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1. कांच का महल
एक बार किसी राजा ने कांच का एक महल बनाया और किसी कारणवश वह उसमे नहीं रहसका । एक दिन एक चिड़िया उस कांच के महल के अंदर घुस गई और देखा तो उसे सैकड़ों वैसी ही चिड़िया दिखी तो उसने कांच पर चोंच मारी तो सभी चिड़ियाओं ने भी चोंचमारी । इतनी सारी चिड़ियाओं को देखकर वह डर गई और वहां से भाग गई मन ही मन सोचा की यह तो बहुत बुरा महल है। इसमे तो उसके हजारों दुश्मन हैं। और वह इस महल के अंदर न आने का निश्चय करके चली गई । इसी प्रकार एक दिन दूसरी चिड़िया इस महल के अंदर धुस गई । और कई सारी चिड़ियाओं को देखकर खुश हो गई तो उनके सामने वाली चिड़िया
भी खुश हो गई। उसे वह महल बहुत पसंद आया और महल से बाहर निकल कर सोचा कि यह महल तो उसके लिए बहुत अच्छा है। और उसने फिर कभी इसमे आने के बारे मे सोचा ।
कहानी का मतलब है आप जिस तरह की प्रतिक्रिया लोगों के सामने करते हो लोग भी आपकी ओर वैसी ही प्रतिक्रिया करेगे । जेा लोग संसार को आनन्द का बाजार मानते हैं संसार उनके लिए आनन्द देने वाला होता है।
2.बुरे काम का बुरा नतीजा
एक बार किसी जंगल के अंदर एक कौवा रहता था । उसके पास ही एक बतख रहती थी । बतख दिन भर भोजन की तलास मे घूमती रहती । और कौवा जंगल मे शिकारियों का भोजन चुरा कर खा जाता और मजे करता । वह बतख को भी चोरी करने की सलाह देता । लेकिन बतख उसकी सलाह को नहीं मानती । कौवा पूरे दिन पेड़ पर बैठ कर मजा करता और शाम को जब बतख थक कर आती तो वह उसे चिढ़ाता की उसमे दिमाग नहीं है। लेकिन बतख उसकी बातों को अनसुना करदेती ।
उधर कौवे की चोरी से शिकारी परेशान हो गए । एक दिन उन्होने तरकीब निकाली और खाने के अंदर जहरीला पदार्थ मिलाकर रख दिया । कौवा हमेशा की तरह उसे चुराकर ले गया । किंतु जैसे ही उसे खाया वह तड़पने लगा बतख ने उसे तड़ते देखा तो बोली कि जो बुरे काम करता है उनका अंत भी बुरा ही होता है। कौवे को समझ मे आ चुका था । किंतु अब बहुत देर हो चुकी थी और उसने वहीं पर दम तोंड़ दिया
3.दान से बड़ा कोई अच्छा कर्म नहीं है
एक अमीर बाप ने अपने बेटे को कुछ पैसे दिये और बोले की जाओ मुझे इन पैसों से कोई अच्छा कर्म करके दिखाओ । बेटे ने पैसे लिये और चला गया । वह पूरे शहर के अंदर इधर उधर घूमा ओर देखा किंतु उसे समझ मे नहीं आया कि वह अच्छा कर्म कैसे कर सकता है। लेकिन अचानक उसकी नजर सड़क के किनारे भीख मांगते अपंग पर पड़ी ।उसने सारे पैसे उस लाचार को देदिये तो वह बहुत खुश हुआ और बोला भगवान तुम्हारा भला करे । और लड़के ने मन ही मन सोचा की इस दुनिया के अंदर इससे अच्छा कर्म तो कोई हो ही नहीं सकता । वह वापस पिता के पास गया और बोला कि पिताजी मैं अच्छा कर्म करके आया हूं ।
पिता ने पूछा क्या अच्छा कर्म करके आया हूं । तब बालक ने जवाब दिया कि मैं एक अपंग लाचार को दान करके आया हूं मेरी नजर मे इससे बड़ा कोई अच्छा कर्म हो ही नहीं सकता । उसके पिता बहुत खुश हुए और बोले जो लोग जरूरत मंदों को दान करते हैं बेसहारा को सहारा देते हैं। वेही इस दुनिया के द्वारा पूजे जाते हैं
4.सही शिक्षा
एक बार की बात है । एक बहुत बड़े प्यापारी जंगल से गुजर रहे थे । रात होने वाली थी और रात के अंधेरे के अंदर जंगल को पार करना सही नहीं था । उसने और उसके दो साथियों ने जंगल मे ही रात गुजारने की सोची । वे पूरी रात जंगल मे रूके और सुबह होते ही चल दिये । जब पूरा जंगल पर कर गए तो व्यापारी को याद आया की कुछ हीरे तो वह जंगल के अंदर ही भूल कर आ गया है।
वे हीरे भी काफी कीमती थे ।वह उनके बिना आगे जा नहीं सकता था । उसने हीरे लाने के लिए वापस चलने का विचार किया । उधर एक लकड़ी काटने वाला उस जंगल मे रोज लकड़ी काटने आता था । वह इतेफाक से आज उसी पेड़ को काट रहा था जिसके नीचे व्यापारी ठहरे हुए थे ।
अचानक कुछ हीरे उसे मिल गए । तो उसे समझते देर नहीं लगी कि यह हीरे किसी व्यापारी के हैं। उसने अपनी कुल्हाड़ी को तो वहीं रखदिया और हीरे देने व्यापारी के पीछे चल दिया । वह कुछ दूर चला की उसे सामने घोड़े पर प्यापारी आता दिखा । वह उसे रोकर बोला — यह हीरे आपके हैं मैं इनको देने आ रहा था । गरीब लकड़हारे की ईमानदारी से व्यापारी काफी प्रभावित होगया और बोला …. यह लो दो सोने के सिक्के । सच मे ही तुम्हारे मां बाप ने तुमको बहुत अच्छे स्संकार दिये हैं।
सही है जिस बच्चे के मां बाप उसे अच्छी शिक्षा देते हैं। उसका ईमान कभी नहीं डगमगाता है।
5.संत और परींदा
एक बार एक संत भगवान की साधना मे लीन होकर बैठे थे । वे भगवान का नाम जप कर रहे थे कि एक परींदा झरोके से होकर अंदर आ गया । वह अंदर तो आ गया किंतु बाहर जाने का रस्ता उसे नहीं मिला वह कभी इधर उड़ता कभी उधर उड़ता । कभी छत से टकराता ।
और छटपटाकर नीचे गिर जाता । संत मन ही मन सोच रहा था कि जिस प्रकार से अंदर आने का रस्ता निश्चित है। उसी प्रकार बाहर जाने का रस्ता भी निश्चित है । लेकिन इसे कौन समझाए । संत ने उसको बाहर निकालने की कोशिश की किंतु वह डर गया । और इधर उधर तेजी से भागने लगा ।
संत सोचने लगा की इंसान भी इस परींदे की तरह होता है जो इस संसार के अंदर आतो जाता है लेकिन अज्ञानता के कारण उसे बाहर निकलने का रस्ता नहीं मिलपाता है। और जन्म मरण के चक्र के अंदर छटपटाता रहता हैं
6.क्रोध हमेशा अहितकारी होता है
एक बार की बात है । एक संत रस्ता भटक कर घने जंगल के अंदर चले गए । उस समय काफी भयंकर गर्मी पड़ रही थी । उनको प्यास लगी तो आस पास पानी खोजा लेकिन पानी नहीं मिला । तभी उनको एक पेड़ से कुछ पानी की बूंदे टपकती हुई दिखाई दी । संत ने पतो का एक बर्तन बनाया और पानी की बूंदो को एकत्रित करना शूरू करदिया।
काफी प्रयास के बाद उसने पात्र भरा और उसे पीने ही वाला था कि एक तोता आया और सारा पानी नीचे गिरा दिया संत बहुत दुखी हुआ । और फिर से पानी की बूंद बूंद एकत्रित करना शूरू किया । किंतु अबकी बार भी तोते ने गिरा दिया । तो संत को गुस्सा आ गया और तोते को भस्म होने का शाप दे डाला तोता तो मर गया । किंतु अचानक उसकी नजर उपर पड़ी तो पेड़ पर एक जहरीला बड़ा सांप सोया हुआ था । उसके मुख से जहर टपक रहा था । संत को तोते को शाप देने पर अफसोस हुआ । और सोचने लगा कि मैंने अपने ही हीतकारी को शाप देदिया ।
कहने का अर्थ है क्रोध हित अहित को नहीं देखता है। इसलिए क्रोध ना करें क्योंकि यह आपसे कुछ भी करवा सकता है।
This post was last modified on November 4, 2018