सोने की लंका किसने बनाया था sone ki lanka kisne banai रामायण के अंदर इस बात का उल्लेख मिलता है कि रावण के पास सोने की लंका थी । उसने माता सीता का अपहरण कर उसे सोने की लंका के अंदर अशोक वाटिका के नीचे रखा था ।अशोक वाटिका के अंदर सीता माता का झरना भी है और मंदिर भी है। झरने के अंदर सीता माता स्नान किया करती थी ।
रामायण के अंदर इस बात का उल्लेख मिलता है कि सोने की लंका रावण की थी । लेकिन सच कुछ और ही है। वह सोने की लंका रावण की नहीं थी वरन इस पर माता पार्वती का अधिकार था ।
अनेक पौराणिक कथाओं के अनुसार सोने के महल का निर्माण भगवान शिव ने पार्वती के लिये किया था।
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कैसे बनी थी सोने की लंका
प्राचीन समय की बात है एक बार माता लक्ष्मी और विष्णु जी भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर गये थे । तब माता पार्वती वहां पर ठंड से ठिठुरने लगी । कैलाश पर्वत पर कोई महल नहीं होने की वजह से माता लक्ष्मी ने पार्वती को महल नहीं होने की वजह से ताना मार दिया । कुछ समय व्यतीत हो जाने के बाद माता पार्वती और शिव वैकुंठ धाम पहुंचे वहां के वैभव को देखकर माता पार्वती आश्चर्य चकित रह गई। और जब शिव वापस कैलाश पर्वत आए तो वह भगवान शिव से महल बनाने की जिद करने लगी तब भगवान शिव ने सोने का महल बनाकर दिया
कैसे हड़प लिया रावण ने सोने का महल
समुद्र के बीचो बीच बनी इस खूबसूरत लंका को देखकर रावण का मन डगमगा गया और उसने ब्रहामण का वेश धारण किया और भगवान शिव से सोने की लंका मांग ली । भगवान शिव जानते थे कि रावण ब्राहमण के वेश मे है किंतु वे उसे खाली हाथ नहीं भेज सकते थे ।
उन्होंने यह सोने की लंका को रावण को दान कर दिया । जब यह बात माता पार्वती को पता चली तो उन्होंने प्रण लिया की लंका मेरी नहीं हुई तो किसी की नहीं हो सकती । और जब रावण ने सीता को यहां पर रखा और हनुमान वहां पर सीता को तलासते हुए पहुंचे । उन्होंने अपनी पूंछ के अंदर आग लगाकर सोने की लंका को जला दिया।
सोने की लंका की कुछ खास बातें
बताया जाता है की सोने की लंका तीन पर्वतों पर बनाई गई थी । पहले पर्वत का नाम सुबेल था । दूसरे पर्वत का नाम नील था । जिस पर सोने की लंका बनी थी ।तीसरे पर्वत को सुंदर पर्वत कहा जाता था । जिस पर अशोक वाटिका थी ।
यहां पर कई सारे सुंदर महल बने हुए थे जिनके अंदर कई सारी राजकुमारियां निवास करती थी । इनमे से अधिकतर को रावण हर के लाया था । महल के बीचो बीच पुष्प विमान रखा हुआ था । इस विमान की सबसे बड़ी खास बात यह थी कि इसका आकार इंसान अपने मन से छोटा बड़ा कर सकता था । इसकी गति और दिसा भी मन से बदली जा जा सकती थी ।
इसके अंदर कई लोग एक साथ यात्रा कर सकते थे ।
अब कैसी दिखती है रावण की लंका
क्ष्रिलंका के अंदर लंकापुरा नामक एक स्थान है जहां पर आज भी रावण की लंका होने के सबूत मिलते हैं।अशोक वाटिका के अंदर सीता को बंधक बनाकर रखा गया था । ऐसा माना जा रहा है कि ऐलिया पर्वत की एक गुफा के अंदर सीता को बंधक बनाया गया था । यहां पर सीता नामका एक मंदिर भी है। यहां पर अशोक के पेड़ पर्याप्त मात्रा के अंदर हैं।
माता सीता यहां पर भगवान राम की याद मे अपनी जान दे देना चाहती थी लेकिन उन्हें आग नहीं मिली ।
रामायण के एक कथा के अनुसार लंका की रखवाली एक विशालकाय हाथी करता था । शोधकर्ताओं को ऐसे हाथी के अवशेष भी मिलें हैं जिनका आकार सामान्य से अधिक बड़ा था ।और जब हनुमान जी ने लंका के अंदर आग लगा दी थी तो वहां की रेत काली पड़ गई थी जिसके प्रमाण भी शोधकर्ताओं को मिले हैं।
सोने की लंका का दहन की सच्चाई
सोने की लंका का दहन हनुमानजी ने किया था । यह सच है। और हम सभी ऐसा ही जानते हैं। लेकिन सच्चाई थोड़ी सी अलग है। सच मे सोने की लंका का दहन माता पार्वती ने किया था । तो आइए जानते हैं। उस कथा के बारे मे जिसमे लंका दहन की सच्चाई के बारे मे उल्लेख मिलता है।धन के देवता कुबेर ने भगवान की शिव की आज्ञा से माता पार्वती के लिए सोने का महल बनाया था ।रावण शिव से वह महल छीन लेना चाहता था । लेकिन वह भगवान शिव को युद्व के अंदर तो हरा नहीं सकता था । इस वजह से छल के द्वारा उसने पार्वती के महल को छीनने की सोची । रावण ने ब्राहामण के वेश मे भगवान शिव के पास गया और छल से महल को हाशिल कर लिया । जब पावर्ती को इस बात का पता चला तो वह क्रोधित हो गई। तब भगवान शिव ने कहा की जब त्रेता युग के अंदर मैं हनुमान के रूप मे अवतार लूंगा और तुम मेरी पूंछ के रूप मे जुड़ोगी तब तुम रावण को इसकी सजा देना ।
एक अन्य स्टोरी इस प्रकार है। माता अंजना काफी सुंदर थी । वह जब वन के अंदर धूम रही थी तो उसने एक वानर जैसे मुख के तपस्वी को तपस्या करते देखा । जिसकी शक्ल देख कर वह हंसने लगी । अपना मजाक होते देख तपस्वी क्रोधित हो गये और अंजना को शाप देदिया कि वह एक वानर कन्या के रूप मे बंदल जाए । बाद मे अंजना को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने तपस्वी से क्षमा मांगी । तब वो द्रवित हुए और बोले यदि भगवान शिव उनकी कोख से जन्म लेंगे तो उनकी इस शाप से मुक्ति मिल जाएगी ।
उसके बाद माता अंजना तपस्या करने लगी । उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा की वे अंजना के पुत्र के रूप मे जन्म लेंगे । जब पार्वति को पता चला तो उन्होंने भी जन्म लेने के लिए कहा तब भगवान शिव ने कहा कि वह उनकी पूंछ के रूप मे जन्म ले सकती है।
सोने की लंका समुद्र के अंदर समागई
1872 के अंदर एक जहाज श्रीलंका के पूर्व किनारे पर अटक कर दुर्घटना ग्रस्त हो गया था । एक अंग्रेजी कप्तान की किताब के अंदर लिखा है। कि इस जहांज के अंदर भारत से लुटा हुआ खजाना था ।कुछ देर बाद आए तेज तूफान की वजह से वह जहाज समुद्र के अंदर डूब गया था । हेनरी राफेल जहाज के कप्तान थे । जो किसी तरह से समुद्री तूफान से सुरक्षित बचने मे कामयाब हुए । उसके बाद 1905 के अंदर आते आते । ब्रिटिश गोता खोरो ने जहाज के अवशेषों को खोजने के प्रयास किये । तब उनको वहां पर सोना मिला । मिलने वाला सोना उस जहाज से बहुत अधिक था । सोना इतना था कि उसके कोई 200 जहाज भर सकते थे । कुछ इतिहास कार मानते हैं कि यह सोना प्राचीन लंका नगरी का है जो समुद्र के अंदर समा गई थी।
पार्वती ने दिया रावण को श्राप
दोस्तों जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि सोने की लंका जब रावण ने भगवान शिव से लेलिया था तो उसके बाद माता पार्वती ने रावण को श्राप दिया था कि एक दिन तुम्हारी सोने की लंका समाप्त हो जाएगी । और उसके बाद हनुमान ने सोने की लंका को जला दिया था।
हनुमानजी ने किस तरह से जलाई थी लंका
पुराणों में लंकादहन के पीछे भी एक ओर रोचक बात जुड़ी है। कहा जाता है कि हनुमानजी शिव के अवतार हैं जैसा कि एक बार कुबरे से शिव ने अपने लिए एक सोने का महल बनाया और रावण वहां पर पूजा पाठ करने के लिए आया तो उसने दक्षिणा के रूप मे यह महल ही मांग लिया और उसके बाद शिव ने यह महल प्रसन्न होकर यह लंका ही रावण को देदिया था । उसके बाद शिवजी माता पार्वती को लेकर जाने लगा तो विष्णु ने आकर उनकी रक्षा की । और उसके बाद शिव ने माता पार्वती को वचन दिया कि जब त्रेतायुग के अंदर मैं हनुमान के रूप मे अवतार लूंगा तो तुम मेरी पूंछ बन जाना और उसके बाद जब मैं माता सीता की तलास के लिए लंका जाउंगा तो तुम पूंछ के रूप मे आग लगाकर रावण को दंडित करना इस तरह की कहानी लंका के संबंध मे मौजूद है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
लंका दहन और हनुमानजी
दोस्तों आपको पता ही है कि रामायण की कहानी के अंदर यह बताया जाता है कि हनुमानजी लंका मे सीता का पता लगाने के लिए जाते हैं तो वे अशोक वाटिका के अंदर सीता को प्राप्त करते हैं।उसके बाद हनुमानजी रावण के सामने हाथ जोड़कर कहते हैं कि तू गलती कर रहा है अभी भी वक्त है प्रभु राम से क्षमा आपको मांग लेनी चाहिए । उसके बाद भी रावण नहीं मानता है और वह कहता है कि रे दुष्ट! तेरी मृत्यु निकट आ गई है। अधम!
उसके बाद रावण कहता है कि इस बंदर की पूंछ मे आग लगा दो और उसके बाद यह जल जाएगा । और इस तरह से हनुमान जी की पूंछ के अंदर आग लगा दी जाती है। पूंछ के लपेटने में इतना कपड़ा और घी-तेल लगा कि नगर में कपड़ा, घी और तेल ही नहीं रह गया। हनुमानजी ने ऐसा खेल किया कि पूंछ बढ़ गई। और उसके बाद हनुमानजी सोने के महल पर बैठे गए और इस तरह से राक्षसों की स्त्री काफी भयभीत हो गई । उसके बाद हनुमानजी ने सारे महलों को जलाना शूरू कर दिया ।
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