क्या आपको पता है हवा महल mp के अंदर भी है। जयपुर के हवा महल के बारे मे सब जानते हैं। लेकिन बहुत से लोग हवा महल mp के बारे मे नहीं जानते हैं। और नेट पर भी इसके बारे मे कोई खास जानकारी उपलब्ध नहीं है। तो दोस्तों इस लेख के अंदर हम आपको हवा महल mp के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं। चंदेरी किला mp के एक छोटे से शहर चंदेली के अंदर है। जोकि अशोकनगर जिले के अंदर आता है।चंदेरी किला प्राचीन काल का सबसे उल्लेखनिए स्मार्क है। चंदेरी का किला मुगल काल का है। किले में मुस्लिम शासकों ने कई भूमिकाएँ निभाईं। किले में महल बुंदेला प्रमुखों द्वारा बनाए गए थे।
चंदेरी किले के तीन प्रमुख दरवाजे भी हैं। और इन्हीं दरवाजों के अंदर इसका मुख्यि द्वार खूनी दरवाजे के नाम से जाना जाता है। हवा पौड़ी चंदेरी किले का तीसरा और सबसे ऊंचा द्वार है। चंदेरी किले के अवशेषों में हवा महल और नौ खंड महल शामिल हैं। दोनों इमारतें बुंदेला प्रमुखों द्वारा बनाई गई थीं।
किले के दक्षिण पश्चिमी हिस्से में एक और प्रवेश द्वार भी है। इस गेट को खट्टी घाट के रूप में जाना जाता है इसकी लंबाई 59 मीटर, चौड़ाई 12 मीटर, ऊंचाई 24.6 मीटर है।
Table of Contents
हवा महल mp चंदेरी किला
चंदेरी किला शिवपुरी से 127 किमी की दूरी पर है व ललितपुर से 37 किमी पड़ता है।और ईसागढ़ से लगभग 45 किमी और मुंगौली से 38 किमी दूर स्थित है और यह बेतवा के दक्षिण पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना हुआ है।चंदेरी चारो ओर से पहाड़ियों और जंगलों से घिरा हुआ है।बुंदेला के राजपूतो और मालवा के कई सुल्लतानों के स्मारक भी यहां पर बने हुए हैं।चंदेरी का उल्लेख महाभारत के अंदर भी मिलता है। शिशुपाल महाभारत काल के अंदर चंदेरी का राजा हुआ करता था।
चंदेरी का इतिहास 11 वीं शताब्दी के अंदर काफी मत्वपूर्ण हो गया था। जब यह मध्य भारत के व्यापार मार्गों के रूप मे प्रयोग किया जाने लगा था।यह गुजरात के प्राचीन बंदरगाहों के साथ साथ मालवा और मेवाड़ के बंदरगाहों के निकट भी पड़ता था।इस वजह से यहां पर सैन्य चौकी भी बन गई थी।
चंदेरी किले का इतिहास
हवा महल mp के नाम से मसहूर चंदेरी किले का इतिहास मे उल्लेख सबसे पहले फ़ारसी विद्वान अलबरूनी ने 1030 में किया था। उसके बाद घियास उद दीन बलबन ने 1251 में दिल्ली के सुल्तान नासिर उद दीन महमूद के लिए शहर को अपने अधिकार के अंदर लेलिया था। मालवा के सुल्तान खिलजी ने 1438 ई के अंदर इस जगह को कई दिनों तक घेरे रखा था।1520 ई के अंदर मेवाड के राणा संघ ने इस किले पर अपना कब्जा कर लिया था और उसके बाद इसे सुल्तान महमूद द्वितीय को सौंप दिया था।
1540 ई के अंदर शेरशाह सूरी ने इस पर कब्जा कर लिया और यहां का शासक शुजात खान को बना दिया गया था।उसके बाद बुंदेला राजपूतों ने 1586 ई के अंदर इस कीले को अपने अधिकार के अंदर लेलिया और औरछा के राजा मधुकर को यह सौंप दिया गया। 1680 में देवी सिंह बुंदेला को शहर का गवर्नर बनाया गया, और चंदेरी उनके परिवार के हाथों में रही, लेकिन 1811 में जीन बैप्टिस्ट फिलोज ने ग्वालियर के मराठा शासक दौलत राव सिंधिया के को इसे सौंप दिया गया ।
1844 ई के अंदर अंग्रेजों ने इस शहर को अपने कब्जे मे लेलिया था। लेकिन 1857 के विद्रोह के दौरान इस पर अपना नियंत्रण खो दिया ।उसके बाद 1858 को सर ह्यू रोज ने शहर को वापस अपने कब्जे के अंदर लेलिया था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, ग्वालियर मध्य भारत के नए राज्य का हिस्सा बन गया, जिसे 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश में मिला दिया गया।
हवा महल mp चन्देरी किला के कुछ महत्वपूर्ण स्थान
दोस्तों चंदेरी के किले के आस पास कई महत्वपूर्ण महल बने हुए हैं। हालांकि हमे हवा महल mp के बारे मे विस्तार से जानकारी नहीं मिल सकी । लेकिन मिली जानकारी के अनुसार यह प्राचीन बुंदेला राजाओं ने बनाया था। चंदेली के अंदर बहुत से और भी महत्वपूर्ण स्मारक हैं। जिनके बारे मे आइए हम जान लेते हैं।
कोशक महल
इस महल को 1445 ई के अंदर मालवा के मोहम्मद खिलजी ने बनाया था।यह महल 4 बराबर भागों के अंदर बंटा हुआ है। इसके बारे मे यह कहा जाता है कि राजा इसके सात खंड़ बनाना चाहता था।लेकिन पूरा नहीं कर सका ।महल के अंदर खिड़कियां और बालकानी भी हैं।
परमेश्वर ताल
परमेश्वर ताल बुंदेला के राजाओं ने बनाया था।ताल के निकट एक मंदिर बना हुआ है। यहां पर राजाओं के स्मारक भी बने हुए हैं। चंदेरी नगर के उत्तर पश्चिम मे आधा किलोमिटर पर यह ताल स्थित है।
ईसागढ़
ईसागढ़ तहसील के कडवाया गांव के अंदर पड़ता है। यहां पर कई प्राचीन मंदिर भी बने हुए हैं।इसके अलावा एक मंदिर दसवीं शताब्दी में कच्चापगहटा शैली में बना है।चंदल मठ भी यहां पर एक प्राचीन मंदिर है। इसके अलावा एक बौद्व मठ भी क्षतिग्रस्त स्थिति के अंदर पड़ा है।
बूढ़ी चन्देरी
उर्र नदी के दाहिने किनारे पर बनी हुई है। यह गुर्जर प्रतिहारों की एक बड़ी जगह थी।इस जगह को सबसे पहले अलेक्जेंडर कनिंघम, द्वारा सन् 1865 ई. में खोजा गया । यदि अब यहां पर देखें तो कम से कम 55 मंदिर ऐसे हैं जो क्षतिग्रस्त अवस्था के अंदर पड़े हुए हैं। अधिकतर मंदिर जैन धर्म से जुड़े हुए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इन मंदिरों को संरक्षित कर रखा है। इन संरचनाओं को बुंदेला काल के अंदर भी संरक्षित करने का प्रयास किया गया था । क्योंकि कुछ संरचनाओं पर बुंदेला काल की छाप और 10 वीं शताब्दी की छाप भी मिलती है।
नक्काशीदार शिलालेख के अंदर भी इस जगह का उल्लेख मिलता है। जिससे यह साफ होता है कि इस जगह पर कभी मुस्लमान भी रहा करते थे । और पहले इस जगह का नाम नसीराबाद था। हालांकि अब यह जगह पूरी तरीके से विरान हो चुकी है और जंगल के अंदर पड़ती है।
शहजादी का रोजा
इस संरचना को एक 12 फुट उंचे चबूतरे पर बनाया गया है। यह स्मारक मेहरूनिशा नामक राजकुमारी की कब्र है। 15 वीं शताब्दी की बात है। चंदेरी के राज्यपाल की बेटी मेहरूनिशा सेना प्रमुख से प्यार करने लगी थी। लेकिन उसके पिता को यह पसंद नहीं था। उसके बाद उन्होंने कठोर कार्यवाही का निर्णय लिया और सेना प्रमुख को लड़ाई के लिए भेज दिया । इसके अलावा राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि सेना प्रमुख जिंदा वापस नहीं आना चाहिए । युद्व के अंदर सेना प्रमुख घायल हो गया लेकिन किसी तरह से चंदेरी तक आ गया । लेकिन उसके बाद उसकी हिम्मत जवाब देगी और वह वहीं पर मर गया ।उसके बाद जब राजकुमारी ने उसको देखा तो उसने भी वहीं पर अपनी जीवनलीला समाप्त करली । उसके बाद राजकुमारी के पिता को बहुत दुख हुआ । और उसने वहीं पर एक सुंदर तालाब बनाया और कब्र बनाई। हालांकि अब वह तालाब मौजूद नहीं है।
हवा महल mp चंदेरी कैसे आएं
दोस्तों चंदेरी आने के कई साधन मौजूद हैं। यदि आप चंदेरी को देखने आने का विचार कर रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि आप किस तरीके से चंदेरी पहुंच सकते हैं।
- ग्वालियर चन्देरी एक एयर पोर्ट है। यहां से आप बसों के द्वारा चंदेरी पहुंच सकते हैं।
- अशोक नगर और ललितपुर निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। यहां से आपको चंदेरी के लिए बस आसानी से मिल जाएगी ।
- सड़क मार्ग से भी चंदेरी पहुंचा जा सकता है।झांसी, ग्वालियर, टीकमगढ़ आदि शहरों से नियमित बसों की सुविधा चन्देरी के लिए उपलब्ध है।
हवा महल mpजयपुर वहा महल जैसा कुछ नहीं है। यह नोर्मल स्मारक है।आपको बतादें की चंदेर काफी विख्यात हो चुकी है। और इसी वजह से इस जगह पर वोलिहुड फिल्मे बन चुकी हैं। अनुष्का शर्मा ने सुन 2018 के अंदर यहां पर एक फिल्म कि शुटिंग भी की थी।