क्या आप जानते हैं वर्षा कितने प्रकार की होती है ,संवहनीय किसे कहते हैं ? चक्रवाती वर्षा किसे कहते हैं सूर्य के ताप से समुद्रों का जल गर्म होता है जिससे भाप बनती है और यही भाप उपर जाकर संघनन होती है और बादल बनता है। उसके बाद जब बादल से बूंदे धरती पर गिरती हैं तो इसी को वर्षा कहा जाता है। रेगिस्तानी इलाकों के अंदर नीचे की हवा अधिक शुष्क होती है और उपर की हवा नम होती है। नीचे का तापमान अधिक होने की वजह से पानी भाप बनकर उपर उड़ जाता है लेकिन उपर की ठंडी हवा के संपर्क मे आने या हवा मे नमी होने की वजह से वही पानी संघनन हो जाता है और उसके बाद जमीन पर गिरता है। इसी को वर्षा कहते हैं।पर्वतिय इलाकों के अंदर रेगिस्तानी इलाकों से अधिक वर्षा होती है।
कई बार आपने देखा होगा कि बारिश बड़ी बड़ी पानी की बूंदों के रूप मे भी होती है।यह पानी की बूंदे नीचे गिरने के दौरान बड़ी होती रहती हैं।और बड़ी पानी की बूंदे तब अधिक देखने को मिलती हैं जब ठंडा मौसम अधिक होता है।
वर्षा का आकार 0.1 से 9 मिमी व्यास तक का हो सकता है।वर्षा की छोटी बूंदों का आकार गोलाकर होता है और जैसे जैसे यह बड़ी होती जाती हैं इनका आकार और अधिक स्पष्ट हो जाता है।इसके सबसे बड़े क्रॉस-सेक्शन में आने वाले एयरफ्लो का सामना करना पड़ता है जिससे बड़ी बारिश की बूंदे चपटी हो जाती हैं। ब्राजील और मार्शल द्वीपों पर पृथ्वी पर सबसे बड़ी वर्षा दर्ज की गई2004 में – उनमें से कुछ 10 मिमी (0.39 इंच) जितने बड़े थे।
चेरापूंजी , शिलांग में पूर्वी हिमालय के दक्षिणी ढलानों पर स्थित है जहां पर औसत वार्षिक वर्षा 11,430 मिमी होती है। मौसिनराम , मेघालय , भारत 11,873 मिमी होती है।island of Maui पर 9,500 मिमी तक वर्षा का औसत रहता है।
Lloro , में स्थित एक शहर चोको , कोलम्बिया , शायद दुनिया में सबसे ज्यादा वर्षा वाला स्थान है, प्रति वर्ष 13,300 मिमी । चोको का विभाग असाधारण रूप से आर्द्र है। टुटुनंडे, एक एक छोटा शहर, पृथ्वी पर सबसे अधिक अनुमानित स्थानों में से एक है, प्रति वर्ष औसतन 11,394 मिमी तक यहां पर वर्षा होती है।
महाद्वीप | जगह | सबसे अधिक वर्षा in | सबसे अधिक वर्षा cm | |
उच्चतम औसत वार्षिक वर्षा | एशिया | मावसिनराम, भारत | 467.4 | 11,870 |
एक वर्ष में उच्चतम | एशिया | चेरापूंजी, भारत | 1,042 | 26,470 |
एक कैलेंडर माह में सबसे ज्यादा | एशिया | चेरापूंजी, भारत | 366 | 9296 |
24 घंटे में सबसे अधिक | हिंद महासागर | फ़ोक फ़ोक, ला रीयूनियन द्वीप | 71.8 | 1,820 |
12 घंटे में सबसे अधिक | हिंद महासागर | फ़ोक फ़ोक, ला रीयूनियन द्वीप | 45.0 | 1,140 |
एक मिनट में सबसे ज्यादा | उत्तरी अमेरिका | Unionville, मैरीलैंड , संयुक्त राज्य अमेरिका | 1.23 | 31.2 |
आइए अब बात करते हैं कि वर्षा कितने प्रकार की होती है ।
Table of Contents
वर्षा कितने प्रकार की होती है संवहनीय वर्षा (Convectional rain)
संवेदी वर्षा तब होती है जब सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी की सतह को गर्म करती है, जिससे पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है।सूर्य की गर्मी उपर की हवा को गर्म करती है।इसकी वजह से हवा बढ़ती है और उसके बाद जब हवा उपर जाकर ठंडी होती है तो वाष्प जल की बूंदों के अंदर बदल जाता है। और वर्षा होती है। कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इस तरह की वर्षा बहुत आम है, लेकिन गर्म धूप के दौरान दक्षिण पूर्व इंग्लैंड जैसे क्षेत्रों में भी इस प्रकार की वर्षा होती है।
हवा की धाराएं कणों को बादल में ऊपर और नीचे ले जाती हैं और जैसा कि नाभिक के चारों ओर बर्फ की अतिरिक्त परतें होती हैं। आखिरकार, ओलावृष्टि बहुत भारी हो जाती है, और वे जमीन पर गिर जाती हैं।
वर्षा के प्रकार पर्वतकृत वर्षा (Orographical rain)
जैसा कि इस वर्षा के नाम से ही स्पष्ट है।यह वर्षा पर्वतों की वजह से ही होती है। आमतौर पर समुद्र और पानी के स्थलों के आस पास गर्मी बढ़ने की वजह से वाष्प बनता है और उसके बाद यही वाष्प उपर उठता है। लेकिन जब यह पर्वत तक पहुंचता है तो उसके उपर जर्मी बर्फ से वाष्प वापस बूंदों के अंदर बदल जाता है और बारिश होने लग जाती है।विश्व के कई भागों के अंदर इसी प्रकार की वर्षा होती है और भारत मे भी यही वर्षा होती है।
वर्षा कितने प्रकार की होती है चक्रवाती वर्षा किसे कहते हैं (Cyclonic rain)
इस प्रकार की वर्षा गर्म और शीतल वायु के मिलने से होती है।इसमे भी सबसे पहले पानी गर्मी से भाप के अंदर बदलता है और उसके बाद ठंडी हवा नीचे की ओर आती है तो गर्म हवा उपर की और उठती है। जिसकी वजह से वर्षा होने लगती है। इसी को चक्रिय वर्षा के नाम से जाना जाता है।
अब तक हमने वर्षा के हवाओं के आधार पर प्रकार के बारे मे जाना ।अब हम तरलता के आधार पर वर्षा के प्रकार के बारे मे थोड़ी चर्चा और कर लेते हैं।
Liquid precipitation तरल वर्षा
Liquid precipitation या तरल वर्षा वह होती है जब बूंद के रूप मे बारिश होती है। और यह बूंद भी कई प्रकार की होती है। उस आधार पर वर्षा अलग अलग प्रकार की हो जाती है।
Drizzle बूंदा बांदी
बूदा बांदी के बारे मे तो आप जानते ही होंगे ।यह तब होती है जब बारिश की बूंद का आकार व्यास में 0.5 मिमी (0.02 इंच) से छोटी होती हैं। बूंदा बांदी सामान्य रूप से कम समतल बादलों और स्ट्रैटोकोमुलस बादलों द्वारा निर्मित होती है । रिमझिम बारिश की दर प्रति दिन एक मिलीमीटर (0.04 इंच) प्रति दिन या उससे कम होती है।
Rain वर्षा
वर्षा एक नोर्मल वर्षा है ।जो बूंदा बांदी से संघनन होती है।वर्षा जल चक्र का प्रमुख घटक है। यह खेतों के लिए बहुत उपयोगी होती है।वर्षा के बारे मे हम आपको बता ही चुके हैं।
Cloudburst
जब बादल फटने की घटना होती है तो उसे ही Cloudburst के नाम से जाना जाता है।ऐसी स्थिति के अंदर बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं। हालांकि बादल फटने की घटनाएं काफी कम ही होती हैं। 25 मिमी वर्षा 25,000 मीट्रिक टन / किमी तक यह डप कर सकती है।बादल फटने की स्थिति तब होती है जब गर्म हवा अचानक से ठंडी हवा से घुल मिल जाती है और उसके बाद संघनन हो जाती है।
बादल फटने के दौरान कुछ ही मिनटों में 20 मिलीमीटर (0.79 इंच) से अधिक बारिश हो सकती है। बादल फटने के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। क्लाउडबर्स्ट फ्लैश फ्लड क्रिएशन के लिए भी जिम्मेदार हैं
भारतीय उपमहाद्वीप में , आमतौर पर एक बादल फटने की घटना तब होती है जब एक मानसून बादल उत्तर की ओर बहता है, जो बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से मैदानी इलाकों में बहता है जिससे 75 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश होती है बादल फटने की कुछ सामान्य घटनाएं इस प्रकार से दर्ज की गई हैं।
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समयांतराल | वर्षा | स्थान | तारीख |
1 मिनट | 1.5 इंच (38.10 मिमी) | बेससे-टेरे , गुआदेलूप | 26 नवंबर 1970 |
5.5 मिनट | 2.43 इंच (61.72 मिमी) | पोर्ट बेल , पनामा | 29 नवंबर 1911 |
15 मिनट | 7.8 इंच (198.12 मिमी) | प्लंब पॉइंट , जमैका | १२ मई १ ९ १६ |
20 मिनट | 8.1 इंच (205.74 मिमी) | कर्टिया डे आर्गे , रोमानिया | 7 जुलाई 1947 |
40 मिनट | 9.25 इंच (234.95 मिमी) | गिनी , वर्जीनिया , संयुक्त राज्य | 24 अगस्त 1906 |
1 घंटा | 9.84 इंच (250 मिमी) | लेह , लद्दाख , भारत | 5 अगस्त, 2010 |
1 घंटा | 5.67 इंच (144 मिमी) | पुणे , महाराष्ट्र , भारत | 29 सितंबर, 2010 |
1.5 घंटे | 7.15 इंच (182 मिमी) | पुणे, महाराष्ट्र, भारत | 4 अक्टूबर, 2010 |
पांच घंटे | 15.35 इंच (390 मिमी) | ला प्लाटा , ब्यूनस आयर्स , अर्जेंटीना | 2 अप्रैल, 2013 |
10 घंटे | 57.00 इंच (1,448 मिमी) | मुंबई , महाराष्ट्र, भारत | 26 जुलाई, 2005 |
चौबीस घंटे | 54.00 इंच (1,372 मिमी) | पिथौरागढ़ , उत्तराखंड , भारत | 1 जुलाई 2016 |
13 घंटे | 45.03 इंच (1,144 मिमी) | फ़ोक-फ़ोक, ला रियूनियन | 8 जनवरी, 1966 |
20 घंटे | 91.69 इंच (2,329 मिमी) | गंगा डेल्टा , बांग्लादेश / भारत | 8 जनवरी, 1966 |
चौबीस घंटे | 73.62 इंच (1,870 मिमी) | सिलोस , ला रियूनियन | मार्च, 1952 |
भारत के अंदर भी अनेक बादल फटने की घटाएं हो चुकी हैं और इसकी वजह से लाखों लोग मारे जाते हैं और जान माल को भी नुकसान होता है।
- 28 सितंबर, 1908 को मुंसी नदी मे बाढ़ आई थी जिसमे 15000 लोग मारे गए थे और 80000 से अधिक घर बह गए यह बदाल फटने की वजह से हुआ था।
- जुलाई 1970 में, ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से एक पुरा गांव बह गया था।
- 15 अगस्त, 1997 को, 1500 लोग मारे गए थे। यह घटना शिमला के हिमाचल प्रदेश की है।
- 17 अगस्त, 1998 को बादल फटने से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की काली घाटी में 60 कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों सहित 250 लोगों की मौत हो गई।
- 16 जुलाई, 2003 को , हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के गुरसा क्षेत्र में बादल फटने से बाढ़ आई थी और उसके अंदर 40 लोग मारे गए थे ।
- 26 जुलाई 2005 को, एक बादल फटने से मुंबई में लगभग 950 मिलीमीटर वर्षा हुई ।जिसकी वजह से 1000 से अधिक लोग मारे गए और आधे से ज्यादा मुंबई के अंदर बाढ़ आ गई।
- 7 अगस्त 2009 को, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी के पास बादल फटने से 38 लोगों की मौत हो गई थी।
- 6 अगस्त, 2010 को लेह में , बादल फटने की एक श्रृंखला ने 1,000 लोगों की मृत्यु हो गई और 400 से अधिक घायल हो गए ।
reezing precipitation बर्फ़ीली वर्षा
बर्फ़ीली वर्षा वह होती है जिसमे बारिश की बूंदों के साथ बर्फ गिरती है। तो आइए जानते हैं इस बर्षा के प्रकारो के बारे मे भी ।
बर्फ़ीली बूंदा बांदी Freezing drizzle
बर्फ़ीली बूंदा बांदी का अर्थ यह है कि बारिश की बूंदों के साथ मामूली बर्फ गिरती है। हालांकि इसमे बर्फ का आकार बहुत ही छोटा होता है।यह कई बार रेगिस्तानी इलाकों के अंदर भी होती है। बर्फ़ीली बूंदा बांदी विमान के लिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि सुपरकूल पानी की बूंदें एयरफ्रेम पर जम जाएंगी, जिससे विमान का प्रदर्शन काफी कम हो जाएगा। 31 अक्टूबर, 1994 को अमेरिकी ईगल फ़्लाइट 4184 बर्फ़ीली बूंदा बांदी ने ही किया था।
बारिश और बर्फ मिश्रित Rain and snow mixed
इसको हिमपात भी कहा जाता है। इस वर्षा के अंदर कुछ पानी की बूंदे भी होती हैं तो इन पानी की बूंदों के साथ बर्फ के कठोर टुकड़े भी होते हैं।यह वर्षा तब होती है जब वायुमंडल के सबसे निचले हिस्से में तापमान पानी के हिमांक बिंदु (0 ° C या 32 ° F) से थोड़ा ऊपर होता है । ऊपर से गिरने वाली बर्फ को पिघलाने के लिए आवश्यक निम्न-स्तर की गर्म हवा हिमांक के नीचे से नीचे चली जाती है।
Frozen precipitation हिमपात
हिमपात का मतलब आप समझ ही चुके हैं। यहां पर पानी की बूंदें नहीं बरशती हैं वरन केवल बर्फ पड़ती है। जिन स्थानों पर हमेशा हल्की बर्फ पड़ती रहती है। उसे ही हिमपात कहा जाता है। और कई बार हिमपात की वजह से रस्ते वैगरह भी अवरूद्ध हो जाते हैं।हिमपात होने की वजह से सारे रस्ते सफेद हो जाते हैं और पहाड़ी इलाकों मे तो जाना ही कठिन होता है।
Snow grains
बर्फ के दाने वर्षा का एक रूप हैं । बर्फ के दानों को बहुत छोटे (<1 मिमी), बर्फ के सफेद, अपारदर्शी होते हैं ,जो काफी सपाट या लम्बी होती हैं। बर्फ के छर्रों के विपरीत , बर्फ के दाने उछाल या प्रभाव पर टूटते नहीं हैं।
Diamond dust
वैसे यह देखने मे कोहरे के समान होती है लेकिन यह कोहरे से अलग दिखती है।कोहरा तो केवल पानी से बना होता है लेकिन यह Diamond dust सीधा बर्फ के रूप मे बनाता है। इसके अलावा कोहरा देखने मे समस्या पैदा करता है लेकिन यह देखने मे कोई समस्या पैदा नहीं करती है। यह बर्फ के टुकड़े आमतौर पर तब बनते हैं जब सतह का तापमान ठंडा होता है और उपर की हवा गर्म होती है। जब यही उपर की हवा सतह के तापमान के संपर्क मे आती है तो बर्फ पैदा होती है क्योंकि गर्म हवा के अंदर अधिक जल वाष्प होती है।
हीरे की धूल बनाने के लिए तापमान पानी के हिमांक से नीचे होना चाहिए , 0 ° C (32 ° F), या बर्फ नहीं बन सकती या पिघल नहीं जाएगी। हालांकि, हीरे की धूल अक्सर 0 ° C (32 ° F) के पास तापमान पर नहीं देखी जाती है।
Megacryometeor
Megacryometeor एक बर्फ का बहुत बड़ा टुकड़ा होता है।यह बड़ा बर्फ का टुकड़ा आसमान के अंदर बनता है।यह बड़े पैमाने पर 0.5 किलोग्राम तक के हो सकता है।वर्ष 2000 के बाद से 50 से अधिक मेगाक्रीमीटर्स दर्ज किए गए हैं।
वर्षामापी
आज से 500 साल पहले यूनान के लोगों ने वर्षा को मापने के यंत्र के बारे मे बताया था। उसके बाद भारत के अंदर भी कौटिल्य के अर्थशास्त्र मे वर्षा को मापने के यंत्र के बारे मे उल्लेख मिलता है।उसके बाद 1662 ई के अंदर ब्रिटेन के क्रिस्टोफर रेन ने पहला टिपिंग बकेत वर्षामापी (tipping-bucket rain gauge) विकसित किया।
वर्षा को मिलीमीटर के अंदर मापा जाता है।वर्षामापी के अंदर प्रयोग किये जाने वाले सिद्धांत के अनुसार एक चौड़े मुख वाला बर्तन लिया जाता है और उसको किसी खुले स्थान पर रखा जाता है। जिससे वर्षा का जल उसके अंदर आसानी से गिर सके ।उसके बाद इस यंत्र के अंदर पानी की उंचाई के आधार पर वर्षा को माप लिया जाता है।
वर्षा कितने प्रकार की होती है ? लेख के अंदर हमने वर्षा के प्रकार के बारे मे जाना ।यह लेख आपको पसंद आया होगा । यदि अपने विचार रखना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करें ।
भारत के अंदर सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान
यदि हम भारत के अंदर सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान की बात करें तो यहां पर तीन ऐसे स्थान हैं जंहा पर सबसे अधिक वर्षा होती है।
मौसिनराम, मेघालय, भारत में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 11,873 मिमी (467 इंच) है। जंहा पर काफी अधिक वर्षा होती है।
चेरापूंजी, मेघालय, भारत में दूसरा सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान के तौर पर हम जानते हैं। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 11,430 मिमी (450 इंच)
म्योरपुर, मेघालय, यह भारत मे सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान के अंदर आता है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 11,236 मिमी (443 इंच) है।
हालांकि भारत के बहुत सारे ऐसे राज्य भी हैं जंहा पर बहुत कम वर्षा होती है। जैसे कि राजस्थान को आप ले सकते हैं। राजस्थान के अंदर वर्षा काफी कम ही होती है। अक्सर यहां पर सूखा रहता है। और धूल भरी आंधियां चलती हैं।
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This post was last modified on January 12, 2024
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Kyaa Sir!!! Rain ke bhi Prakaar hote hain kya?