आज हम सब कुछ तेजी से पाना चाहते हैं। तेजी से सफल होना चाहते हैं । और जब सारे काम तेजी से नहीं होते तो हम निराश होने लग जाते हैं। क्योंकि हमारे अंदर धैर्य नहीं होता है। यदि हमारे अंदर धैर्य कूट कूट कर भरा है तो हमे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। कहा
भी गया है कि धैर्य सफलता की कूंजी है। बिना धैर्य कुछ नहीं हो सकता ।सब्र का फल हमेशा मीठा होता है। बिजनेस कर्ता बनने के लिये पहले बहुत कुछ खर्च करना पड़ता है। उसके बाद आस पर जीना होता है। धैर्य भी रखना होता है।
एक विद्वान ने लिखा है . जो लोग अधीर होते हैं। वो बहुत अधिक दौड़ भाग करते हैं। अपने लक्ष्य को पाने के लिए जो कुछ मिलता है। उसी पर सवार हो जाते हैं। वे यह नहीं सोचते की सवारी ठीक है या नहीं। और कभी कभी मुंह के बल गिरते हैं। दूसरों को तेजी से दौड़ते देख अपनी गाड़ी भी बेतुकी हांकने लगते हैं।
उबालउतना भी ना हो कि खून सूख कर उड जाए
धैर्य इतना भी ना हो कि खून जमे तो फिर खौल न पाये।
जूते बेचने वाले का धैर्य
एक बार एक बहुत बड़ी जूता कम्पनी का मालिक को एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता हुई जोकि ठीक से उसके सामान को बेच सके । उसने सुन रखा था कि शहर मे रामू नामका दुकानदार सबसे अधिक धैर्य वान है। वह खरीददार बनकर । उसकी छोटी जूतों की दुकान पर जा पहुंचा और जूते दिखाने को कहा । रामू ने अपने ग्राहक का
स्वागत किया और जूते दिखाने लगा लेकिन ग्राहक बना मालिक उसके दिखाए जाने वाले हर जूते को ना पसंद कर देता । अंत मे ग्राहक बने मालिक ने कोई जूता खरीदे बिना ही वहां से जाना चाहा । किंतु रामू के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं आई । वह उसका धन्यवाद करते हुए बोला मुझे अफसोस है कि आपके पसंद के जूते
मेरे पास नहीं हैं किंतु आप हमारी दुकान पर आए इसके लिए मैं आपका आभारी हूं । मौका मिले तो दुबारा हमारी दुकान पर जरूर आना शायद अबकि बार आपको आपकी पसंद का जूते मिल जाए। मालिक वहां से चला गया किंतु अब वह अपने असली रूप मे दुबारा उसके पास आया और बोला कि तुम ही वो व्यक्ति हो जिसकी मुझे तलास है
आज से तुम्हें हमारी कम्पनी के अंदर बड़े पद पर नियुक्त किया जाता है।
लेकिन रियल लाईफ के अंदर हम ऐसा नहीं करते । पीछले दिनों की बात है मैं भिवाड़ी के अंदर एक दुकानदार के पास रिचार्ज करवाने पहुंचा और कहा देखना मेरे मोबाईल नम्बर पर कोई ऑफर आ रहा है कि नहीं । उसने तुरन्त कहा क्यों मेरा टाईम वेस्ट करते हो । मैं नहीं समझ पाया कि उसका टाईम वेस्ट कैसे हो रहा
है। जबकि वह खुद बड़े आराम से बैठा है। तो दोस्तों ऐसा करके आप बिजनेस के अंदर आगे नहीं बढ़ सकते । यह बात तय है।
माटी का चबूतरा
एक बार गूरू अमरदास आपनी गददी अपने दामाद जैठा को सौंपना चाहते थे किंतु उनका बड़ा दामाद रामे इसके पक्ष मे नहीं था । उनके बड़े दामाद ने कहा कि उसमे वे सारे गुण हैं जोकि जैठा के अंदर हैं। गुरू रामदास ने दोनों को पास बुलाया और एक रेत का चबूतरा बनाने को कहा । दोनों ने मेहनत से
चबूतरा बनाया किंतु अमरदास ने उसमे कुछ कमियां निकालदी और फिर बनाने को कहा । इस बार भी दोनों दामादों ने मेहनत से काम कियां किंतु अमरदास ने उसमे भी कुछ नुक्स निकाल दी । इस प्रकार कई बार उन्होंने चबूतरा बनाया और तुड़वाया । अंत मे रामे झुंझलाकर बोला इससे अच्छा चबूतरा मैं नहीं बना सकता । तब
मालीचाहे किसी पौधे को सौ घंडों से सींचे या एक घड़े से
फल तो मौसम आने पर ही लगेगा
अमरदास जैठा से बोले तुम्हारा इस संबंध मे क्या कहना है।
जी आप मेरा मार्गदर्शन करते रहें जबतक की सही चबूतरा नहीं बन जाता ।
तब अमरदास बोले यही फर्क है जैठा और तुम्हारे अंदर । जैठा धैर्यवान है। इसी लिए मे उसे अपनी गददी देना चाहता हूं।
जो प्रत्येक स्थिति के अंदर धैर्य रखकर काम करता है। उसे सफलता के शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता ।