आज हम आपके लिए पेटिएम कम्पनी के मालिक विजय शेखर शर्मा की सक्सेस स्टोरी लेकर आएं हैं। अब विजय शेखर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। लेकिन एक ऐसा दौर भी उनकी जिंदगी के अंदर भी था । जब उनकी कम्पनी कर्ज के अंदर डूब गई थी। और उनको दिवालिया तक घोषित कर दिया गया था लेकिन फिर भी हार नहीं मानी इस इंसान ने हम इसकी इच्छा शक्ति शलाम करते हैं।
कहते हैं जो इंसान अपने अंत समय तक प्रयास करता रहता है। उसे सफल होने से कोई रोक नहीं सकता । सच मायने मे ऐसे लोग ही दुनिया के अंदर अपना मुकाम हाशिल करते हैं जो गिर कर संभलने की ताकत रखते हैं। जिनके अंदर द्रढ इच्छा शक्ति होती है। वे लोग तो हार मान लेते हैं जो एक बार हार जाने के बाद दुबारा प्रयास ही नहीं करते हैं।
किसी ने सच ही कहा है
वो कभी असफल हो ही नहीं सकता जो हर बार गिर
संभल जाता हो
वरन असफल वो होता है जो गिर कर संभलने की शक्ति खो देता है।
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कौन है विजय शेखर शर्मा
आपने पेटिएम का नाम सुना ही होगा । विजय शेखर शर्मा पेटिएम कम्पनी के मालिक हैं। यह अलिगढ़ उतर प्रदेश के एक छोटे से गांव के अंदर ही पैदा हुए । और वहीं हिंदी मिडियम के अंदर अपनी शिक्षा पूरी की इन्होने 14 साल के अंदर 12 वीं की परीक्षा पास करली थी ।
विजय शेखर ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली के कॉलेज के अंदर दाखिला लिया । लेकिन इनकी अंग्रेजी कमजोर होने की वजह से कई बार कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा । लेकिन इसकी वजह से उन्होंने अपने आत्मविश्वास को कभी कमजोर नहीं होने दिया ।घर के अंदर पैसों कि दिक्कत की वजह से अपने एक दोस्त के साथ मिलकर बिजनेस शूरू किया ।
पहली कम्पनी से हुए दिवालिया
1997 के अंदर उन्होंने एक दोस्त के साथ मिलकर इंडिया साईट नेट नामक कम्पनी खोली लेकिन बाद मे इसको उन्होंने एक अमरीकी कम्पनी को बेच दिया । और खुद भी उस कम्पनी के अंदर नौकरी भी करने लगे । लेकिन कुछ समय नौकरी करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें भी अपना बिजनेस करना चाहिए। इसी विचार के साथ वे वापस भारत आ गए । उसके बाद 2001 के अंदर इन्होंने
नामक कम्पनी खोली जोकि वैल्यूएड सर्विस से जुड़ी हुई थी । और उनकी यह कम्पनी बड़ी कम्पनियों के साथ करार करने मे सफल रही । लेकिन 2011 के अंदर आर्थिक गिरावट के अंदर कम्पनी दिवालिया हो गई।
फिर से शूरू की बंद कम्पनी पैसा ब्याज पर लेकर
लेकिन विजय हार मानने वाले इंसानों मे से नहीं थे । कम्पनी बंद हो जाने के बाद फिर से उन्होंने अपने दोस्त से पैसे उधार लिये और कम्पनी को दुबारा शूरू किया । लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली । कम्पनी की आमदनी इतनी कम थी कि वे वर्करों को पैसे भी समय पर नहीं दे पाते थे । खुद कार की बजाय बस के अंदर आते थे । उनके पास कई बार तो खाने तक के पैसे भी नहीं होते थे । तब वें चाय और बिस्कुट से ही काम चलाते थे । वे घर के अंदर रात को घुस्सते थे ताकि मकान मालिक पैसा ना मांग ले । क्यों कि उनके पास देने के लिए पैसा नहीं था।
कैसे र्स्टाट की पेटिएम कम्पनी कैसे बने सक्सेस
विजय ने 2010 के अंदर भारत के मार्केट पर गौर किया और उन्हें यह जाना की आखिर कस्टमर चाहते क्या हैं। बस इसी को ध्यान मे रखते हुए उन्होंने अपनी पूरानी कम्पनी one97 के अंदर पेटिएम नामक एक सुविधा जोड़ी जिसकी मदद से मोबाइल रिचार्ज किया जा सकता था । उस समय मार्केट के अंदर अन्य रिचार्ज कम्पनियां भी थी । लेकिन उनका सिस्टम इतना सरल नहीं था । यही वजह रही कि ज्यादा से ज्यादा कस्टमर इनके साथ जुड़ने लगे । उसके बाद उन्होंने इसमे कई सारे फेचर भी जोड़ दिये । जैसे टिकट बुकिंग , बिजली बिल गैस बिल वैगरह । अब कम्पनी के कई करोड़ कस्टमर हैं।
अब पेटिएम के 122 मिलियन सक्रिय कस्टमर है। और 67000 करोड़ कम्पनी का turn over है।
बन चुके हैं विजय शेखर शर्मा अरबपति
फोर्ब्स पत्रिका ने उनको 1339 वे पायदान पर रखा ।फोर्ब्स पत्रिका ने बताया की नोटबंदी के दौरान पेटिएम ने सबसे ज्यादा फायदा उठाया । इसके रजिस्टर्ड कस्टमर की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच गई । नोट बंदी के तुरन्त बाद ही लोग 500 और 1000 के नोटों से मुक्ति पाने के लिए सबसे ज्यादा पेटिएम का इस्तेमाल करने लगे और । पेटिएम से एक दिन मे 70 लाख तक का ट्रांजेक्सन होने लगा ।
सीख
दोस्तों हम आपको लग भग हर कहानी के अंत मे यह बताते हैं कि किसी सक्सेस स्टोरी से आप क्या सीख सकते हैं। यह स्टोरी भी काफी कुछ सीखने लायक है। आपने देखा कि करोड़ो की नींव खड़ी करने के लिए इंसान को संघर्ष करना पड़ता है। जो लोग हर बार बार कर भी हार को स्वीकार नहीं करते हैं और दुगुने प्रयास करते हैं वो ही जिंदगी के अंदर सक्सेस होते हैं।
लेकिन दोस्तों हम सब की प्रोब्लम सिर्फ एक ही है कि हम सक्सेस तो होना चाहते हैं लेकिन सक्सेस होने के लिए हम मेहनत नहीं करना चाहते । यदि सच मे सक्सेस होना है तो मेहनत करनी होगी क्योंकि बना मेहनत के कुछ नहीं होता है।