकर 60% से अधिक आहार यह खाता है। इसी प्रकार से कान्हा टाइगर रिजर्व , उसके आहार का 80% मूषक, के होते हैं सरीसृप और फल। वेजिटेबल मैटर सियार आहार का हिस्सा बनता है
सुनहरा सियार मुख्य रूप से शिकार खरगोश और माउस कृन्तकों , तीतर , francolins , बतख , coots , moorhens , और पैसेरीन । आदि को खाना पसंद करते हैं। इसके अलावा यह फलों और पौधों के अंदर नाशपाती , नागफनी , डॉगवुड , और सामान्य पदक के शंकु । कटहल को अंगूर , तरबूज , कस्तूरी , और अखरोट आदि का सेवन करते हैं। शहतूत , सूखे खुबानी , तरबूज, कस्तूरी, टमाटर आदि का सेवन भी यह करता है।
आपको बतादें कि स्वर्ण सियार का आहार व्यापक होने की वजह से यह काफी अधिक क्षेत्रों मे पाया जाता है। इसके अलावा यह मरे हुए पशुओं को भी खाता है। मरे हुए पशुओं को बस ऐसे ही छोड़ दिया जाता है और स्वर्ण सियार उनको खा लेता है।हंगरी के अंदर स्वर्ण सियार चूहे और सूअरों को खाते हैं और उत्तरपूर्वी इटली के अंदर यह सियार हिरणों का शिकार करते हैं और उसके बाद उनसे अपना भोजन बनाते हैं।
आपको बतादें कि भोजन की उपलब्धता के आधार पर ही स्वर्ण सियार एक लचीले सामाजिक संगठन का निर्माण करते हैं। आमतौर पर सियार 3 से 4 सदस्य ही एक साथ रहते हैं।और आपको बता दें की नर और मादा पूरी उम्र एक साथ ही रहते हैं। यह साथी को आमतौर पर बहुत ही कम बदलते हैं।
हर साल मादा गीदड़ का एक ही प्रजनन चक्र होता है। इजरायल में अक्टूबर से मार्च तक और भारत में फरवरी से मार्च तक प्रजनन होता है, तुर्कमेनिस्तान बुल्गारिया, और ट्रांसकेशिया में, संभोग अवधि 26-28 दिनों तक रहती है।
इस प्रक्रिया के अंदर नर मादा का पीछा भी कर सकते हैं और गर्भकाल सामान्य तौर पर 63 दिन का होता है।और हर जोड़े के अंदर प्रजनन अलग अलग होता है और इनका भी अपना क्षेत्र होता है।
भारत में अप्रैल के अंत से मई तक स्क्रब क्षेत्रों में स्थित डेन्स की खुदाई शुरू होती है। यह डेंस 2 से 3 मीटर की होती है। जिसके अंदर युवा पिल्ले रखे जाते हैं।यह डेंस कई जगहों पर हो सकती है। खासकर सुनसान इलाकों के अंदर किसी पुल के नीचे रेल लाइन के आस पास और गिर के पेड़ के नीचे आदि ।ट्रांसकेशिया में, गोल्डन जैकाल पिल्ले मार्च के अंत से अप्रैल के अंत तक पैदा होते हैं, और पूर्वोत्तर इटली में अप्रैल के अंत में वे नेपाल में वर्ष के किसी भी समय पैदा हो सकते हैं।और आपको बतादें कि इन पिल्लों की संख्या भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर अलग अलग होती है।भारत के अंदर औसतन 4 पिल्ले पैदा होते हैं।
इनके बच्चे बंद आंख के साथ ही पैदा होते हैं और 10 से 11 दिन के बाद बच्चे आंख खोल लेते हैं और उसके बाद 10 से 13 दिन के अंदर इनके खान खड़े हो जाते हैं। इसके अलावा पिल्ले नरम फर के साथ पैदा होते हैं जो हल्के भूरे रंग से गहरे भूरे रंग तक होते हैं। एक महीने की उम्र में, उनके फर को बहाया जाता है और काले धब्बों के साथ एक नया लाल रंग का पिलेट आ जाता है।
और इसके बाद इनकी उम्र काफी तेजी से बढ़ती है। इनका वजन बढ़ना शूरू हो जाता है। और यह 20 दिन के बाद ही मांस खाना शूरू कर देते हैं।2 सप्ताह की उम्र हो जाने के बाद पिल्ले अपने साथी पिल्लों के साथ लड़ते हैं और झगड़ते भी हैं।
वे काफी आक्रमक होते हैं। हालांकि उनके जबड़े का विकास अभी भी उतना नहीं इुआ होता है।4 से 6 सप्ताह तक वे आपस मे बहुत अधिक झगड़ते हैं और उसके बाद यह कम हो जाता है। एक बार जब पिल्ला स्तनों के दूध को छोड़ देता है तो उसके बाद मादा भी उसका साथ छोड़ देती है।
इस दौरान सियार अपने आसपास के सियारों के छोटे समूहों के अंदर निवास करता है और शिकार करने के गुर को सिखता है। आपको बतादें कि स्वर्ण सियार बस अकेले ही शिकार करता है।यह समूह के अंदर बहुत ही कम शिकार करता है।अकेले शिकार करते समय यह अपने क्षेत्र के चारो ओर अच्छी तरह से देखता है । यह सूंघ कर और आवाज सूनकर भी शिकार करता है।
जब एक सियार चूहे का शिकार करता है तो वह घास के मैदानों के अंदर छुपकर शिकार करते हैं और उछल कर शिकार करते हैं। इसके अलावा अन्य छोटे पक्षियों का शिकार करने के लिए भी वे एक लोमड़ी के शिकार का तरीका अपनाते हैं।
भारत और इजरायल में बड़े-बड़े असंगठितों के शवों पर पड़े 5 से 18 कटहल के पैकेट को रिकॉर्ड किया गया है। सियार बड़े शवों पर समूह की संख्या मे भोजन करते हुए देखे जा सकते हैं।
आपको बतादें की लोमड़ी सियार से डरती है क्योंकि वह उनका मुकाबला नहीं कर सकती है।और जिस क्षेत्र के अंदर सियार अधिक हो जाते हैं वहां पर लोमड़ी की आबादी अपने आप ही कम हो जाती है वे वहां से अलग हो जाती हैं।
इसी प्रकार से भेड़िया सियार से अधिक ताकतवर होता है और यह आसानी से सियार को मार सकता है। ऐसी स्थिति मे सियार भेडियों के पास नहीं जा पाता है।
भारत के अंदर जब ब्रिटिश शासन था तो कई लोगों ने घोड़ों की पीठ पर बैठ कर सियार का शिकार किया था।इंग्लैंड के अंदर लोमड़ी का शिकार होता था तो भारत मे यह इसका एक विकल्प था।राजस्थान और गुजरात व तमिलनाडू के अंदर सियार का मांस खाया जाता है। हालांकि विदेशों के अंदर सियार का मांस नहीं खाया जाता है। क्योंकि धर्मग्रंथों के अंदर सियार के मांस को अशुद्य माना गया है।इसके अलावा शूटिंग के दौरान भी सियार का शिकार नहीं किया जाता है क्योंकि यह अच्छा नहीं माना जाता है।
आपको बतादें कि हिंदुधर्म ग्रंथों के अंदर भी सियार को कई तरीके से एक अच्छा जानवर और धूर्त दिखाया गया है।पंचतंत्र और जकात की कथाओं के अंदर भी एक सियार का वर्णन आता है। इसी प्रकार से महाभारत मे भी सियार की कहानी का उल्लेख मिलता है।
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इसके अलावा बौद्ध कथाओं के अंदर भी सियार को लोमड़ी के समान चालाक माना जाता है।इसके अलावा एक कहावत भी है कि जानवरों में सबसे तेज सियार, पक्षियों के बीच कौवा और पुरुषों के बीच नाई” होता है।और सियार की आवाज को सुनना अच्छा माना जाता है।
हिंदु धर्म के अंदर सियार सबसे आम माना गया है।सियार की देवता एक काली है जो श्मसान के अंदर रहती है और अनेक सियारों से घिरी हुई मानी जाती है।तंत्र के अनुसार जब जानवरों को मांस चढ़ाया जाता है तो यह सियार के रूप मे दिखाई देती है। देवी दुर्गा को भी सियार के साथ दिखाया जाता है।
वैसे आपको बतादें सियार के द्धारा इंसानों पर हमले कम ही प्रकाश के अंदर आते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी हो जाता है। 1998-2005 के दौरान मनुष्यों पर सियार के हमलों के 220 रिपोर्ट किए गए थे । हालांकि इनके अंदर किसी भी प्रकार के हमले घातक नहीं थे। और इन हमलों के अंदर अधिकांश हमले गांवों मे हुए थे ।आमतौर पर यह खेतों के अंदर हुए हैं। मानवों के द्धारा सियारों के आवासा के उपर अतिक्रमण होने की वजह से वे भोजन की तलास मे गांव मे आते हैं और वहां पर मनुष्यों के साथ इनका संघर्ष होता है।
वैसे आपको बतादें कि सियार छोटे जानवरों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे भेड़ ,बकरियां और छोटे भैंसे इसके अलावा छोटे हिरण आदि ।अंगूर, कॉफी, मक्का, गन्ना आदि फसलों को यह नष्ट कर देता है।दक्षिणी बुल्गारिया में, 1982 और 1987 के बीच 1000 से अधिक हमले दर्ज किए गए।
11,000 साल पहले एक बार नीओलिथिक तुर्की में सुनहरा सियार का नाम लिया गया हो सकता है , क्योंकि गोबेकली टीपे में एक सियार की तरह एक आदमी की मूर्ति है ।19 वीं शताब्दी के अंदर सदी के दौरान फ्रांसीसी खोजकर्ताओं ने उल्लेख किया कि लेवंत के लोगों ने अपने घरों में सुनहरे गीदड़ रखे।
फ़ारसी सियार
इनके बाहरी फर का सामान्य रंग आमतौर पर काला और सफेद होता है, जबकि अंडरफेल हल्के भूरे रंग से पीला स्लेट-ग्रे तक भिन्न होता है। कभी-कभी, नप और कंधे एक बफ़र रंग के होते हैं। मध्य पूर्व , ईरान , तुर्कमेनिस्तान , अफगानिस्तान , पाकिस्तान और पश्चिमी भारत के अंदर यह देखने को मिलता है।
श्रीलंकन सियार
लंबाई में 67-74 सेमी (26–29 इंच) का माप और वजन 5-8.6 किलोग्राम (11-19 पाउंड) तक होती है। और कोट पीछे से गहरा और काले रंग का होता है।और काला व धब्बेदार होता है। तटीय दक्षिण पश्चिम भारत , श्रीलंका के अंदर यह देखने को मिलता है।
लोमड़ी क्या खाती है ? लेख के अंदर हमने लोमड़ी के भोजन और उससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे मे विचार किया उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा । यदि आपको अच्छा लगा तो नीचे कमेंट करके बताएं ।
This post was last modified on January 17, 2021