सोशियल फोबिया आजकल एक तरह की भंयकर मनौवेज्ञानिक बिमारी बनती जा रही है। सोशियल फोबिया फोबिया का ही एक प्रकार है। जिस व्यक्ति को सोशियल फोबिया हो जाता है।
वह व्यक्ति समाजिक गतिविधियों को करने मे भी चिंता का शिकार हो जाता है।
रेाजमर्रा के कामों से ऐसा रोगी कतराने लग जाता है। जैसे कि उसके मन मे यह विचार उठने लग जाता है कि वह किसी से मिलेगा और बोलेगा तो लोग उसके बारे मे क्या सोचेंगे । इसी तरह की वह कई सारी सामाजिक चिंता का शिकार हो जाता है।
और रोगी किसी से बात करने से भी कतराने लग जाता है। यहां तक की घर से बाहर भी नहीं निकलने का इच्छुक होता है।
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अधिक पसीना आना
जो व्यक्ति सोशियल फोबिया से ग्रस्ति जाता है। उसे अधिक पसीना आता है । क्योंकि वह अधिक चिंता से डरा रहता है। और भयंकर विचारों को सोचता रहता है। जैसे अब उसकी मौत हो जाएगी । आदि
पेट मे गड़बड़ी होना
सोशियल फोबिया से ग्रस्ति व्यक्ति की सबसे खास बात होती है कि उसके पेट मे खाने का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता है जिसकी वजह से उसके पेट मे गड़बड़ी हो जाती है।
हाथ पांव काफी ठंडा हो जाना
यह भी सोशियल फोबिया का प्रमुख लक्षण है। ऐसे व्यक्तियों के हाथ पांव एक तरह से निर्जीव से हो जाते हैं उनके अंदर किसी तरह की फूर्ति नहीं होती है। ऐसे लोगों के मन मे सदैव नगेटीव विचार ही मन मे ही आते रहते हैं।
एकाग्रचित होने मे कठिनाई महसूस करते हैं।
चूंकि इनके दिमाग मे हमेशा ही नगेटिव विचार चलते रहते हैं। ऐसे रोगी जब अपने ध्यान को एक स्थान पर लगाने की कोशिश करते हैं तो असफल हो जाते हैं। इसका कारण है कि इनके दिमाग के अंदर भंयकर चिंता का होना ।
चिड़चिड़े हो जाना
इन रोगियों को लगता है कि उनके साथ बहुत बुरा हो रहा है। और जब कोई इनसे बात करता है। यह सही से बात नहीं करते वरन चिड़ चिडे से हो जाते हैं। और किसी से बात करने की इच्छा नहीं करते । इनको अकेलापन पसंद होता है।
अनिंद्रा के शिकार रहते हैं
इस प्रकार के रोगियों को नींद नहीं आने की शिकायत भी रहती है। इनके दिमाग पर विचारों का इतना गहरा प्रभाव रहता है कि डर की वजह से इनकी नींद तक गायब हो जाती है। और न नींद ले पाने की वजह से इनके दिमाग और भी असंतुलित हो जाता है।
जल्दी थक जाना
रोगी को जल्दी थकान भी आ जाती है। उसे कमजोरी सी महसूस होती है। रोगी को लगता है कि वह बेबस है और कुछ नहीं कर सकता । उसकी हिम्मम बुरी तरह से टूट जाती है।
अधिक उदास होना
सामाजिक चिंता से ग्रस्ति रोगी अधिक समय तक उदास बना रहता है। यहां तक की खुशी के माहौल के अंदर भी वह दुखी बना रहता है। क्योंकि वह बुरी तरह से मानसिक रूप से परेशान रहता है। वह भी बिना किसी आधार के ।
यह वो लक्षण है जोकि एक सोशियल फोबिया के रोगी के अंदर देखने को मिलते हैं। हालांकि रोग की शूरूआती दशा के अंदर यह सब लक्षण प्रकट नहीं हाते हैं किंतु जैसे जैसे रोग गहरा होता जाता है वैसे वैसे यह लक्षण प्रकट होने लग जाते हैं।
सोशियल फोबिया की पहली घटना
24 साल के मैकेनिक को इस प्रकार की शिकायत थी । उसे नींद नहीं आने की शिकायत भी थी और चक्कर भी आते थे । वह काफी दुखी दसा के अंदर था । और जल्दी थक जाता था । उसे अधिक पसीना आता था । बार बार पानी पीता था ।
वह सारे दिन चिंता से दुखी रहता था। और यहां तक काम के दौरान विचित्र प्रकार से सोचने लगता था । जैसे अब उसकी मौत होने वाली है। इस तरह के विचारों को सोच सोच कर वह परेशान होता रहता था । अपने असामान्य व्यवहार की वजह से उसे नौकरी से भी निकाल दिया था ।
रोकथाम और उपचार
इसके उपचार के लिए मनोरोग डॉक्टर रोगी को प्रश्न पूछ सकते हैं ताकि वे उसकी मानसिक स्थिति को जान सके । इसमे कुछ सवाल होते हैं जिनका रोगी को उत्तर देना होता है।
वैसे इसके निदान के लिए मनोचिक्तिस थैरेपी के साथ साथ ही दवाओं को लेने की भी आवश्यकता पड़ती है। दवाओं के अंदर सलेक्टिव सेरेाटनिन और रिअप टेक इनहिबिटर प्रमुख हैं। वैसे इस रोग का इलाज के लिए केवल दवाएं ही कारकर नहीं होती हैं। रिसर्च से यह पता चला है कि यह केवल अल्पकाल के अंदर ही काम करती हैं। इसलिए सबसे बड़ा कदम मनौवेज्ञानिक यह उठाते हैं कि उन तत्वों को नियंत्रित करते हैं जिन तत्वों की वजह से यह रोग पनप गया है। उनको रोका जाता है।
यदि आपको भी सोसियल फोबिया जैसी कोई समस्या है तो क्रपया नीचे कमेंट करें हम आपकी अवश्य ही मदद करेंगे ।
This post was last modified on June 17, 2019