दोस्तों समय काफी तेजी से बदल रहा है। और आप देख रहे हैं कि बिजली भी अब पहले जितनी सस्ती नहीं रही है। कुछ साल पहले हमारे यहां पर बिजली 4 रूपये यूनिट आती थी । लेकिन अब हाल अच्छा नहीं है। अब तो 6 से 8 रूपये यूनिट आ रही है। खैर तेजी से बिजली महंगी होती जा रही है। और हमारी इनकम इस मुकाबले नहीं बढ़ पा रही है।
यही वजह है कि आप और हम लोग बिजली के हीटर या पानी गर्म करने की रॉड का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। क्योंकि इसमे बहुत अधिक बिजली खर्च हो जाती है। और कई बार तो यह देखा गया है कि इनके प्रयोग करने से महिने का बिजली बिल कमाई से ही उपर चला जाता है।
अपने बजट को ठीक रखने के लिए खर्चे को कंट्रोल करना होता है। यदि आप गांव के अंदर रहते हैं तो फिर आपको सोलर वाटर हीटर खरीदने की कोई खास जरूरत नहीं है। लेकिन यदि आप शहर के अंदर रहते हैं तो फिर आपको यह खरीदने की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि शहर के अंदर लकड़ी वैगरह जलाना काफी मुश्किल होता है। और लकड़ियां मिलती भी नहीं हैं।
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solar water heater kya hai
सोलर वॉटर हीटर एक ऐसा उपकरण है जो पानी गर्म करने के लिए सौर उर्जा का प्रयोग करता है। इसके अंदर एक कलेक्टर होता है जो सौर उर्जा को प्राप्त करता है और टैंक के अंदर इसको भेजा जाता है। जहां पर पानी गर्म होता है।उसके बाद इस पानी को निकाला जा सकता है। एक सौर हीटर पूरे साल आपको फ्री के अंदर उर्जा देता है।
क्योंकि सौर ऊर्जा प्राकृतिक गैस या ईंधन तेल के विपरीत मुक्त है। इसके अलावा, यह किसी भी सीओ 2 का उत्सर्जन किए बिना पूरे वर्ष के लिए सैनिटरी उपयोग के लिए गर्म पानी का उत्पादन करने का एक तरीका है।
हमारे छत के 100 m³ पर चमकने वाला सूर्य लगभग 1 000 kWh का उत्पादन 1 साल के अंदर कर सकता है।इसका मतलब यह है कि रसाई और बाथरूम के अंदर प्रयोग किये जाने वाले 70 प्रतिशत तक के पानी को गर्म कर सकता है। हालांकि सोलर हीटर लगभग हर प्रकार के मौसम के अंदर काम करते हैं। लेकिन यह सबसे अधिक तेज धूप मे काम करते हैं। यदि आप तेज धूप वाले ईलाकों के अंदर रहते हैं तो यह आपके लिए अच्छा है।
दक्षता क्षितिज के लिए 35 डिग्री के एक ढाल में सबसे अच्छा है , लेकिन एक परिणाम के लिए लंबवत रूप से फिट कलेक्टरों के साथ अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
सोलर वाटर हीटर के प्रकार type of solar heaters
अकेले अमेरिका के अंदर लगभग 200,000 सौर हीटर स्थापित किये गए हैं। सोलर हीटर के अंदर हीट एक अवशेषक को गर्म करती है।ये छत पर लगे सौर हीटर घर के लिए लगभग 80% गर्म पानी की आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा यहां पर दो टैंक होते हैं। गर्म पानी अलग टैंक के अंदर संग्रहित हो जाता है।
यदि सौर उर्जा का प्रयोग हम अपने दैनिक कामों के अंदर करते हैं तो जीवाश्म ईंधन का उपयोग 80% तक कम कर सकते हैं।उपयोग कर्ताओं के लिए यह प्रणाली आजकल काफी अच्छी साबित हो रही है।वर्तमान बाजार में अपेक्षाकृत कम संख्या में निर्माता और इंस्टॉलर हैं जो विश्वसनीय उपकरण और गुणवत्ता प्रदान करते हैं।
Thermosiphon Systems
ये सिस्टम सौर विकिरण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक कुशल होते हैं।इसमे कलेक्टरों से भंडारण टैंक तक प्राकृतिक संवहन से द्रव पहुंचता है।इस सिस्टम के अंदर पंप की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
Direct-Circulation Systems
इस सिस्टम के अंदर कलैक्टर तक पानी को धूप के समय पंप किया जाता है।टैंक से गर्म पानी क्लेक्टरों को फलश करके प्राप्त किया जाता है।यह संचलन प्रणाली केवल उन क्षेत्रों में उपयोग की जाती है जहां freezing तापमान होता है।
Drain-Down Systems
ये सिस्टम आम तौर पर अप्रत्यक्ष जल-ताप प्रणाली हैं। उपचारित या अनुपचारित पानी को एक बंद लूप के माध्यम से परिचालित किया जाता है, और गर्मी को हीट एक्सचेंजर के माध्यम से पीने योग्य पानी में स्थानांतरित किया जाता है।जब कोई ताप उपलब्ध नहीं होता है तो कलेक्टर द्रव को संवहन लूप से बचने के लिए गुरुत्वाकर्षण का प्रयोग किया जाता है।
Indirect Water-Heating Systems
इसमे पानी को बंद लूप के माध्यम से भेजा जाता है। इसकी गर्मी 80 से 90 प्रतिशत दक्षता के साथ हीट एक्सचेंजर के माध्यम से पीने योग्य पानी में स्थानांतरित की जाती है।freeze protection के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ वॉटर-एथिलीन है।
Air Systems
इसमे हीट एक्सचेंजर की दक्षता 50% होती है।कलेक्टर हवा को गर्म करते हैं और उसके बाद इस हवा को पानी के हीट एक्सचेंजर के माध्यम से गुजारा जाता है। जिससे पानी गर्म होता है। इस गर्म पानी का उपयोग आमतौर पर घरेलू कामों के अंदर होता है। जैसे बर्तन धोना वैगरह ।
solar water heater का आविष्कार
1900 से पहले अमेरिकी सौलर क्लेक्टरों के रिकार्ड मिलते हैं।उस समय छत के उपर एक काले रंग का टैंक रखने के बाद उससे पानी को गर्म किया जाता था। और 1902 के अंदर पानी गर्म करने के इस सौलर हीटर का विज्ञापन भी किया गया था। जैसाकि आप चित्र के अंदर देख सकते हैं। फ्रैंक शुमन ने 60-70 हार्सपावर के इंजन से बिजली बनाने के लिए मिस्र के माड़ी में दुनिया का पहला सौर तापीय विद्युत केंद्र बनाया।1920 के दशक में फ्लोरिडा और दक्षिणी कैलिफोर्निया में सौर जल तापन के लिए फ्लैट-प्लेट संग्राहक का उपयोग किया गया था। 1960 के बाद उत्तरी अमेरिका में रुचि बढ़ गई थी।
- इजरायल, साइप्रस और ग्रीस 30% -40% घरों के अंदर सोलर वाटर हीटर का प्रयोग किया जाता है।
- 1950 के दशक में ईंधन की कमी ने इजराइल सरकार ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच पानी गर्म करने से मना कर दिया था।
- लेवी यिसार ने पहला प्रोटोटाइप इजरायल सोलर वॉटर हीटर बनाया और 1953 में उन्होंने इजरायल कंपनी को लॉन्च किया, जो इजरायल की सोलर वॉटर हीटिंग का पहला वाणिज्यिक निर्माता था
- सोलर वाटर हीटर चीन के अंदर भी सबसे लोकप्रिय हैं और यहां पर कम से कम 30 मिलियन चीनी घरों के अंदर इनका प्रयोग होता है।
सोलर वाटर हीटर कैसे काम करता है
जैसा कि हमने आपको बताया पहले अल्पविकसित वॉटर हीटर थे । जो काले पदार्थ से बने थे और एक टैंक होते थे उनके अंदर पानी को संग्रहित कर दिया जाता था। सूर्य की गर्मी से यह पानी गर्म हो जाता था। लेकिन यह अच्छे से काम नहीं कर पाते थे । लेकिन अब पंप, स्टोरेज कंटेनर और संग्रह उपकरणों का एक परिष्कृत सिस्टम का प्रयोग किया जाता है।
Active & Passive Solar Water Heaters
सोर वॉटर हीटर के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं या कहें कि दो तरीके के सिस्टम को यूज किया जाता है। एक सक्रिय सिस्टम होता है और दूसरा निष्कि्रय सिस्टम होता है। सक्रिय सिस्टम के अंदर छत के उपर एक कलेक्टर को स्थापित किया जाता है और नीचे की तरफ एकपंप भी लगाया जाता है।जो स्टोरेज टैंक से जुड़ा हुआ होता है।
यह स्टोरेज टैंक के वॉटर को कलेक्टर तक भेजने का काम करता है।स्टोरेज टैंक के अंदर से ही गर्म पानी को बाहर भेजा जाता है। इसके अलावा इसके अंदर ठंडा पानी भी डाला जाता है। जो अलग अलग रहते हैं।इसकी सबसे खास बात तो यह होती है कि इसके अंदर एक हीट एक्सचेंजर का प्रयोग किया जाता है।वैसे यह प्रणाली काफी जटिल होती है। लेकिन हीट एक्सचेंजर का प्रयोग करने से दक्षता बढ़ जाती है। और यह सिस्टम अधिकतर तब अच्छा साबित होता है जब सूर्य का तपमान कम होता है।
निष्क्रिय सिस्टम की बात करें तो इनके अंदर हीट एक्सचेंजर का प्रयोग नहीं किया जाता है और यह उतने कुशल भी नहीं होते हैं। हालांकि इनकी कीमत कम होती है।यह खास कर उन जगहों के लिए अच्छे होते हैं जहां पर सूर्य का तापमान अच्छा होता है।
Solar Collectors
कलेक्टर सौर वॉटर हीटर प्रणाली का एक हिस्सा है जो सूर्य से गर्मी इकट्ठा करता है और इसे पानी में स्थानांतरित करता है। पुराने जमाने के अंदर हॉट बॉक्स का प्रयोग किया जाता था। जो एक पानी की टंकी होती है और इसका रंग काला होता है। इसके उपर कांच लगा होता था।इसको सबसे कम लागत के अंदर स्थापित किया जा सकता था ।इसमें तीन प्रकार के सौर कलेक्टर होंते थे । फ्लैट-प्लेट, इंटीग्रल कलेक्टर-स्टोरेज सिस्टम, या खाली-ट्यूब सौर कलेक्टर।
एक कलेक्टर के अंदर सौर विकिरण को इकट्ठा करने के लिए एक काले अवशोषक प्लेट का यूज किया जाता है।प्लास्टिक कवर के नीचे एक अवशोषक प्लेट होती है।प्लेट सूर्य की गर्मी को तांबे के टयूबिंग में स्थानांतरित करती है।अवशोषक प्लेट के माध्यम से पानी बहता है।इन्सुलेशन बॉक्स पानी को गर्म रखने मे मदद करता है।
एक हाईटेक कलेक्टर के अंदर पारदर्शी ग्लास ट्यूब, धातु अवशोषक और लेपित पंखों की समानांतर पंक्तियाँ होती हैं।इनके अलावा कुछ कलेक्टरों के अंदर ट्यूबों के भीतर कांच की नलिकाएं होती हैं या एक फिन से जुड़ी धातु अवशोषक ट्यूब होती है। बाद के प्रकार के साथ, फिन की कोटिंग सौर ऊर्जा को अवशोषित करती है लेकिन गर्मी के नुकसान को रोकती है।
ट्यूबों के अंदर एक वैक्यूम भी बनाया जाता है जो गर्मी के नुकसान को कम करने का काम करता है। वैक्यूम शैली वाले कलेक्टर का तापमान कभी कभी 300 डिग्री के आस पास भी पहुंच जाता है।
सौर जल भंडारण टैंक
सौर जल भंडारण टैंक एक एक हिस्सा कलेक्टर से जुड़ा होता है। इसके अंदर गर्म पानी एकत्रित होता है। इसके अलावा ठंडा पानी डालने की सुविधा भी होती है। कुछ टैंक के अंदर एक हीटर का प्रयोग भी किया जाता है जो ठंडे पानी को उष्मा देता है। जिससे पानी जल्दी गर्म हो जाता है।
solar water heater price
क्षमता ( लीटर प्रति दिन ) | ईटीसी प्रणाली की लागत in RS | एफपीसी प्रणाली की लागत IN RS |
100 | 16,000 | 22,000 |
200 | 27,000 | 42,000 |
250 | 34,000 | 50,000 |
300 | 40,000 | 58,000 |
350 | 15,000 | 22,000 |
दोस्तों आप अपने घर के अंदर जरूरत के अनुसार सोलर वॉटर हीटर लगवा सकते हैं।यदि आप रोजाना 100 लीटर पानी को गर्म करते हैं तो फिर आपको इसकी लागत 16000 से लेकर 22 हजार देनी होगी । इसी तरह से सोलर वाटर हीटर की क्षमता 200 लीटर है तो आप यह 22 हजार से लेकर 28 हजार के अंदर लगवा सकते हैं। आप उपर टेबल के अंदर सोलर वॉटर हीटर की क्षमता और इसकी प्राइस को देख सकते हैं।
सौर जल तापन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं
- सोलर हॉट वॉटर सिस्टम सूरज की किरणों की मदद से ठंडे पानी को गर्म पानी में बदल देता है।
- इसके अंदर 60 डिग्री से 80 डिग्री तक पानी का तापमान प्राप्त किया जा सकता है।
- तापमान मौसम की स्थिति और सौर कलेक्टर प्रणाली दक्षता पर निर्भर करता है।
- घरों, हॉस्टलों, होटलों, अस्पतालों, रेस्तरां, डेयरियों, उद्योगों आदि के लिए गर्म पानी के लिए इसका उपयोग होता है।
- छत-सबसे ऊपर, इमारत की छत और खुले मैदान में स्थापित किया जा सकता है
- स्टेनलेस स्टील का उपयोग छोटे टैंकों के लिए किया जाता है जबकि हल्के स्टील के टैंकों में एंटीकोर्सोशन कोटिंग के साथ बड़े टैंकों के लिए उपयोग किया जाता है।
- 100-300 लीटर क्षमता के सौर वॉटर हीटर (SWH) घरेलू के लिए अनुकूल हैं।
सोलर वाटर हीटर के लाभ
दोस्तों सोलर वॉटर हीटर वाकाई मे अच्छा होता है। यदि आप इसका प्रयोग घर के अंदर करते हैं तो आपको किसी भी तरह के बिजली बिल को नहीं देना होता है। एक 100 लीटर का सोलर हीटर से 4 सदस्यों के नहाने का पानी गर्म किया जा सकता है। इसके अलावा घर के अंदर गर्म पानी का अन्य उपयोग भी किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि सोलर वॉटर हीटर यूज करने के क्या फायदे हैं।
बिजली की बचत
दोस्तों सोलर हीटर का उपयोग करने का सबसे बड़ा फायदा है कि आप बिजली बचा सकते हैं। आज के समय मे बिजली की मांग बहुत अधिक बढ़ चुकी है। लेकिन इसका उत्पादन उतना नहीं हो पा रहा है। यदि आप एक 100 litres capacity का वॉटर हीटर यूज करते हैं तो तो आप 1500 units बिजली बचा सकते हैं। जबकि सोर उर्जा फ्री है , इसमे आपको किस तरह का कोई भी चार्ज नहीं देना होता है। अब आप सोच सकते हैं कि यदि हर घर के अंदर सोलर वॉटर हीटर का प्रयोग होने लगे तो कितनी बिजली को बचाया जा सकता है?
Cost savings
सोलर वॉटर हीटर का दूसरा लाभ यह है कि यह आपके पैसो को बचा सकता है। यदि आप पानी गर्म करने के लिए रॉड का उपयोग करते हैं तो उसके अंदर बहुत अधिक बिजली का खर्च आता है। क्योंकि यह बिजली यूज अधिक करती है।खैर यदि आप सोलर वॉटर हीटर का यूज करते हैं तो महिने के कम से कम आपके 3000 हजार रूपये बच जाएंगे ,जो आप बिजली बिल के रूप मे देते थे । इस तरह से आप इसकी लागत को वसूल सकते हैं।
Low maintenance
सोलर वॉटर हीटर के अंदर कोई खराब होने वाली चीज नहीं होती है। एक बार लगाने के बाद आपको इसको किसी भी तरह से रिपेयर करने की आवश्यकता नहीं है। यह लंबे समय तक चलता है। एक सोलर हीटर कम से कम 20 साल तक बिना रिपेयरिंग के काम कर सकता है। जो इसका बड़ा एडवांटेज है।
eco-friendlier
दोस्तों सोलर वॉटर हीटर का एक फायदा यह भी है कि यह eco-friendlier होता है। मतलब कि इसके प्रयोग करने से किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है। गांवों के अंदर तो यह आराम से यूज किया जाता है। जहां पर पानी को गर्म करने के लिए लकड़ियों का यूज किया जाता है। उनसे प्रदूषण होता है। हर गांव के अंदर यदि सोलर वॉटर हीटर का प्रयोग किया जाता है तो वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
High efficiency
सोलर हीटर High efficiency पर काम करता है। सूर्य से आने वाली 80 प्रतिशत रेडियशन को यह उर्जा के अंदर बदल देता है और इसकी मदद से पानी गर्म किया जाता है। कुल मिलाकर इसकी दक्षता अच्छी होती है।
सरकार के द्वारा उपलब्ध सबसीडी
दोस्तों यदि आप सोलर हीटर लगवाते हैं तो इसके अंदर सरकार 30 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक छूट देती है। इसको लगाने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि आपको सब्सीडी की वजह से हीटर की कम कीमत देनी होती है। सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सोलर सिस्टम का यूज कर सकें ।
सोलर वॉटर हीटर के नुकसान
- दोस्तों सोलर वॉटर हीटर को लगाने के लिए आपको किसी ऐसे स्पेस की आवश्यकता होगी जहां पर सूर्य की किरणे आराम से आती हों । एक 100 लीटर के हीटर को लगाने के लिए 2 वर्ग मीटर स्पेस चाहिए होता है। जबकि 350 लीटर के वॉटर हीटर को लगाने के लिए लगभग 7 से 10 वर्ग मीटर का स्पेस चाहिए होता है।
- फोटोवोल्टिक पैनलों की तुलना में, सौर तापीय पैनल केवल पानी गर्म करते हैं।
- बादल, बारिश, या धुंधले दिनों में यह प्रणाली काम नहीं करती है।
- पानी की हीटिंग दिन के दौरान ही होती है। हालांकि भंडारण टैंक दिन के दौरान हुए गर्म पानी के तापमान को बनाए रख सकता है ताकि उसका उपयोग रात को हो सके ।
घरेलू सोलर हीटर प्रणाली
अधिकांश घरेलू सोलर हीटर प्रणाली के अंदर बिजली के तापन इलिमेंट का भी प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर भंडारण टैंक के अंदर एक रॉड या गिजर रख दिया जाता है। जिसको ऐसे मौसम के अंदर ऑन करना होता है। जब आकाश के अंदर बादल छाए हुए हो और पानी गर्म ना हो ।अधिकाशं घरेलू सोलर हिटर प्रणालियों की क्षमता 100 से 500 लिटर प्रतिदिन पानी गर्म करने की क्षमता होती है।
थर्मोसाइपन प्रणाली
इस प्रणाली के अंदर पानी उपर रखी हुई टंकी से सौर संग्राही की तली के अंदर आता है।जब सूर्य की उष्मा का अवशोषण होता है तो पानी संग्राही से भंडारण टंकी तक परिचालित होता है।संग्राही के अंदर पानी गर्म होता है।भंडारण टैंक की तली के अंदर का गर्म पानी संग्राही के अंदर जाता है।
और जाकर गर्म पानी का स्थान लेता है।और गर्म पानी को उष्मा रोधी पदार्थों से बने एक टैंक के अंदर भेजा जाता है। जहां पर यह गर्म बना रहता है।संग्राही पर जब कोई सौर विकिरण नहीं होता है तो पानी का परिचालन बंद रहता है। यह प्रणाली सस्ती होती है और इसके अंदर रख रखाव भी कम होता है।
बालिक्रत परिचालन प्रणाली
इस प्रणाली के अंदर पानी का परिचालन करने के लिए एक पंप का प्रयोग किया जाता है।यह प्रणाली काफी अच्छी होती हैं और अधिक कारगर भी होती हैं।कलेक्टर या संग्राहियों के इन लेट और आउटलेट के तापमान परिर्वतन का आभास डीटीसी प्रणाली के द्वारा किया जाता है। हालांकि इन प्रणालियों की कोस्ट अधिक होती है।
प्राकृतिक थर्मोसाइफन (एनटीएस)
एसडब्ल्यूएचएस प्रचालित करने का यह सबसे सरल तरीका होता है और यही कारण है कि यह लोकप्रिय बना हुआ है। गरम पानी हल्का हो जाता है और उसमें ऊपर की तरफ उठने की प्रवृत्ति रहती है। सोलर फ्लैट प्लेट संग्राही की तली में ठंडा और इस कारण भारी पानी गरम पानी को ऊपर की तरफ फेंकता है; यह पानी गरम पानी की भंडारण टंकी में इकट्ठा हो जाता है।
ऊपर फेंके जाने वाले गरम पानी द्वारा निर्मित निर्वात को ठंडे पानी द्वारा गुरुत्व के कारण भर दिया जाता है। यह चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि दिन के समय सूर्य से समुचित ऊष्मा मिलती रहती है।
Advantage
- रखरखाव की जरूरत नहीं है।
- परिचालन के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं है।
- यह स्वचालित होती है।
Disadvantage
- 2000 एलपीडी के बाद धीमा हो जाता है।
- प्रणाली के निर्माण के लिए कठोर नियमों का पालन करना होता है।जैसे पानी की टंकी का मुख कम चौड़ा होना चाहिए।
- जब गर्म पानी निकालते हैं तो हर बार उसे ठंडे पानी के अंदर मिलाया जाता है। इससे परिणाम कम प्राप्त होते हैं।
नियत तापमान बलिक्रत परिचालन
इस प्रणाली के अंदर एक तापमान को सेट किया हुआ रहता है। और जब पानी का तापमान उस बिंदू पर पहुंच जाता है तो उसके बाद गर्म पानी को भंडारण टैंक के अंदर भेजा जाता है और ठंडा पानी गर्म होने के लिए आता है। इस प्रणाली के अंदर तापमान सेंसर का प्रयोग करते हैं जो पंप को ऑन ऑफ करने का काम करते हैं।
advantage
- सुपर स्ट्रेक्चर
- प्रणाली के आकार की सीमा नहीं है।
- स्थान के अंदर लचीला पन ।
- बेहतर दक्षता ।
disadvantage
- बिजली की आवश्यकता होती है।
- उपकरणों का समय समय पर रख रखाव आवश्यक है।
विभेदी तापमान बलिक्रत परिचालन प्रणाली
यह प्रणाली तापमान के अंतर के आधार पर काम करती है।जब संग्राही आउटलेट और टंकी की तली के बीच का तापमान अंतर पूर्व निर्धारित मान से अधिक हो जाता है तो पंप परिचालित होता है। उष्मा को संग्राही से पानी के टेंक मैं भेजा जाता है।जब पानी का तापमान निर्धारित तापमान तक पहुंच जाता है तो यह अपने आप ही बंद हो जाती है।
Advantage
- बेहतर आउट पुट
- स्थान मे लचिलापन
- आकार की कोई सीमा नहीं है।
इस प्रणाली की हानि भी उपर वाली प्रणाली के समान ही होती हैं।
सोलर हीटर के लिए स्थान का चयन
सोलर हीटर के लिए स्थान सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।यदि सही स्थान का चयन नहीं किया जाता है तो फिर आपकी सोलर प्रणाली की दक्षता पर असर पड़ता है।कलेक्टर या संग्राहियों का मुंह सीधे दक्षिण की तरफ होना चाहिए ।यदि दोपहर तक गर्म पानी की आवश्यकता है तो इनका मुंह दक्षिण पूर्व की तरफ करदें ।यदि गर्म पानी की आवश्यकता दोपहर बाद हो तो संग्राही का मुंह दक्षिण पश्चिम की तरफ करदे । जिस स्थान पर कलेक्टर को लगाया जाता है। वहां पर सुर्य का प्रकाश बिना किसी बाधा के आना चाहिए । सर्दियों के अंदर बेहतर परिणाम पाने के लिए आनति कोण अक्षांश + 15 डिग्री होना चाहिए।
सोलर हीटर की रख रखाव विधि
- सोलर सिस्टम के अंदर पानी की जांच करें यदि टंकी के अंदर पानी नहीं है तो पानी भर दें । बिना पानी के सोलर हीटर को ऑन ना करें ।क्योंकि ऐसा करने से पंप को नुकसान हो सकता है।
- संग्राही के कांच की जांच करें । यदि यह मैली कुचली है तो इसको अच्छी तरह से साफ करदें ।
- बिजली आपूर्ति की जांच करें ।
- पानी के पंप की जांच करें । यह जाम नहीं होना चाहिए।
- मिक्चर के लिवर की जांच करें ।
- यदि आपको अंक्षांसों की जानकारी नहीं है तो संग्राह को 45 डिग्री के कोण पर रख सकते हैं।
- यदि गर्म पानी टंकी के उपर आ गया हो तो आप इसको टोंटी से निकाल सकते हैं , नहीं तो आप टेंक के उपर से भी गर्म पानी ले सकते हैं।
- मोटर के अंदर समय समय पर ऑयलिंग करते रहें । जिससे कम से कम घर्षण पैदा हो ।
- पंप को धूल और बारिश से बचाकर रखें ।
- रबड़ के होज को दो तीन साल के अंदर बदलना होता है।यदि जस्ते से अलग किसी अन्य पदार्थ का होज है और जंग लग चुका है तो इसे बदल देना चाहिए।
- शीट मेटल पर जंगरोधक लेप किया जाना चाहिए । और हर 6 महिने के अंदर इसकी जांच भी की जानी चाहिए यदि रोगन उतर गया है तो आप इसको फिर से रोगन कर सकते हैं।
- पालिथिन वाले पाइपों का प्रयोग करें यह ना चिपकने वाली सामग्री होती है। और इसके अंदर उष्मा हानि भी कम से कम होती है।
- संयोजक होज छोटे होने पर वॉटर हीटर अच्छे से काम करता है।