जनजाति विवाह के प्रकार ,विवाह कितने प्रकार का होता है ,vivah kitne prakar ke hote hain दोस्तों विवाह को एक सामाजिक कार्य माना जाता है। और प्रत्येक प्रकार के समुदाय के अंदर कुछ विवाह के प्रकार होते हैं। इनके अपने नियम होते हैं। जिनकी मदद से वर और वधु को साथ रहकर संतान पैदा करने की अनुमति दी जाती है। अनेक जातियों और उपजातियों के अंदर अलग अलग विवाह की परम्पराएं हैं। और कुछ जनजातियों के अंदर एक से अधिक विवाह की परम्पराएं होती हैं।
नीचे दिये जा रहे विवाह के प्रकारों मे से एक सभ्य समाज के अंदर अब यह प्रकार विलुप्त होते जा रहे हैं। लेकिन इनमे से सभी विवाह के प्रकार एक ना एक समय अस्ति्व के अंदर थे । इस लेख के अंदर हम बात करेंगे । हिंदु विवाह के प्रकार और मुश्लिम विवाह के प्रकार व जनजातिय विवाह के प्रकार पर ।
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आदिवासी विवाह के प्रकार/जनजाति विवाह के प्रकार
दोस्तों भारत के अंदर अनेक तरह की जनजातियां रहती हैं। जैसे भील ,गोंड ,कुकी ,नागा ,उराव आदि के अंदर विवाह अलग अलग तरीके से किया जाता है। और अनेक समाज विज्ञानियों ने इन जनजातियों के विवाह के तरीकों को अलग अलग प्रकारों के अंदर बांट दिया है।ताकि विवाह को अच्छे तरीके से समझा जा सके । तो आइए जानते हैं जनजातिय समूहों के अंदर विवाह के कौनकौन से प्रकार प्रचलित हैं।
क्रय विवाह vivah kitne prakar ke hote hain
क्रय विवाह के अंदर कन्या का क्रय किया जाता है। मतलब वर पक्ष की ओर से कन्या के माता पिता को कुछ राशी दी जाती है। इस राशी को वधू मूल्य कहा जाता है। उसके बाद वधू के माता पिता अपनी कन्या का विवाह करते हैं। वैसे देखा जाए तो यह लड़कियों के प्रति सम्मान सूचक माना जाता है। लड़की के माता पिता अपनी लड़की को पालते हैं और उसे बड़ा करते हैं। और उसके जाने से जो नुकसान होता है उसकी भरपाई वे वर से पैसा लेकर करते हैं।कई बार वधू मूल्य इतना अधिक होता है कि वर लोग कुंवारा रहना ही पसंद करते हैं या फिर विवाह के किसी दूसरे तरीके का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार का विवाह का तरीका नागा, गोड़ ,खारिया और संथाल जनजातियों के अंदर प्रचलित है।
वैसे देखा जाए तो क्रय विवाह की प्रव्रति आमतौर पर अब लगभग पूरे भारत के अंदर प्रचलित हो चुकी है।जब लड़कों को लड़की नहीं मिलती है तो वे इस प्रकार का विवाह करते हैं और इसके लिए वे बिचौलिय को पैसा देते हैं। उस पैसे मे से कुछ पैसा बिचौलिय खा जाते हैं और बाकी लड़की के माता पिता को देदेते हैं।
परिक्षा विवाह [ marriage by trial ]
इस प्रकार के विवाह के अंदर विवाह करने से पहले लड़के के शोर्य और साहस की परीक्षा ली जाती है। जो लड़का विवाह के अंदर पास हो जाता है। उसके साथ कन्या का विवाह कर दिया जाता है। इस प्रकार का विवाह तरीका भारत के भीलों के अंदर प्रचलित है।विवाह के इस तरीके के अंदर गोल गाधेडी नामक एक उत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसके अंदर एक खंभे या पेड पर नारियल और गुड़ बांधा जाता है। उसके बाद दो घेरे लगाये जाते हैं। अंदर वाले घेरे मे विवाह योग्य लड़कियां होती हैं। जबकि बाहर वाले घेरे के अंदर विवाह योग्य लड़के होते हैं।
सभी नाचते गाते हैं । इस प्रक्रिया के अंदर लड़कों को लड़कियों के बीच से जाकर नारियल और गुड़ को चुराना होता है। लड़कियां लड़कों को ऐसा करने से रोकने के लिए मारती हैं कपड़े फाड़ देती हैं। जो लड़का ऐसा करने मे सफल हो जाता है। वह किसी भी मन पसंद लड़की के साथ विवाह कर सकता है।वैसे कुछ जनजातियों के अंदर शिकार करने वाले युवक को अधिक खुशल माना जाता है।कोंमाचों जनजाति के अंदर यदि कोई वर भावी सास को रोजाना शिकार भेजता है तो उसके विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।
परिवीक्षा विवाह [ marriage probation ]
इस विवाह का प्रमुख उदेश्य संतान पैदा करने मे निहित होता है। इसमे होता यह है कि विवाह से पूर्व लड़के लड़की को साथ मे रहने दिया जाता है। इस दौरान वे संबंध भी बनाते हैं और उसके बाद यदि दोनों विवाह करने के लिए सहमत होते हैं तो उनका विवाह कर दिया जाता है।लेकिन यदि वे आपस मे सहमत नहीं होते हैं तो फिर लड़की को क्षतिपूर्ति देकर छोड़ दिया जाता है। वैसे यदि साथ रहने के दौरान लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है तो फिर दोनों को विवाह करना ही पड़ता है।इस विवाह के प्रकार का लोग गलत फायदा भी उठाते हैं। क्योंकि वे महिलाओं का प्रथा के नाम पर शोषण करते हैं।
भारत की कूकी जनजाति के अंदर इस प्रकार की प्रथा प्रचलित है। जिसमे लड़का कुछ समय तक लड़की के घर जाकर निवास करने लग जाता है। और वे दोनों पति पत्नी की तरह रहते हैं।
हठ विवाह [ marriage by intrunion]
हठ विवाह के अंदर लड़की लड़के के घर आकर रहने लग जाती है। लड़की को घर से निकालने के लिए लड़की के माता पिता कठोर यातनाएं देते हैं। और उसे किसी भी तरीके से घर से निकालने की कोशिश करते हैं । लेकिन यदि लड़की को वे घर से निकालने मे असफल हो जाते हैं तो फिर लड़की का विवाह लड़के के साथ करना ही पड़ता है।विवाह का प्रकार संथाल और बिरहोर जनजाति के अंदर पाया जाता है।
सेवा विवाह vivah kitne prakar ke hote hain
सेवा विवाह ऐसी जगहों पर पाया जाता है। जहां पर वर पक्ष के लोग क्रय मूल्य चूकाने मे समर्थ नहीं होते हैं। इस विवाह के अंदर वर जाकर अपने सास ससुर के यहां पर रहने लगता है। और उनकी सेवा करता है। यदि वर की सेवा से उसके सास ससुर प्रसन्न हो जाते हैं तो फिर वे अपनी कन्या का विवाह वर के साथ कर देते हैं।भारत की गौड़ भील और वैंगा जनजाति के अंदर सेवा विवाह पाया जाता है। सेवा करने वाले युवक को भील लोग घर जंवाई और बैंगा जनजाति के अंदर लाभ सेना कहा जाता है।
विनिमिय विवाह [marriage by exchange ]
विनिमिय विवाह के अंदर लड़के और लड़की की अदलाबदली की जाती है।इस विवाह के प्रकार के अंदर एक परिवार की लड़की का और लड़के का विवाह दूसरे परिवार के लड़के और लड़की से किया जाता है। जिसे आमतौर पर अदलाबदली कहा जाता है।वैसे विवाह का यह प्रकार भारत के बहुत से भागों के अंदर प्रचलन मे आ चुका है। और जहां पर लड़के के विवाह मे परेशानी होती है तो अदलाबदली को ही अपनाया जाता है।
सहपलायन विवाह [marriage by elopement ]
विवाह के प्रकार के अंदर लड़की अपनी पसंद के लड़के के साथ चुपचाप भाग जाती है।उसके बाद दोनों विवाह कर लेते हैं और भील लोग इसे राजी खुशी विवाह कहते हैं। इस प्रकार का विवाह आस्ट्रेलिया के अंदर भी प्रचलित है।यह विवाह तब किया जाता है। जब लड़के लड़की के माता पिता विवाह के लिए तैयार नहीं होते हैं तो दोनों घर से भाग जाते हैं। और कुछ समय बाद आकर साथ रहने लगते हैं। उसके बाद समाज की उन्हें स्वीक्रति मिल जाती है।
इस प्रकार के विवाह का एक रूप लगभग रह जगह पर प्रचलित है। और बहुत से लड़के और लड़की उनके माता पिता राजी नहीं होने पर घर से भाग जाते हैं।
अपहारण विवाह [marriage by capture]
विवाह के इस प्रकार के अंदर वर कन्या का बलपूर्वक विवाह कर लेता है। इसके अंदर होता यह है कि वर कन्या का कहीं पर भी हाथ पकड़ लेता है। और उसकी मांग भर देता है। आमतौर पर मेले के अंदर वर कन्या का हाथ पकड़ लेता है। ऐसी स्थिति के अंदर कन्या पक्ष के लोग वर से लड़की का हाथ छूटाने की कोशिश करते हैं। इसके लिए वे लड़के को मारते पिटते हैं। यदि उसके बाद भी वह हाथ नहीं छोड़ता है तो दोनों का विवाह कर दिया जाता है। वैसे विवाह का यह प्रकार अब समाप्त होता जा रहा है। क्योंकि इस प्रकार से लड़की का हाथ पकड़ना कानूनी अपराध है।
मुस्लिम विवाह के प्रकार
मुस्लिम विवाह को एक सामाजिक समझौता माना जाता है। मिस्लिम विवाह को उर्दू के अंदर निकाह कहा जाता है। मुस्लिम विवाह की सबसे खास बात तो यह होती है कि इसमे क्या और वर से यह पूछा जाता है कि विवाह कबूल है या नहीं ? यदि विवाह कबूल नहीं होता है। तो विवाह नहीं हो पाता है।यदि दोनों पक्षों मे से कोई भी एक प़क्ष विवाह करने से इंनकार कर देता है तो विवाह नहीं हो पाता है। वैसे मुस्लमानों के रिति रिवाज अलग होते हैं। इनके अंदर मौलवी विवाह करवाते हैं।वैसे मुस्लिम विवाह की बात करें तो मुस्लमानों के अंदर विवाह करना काफी आसान हो जाता है। मुस्लमान केवल अपने मां की संतानों से और अपनी सास से शादी नहीं कर सकते हैं। बाकि अन्य सभी से शादी कर सकते हैं। जबकि हिंदु 4 गोत को टालते हैं।जबकि मुस्लमानों मे तलाक लेना भी आसान होता है। यही वजह है कि भारत के मुस्लमानों की तलाक की दर काफी अधिक है। मुस्लमानों मे तीन तलाक चलता है। जोंकि पीछले दिनों मिडिया के अंदर उछाला गया था।
मुस्लिम विवाह के भी कई प्रकार होते हैं। आइए जानते हैं मुस्लिम विवाह के प्रकार के बारे मे।
Sahih Marriage
यह मुस्लिम विवाह का वह प्रकार होता है। जोकि शरिया कानून के अनुसार वैध होता है।इस विवाह से पैदा हुए सारे बच्चे वैध होते हैं। और पति को अपनी पत्नी पर रोक लगाने का हक होता है। इसके अलावा पत्नी अपने पति से सेवा पाने का हकदार होती है।
फ़ासिद विवाह
यह एक प्रकार का अनियमित विवाह होता है। जिसके अंदर वर और वधू विवाह शर्त को पूरा करने मे असफल होते हैं। लेकिन इसमे बिना गवाहों के विवाह होता है। जैसे बहु विवाह का होना ।
मुता विवाह
यह विवाह अस्थाई होता है। और अनुबंध के तहत किया जाता है। इस प्रकार का विवाह शिया मुस्लमानों के अंदर ही वैध होता है। यह मुस्लमान ईसाई और दूसरे धर्म की महिलाओं के साथ इस प्रकार का विवाह करते हैं।
बातिल शादी
इस प्रकार की शादी को मुस्लिम कानूनों के अंदर वैधे माना जाता है। इस शादी से पैदा होने वाले बच्चों को भी अवैध माना जाता है। इस प्रकार की शादी की मान्यता नहीं है।
विवाह के प्रकार विवाह के स्वरूप के आधार पर
दोस्तों अब तक हमने विवाह के विभिन्न प्रकारों के बारे मे जाना । लेकिन आइए अब हम जानते हैं कि विवाह के स्वरूप के आधार पर विवाह विवाह कितने प्रकार के होते हैं ?
एकल विवाह [monogamy]
दोस्तों एकल विवाह का मतलब होता है पुरूष और महिला आपस मे विवाह करते हैं और इसके बाद वे अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करते हैं। आमतौर पर ऐसा तब होता है। जब एक पति या पत्नी का तलाकनामा मंजूर नहीं होता है। इस वजह से वह दूसरा विवाह भी नहीं कर पाता है।इस प्रकार से तलाक ना होने तक वे लोग एक दूसरे के साथ ही रहते हैं। इस प्रकार की प्रथा भारत की कई जनजातियों जैसे खासी ,संथाल के अंदर भी प्रचलित है। इसके अलावा एकल विवाह की प्रव्रती सभ्य समाज के अंदर भी प्रचलन मे है।
बहुपत्नी विवाह [polygamy]
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है। बहुपत्नी विवाह के अंदर एक पुरूष अनेक स्त्रियों से शादी करता है। हालांकि अब आम जन के अंदर बहुपत्नी विवाह का प्रचलन नहीं है। इसका प्रमुख कारण आर्थिक और कानूनी है। अधिकतर लोग बहुपत्नी विवाह को इस वजह से भी महत्व नहीं देते हैं क्योंकि वे ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं से घिर जाते हैं। इसके अलावा भारत के कानून के अंदर भी बहुपत्नी विवाह को मान्यता नहीं दी गई है।
लेकिन फिर भी गौंड वैंगा और टोड़ा जैसी जनजातियों के अंदर इस प्रकार का विवाह प्रचलित है। बहुपत्नी विवाह करने का प्रमुख उदेश्य यह है कि जहां पर पुरूषों की संख्या कम होती है वहां पर बहुपत्नी विवाह अधिक प्रचलित होता है। इसके अलावा आर्थिक रूप से उच्च वर्ग भी बहुपत्नी विवाह करते हैं।जनजातिये क्षेत्रों के अंदर जीवीकोपर्जन के लिए कठोर परिक्ष्रम करना पड़ता है। इस वजह से भी अनेक स्त्रियों से विवाह किया जाता है ताकि वे काम के अंदर हाथ बंटा सकें और साथ ही मनोरंजन भी हो सके ।
अफ्रिका और युगांडा की वग्णंडा जनजाति के अंदर आज भीबहु पत्नी विवाह पाया जाता है।इसकी वजह यह है कि इन क्षेत्रों के अंदर स्ति्रयों की संख्या पुरूषों की तुलना मे अधिक होती है। क्योंकि यहां पर बच्चों की म्रत्यु दर अधिक होती है।
बहुपति विवाह [polyandry]
जिस तरह से बहुपत्नी विवाह होता है। उसी तरीके से बहुपति विवाह भी होता है। इसके अंदर एक महिला से कई पुरूष विवाह कर लेते हैं। और महिला अपने अलग अलग पति के पास बारी बारी से रहती है।पूर्वी अफ्रिका की बहुमा जनजाति के अंदर इस प्रकार का विवाह पाया जाता है।आमतौर पर इस जनजाति के अंदर इस प्रकार का विवाह गरीबी की वजह से होता है। गरीब होने की वजह से यह लोग आपस मे मिलकर एक महिला से विवाह कर लेते हैं। और बारी बारी से उसके साथ पति की तरह रहते हैं। लेकिन महिला को बच्चा हो जाने के बाद उस पर सिर्फ वास्तविक पति का एकाधिकार हो जाता है।
नाइजरिया की ग्वारी जनजाति के अंदर भी बहुपति प्रथा पाई जाती है। यहां पर एक महिला के अनेक पति होते हैं। जोकि अलग अलग स्थानों पर रहते हैं। महिला इच्छा अनुसार किसी भी पति के पास जा सकती है। इस जनजाति के अंदर बच्चे पर अधिकार उसके वास्तविक पिता का होता है।भारत की खस जनजाति और टोड़ा जनजाति के अंदर बहुपति विवाह का प्रचलन है।
समूह विवाह [group marriage ]
इस प्रकार के विवाह की प्रव्रति बहुत ही कम देखने को मिलती है।विवाह के इस प्रकार के अंदर एक परिवार के विवाह योग्य पुरूषों का विवाह दूसरे परिवार की विवाह योग्य कन्याओं से कर दिया जाता है। इसकी सबसे खास बात यह होती है कि इसमे प्रत्येक पुरूष प्रत्येक महिला का पति होता है।
हिंदू विवाह कितने प्रकार के होते हैं? Type of hindu marriage
हिंदू विवाह को एक पवित्र रिश्ता माना जाता है। हिंदू विवाह के अंदर पति पत्नी के संबंध को मात्र एक संबंध ही नहीं माना जाता है। वरन उसे एक ऐसा अटूट रिश्ता माना जाता है जोकि हमेशा बना रहे । यह सातों जन्म का रिश्ता माना जाता है।इस वजह से हिंदू विवाह के अंदर आत्मिय रिश्ते पर अधिक जोर दिया गया है। हिंदू विवाह के अंदर एक बार विवाह हो जाने के बाद पति पत्नी एक दूसरे के हमेशा के लिए हो जाते हैं और पति तन मन और धन से अपनी पत्नी का और पत्नी भी तन मन से अपने पति की हो जाती है। विवाह के बाद पर पुरूष से संबंध रखना पाप कर्म माना गया है।
महाभारत के अंदर भी कई प्रकार के विवाह का उल्लेख मिलता है। आइए जानते हैं । महाभारत के अनुसार हिंदू विवाह के प्रकार के बारे मे ।
ब्रह्म विवाह
ब्रह्म विवाह सबसे अच्छा विवाह माना जाता है। इसके अंदर लड़की और लड़के के माता पिता की आपसी सहमति से विवाह होता है। और लड़की को धन और आभूषण देकर विदा किया जाता है। आज के समय मे विवाह का यह रूप सबसे अधिक प्रचलित है। जब पहले लड़की के माता पिता लड़का देखने जाते हैं। उसके बाद लडके वाले लड़की को पसंद करते हैं । और उसके बाद दोनों का विवाह होता है। और लड़की के माता पिता लड़की को देहज देते हैं। यह सब ब्रह्म विवाह का ही तो रूप है।
दैव विवाह
दैव विवाह के अंदर किसी धार्मिक अनुष्ठान के बदले अपनी कन्या को दान मे देदेना देव विवाह कहलाता है। वैसे विवाह के इस प्रकार का आज कल उपयोग नहीं होता है। हां प्राचीन काल के अंदर जब यज्ञ वैगरह होते थे तो लोग अपनी कन्याओं को दान कर देते थे । या उनका विवाह कर देते थे ।
आर्श विवाह
आर्श विवाह का स्वरूप आज भी प्रचलित है। आजकल जिन लड़कों के लिए लड़की नहीं मिलती है। वे कुछ दलालों से संपर्क करते हैं और उसके बाद वे दलाल लड़कियों के माता पिता को बरगाल कर उन्हें पैसा देकर लड़की को खरीद लेते हैं और उन लड़कों को वह लड़की बेच दी जाती है जिनका विवाह नहीं हो रहा है। आर्श विवाह के उदहारण आपको अपने आस पास भी मिल जाएंगे।
प्रजापत्य विवाह
इस विवाह के अंदर लड़की सहमत नहीं होती है। लेकिन लड़की और लड़के के परिवार वाले सहमत होते हैं। और लड़की का विवाह जबरदस्ती करवा दिया जाता है। . प्रजापत्य विवाह का रूप आज भी देखने को मिलता है। आज बहुत सी ऐसी लड़कियों की शादी ऐसे लड़के से करा दी जाती है, जिनको वे पसंद नहीं करती हैं।
गंधर्व विवाह
गंधर्व विवाह का मतलब होता है। ऐसा विवाह जिसके अंदर लड़की और लड़का विवाह के सहमत होते हैं। और परिवार वालों की अनुमती नहीं ली जाती है। इसके अंदर किसी भी प्रकार के रीति रिवाज का पालन नहीं किया जाता है। जैसे कोई व्यक्ति किसी लड़की को भगाकर ले जाता है। और उसके बाद वह उससे किसी भी मंदिर के अंदर जाकर बिना किसी रिति रिवाज के शादी कर लेता है। तो इस प्रकार का विवाह गांर्धव विवाह कहलाता है।
असुर विवाह
असुर विवाह के अंदर वर कन्या को खरीद लेता है। और उसके बाद उसके साथ विवाह कर लेता है। आमतौर पर इस प्रकार की प्रव्रति गरीब ईलकों के अंदर पाई जाती है। जहां पर लोग कुछ पैसे के लालच मे आकर अपनी कन्याओं को बेच देते हैं।
राक्षस विवाह
कन्या की सहमति के बिना उसे वर बलपूर्वक उठा कर ले जाता है। और अपनी ताकत दिखा कर उससे शादी कर लेता है। वैसे इस प्रकार का विवाह भारत के अंदर बैन है किसी लड़की का अपहारण करने पर कठोर दण्ड मिलता है।
पैशाच विवाह
पैशाच विवाह के अंदर कन्या की दुर्बलता का फायदा उठाकर उसके साथ संबंध बनाए जाते हैं और उसके बाद उसके साथ विवाह कर लिया जाता है। इस प्रकार के विवाह मे कन्या के माता पिता की हत्या तक कर दी जाती है।
वर्तमान समय मे विवाह के प्रकार
दोस्तों वर्तमान समय के अंदर यदि हम विवाह के प्रकार के बारे मे बात करें , तो वर्तमान मे मुख्य तौर पर तीन तरह के विवाह काफी अधिक प्रचलित हैं । जिसके अंदर पहले को हम लव मैरीज कहते हैं। इस तरह के विवाह के अंदर माता पिता की सहमती नहीं होती है। और बस लड़के और लड़की दोनो ही आपस मे शादी कर लते हैं। इस तरह के विवाह आजकल काफी अधिक प्रचलित है।
आजकल लड़के और लड़कियां काफी अधिक लव मैरीज करते हैं। हालांकि लव मैरीज के काफी भयंकर नुकसान होते हैं। दूसरी होती है अरैंज मैरीज । जिसके अंदर माता पिता लड़की की शादी करते हैं। और माता पिता की मर्जी से ही शादी होती है। और एक अलग ही तरह की मैरीज होती है , जिसको हम आमतौर पर राक्षस विवाह कह सकते हैं। इसके अंदर लड़की को किटनैप किया जाता है , और उसके बाद उसका विवाह कर दिया जाता है। अक्सर यूपी वैगरह के अंदर पकड़वा विवाह काफी अधिक प्रचलित होता है। और वहां पर लड़के को पकड़ लिया जाता है , फिर लड़की का विवाह उससे करवा दिया जाता है।
विवाह के प्रकार पर अंतिम वर्ड
दोस्तों इस लेख के अंदर हमने आपको हिंदू विवाह के प्रकार , मुस्लिम विवाह के प्रकार , और जनजाति विवाह के प्रकार के बारे मे विस्तार से समझाने का प्रयास किया । और आपको समझ मे भी आया होगा । इस लेख के अंदर हमने विवाह के प्रकारों को एक ही स्थान पर उल्लेख किया है ताकि रिडर को कोई समस्या ना हो ।
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